RE: antervasna चीख उठा हिमालय
पुन: एक क्षण के लिए चुप होकर वतन ने जनसमुदाय को देखा । पूर्णतया सन्नाटा । कोई पक्षी तक भी तो नहीं चहचहा रहा था ।
सन्नाटे कों बेंधती वतन की वाणी पुन: जनसमुदाय के कर्ण पर्दों से टकराई----"फिलहाल सिर्फ इतना ही कहना है मुझे आपसे कि आप लेशमात्र भी न घबराएँ है तनिक भी चिंतित न हों । आपके वतन में सिर्फ उतना ही परिवर्तन आया है कि वह बदसूरत बन गया । यह बदसूरती अच्छी ही है, जो मुझे देखेगा उसे याद आ जाएगा कि ये दुनिया कितनी है
बदसूरत है । मुझे बिदित है कि आपके ह्रदय में विभिन्न प्रकार के प्रश्व चकरा रहे हैं । मैं वादा-करता हूँ कि आपके सभी प्रशन का उत्तर मैं कुछ, हो देर बाद टी ० दी ० पर दूंगा । फिलहाल मुझे प्रयोगशाला जाना ।"
वतन का वाक्य पूर्ण होते-हौते धनुषटंकार मुख्य द्वार पर वतन की सफेद कार लेकर पहुंच गया।
वतन कार में बैठा।
स्वयं ड्रांइविग सीट पर ।
अपीलों और धनुपटकार ने बैठना चाहा तो----
"तुम नहीं मोण्टों । अपोलो, तुम भी नहीं ।" वतन ने ,गंभीरता के साथ कहा…"आज हमें अकेलेे ही प्रयोगशाला-जाना । राष्ट्रपति भवन का टी.वी खोल कर तुम भी तुम भी सुनो हम क्या कहते है ?"
अवाक् से खड़े रहगए दोंनों।
कार एक झटके के साथ आगे बढा दी थी वतन ने । काई की भांति कटकर भीड़ ने उसके लिए रास्ता छोड़ दिया ।
"हमारा देवता ।" भावावेश में नादिर चीख पडा ।
"जिन्दाबाद " जनसमुदाय के जयघोष से गगन कांप उठा ।
"वतन जिन्दाबाद !" के नारों से समस्त दिशायें नाद कर उठी ।
कार ड्रराइव करते वतन के होंठों पर ऐसी मुस्कान उभरी थी मानो इन नारों ने पुन: जलने से पूर्व जैसा सुन्दर बना दिया हो ।
अपोलो और धनुषठंकार अबाक् से खड़े रह गये ।
पन्द्रह्र मिनट पश्चात टी. बी पर डरावऱना भंयकर और बदसूरत वतन का चेहरा उभरा । वह कह रहा था----"आपके टी. बी प्रोग्राम में बिघ्न पडा.. इसके लिये मैॉ क्षमा चाहता हूँ । कुछ कहने से पूर्व आपको ये बता दूं कि दुनिया के प्रत्येक उस टी..बी सेट पर जो इस समय आँन है, मेरा ही चेहरा और आवाज है । कुछ लोगों के लिए यह आश्चर्य की बात होंगी कि उनके चलते हुए टी . वी प्रोग्राम बन्द क्यों हो गए और मेरा चेहरा कैसे उभर आया । इस प्रश्न के उत्तर में मैं सिर्फ इतना ही कहना उचित समझता--कि मेरे पास ऐसे साधन हैं कि मैं जब भी चाहूं । रेडियो अथवा टी. वी के माध्यम से एकसाथ सम्पूर्ण, दुनिया से संबन्ध स्थापित कर सकता हूँ ।
मै चाहता तो रेडियो पर आपको सिर्फ अपनी आवाज भी सुना सकता था ।
किन्तु नहीं-अंबाज के साथ-साथ आप लोगों को में अपना चेहरा भी दिखाना चाहता था ।
संभवत: आपने पहचाना भी हो मुझे ।
मेरी सूरत में थौड़ा परिवर्तन आ गया है, अत: संभव है कि आप मुझे पहचान न सके हों । अतः आपको अपना परिचय देदेना चाहता हूँ । मैं महान सिंगही का शिष्य औऱ नंन्हे -से देश चमन का राजा वतन हूं।
सबने मुझे देखा है, किन्तु वह वतन वहुत सुन्दर था ।
