RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
सुबह के छह बज रहे थे।
मिस्टर चैम्बूर लिहाफ में लिपटे पड़े थे और कमरे में उनके खर्राटों की आवाज गूंज रही थी—कमरे का एकमात्र दरवाजा अन्दर की तरफ से बन्द था, एकाएक ही—बेड के दाईं तरफ दीवार के सहारे रखी एक सेफ के ‘पट’ बहुत ही आहिस्ता से खुले और उसके अन्दर से जो व्यक्ति निकला, वह जेम्स बॉण्ड था।
सारी रात जागते रहने की वजह से उसकी आंखें लाल और सूजी हुई-सी दिखाई दे रही थीं।
बाण्ड ने सेफ बन्द की, घूमा और बेड के नजदीक जाकर चेम्बूर को जगाने की कोशिश करने लगा, थोड़ी-सी कोशिश पर ही मिस्टर चैम्बूर हड़बड़ाकर उठ बैठे तो धीमे से मुस्कराते हुए बाण्ड ने कहा— “छः बज गए हैं मिस्टर चैम्बूर, मैं जा रहा हूं—दरवाजा अन्दर से बन्द कर लीजिए।”
“आज रात भी कुछ नहीं हुआ?”
“आप देख ही रहे हैं।”
चैम्बूर ने पूछा—“क्या तुम आज शाम को फिर आओगे?”
“बेशक!”
“इस तरह आखिर तुम कितनी रातें उस सेफ में गुजारोगे?”
मुस्कराते हुए बाण्ड ने कहा—“जब तक कि वे बदमाश आप पर हाथ नहीं डालेंगे!”
“मैं फिर कहता हूं मिस्टर बाण्ड कि आप व्यर्थ ही परेशान होकर अपनी नींद हराम कर रहे हैं, वैसा कुछ होने वाला नहीं है जैसी आपको सम्भावना है—और यदि कोई गड़बड़ होगी भी तो मैं मिट्टी का माधो नहीं हूं, आप जानते ही हैं कि तकिए के नीचे रिवॉल्वर रखकर सोता हूं—किसी भी गड़बड़ी से खुद निबटने का हौसला भी है मुझमें।”
“वह मैं जानता हूं, लेकिन...!”
“लेकिन।”
“आप यह कैसे कह सकते हैं कि मेरी सम्भावना निर्मूल है?”
“क्या किसी को ख्वाब चमकेगा कि मेरा सम्बन्ध के.एस.एस. से है?”
“आपके ख्याल से ग्राडवे के बारे में क्या किसी को ख्वाब चमका था?”
इस प्रश्न पर चैम्बूर खामोश रह गया, शायद निरुत्तर हो गया था वह, बाण्ड की मुस्कान पहले से कहीं ज्यादा गहरी हो गई, बोला—“मिस्टर गार्डनर के नाम से आपके पास फोन आना ही इस बात का प्रमाण है कि इस बार ग्राडवे के हत्यारे की नजर आप पर है, उस फोन द्वारा वह जान चुका है कि आप गार्डनर से सम्बन्धित हैं, शायद यह भी कि आपका सम्बन्ध के.एस.एस. से हैं—इन्हीं सब बातों की वजह से मेरा अनुमान है कि वे आप पर हाथ जरूर डालेंगे और उन्हें रंगेहाथों पकड़ने के लिए ही मैं तब तक उस सेफ में रातें गुजारता रहूंगा जब तक कि अपने मकसद में कामयाब नहीं हो जाता।”
कन्धे उचकाकर चैम्बूर ने कहा—“तुम्हारी मर्जी, जिद्दी हो न—जानता हूं कि मेरी एक नहीं सुनोगे।”
“दरवाजा बन्द कर लीजिए।” कहकर वह मुस्कराता हुआ घूमा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया—चैम्बूर ने उसे निकालकर दरवाजा बन्द किया और बाण्ड के जाते ही चैम्बूर के चेहरे पर अजीब-से भाव उभरे, जिस्म में बड़ी ही अनोखी-सी फुर्ती नजर आने लगी—फुर्ती से वह बेड की साइड ड्राअर पर रखे फोन के नजदीक पहुंचा।
रिसीवर उठाकर किसी के नम्बर डायल किए।
सम्बन्ध स्थापित होने पर दूसरी तरफ से बड़ी मोटी-सी रहस्यमय आवाज उभरी—“हैलो!”
“मैं चैम्बूर बोल रहा हूं।”
“बोलो!”
“वह अभी-अभी यहां से गया है।”
“रात कुछ हुआ?”
“जी नहीं।”
“गुड—क्या बाण्ड कल रात को भी सेफ में रहने के लिए कह गया है?”
“जी हां, म...मैं तो परेशान हो गया हूं उससे—उसकी मौजूदगी की वजह से मुझे भी ठीक से नींद नहीं आती।”
“तुम्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए—वह बेचारा तो सारी रात सेफ में खड़े-खड़े गुजार देता है, उसकी मौजूदगी में तुम उन अनजान लोगों के खतरे से बिल्कुल बाहर रहते हो, जो कोहिनूर के चक्कर में हैं।”
“बाण्ड भी तो मेरे लिए एक प्रॉब्लम ही है।”
“फिलहाल उसे आवश्यक खतरा समझकर सहन करने में ही तुम्हारी भलाई है और सुनो, उम्मीद है कि हमारी चेतावनी तुम्हें याद होगी?”
“ज...जी हां—बिल्कुल याद है!” चैम्बूर का चेहरा पीला पड़ गया।
“याद ही रखना, वह चाहे बाण्ड हो या वे अनजान लोग जिनकी नजर तुम पर है—किसी भी हालत में इनमें से किसी से भी हमारे बारे में बातें करने का अर्थ होगा—लंदन की दीवारों पर बेडरूम के फोटो चिपक जाना, लोग बड़ी आसानी से पहचान लेंगे कि वह बेडरूम किसका है और बेडरूम की मालकिन का फोटो तो स्पष्ट है ही, जरा सोचो—यदि लोगों ने उन दोनों को पहचान लिया तो।”
“प...प्लीज...प्लीज फोन पर ऐसी बात न कीजिए।” चैम्बूर गिड़गिड़ा उठा।
दूसरी तरफ से हल्के ठहाके की आवाज गूंजी फिर कहा गया—
“तुम केवल तभी तक सम्मानित और सुरक्षित हो जब तक किसी भी स्थिति में हमारे बारे में किसी को कुछ नहीं बताते।”
“म...मैं...मर जाऊंगा, लेकिन आपके बारे में कभी किसी को कुछ नहीं...!”
वाक्य अधूरा ही छोड़ दिया उसने, क्योंकि दूसरी तरफ से सम्बन्ध-विच्छेद किया जा चुका था—रिसीवर रखते वक्त न केवल हाथ बल्कि चैम्बूर का सारा जिस्म किसी सूखे पत्ते की तरह कांप रहा था, सख्त सर्दी के बावजूद फक्क पड़े हुए चेहरे पर पसीना-ही-पसीना नजर आ रहा था
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