RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
मेरी बात सुनकर उसने अपने हाथ चेहरे से हटा लिए और शर्म का दामन पकड़े हुए उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपाते हुए कहा – आप इतना प्यार करते हैं मुझे…!
इतना प्यार मत करिए.. कल को अगर बिछड़ना पड़ा तो मे जी नही पाउन्गि बिना आपके..
मेने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – क्यों.. मुझ पर भरोसा नही है तुम्हें..?
वो तड़प कर मेरे सीने से चिपक गयी..और मेरी पीठ पर अपनी मरमरी बाहें कसते हुए बोली – अपनी किस्मत से डरती हूँ नाथ.., माँ-बाप, भाई-बेहन को एक तरह से खो दिया है मेने.., अब आपको खोना नही चाहती..!
मे उसे अपनी गोद में लेकर बैठ गया.., उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर मेने कहा – अपने जीते जी मे तुम्हें कभी अपने से अलग नही होने
दूँगा.., यही नही ये एक मर्द की ज़ुबान है तुम्हें तुम्हारे परिवार से ज़रूर मिलाउन्गा..!
अब अगर बेगम साहिबा की इजाज़त हो तो प्यार करें.., ये कहकर मेने उसके लज़्जत भरे होठों को चूम लिया.., वो भी किसी बेल की तरह मेरे बदन से लिपट गयी…!
फिर मेने उसे पलंग पर लिटाया और उपर से नीचे तक उसके कमसिन बेपर्दा बदन को चूमता चला गया.., आख़िरकार जब मेरी चटोरी जीभ
उसकी कच्ची कमसिन कली.. उसकी यौनी पर लगी तो वो बुरी तरह से सिहर उठी..,
अपने हाथों को उसके कच्चे अनारों पर रखकर उन्हें सहलाते हुए जब मेने अपनी जीभ से उसकी मुनिया को चाटा तो वो आहहें भरने लगी
और उसकी कोरी गागर छलकने पर मजबूर हो गयी…!
अपने अंगूठे से उसकी छोटी सी क्लिट को छेड़ते हुए जब मेने अपनी जीभ को उसके अधखुले सुराख को कुरेदा तो उसकी गागर छलक कर अपना रस मेरी जीभ को पिलाने पर मजबूर हो गयी..,
उसकी कोरी गागर का पानी चख कर मेरा भी लॉडा अपने फुल आकार में आगया.., अब प्रिया से बर्दास्त करना मुश्किल होता जा रहा था..,
पलंग पर वो जलबीन मछली की तरह तड़पने लगी…!
सही मौका जानकर मेने उसकी यौनी से अपना मूह हटाया.., चोंक कर उसने मेरी तरफ देखा.., मेने मुस्कराते हुए कहा – अब असली सफ़र पर चलने के लिए तैयार हो जाओ मेरी जान…!
मेरी बात सुनकर उसने अपनी गर्दन साइड को कर ली.., अपनी आँखें बंद करके वो आने वाले पलों का इंतजार करने लगी.., मेने अपने लौडे को हाथ में लेकर उससे कहा…
एक बार इसे देख तो लो प्रिया.., ये बेचारा तुम्हारी मुनिया की सेवा करने वाला है और तुमने मूह फेर लिया…!
वो अपनी आँखें बंद किए हुए ही बोली – मुझे नही देखना.., आपको जो करना है वो अब जल्दी करो प्लीज़..,
जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. कहते हुए मेने उसकी टाँगों को चौड़ा किया.., उसकी गोरी-गोरी सुडौल जांघों को अपनी जांघों के उपर चढ़ाया.., मूह से
थूक लेकर अपने लंड को चिकना किया और अपना दहकता हुआ सुपाडा उसकी मुनिया की पतली-पतली फाकों पर रख दिया…!
आज पहली बार उन दोनो का मिलन हो रहा था.., मेरे गरम लंड की गर्मी पाकर उसकी मुनिया में एक बार संकुचन हुआ.., उसका पूरा शरीर झंझणा उठा…!
मेने अब और देर करना मुनासिब नही समझा.., एक-दो बार अपने लौडे को उसकी गीली चिकनी फांकों पर फिराया.., और फिर दोनो हाथों
के अंगूठों से उसकी फांकों को अलग करके उसके छोटे से छेद पर अपना गरम सुपाडा रख कर हल्का सा दबाब डाल दिया…!
मेरा आधा सुपाडा उसकी फांकों के बीच फँस चुका था.., उतने से ही प्रिया के मूह से एक मादक कराह निकल गयी…!
लंड को उसके छेद में सेट करके मेने उसकी दोनो कच्ची गोलाईयों को हाथों में लेकर हल्के से दबाया और एक हल्का धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!
मेरा लंड कोई एक इंच अंदर जाकर रुक गया.., जो उसकी झिल्ली की पतली सी दीवार ने उसे अंदर जाने से रोक लिया मानो वो अपना नेग पाना चाहती हो..,
साथ ही प्रिया के मूह से एक हल्की सी कराह भी निकल पड़ी…, आअहह…माआ…
मेने नेग के तौर पर उसके उपर आकर उसके होठों को चूमा.., और फिर उसकी कच्चे अनार जैसी चुचियों को सहलाते हुए मेने कड़क लंड का एक तगड़ा सा धक्का उसकी कच्ची कली में दे मारा…………….!!!!!
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