मेरी सूरत देख आप यह भी सोच सकते हैं कि वतन के नाम से यह कौन बदसूरत व्यक्ति बोल रहा है, परन्तु किसी प्रकार के भ्रम का शिकार न हों । वास्तव मे मैं दुनिया की सूरत में तो अब आया हूं । अाप भी शायद इस बात को जानते होंगे कि मेरी तरह ही बदसूरत है दुनिया ।
सच --- मेरे गुरू महान सिंगही सच ही कहते थे कि -- बड़ी बदसूरत है यह दुनिया ।
मैं कहता था ---- दुनिया बड़ी खूबसूरत है उसी तरह जैसे पहले मैं खूबसूरत था ।
मेरा भ्रम टूट ग़या ।
सिंगही गुरू जीत गये ।
मैंने वेवज एम बनाया था ।
हर देश ने यह आदेश देकर अपने जासूसों को चमन के लिए रबाना कर दिया कि चमन से या बेवज एम का फार्मूला गायब कर दो अथवा वतन का अपहरण कर लो ।
मैं जानता हूँ -कि जिन महाशक्तियों ने यह घृणित्र कार्य किया है, सारी दुनिया के साथ-साथ वे भी इम समय मेरा चेहरा देख और आवाज सुन रही हैं । सुन रही हैं तो गौर से सुने । वतन का एक एक लफ्ज विशेष रूपसे उन्हीं के लिए है । मैं उनका नाम सारी दुनिया को बता रहा हूँ वे देश हैं रूस, अमेरिका, चीन, इंग्लैड और नादान पाकिस्तान भी । इन् पांच देशों ने अपने-जासूस चमन भेजे ।
अन्तर्राष्ट्रीय अदालत और यु.एन.ओ सुन ल कि मैं इन्हें किसी अन्य राष्ट्र में घुसकर महत्त्वपूर्ण चीज चूरने का दण्ड दूंगा । सारी दुनिया सुन ले कि वतन इन्हें दण्ड देगा ।
चीन---चीन के कर्णधार सुन लें जिसके जसूसों ने मेरे चेहरे पर यह परिवर्तन किया है । मुझे जला डाला है । वे सतर्क रहे---कहीं उनका चीन भी मेरे चेहरे की भांति जलकर राख न हो जाये । मैं उनसे प्रतिशोध लूंगा--- वतन का प्रतिशोध कितना भयानक होगा, सारी दुनिया उसे अपनी आंखों से देख सकेगी । जिस देश ने मेरे विरुद्ध चीन की सहायता की उसका हश्र भी चीन के समान ही होगा ।
उन शब्दों के बाद दुनिया के टी.बी स्क्रीनों से वतन का चेहरा गायब ।
वतन की पूरी बात सुनने के पश्चात् अलफांसे ने कहा---"लेकिन इससे तो तुम्हारे ही देशवासियों को असीम दुख होगा ।"
एक क्षण के लिए वतन के गुलाबी होंठों पर-चिर-परिचित मुस्कान दौड़ गई--- हल्के से बोला---"मेरे देशवासीयों का दुख अस्थाई होगा, चचा ! मैं जानता हूं कि जब वे अपने वतन को जला हुआ देंखेंगे तो उन्हें कितना दुख होगा-किन्तु उन्हें यह अस्थायी दुख देना मेरे लिए आवश्यक है।"
'"लेकिन तुम्हारा उद्देश्य क्या है ?"
" हां चचा, आपका यह प्रश्ऩ अति महत्वपुर्ण है ।" वतन ने कहा-"मैं इन महांशक्तियों को जी भी दण्ड देना चाहता हूँ, खुलकर दूंगा । सारी' दुनिया जानेगी कि वतन क्या कुछ कर रहा है । यू.एन.ओ. और अदालत की दृष्टि में मैं अपराधी होऊंगा । चीन निश्चय ही मुझ पर मुकदमा करेगा । अदालत में वह यह भी प्रमाणित करने ही चेष्टा करेगा कि मैंने क्या कुछ किया है । भले ही सभी देश आजाद हों , किन्तु यू.एन.ओं माध्यम से सभी निश्चित कनूनों के दायरे में बंधे हैं । मैं उस दायरे से बाहर रहना चाहता हूं ।"
" किस प्रकार ?"
