Antarvasna Sex चमत्कारी
04-09-2020, 03:48 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट-96

राधा आदी की तरफ देखती मुश्कूराती और फिर नज़रें झुका लेती.....तभी वहाँ एक शिस्य आ गया और बताया कि आदी को गुरु विश्वामित्र ने बुलाया है तुरंत.

शिष्य—आदी तुम्हे गुरुदेव ने तुरंत बुलाया है.

आदी—क्यो कोई खास काम है क्या.... ?

शिष्य—काम का तो पता नही लेकिन दमनाक ऋषि ज़रूर बहुत गुस्से मे लग रहे थे.

आदी—चल बेटा …हो गया तेरा जन कल्याण आज तो…‼

अब आगे……

आश्रम मे एक कुटिया के अंदर गुरु विश्वामित्र अपने आसान पर बैठे हुए थे…उनके सामने ही दमनाक ऋषि और कुछ शिष्य खड़े हुए थे.

इधर आदी आश्रम जाते हुए आज की घटना पर सोच मे खो गया…उसी समय उसकी जगह ऋषि ने ले ली…..वो शिष्य उसको गुरुदेव के पास ले गया.

ऋषि—प्रणाम गुरुदेव

विश्वामित्र—कल्याण्मस्तु

ऋषि—प्रणाम ऋषि दमनाक

उसके प्रणाम करते ही आशीर्वाद देने की जगह दमनाक ऋषि की भृकुटी टेढ़ी हो गयी…..आँखो से चिंगारिया निकलने लगी….पूरा चेहरा गुस्से से तमतमा गया.

ऋषि—क्या बात है ऋषिवर..आप ने कोई आशीर्वाद नही दिया….?

दमनाक (गुस्से मे)—आशीर्वाद उसको दिया जाता है जो उसके लायक हो….किसी दुष्ट और पापी को नही.

ऋषि—कौन दुष्ट और कौन पापी….? आप कहना क्या चाहते हैं.... ? और मैने आपके साथ क्या है जो आप ने ऐसे कहा... ?

दमनाक (गुस्से मे)—अच्छा तुमने तो बड़ा अच्छा काम किया है.....देख लिया आप ने गुरुदेव इस दुष्ट को...आप जिसे जन कल्याण करने की शिक्षा दे रहे थे, और ये दुष्ट कौन सा जान कल्याण कर रहा है... ?

विश्वामित्र—शांत वत्स दमनाक शांत.....मैं बात करता हूँ.....(ऋषि की ओर मूड कर)—वत्स दमनाक का कहना है कि तुमने इनकी पुत्री के
लिए बहुत ही अभद्र शब्दो का उच्चारण किया है , उनके सामने....क्या ये सत्य है..... ?

ऋषि (चौंक कर)—क्याआअ.....अभद्र व्यवहार और मैने...वो भी इनके सामने इनकी पुत्री के लिए.... ? मैं तो इनकी पुत्री को जानता तक नही
हूँ....ये सब मिथ्या आरोप है मेरे उपर.

दमनाक (चिल्लाते हुए)—दुष्ट…..कितना जल्दी गिरगिट की तरह रंग बदल लिया….मेरे सामने मेरी ही पुत्री के लिए अशोभनीय शब्दो का संबोधन करने के उपरांत अब .उल्टा मुझे ही मिथ्या चारी कह रहा है….गुरुदेव इस पापी को कठोर दंड दीजिए…ये इस आश्रम मे रहने
योग्य नही है…यहाँ और भी ऋषियो के परिवार रहते हैं…आज इसने मेरी बेटी के साथ ऐसा किया है कल किसी और के साथ करेगा….अगर ये रहा तो पता नही किस किस का कल्याण कर देगा.

ऋषि (ज़ोर से)—ऋषि दमनाक.… तनिक होश मे रह कर बात करिए…..इस तरह का घृणित आरोप मेरे उपर लगाते हुए आप को ज़रा भी लज्जा नही आ रही….?

