RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
इसी बीच मैंने उसके रसभरे गुलाबी होंठों पर चुम्बन करने की कोशिश की तो आज मुझे पहली बार लगा कि शालिनी ने मेरे होंठों को हल्के से चूसा और फिर कुछ सेकंड में ही अलग हटा लिया अपना चेहरा,,,
शालिनी- गुड नाईट भाई,,, और उसने हल्के से अपने सिर को मेरे सीने में दबा दिया,,, उसने भी आज पहली बार मुझे कस कर अपनी बाहों में भर लिया और सोने की कोशिश करने लगी,,
मैं- (धीरे से उसके कान में) कितनी उंगलियां अंदर करी थी,,,
और इतना सुनते ही शालिनी ने मेरी पीठ पर जोर से अपने हाथ से मुक्कों की बरसात कर दी,,, मैं हंसने लगा ,,, उसने सिर्फ इतना कहा ,,
शालिनी- अब सो भी जाओ ,, सुबह भी होगी,,, सब अभी जानना है,,,
और हम दोनों ऐसे ही चिपक कर सो गए एक और हसीन सुबह के इंतजार में.........
रात की मस्तियां और उसके बाद एक और हसीन सुबह के इंतजार में हम दोनों को बहुत ही बढ़िया नींद आयी और सुबह तक हम दोनों एक-दूसरे से लिपटकर सोते रहे,,,
सुबह मेरी नींद खुली तो मेरे होंठों पर शालिनी के रसीले होंठों को पाया,,,, आज ये पहला दिन था जब शालिनी ने सुबह सवेरे अपनी तरफ से मुझे होंठों पर किस किया था,,,,
उसने हल्के से मेरे होंठों पर लेटे लेटे ही चूमा था मगर उसके नर्म मुलायम रसीले होंठों की छुअन से ही मेरी नींद खुल गई और मैंने भी उसके पीछे हाथ ले जाकर उसके होंठों को थोड़ा ज्यादा जोर से चूस लिया और उसकी नंगी कमर पर अपना हाथ भी फिराने लगा,,, ये कोई एक दो मिनट जैसे चला और शालिनी ने अपने होंठ मेरे होंठों से छुड़ाते हुए गुड मार्निंग बोला और साथ ही बेड से उतरते ही शिकायती लहजे में बोली...
शालिनी- क्या भाई,,, सुबह सुबह पूरी बाडी के रोयें खड़े कर दिए,,,
मैंने हंसते हुए अपने सुबह सवेरे के रेगुलर हार्ड आन कंडीशन में खड़े अपने बरमूडे में तम्बू बनाये हुए लंड की ओर देखा,,,, और
मैं- हा हा हा,, रोयें ही खड़े हुए हैं ना
शालिनी ने भी मेरे बरमूडे की तरफ एक नजर डाली और हंसते हुए फ्रेश होने चली गई और मैं सुबह सवेरे शालिनी द्वारा किए पहले किस को याद करते हुए लेटा रहा,,,
शालिनी ने फ्रेश होकर चेंज कर लिया और एक टी-शर्ट और निक्कर पहन कर किचन में चाय बनाने लगी,, चाय लेकर जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तो उसकी टी-शर्ट के अन्दर से झांकते हुए उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों के दोनों निप्पल नुमायां हो रहे थे,,,
मेरा लन्ड अब भी खड़ा ही था मगर अब हम दोनों इतना खुल चुके थे कि अब उसे छुपाने या शरमाने की कोई जरूरत नहीं थी,,
हम लोगों ने साथ में चाय पी और मैंने शालिनी से कहा
मैं- तुम आज कालेज के बाद माल में आ जाना,,, फिर शापिंग करेंगे,,,
मैं जरा बाहर निकाल कर अपनी बाइक साफ कर लूं ,,,
शालिनी- जी,, मैं भी तब तक नाश्ते के लिए कुछ बना लेती हूं,,,
और मैं अपनी बाइक बाहर निकाल कर कपड़े से साफ़ करने लगा,,, तभी हमेशा की तरह पड़ोसी भाभी दरवाजे को खोलकर झाड़ू लगाते हुए मेरे सामने आ गई,,, हमेशा की तरह उनके झुककर झाड़ू लगाने से उनकी तरबूज के आकार की बड़ी मगर आकर्षक चूचियों की झलक उनके बड़े गले के ब्लाउज से मिल रही थी और हम लोग आपस में बात करने लगे...
भाभी- भैय्या कैसे हो,,,
मैं- ठीक हूं भाभी सा,,,,
और मैं घूर घूर कर उनकी मस्त चूचियों को देखता रहा बातें करते हुए,,, आखिर ये ही तो वो मस्त चूचियां है जिनको शालिनी के आने से पहले मैं देख देख कर अपनी आंखें सेंकता था सुबह सवेरे और मेरे हस्तमैथुन करने के समय की मेरे सपनों की रानी की मस्त चूचियां,,,,
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