एक क्षण तक अलफासे की तरफ देखता रहा वतन, फिर उसकी बात का कोई उत्तर न देकर वह पिशाचनाथ की तरफ देखता हुआ बोला---" पहले तुम मेरे एक प्रश्न का उत्तर दो पिशाच ।"
अगर उत्तर बन पड़ा तो अवश्य दूंगा ।" सतर्क होकर पिशाच सम्मानित स्वर में बोला । दिल-ही दिल में पिशाच वतन की महानताओं से प्रभावित हो चुका था । वह: वतन का बहुत सम्मान करता था ।"
"जो योजना मैंने तुम्हे बताई है ।" वतन ने कहा-" वह चचा के साथ-साथ तुम भी सुन चुके हो । यह भी समझ गए हो कि मेरी योजना का मुख्य अंग तुम हो । हकीकत पूछो तो तुम्हें दिमाग में रखकर ही मैंने यह योजना तैयार की है । तुम्हारे ही मुंह से सुनना चाहता हूँ कि क्या वह सव कुछ तुम सफलतापूर्वक कर सकते हो जो कुछ मेरी योजना में करना है ?"
" कर तो सकता हैं, किन्तु ....!"
हल्के से मुस्कराया वतन बोला----"तुम्हारी किंन्तु का अर्थ समझता हूँ । तुम्हारी हिचक का कारण भी जानता हैं, लेकिन इस किन्तु को बीच में से हटाने से पूर्व तुमने यह जानंना चाहता हूं कि क्या तुम अपने चेहरे पर मेरी सूरत का ऐसा मेकअप कर सकते हो कि कभी कोई यह न जान सके कि तुम वतन नहीं, पिशाच हो ?"
"आप स्वयं भी कभी नही जाने सकेंगे ।"
"क्या तुम अपने शरीर को उस हद तक जला हुआ दिखा सकते हो, जितना मैंने बताया है ?"
"राक्षसनाथ के तिलिस्म से प्राप्त मेरे पास ऐसे-ऐसे लेप है कि किसी का भी शरीर जले नहीं अौर देखने बाले यही समझे कि वह जलकर राख होगया है ।" पिशाचनाथ ने थोड़े गर्व से कहा… बड़े बड़े डाक्टर भी उसका शरीर देख कर यह नहीं कह सकते किं वह जला हुआ नहीं है ।"
"चलने-फिरने , बोलने में मेरी नक्ल तो तुम कर ही लोगे ?"
"'इस काम में तो महारथ हासिल है मुझे ।" पिशाचनाथ ने कहा-"मैं किसी की भी हू-ब-हू नकल कर सकता हूं ।"
एक क्षण की चुप्पी के पश्चात वतन ने पुन: कहा---"अब मैं तुम्हारी "किन्तु' का निदान करता हूं ।"" कहने के पश्चात् अलफांसे पर दृष्टि जमाकर वतन बोला---"चचा पिशाचनाथ को मैं जला हुआ वतन बनाकर चमन में पहुंचाऊंगा । हम तीनों के अतिरिक्त सभी यही जानेंगे कि वतन जल गया है, वहां पहुंचकर पिशाच को क्या कुछ करना है, वह मैं बता ही चुका हूं । इधर मैं चीन में घुसकर अपना काम कर रहा होऊंगा, उधर मेरे मेकअप में पिशाचऩाथ जला हुआ वतन बनकर राष्ट्रपति भवन में पड़ा होगा । जले हुए वतन के रूप में पिशाचनाथ सारी दुनिया के टैलीविजनों पर यह घोषना करेगा कि वह महाशक्तियों से बदला लेगा । चमन के नागरिक पिशाचनाथ से प्रार्थना करेंगे कि जब वह ठीक हो जायें तब वह महाशक्तियों से बदला लें । जले हुए वतन के रुप में पिशाच इस प्रार्थना को स्वीकार लेगा । बह आराम करेगा। इधर जो कुछ करना है--मैं करूंगा ।"
" इससे क्या होगा ?"
