RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
खैर .. मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और शालिनी पीछे बैठ गई, उसके हाथों में काफी बैग थे जिससे पता चलता था कि वह शापिंग करके आ रही है ।।
हम दोनों घर की ओर चल दिए, रास्ते में शालिनी और मेरे बीच कोई बात नहीं हो रही थी, शायद वो गार्ड वाली घटना की वजह से,
घर के पास आकर किरानास्टोर वाले से सामान लेते हुए हम घर आ गए , मैंने बाइक बाहर ही रखी और हम अंदर आ गए, कमरे मे आते ही मैंने कूलर चलाया और फटाफट अपने कपड़े निकालकर मैं अपनी आरामदायक पोजीशन यानी चढ्ढी बनयान मे आ गया और शालिनी पीछे कमरे में जाकर सारे बैग रखकर मेरे पास आकर बेड पर बैठ गई, कूलर की हवा ठंडी थी, पांच मिनट ऐसे ही बैठे रहते हुए हो गए थे पर हम लोग कोई बात नहीं किए थे, मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था...
मै- शालिनी, नौ बज रहे हैं, खाने का क्या करना है।
शालिनी- जी, भाईजी, मैं अभी कुछ बनाती हूं,
मैं- ह़ां , चेंज कर लो फिर आराम से बनाना कोई जल्दी नहीं है
और कल से मुझे जाब पर भी जाना है.... इस बीच देखते हैं एडमिशन की लिस्ट जारी हो जायेगी तो फिर एक दो दिन की छुट्टी लेकर काम हो जायेगा।।
शालिनी- जी भाईजी
मैं- और हां, तुम आज इसी बेड पर सो जाना क्योंकि तुम्हारे रूम में तो अभी कूलर नहीं लग पाया है,, कल लगवा लेंगे।।
शालिनी- जी, यहीं सो जाऊंगी वैसे भी मैं कभी अकेली नहीं सोती...
मैंने टीवी चला दी और शालिनी चेंज करके नये कपड़ों मे से ही एक ब्लैक शार्ट निक्कर और व्हाइट टी पहनकर आयी और कूलर के आगे खड़ी हो गई, तो मैंने देखा कि शालिनी पूरी तरह पसीने मे भीगी हुई है,,,,
मैं- अरे तुम तो पूरा पसीने से नहाई लग रही हो, क्या हुआ ।।
शालिनी- वो कमरे में पंखा नहीं है तो बहुत गर्मी लग रही थी और मुझसे जींस भी जल्दी निकल नहीं रही थी ।
मै- ओ हो... इतनी गर्मी थी तो तुम यहीं चेंज कर लेती..और पसीने से नहाई हो फिर भी कपड़े पहन लिए ।।
शालिनी- जी... भाईजी... वो यहां आप थे इसलिए मैं पीछे चली गई थी....
मै- (थोड़ा सोच कर) हां, हां मैं यहां था तो... कौनसा तुम्हें सारे कपड़े निकालने थे,,, अब यहाँ हम ही दोनों को रहना है... इतनी शरम ठीक नहीं... और तुम अपने भाई के साथ ही अनकम्फरटेबल हो... ऐसे कैसे रहेंगे हम साथ में ... मुझे देखो मैं जैसे रहता था तुम्हारे आने से पहले वैसे ही हूं।।
शालिनी-- सारी भाईजी,,, मेरा वो मतलब नहीं था, पर मुझे लगा आपके सामने चेंज नहीं करना चाहिए, ,,,
(शालिनी का हाथ पकड़ कर अपने पास बेड पर बिठाते हुये)
मैं- देखो बेटा... बिल्कुल फ्री होकर रहो... हम लोग अब बड़े हो गए हैं और एक दूसरे के सामने चेंज नहीं करना चाहिए लेकिन कभी इस तरह की सिचुएशन हो तो कर सकते हैं और करना ही चाहिए, हम भाई बहन हैं और यहां इस शहर मे हमे ही एक दूसरे का खयाल रखना है... लड़ाई के लिए भी मैं ही हूँ और प्यार के लिए भी मैं ही मिलूंगा..., सो रिलैक्स
शालिनी - जी भाई , अब कुछ खाने को बना लिया जाए ।
शालिनी किचन में चली गई और मैं टीवी देखने लगा ।।
शालिनी खाना बनाने लगी, खाना बनाते समय भी उसे काफी गर्मी लगी और वो कई बार कूलर के सामने आ कर दो मिनट खड़ी होती फिर किचन में जाकर खाना बनाती । मैं आराम से लेटकर अपने कुछ फोन काल्स निपटा रहा था,,
शालिनी- भाईजी खाना रेडी है
मैं- ठीक है तुम पांच मिनट आराम कर लो फिर खा लेते हैं और मैं उठकर टायलेट करने गया ।
हम लोगों के पास कोई डायनिंग टेबल तो था नहीं , हमने बेड पर ही खाना खाया और बातें करतें करते
शालिनी- भाईजी, थैक्स फार शापिंग, और आपके साथ शापिंग मे मजा आ गया.. लव यू भाई....
और हां नेक्स्ट टाइम से अब जब भी शापिंग जायेंगे आप भी अपने लिए भी शापिंग करेंगे... प्रामिस करो भाई...