दमनाक (तिलमिलाते हुए)—अच्छा मैं झूठ बोल रहा हूँ.... ? तो क्या ये सब शिष्य भी झूठे हैं, जिनके सामने तुमने मेरी पुत्री के लिए अपशब्द कहे हैं... ? बहुत बड़ा झूठा है ये गुरुदेव.

ऋषि (क्रोध मे)—ऋषि दमनाक....मैं कभी असत्य नही बोलता, चाहे मेरे सर पर मौत ही क्यों ना मंडरा रही हो..तब भी मैं सत्य ही बोलता हूँ.

दमनाक (चिल्लाते हुए)—दुष्ट और कितना झूठ बोलेगा....तू हम सबको, इतने सारे लोगो को कह रहा है कि सब के सब झूठ बोल रहे हैं... ?
और तू सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र बन रहा है....गुरुदेव आप इसको दंडित करिए...और बाहर निकालिए यहाँ से इस झूठे को.

ऋषि—गुरुदेव ये आरोप निराधार और ग़लत है.

विश्वामित्र—शांत.....वत्स क्या तुम अभी कुछ देर पहले दमनाक के पास गये थे.... ?

ऋषि—नही तो गुरुदेव....मैं तो आज तक इनके आश्रम मे नही गया…मैं तो रात से अभी सो कर उठा हूँ और सीधे आपके पास चला आया…मैं इनसे आज तो क्या बल्कि कभी नही मिला.

ऋषि की बात सुन कर दमनाक पूरी तरह से चौंक कर आग बाबूला हो गया.....वो कभी ऋषि को तो कभी बाकी शिष्यों की ओर
देखता....बाकी शिष्य भी हैरान थे.

दमनाक (हैरानी से)—ओह्ह्ह...भगवान... ! कितना झूठ बोलता है रे ये लड़का....मिलने के बाद भी कहता है कि कभी नही मिला....

ऋषि—गुरुदेव क्या आपको भी मुझ पर संदेह है.... ?

विश्वामित्र—नही वत्स...तुम तो कभी झूठ बोल ही नही सकते.

दमनाक (शॉक्ड)—गुरुदेव.. ! तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ.... ? ये कल के आए छोकरे पर आपको विश्वास है और मेरी बातो पर नही…?

गुरु विश्वामित्र ने अपनी आँखे बंद कर के सारे घटना क्रम को देखा आज जो कुछ घटित हुआ था….उनके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान
तैरने लगी और उन्होने आँखे खोली और दोनो को समझाने लगे.

विश्वामित्र (मुश्कूराते हुए)—सत्य कभी कभी सब के लिए एक जैसा नही होता है…..जो एक के लिए सत्य होता है किंतु वही सत्य दूसरे के लिए असत्य होता है….और जो दूसरे के लिए सत्य होता है वो पहले वाले के लिए असत्य… हालाँकि दोनो ही अपनी जगह पर सत्य हैं.

ऋषि—सुन लिया आप ने दमनाक जी…कि मैं झूठ नही बोलता.

दमनाक—ये कैसे हो सकता है गुरुदेव....आप ने भी मुझे ही झूठा बना दिया....इसको कड़ा दंड देने की जगह

विश्वामित्र—मैने जो कहा वही सत्य है वत्स और इसे स्वीकार करना सीखो.

इसके बाद ऋषि गुरुदेव को प्रणाम कर के वहाँ से चला गया…..दमनाक भी खिन्न मंन से अपने आश्रम के लिए वापिस चल पड़ा लेकिन उसके अंदर अभी भी आदी के लिए बेहद गुस्सा भरा हुआ था.

दमनाक (मन मे)—कितना बड़ा झूठा और मक्कार है ये...आज पता चल गया....इसने गुरुदेव को भी अपने झूठे जाल मे फँसा लिया है तभी तो गुरुदेव ने भी उसको ही सही ठहरा दिया.....अब तो मैं उसको अपने आश्रम के आस पास भी नही भटकने दूँगा.
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी - by hotaks - 04-09-2020, 03:48 PM

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