" जव महाशक्तियाँ यह प्रचार करेगी-कि वतन यह सब कुछ कर रहा है तो जला हुआ वतन विश्व के सभी टैलीविजनों पर यह घोषणा करेगा कि बह महाशक्तियों को ख्बाव चमक रहा है । अभी तो वह ठीक भी नहीं हुआ है ।"
"ओह !" अलकांसे के मुंह से निकला----" तो यह यू.एन.ओ. और अंतर्राष्ट्रीय अदालतों से बचाव का रास्ता है ? तुम जो कुछ कहना चाहते हो, वह खूलकर अपने नाम से करोगे और दुसरी तरफ यह भी प्रमाणित करते रहोगे कि वतन तो अभी बिस्तर से नहीं उठा है ।
" बेशक---यही सोचा है मैंने ।"
"बिल्कुल ठीक सोचा है तुमने ।" अलफांसे ने मुस्कान के साथ कहा--" तुम्हारा समर्थन करता हूँ ।"
" तो फिर पिशाच की किन्तु सुलझा दीजिए चचा !" वतन ने कहा--" मैं समझता हूं कि 'किन्तु' का कारण सिर्फ यह है कि जो कुछ मैंने इन्हें करने के लिए कहा है, वह करने का आदेश अभी तक इन्हें आपकी तरफ से नहीं मिला है"
"'मेरा आदेश है ।"
पिशाचनाय का चेहरा चमचमा उठा ।
उसने अलफासे के चंरणस्पर्श कर लिए ।
वतन कह रहा था---"बस तो चचा, हम जले हुए वतन को एक हैलीकाँप्टर में लटकाकर पहले सारे चमन के ऊपर घुमएंगें, अन्त में सागार में डाल देंगें। होश में आने पर पिशाचनाथ प्रयोगशाला में जायेगा । जिस ढंग से मैंने समझाया है, उसी ढंग से सारे विश्व से सम्बन्ध स्थापित करेगा ।"
-"सारा काम आपकी योजनानुसार ही होगा ।" पिशाचनाथ ने कहा ।
और---पाठक पढ चुके हैं-वैसा ही हुआ भी है।।।
बागारोफ ने तुगलक की जेब से अभी पर्स निकाला ही था कि बह बुरी तरह बौखला उठा!
" अबे कौन चटनी का है ?" कहता हुआ वह उछल कर खड़ा हो गया ।
उसे ऐसा लगा था कि जैसे अचानक किसी ने उस पर छलांग लगा दी हो । बड़ी फुर्ती के साथ पलटकर देखा, कमरे के फ़र्श पर नुसरत और तुगलक के अतिरिक्त एक अन्य बेहोश शरीर पड़ा था ।
बागारोफ ने उसे ध्यान से देखा । ।पहचान लिया ।।
" मुंह से निकला----" ये साला इंग्लैंड की चाय कम्पनी का एजेंट यहाँ कैसे आ पड़ा ।"
ठीक पहचाना चचा, ये जेम्स बाण्ड है ।'" आवाज अाई ।
-"कौन है वे ।" बीखलाया बागारोफ-----"असली हींजड़े की औलाद है तो सामने आ ।"
" तुम्हारा बच्चा है चचा ।" कहता हुआ विकास कमरे में आ गया--" ये दूसरी बात है कि आप क्या है ।"
“"अबे......." उसे देखते ही उछल पड़ा बागरोफ-----"पौदीने के तू यहाँ कहाँ से आ गया ।"
विकास ने यहां पहुंचने से पहले ही बाण्ड के चेहरे पर से जैकी का फेसमास्क और अपने चेहरे से हैरी का फेसमास्क उतार लिया था ।
बागारोफ के सामने खड़ा लम्बा लड़का कह रहां था----"ये पर्स हैलीकाँप्टर में से बाण्ड ने फेका था । परिणाम आप देख रहे हैं । पर्स मेरे हवाले कर-दीजिए ।"
" वाह चिड़ी के इक्के ।'" सतर्क होकर पै'तरा बदला बागारोंफ ने…"ये खूब रही । इन साले पाकिस्तानी मुर्गों ने तो हमें इस फिल्म के चक्कर में मुर्ग-मुस्लम बना दिया और एक तुम हो कि दाल-भात में मुसलचंद के पोते बनकर आगये।"
"मैं तुम्हें धनिये की चटनी बना दूगा चचा ।"
" अबे....." बागारोफ ने आंखें निकाली-"ये तुने क्या कहा देंकची के ।"
गंभीर था विकास, बोला---"' ठीक कह रहा हूँ चचा, इन दोंनों फिल्मों कों चमन से मैंने गायब किया है, अतः इन पर मेरा अधिकार है । अच्छा है कि शराफत से ये फिल्में आप मेरे हबाले कर दें।"
" और अगर न करूं तो ?"
