RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
अपडेट – 61..
रेशमा का रेशमी गओन सरसराता हुआ उसके बदन से जुदा होका अब वो ज़मीन पर पड़ा था… और जैसे ही उस 26-27 साल की भरपूर जवान युवती का गाउन ज़मीन पर गिरा.., अब उसका लॅंप पोस्ट की मंद रोशनी में भी सोने जैसा दमकता हुआ बदन मेरी आँखों के सामने था…!
34” की खूब सुडौल तनी हुई उसकी गोल-गोल खरबूजे जैसी चुचियाँ.., सपाट पेट बमुश्किल 28-29” की उसकी कमर के नीचे तो जैसे कयामत ही फैली हुई थी…!
केले जैसी गोल चिकनी उसकी मोटी- मोटी जांघें.., जिनके बीच का “Y” शेप का यौनी प्रदेश… सस्सिईइ….आअहह…मेने अपने लौडे को
मसलकर सिसकी भरी, क्या मस्त चिकनी मलाई जैसी मुलायम कचौड़ी जैसी फूली हुई उसकी चूत की फाँकें देखकर पाजामे के अंदर मेरा लंड तन्कर खड़ा हो गया…!
साला क्या किस्मेत पाई है इस बुड्ढे ने, ये हुश्न की देवी जवानी से लदी फदि, इस कमिने दढ़ियल के नसीब में है…,
जैसे ही वो उस अधेड़ मर्द के लंड को पकड़ने के लिए आगे आई.., उसके रेशमी जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा.., उसकी जानमारू
मखमल से भी मुलायम उसकी गान्ड मेरी आँखों के सामने आगयि…!
वाह ! क्या मस्त खूब उभरी हुई उसकी गान्ड थी.., मानो पीछे दो मुरादावादी कलश उल्टे चिपका दिए हों.., कदम ताल के साथ उनकी थिरकन देख कर तो मेरा लॉडा ठुमके ही लगाने लगा…!
वो उस अधेड़ मर्द का मरियल सा लंड अपने हाथ में लेकर उसे मुठियाने लगी.., कुच्छ देर की कोशिश के बाद उसका अधखड़ा लंड तन
गया.., उस अधेड़ मर्द ने अपना शराब से भरा हुआ ग्लास एक ही साँस में खाली कर दिया और अपनी मूँछो पर ताव देते हुए बोला…!
आअहह.. रेशमा मेरी जान.., अब इसे अपने मूह तो ले मेरी कुतिया.., चल जल्दी कर रांड़.., ये कहते हुए उसने जबरन उसके कंधों पर दबाब
डालकर उसे वहीं फर्श पर बिठा दिया…!
वो भी किसी मजि हुई रंडी की तरह अपने पंजों पर बैठकर उसके लंड को चूसने लगी.., उस अधेड़ का लंड उसके मूह में जाते ही फूलने
लगा.., मज़े में उस आदमी की आँखें बंद होने लगी…!
वो रेशमा के सिर पर हाथ का दबाब बनाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मूह को चोदने लगा…!
दो मिनिट भी नही हुए की वो एक लंबी सी हुंकार भरते हुए उसके मूह में ही झड गया.., झड़ने के साथ ही उसकी टाँगें भी जबाब दे गयी..,
कांपति टाँगों से वो धीरे धीरे उसके सामने ही बैठ गया और बैठने के साथ ही पीछे की तरफ फर्श पर लुढ़क भी गया…!
शराब के नशे और झड़ने की कमज़ोरी के कारण उसकी आँखें अपने आप बंद हो गयी…!
रेशमा उसे झकझोरते हुए बोली – शेरू डार्लिंग.. उठो.., ये क्या.. तुम तो सो गये.., अरे अब मे क्या करूँ..?
लेकिन उसकी सुनने के लिए अब शेरू नही था.., अब तो बस उसके खर्राटे ही सुनाई दे रहे थे..,
वो अपने बदन की आग में झुलस्ति हुई खड़ी हुई.., एक लात उसने उसके मुरझाए हुए लंड पर मारी और उसे गालियाँ बकती हुई बोली –
मादरचोद.., ठाकुर के चोदे…,
अपने आपको मर्द कहता है हिज़ड़ा कहीं का.., जब गान्ड में दम नही बचा है तो क्यों रखता है मेरी जैसी औरत को अपने साथ.., अब मे कहाँ जाउ.., क्या करूँ.., हाए अल्लाह ये मेरी चूत की आग अब कैसे बुझेगी.., ये मुआ तो सो गया…!
वासना की आग में जलती हुई वो इधर उधर देखने लगी.., कि शायद कहीं से कोई ऐसी चीज़ ही मिल जाए जिसे वो अपनी चूत में डालकर
पानी निकाल सके..!
तभी मेने झाड़ियों की आड़ से निकलते हुए कहा – मे कुच्छ मदद करूँ मोह्तर्मा..??
मेरी आवाज़ सुनते ही वो एकदम से उच्छल ही पड़ी.., मेरी ओर घूमते हुए उसने जैसे ही मुझे अपने सामने देखा, वो अपनी शर्म छुपाने के लिए फ़ौरन अपनी जगह पर बैठ गयी…!
मे चार कदम आगे बढ़कर उसके पास जा पहुँचा.., मुझे अपने पास देखकर वो बोली – क.क.क्कोन हो तुम.., और..और..यहाँ कैसे आगये..?
मे – तुम्हें आम खाने से मतलब, पेड़ गिनकर क्या करोगी…? तुम अपने बदन की आग में झुलस रही हो.., साधन सामने है.., जी भरकर
अपनी आग शांत कर्लो…!
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