मैं - ठीक है चलो सोते हैं सुबह से अगले छह दिन मुझे फिर से गधे की तरह फील्ड में घूमना है ।
मैंने कपडे डाल कर बाइक अंदर रखी और गेट लाक करके कपड़े फिर से निकाल कर शालिनी के पास लेट गया, गेट लाक होने के बाद मैं घर का कोई दरवाजा बंद नहीं करता, लाईट आन थी, हम दोनों को उजाले में सोने की आदत है।।
हम लोग बराबर मे लेटे थे लेकिन दूर दूर और टीवी चल रहा था। हम लोग इधर उधर की बातें कर रहे थे, कल क्या करना है वगैरह वगैरह ।
शालिनी- भाईजी , वो गार्ड क्या उल्टा सीधा बक रहा था , बदतमीज को हम कपल दिखाई दे रहे थे।।
मैं - अरे कोई नहीं , ऐसे बदतमीज मिलते ही रहते हैं, असल मे वहाँ ज्यादातर कपल ही जाते हैं और गलत काम करते हैं मौका देखकर...
शालिनी- ओ हो... ,भाई अब सोते हैं, गुडनाइट...
मैं- गुड नाईट...
और थोड़ा पास जाकर मैंने उसे माथे पर किस किया तो शालिनी ने अपनी बड़ी बडी आंखें अचानक से मेरी आँखों से मिलाई और एकटक मेरी आंखों में देखने लगी फिर ....वापस सीधे लेट गई, हम दोनों ऐसे ही सो गए ।।
सुबह जब मेरी आंख खुली तो देखा अभी साढ़े पांच बजे हैं मतलब आधे घंटे और सोया जा सकता था मेरे रूटीन से,,, मैं लेटा रहा फिर अचानक शालिनी की ओर देखा तो वह पैर फैलाये बेसुध सो रही है और उसकी शार्ट निक्कर सिमटकर उसकी जांघों मे चिपकी थी और ऊपर उसकी टीशर्ट समीज सहित उसकी नाभि के काफी उपर तक उठी थी,,,, और उसके नंगी जांघों सहित पैर दूधिया रोशनी में चमक रहे थे .... मैंने तुरंत नजर दूसरी तरफ कर ली और ध्यान हटाने के लिए मोबाइल उठा लिया, कुछ देर बाद मेरी नजर फिर शालिनी पर चली गई,,, अब वह मेरी ओर करवट हुई जिससे उसके स्तनों ने वी गले की टी मे गहरी घाटी जैसी बना ली और उसके गोरे गुदाज सीने को देखकर मुझे पता नहीं क्या हो गया कि मैं शालिनी के पूरे शरीर को देखने लगा और एक अजीब सी सुरसुरी छा गई पूरे बदन मे और चढ्ढी मे मेरा लंड खड़ा हो गया...
कहाँ जरा सी चूंची की झलक पाने के लिए हम जैसे लडके तरसते थे, मार्केट में हल्की सी चूंची दिख जाये किसी सेक्सी भाभी/आंटी/लड़की की तो लंड तुरंत सलामी देता था,,,
हस्थमैथुन से ही काम चल रहा था,,कभी किसी को छूने का मौका नहीं मिला था।।
मेरा एक हाथ मेरी चड्ढी मे मेरा लंड सहला रहा था और एक फीट दूर मेरी जवान ,मादकता से भरी हुई मांसल शरीर वाली बहन सो रही थी,, शालिनी की हर सांस के साथ उसकी चूंची ऊपर नीचे हो रही थीं और मैं हाथ से अपने लंड को और तेज मसलने लगा,,,
शालिनी की चूंची बहुत ही शानदार और बड़ी थी, नाभि भी बहुत गहरी , और उसकी जांघों की मांसलता को देखकर मैं एक नयी दुनिया में विचरण कर रहा था,,, कि अचानक बाहर पेपर फेंकने की आवाज आई...और मैं हड़बड़ा गया, अचानक से बेड से उतरकर मैं बाहर बरामदे में भाग आया...। मुझे बहुत ही आत्मग्लानि हो रही थी..
मैं बाहर आकर जीने पर बैठ गया और अपने कांपते हुए शरीर को संयमित करने लगा, मेरे दिमाग में कोई एक खयाल रुक नहीं रहा था कभी शालिनी की बड़ी बड़ी चूंची मेरे सामने आ रही थी और साथ ही एक खयाल मुझे धिक्कार रहा था कि तुम इतना गंदा कैसे सोचने लगे अपनी ही बहन के बारे मे ...
रह रह कर मुझे ऐसे ही खयाल आते जा रहे थे और मुझे शालिनी की मासूमियत और मां का मुझ पर भरोसा सब याद आने लगा,
आज तो ये पहला दिन ही था शालिनी का मेरे साथ,,,, हमें तो अब आनेवाले काफी सालों तक साथ रहना है, ऐसे कैसे रह पायेंगे हम साथ में...
मैंने फ्रेश होकर कपड़े डाले और शालिनी को बिना जगाए गेट बाहर से लाक करके दूध और ब्रेड लेने आ गया ।
मैं कुछ देर बाद लौटा और गेट खोल ही रहा था कि बगल वाली सुनीता भाभीजी अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थी और
सुनीता भाभी- सागर भैया कैसे हो, और आपके साथ कौन आया है।
मैं- भाभी मैं ठीक हूं, वो मेरी छोटी बहन शालिनी है अब यहीं रह कर पढ़ाई करेगी।।
सुनीता भाभी - इसीलिये मैं कहूँ मेरे देवर राजा कल से बहुत बिजी दिख रहे हैं.... एक बार हमसे हेल्लो हाय नहीं और अभी भी चोरी से मेरी नंदरानी के पास जा रहे हो... हां हां... अब हम जैसी बुढ़िया को कौन पूछेगा.... नया माल जो ले आये हो....और वो हंसती रही ।
मैं- अरे अरे, नहीं भाभीसा, ऐसी कोई बात नहीं है, आज आपको मिलाता अपनी बहन से,,,,थोड़ा बिजी था ।
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