-"तो........" विकास का लहजा कठोर हो----" दुनिया की कोई ताकत मुझे ये फिल्में प्राप्त करने से नहीं रोक सकती, मैं आपसे....."
"बोलती पर ढक्कन लगा चिड़िया कें बच्चे । चलता बन जहां से
।जाकर नाड़ा बांधना सीख जाकर ।"
"क्या कहना चाहते हो चचा ?"
" मैं कहना चाहता हूं उल्लू की दुम फाख्ता किं हमारा नाम बागारोफ है । फूचिंग, हुचांग, ग्रीफित या बाण्ड नहीं ।" एक ही सांस में बागारोफ कहे चला गया-तेरी इन आंखों ,से माइक डरता होगा----तेरी धमकियों का खौफ बाण्ड खाता होगा ।। तेरे नाम से चीन और अमेरिका कांपता होगा…। मैं रूसी हूं ।। रूसी हूं-----------जन्मजात रूसी ! बागारोफ है मेरा नाम । तुम जैसी छटंकी तो जेब में रहती है मेरी । फिल्म का ख्याल छोड़ कर भारत लौट जा, मां की गोद में बैठकर दूध पी । नाडा बांधना सीख ।"
"विकास को आंखें सुर्ख हो गई । हल्के से गुर्रा उंठा वह है-" अाप मुझे मजबूर कर रहे हैं चचा ।"
'"अबे तू अगर मजबूर भी हो जाये बछिया के ताऊ, तो कौन सा मुुझे सूली पर लटका देगा ।" बागारोफ बिगड़ गया…"हरेक को फूचिंग नहीं समझते ईंट के छक्के । अपनी, औकात नहीं भूलते ! मैंनें फिल्में इन चिडी के गुलामों से प्राप्त की है और......."
आगे के शब्द कहने का अवसर नहीं दिया विकास ने ।
एकदम किसी गौरिल्ले की तरह लम्बे तड़के ने छलांग लगा दी बागरोंफ पर ।।
किन्तु बागारोफ लड़के की नस-नस से वाकिफ ।। बागरोफ जानता था कि विकास किसी भी क्षण उस पर जम्प लगा सकता है । विकास के किसी भी हमले का सामना करने के लिए बागरोफ प्रत्येक पल तैयार था ।। लोमड़ी जैसी चालाकी साथ बागरोंफ ने खूद को बचाया ।
एक ही पल पूर्व जहाँ बागरोफ खडा था, उस स्थान के ऊपर से हवा में सन्नाता हुया विकास नुसरत के बेहोश शरीर पर जा गिरा ।
"अबे ।" दूसरी तरफ खड़ा बागारोफ कह रहा था----"ये क्या कर रहा है रायते की औलाद !"
फुर्ती से उठकर विकास ने अभी दूसरी जम्प लगाई ही थी कि
रेट.........-रेट........रेट....
जंगल में छाये भयंकर संन्नाटे को किसी गन ने झंझेड़ कर रख दिया ।
एकसाथ विकास और बागारोफ के मुंह से चीखें' निकल गई ।
दो गोलियाँ विकास, की टांगों में तो एक बायें कंधे में लगी थीं ।
दो गोलियों ने बागारोफ के कंधे तोड़ दिए । पर्स उसके हाथ से उछलकर कमरे की हवा में चकरा उठा ।
चीखकर दोनों उठे अौर अभी उनमे से कोई संभल भी नहीं पाया था कि---
-"एक भी हिला तो अनगिनत गोलियां उसके सीने में धंस जायेंगी ।" इस चेतावनी के साथ ही धड़धड़ाते हुए नौ व्यक्ति अन्दर घुस आये ।
सभी के हाथों में गनें थीं ।
दोनों में से कोई संभल भी नहीं पाया था कि बुरी तरह घिर गए ।
किंतु....... किन्तु...... उफ कमाल कर दिया लडके नै !
यह देखते ही कि उन्हें चीनियों ने घेरा है, विकास का जिस्म हवा में कलाबाजियां खा उठा । उन दो चीनियों नौ चीनियों में सबसे लम्बे चीनी पर झपटा वह ।। चीनियों की गनें गर्जनें ही जा रही थी कि-----
" नहीं ...... ।" स्वयं को बचाता हुआ लम्बा चीनी चीखा----"फायर कोई न करे ।"
मुंह के बल एक अन्य चीनी के कदमों में जा गिरा विकास ।
अभी इतना समय भी नहीं मिला था कि कोई दूसरा हमला कर पाता कि उसके कंठ से चीख निकल गई । टांग के ताजे घाव में लम्बे चीनी के नोकीले बूट की ठोकर पड़ी । साथ ही उस चीनी की आवाज ---" मेरा नाम सांगपोक है विकास बेटे---" फूचिंग का लड़का हूं मैं ।"
बिकास अभी अपने होशो-हंवास ठीक से काबू भी न कर पाया था कि------
एक बहुत ही नाटे से चीनी ने उसका गिरेबान पकड़ लिया । दांत पीसता हुआ बोला---"मुझे देख विकास, मेरी आँखों में झांक । तेरी-मौत का फरमान मेरी आँखों में लिखा है। मैं उसी हुचांग का साला हूँ, जिसे तूने मार डाला । मेरा नाम तो सुना होगा? मुझे हवानची कहते हैं ।" कहने के साथ ही नाटे ने अपने सिर की जोरदार टक्कर विकास के चेहरे पर मारी ।
विकास का सारा चेहरा खून से पुत गया ।
एक चीख के साथ अभी वह गिरने ही वाला था कि , किसी ने उसके बाल पकड़ लिए । अपने सिर के बालों पर ही झूल-सां उठा विकास । अभी संभल भी न पाया या कि एक चीनी महिला की आवाज--"मुझे सिंगसी कहते हैं ।"
विकास उस महिला का चेहरा न देख सका ।।
न ही महिला ने विकास पर कोई वार किया।
इस प्रकार जैसे कसाई बकरे को पकड लेता है , सिंगसी ने उसके बाल पकड़ रखे थे ।
धटनाक्रम कुछ इस तेजी से घटा था कि विकास कुछ ना कर सका ।
उसका सारा ध्यान उस समय सिर्फ बागरोफ पर ही स्थिर था जब तीन शोलों ने उसे चीखते हुए गिरने पर मजबूर कर दिया ।
वह यही देख सका था कि चीनियों ने
उन्हें घेर लिया है । यह देखनेमें एक क्षण भी गंवाये विना कि वे कितने चीनी हैं, विकास सबसे लम्बे चीनी पर झपट ही जो पड़ा था, लेकिन संभलने के लिए एक पल भी तो न मिला उसे ।
दुश्मनों ने उसकी स्थिति का खूब लाभ उठाया ।
इस समय सिंगसी ने उसके बाल जकड़ ऱखे थे । वह अकेली होती तो एक ही मिनट में वह सिंगसी को समझा देता कि विकास के बाल पकडने को परिणाम क्या होता है,
किन्तू विकास देख रहा था---नौ गनों के साये में था वह ।।।
एक चीनी फर्श पर पंड़े जख्मी बागरोफ के सीने पर पैर रखे खड़ा था ।।
विकास के ठीक सामने खड़ा था सांगपोफ । फूचिग की तरह ही लम्बा । अपने पिता की भांति ही उसे चीनी होने के बावजूद लम्बा होने का फख्र प्राप्त था । विकास को ही धूर रहा था वह--स्थिर आँखेॉं में खून लिए ।
आँखों में वही भाव लिए उसके समीप ही खड़ा था--हबानची । लोटा ! गोल--मटोल ! ठीक किसी लोटे की तरह ।
" मैनें कसम खाई है विकास बेटे कि अपने पिता की कब्र को तेरे खून से धोऊंगा ।"
अभी सांगपोक का वाक्य पूरा हुआ ही था कि हबानची गुर्रा उठा-"मेरा जिन्दगी का आखिरी कत्ल तेरा कत्ल होगा ।"
खून से लिथड़ चुका था विकास का चेहरा । आखें तो अंगारे वन ही चुकी थी । जैसे शेर गुर्रा उठे-"तेरा बाप तेरी
तरह नामर्द नहीं था सांगगोक । दुश्मनों को नों गनों के साये में लेकर नहीं धमकाता था वह । उसका असली बेटा है तो.........."
"वह समय भी आयेगा ।" विकास की बात पूरी होने से पहले ही सांगपोक गुर्रा उठा---"अपने पिता की कब्र को तेरे खून से धोने से पहले तुझे पूरा मौका दूंगा मैं । मैं नही, हवानची मारेगा तुझे । अपनी जिन्दगी का आखरी कत्ल करेगा ये ।"
"ये लोटा ....."
अभी विकास आगे एक शब्द भी न कह पाया था कि -सचमुच हवानची का शरीर हर्वा में इसतरह कलावजियां खा उठा जैसे किसी ने घुमाकर लोटे को फेंक दिया हो हवा में लोटे की तरह घूमता हुआ वह विकास के समीप अाया और-------
फटाक से दोनों पैरों का प्रहार उसने विकास की छाती पर किया ।
अपनी छाती की हड्डियां विकास को चरमराती-सी महसूस दी ।
"जो भी हवानची को पहली बार देखता है इसके लौटा शब्द का ही प्रयोग करता है ।"' सांगपोक ने कहा -"लेकिन दुनिया में आज तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसने कभी दूसरी बार इसे लोटा कहा हो । यह शब्द इसे पसंद नहीं विकास । जो भी हवानची के लिए इस शब्द का प्रयोग करता है या तो यह उसे दुनिया में और कुछ बोलने के लिए जिन्द ही नहीं छोड़ता अथवा उसे इस हद तक सबक सिखा देता है कि जिन्दगी में लोटा शब्द उसकी जुबान पर नहीं आता । कई बार तो यह भी देखा गया है कि इसी बात पर हवानची से पिटा आदमी सचमुच के लोटे को गिलास कहता है ।" पहले तो सांगपोक की इस बात पर धीरे से हंसा कोई,
फिर बोला----"बाह क्या शायराना बात की है ।
विकास सहित सभी ने पलटकर उस तरफ देखा।।।।
तुगलक उठकर खड़ा हो रहा था ।
"तुम " उसे धूरता हुआ सांगपोक गुर्रा उठा---"तुम होश में हो ?"
"और हम जोश में हैं ।"
इन शब्दों के साथ नुसरत खान को खड़ा होता देखकर बागरोफ की आँखें आश्चर्य से फैल गई।
खूनी दृष्टि से उन दोनों की घूरता हुया सांगपोक गुर्रायां---"तुम दोनों होश में हों ?"
तुगलक बौखला उठा ।
नुसरत कांपने लगा था ।
कांपता हुआ बोला---"अभी आपको बताया तो था माई बाप कि ये साला जामुन की औलाद होश में था और मैं जोश में ।। आप की आवाज सुनी तो सच, किसी क्बाँरी कन्या---"
" बको मत ।"
हवर्तिबी के गुर्राते ही सकपकाकर नुसरत चुप हो गया। तुगलक बोल उठा----" इस साले प्यार की निशानी को कई बारं समझाया है माई बाप कि ज्यादा मत बोला कर, लेकिन… "
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