FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
06-13-2020, 01:05 PM,
#31
RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
मिक्की को अस्पताल में होश आया।
तब जबकि उसके सभी जख्मों पर ड्रेसिंग हो चुकी थी—होश आए मुश्किल से अभी पांच मिनट ही गुजरे थे कि एक डॉक्टर के साथ विनीता कमरे में प्रविष्ट हुई। उसने आगे बढ़कर कहा— "अरे! तुम होश में आ गए?"
मिक्की चुप रहा।
विनीता के मुखड़े पर हड़बड़ाहट जरूर थी, मगर चेहरा 'फक्क' नहीं था—वैसा तो हरगिज नहीं जैसा पति के गम्भीर एक्सीडेट पर पत्नी का होना चाहिए।
मिक्की के समूचे जिस्म में नफरत की चिंगारियां भर गईं।
लगा कि उसके मुखड़े पर मौजूद बौखलाहट भी नकली है। अभिनय कर रही है वह, जबकि अत्यन्त नजदीक आकर विनीता ने पूछा—"तुम ठीक तो हो सुरेश?"
"हां।" मिक्की ने बहुत आहिस्ता से कहा।
"भगवान का लाख शुक्र है सुरेश बाबू कि आपको कोई ऐसी चोट नहीं आई जिसे सीरियस कहा जा सके।" डॉक्टर ने कहा— "बेचारा ड्राइवर तो.....।"
"क्या हुआ ड्राइवर को?"
"वह अब इस दुनिया में नहीं है।" डॉक्टर ने बताया—"सिर सड़क पर टकराने के कारण उसने दुर्घटना-स्थल पर ही दम तोड़ दिया।"
"ओह!" मिक्की के मुंह से निकला। जाने क्यों ड्राइवर की मौत का समाचार सुनकर उसे दुख हुआ—हालांकि वह भी सुरेश के उन नौकरों में से एक था जो 'उसे' (मिक्की को) दुत्कार भरी नजरों से देखते थे।
कुछ देर के लिए कमरे में खामोशी छा गई।
फिर डॉक्टर ने कहा— "आपका अच्छी तरह चैकअप किया जा चुका है, मामूली चोटें हैं—हम शाम तक आपको छुट्टी दे देंगे—एक—दो दिन घर पर आराम करेंगे तो ठीक हो जाएंगे।"
वह चला गया।
विनीता उसके समीप टीन के स्टूल पर बैठती हुई बोली— "यह सब कैसे हो गया सुरेश, मोहन लाल तो गाड़ी काफी सेफ ड्राइव करता था।"
कुछ कहने के स्थान पर सुरेश ने विनीता की तरफ देखा—उसके मुंह से कोई अल्फाज न निकल सका। सिर्फ देखता रहा उसे—इतनी देर तक कि मजबूर होकर विनीता को पूछना पड़ा, "ऐसे क्या देख रहे हो?"
"देख नहीं, सोच रहा हूं।"
"क्या?"
"क्या वाकई तुम्हें मेरे एक्सीडेंट पर दुख हुआ है?"
"कैसी बात कर रहे हो, सुरेश, क्या तुम्हारे एक्सीडेंट पर मुझे दुख नहीं होगा?"
"यानी है?"
"बेहद दुख हुआ मुझे।"
"हुंह।" इस हुंकार के साथ मिक्की के होंठों पर फीकी मुस्कान उभर आई, होंठों से निकला—"वास्तविक दुख चेहरे पर साफ नजर आता है, जिनके दिल रो रहे होते हैं, वे तो मुंह से कह भी नहीं पाते कि उन्हें दुख हुआ है।"
"तो क्या तुम यह चाहते हो कि मैं जाहिल और अनपढ़ औरतों की तरह चिल्ला-चिल्लाकर रोना-पीटना शुरू कर दूं?"
न चाहते हुए भी मिक्की के मुंह से निकल गया—"मुझे नहीं मालूम था कि पढ़ने-लिखने से दुख जाहिर करने के अंदाज भी बदल
जाते हैं।"
"ये कैसी अजीब बातें कर रहे हो, सुरेश?"
"खैर, मैं नहीं जानता कि यह जानकर तुम्हें दुख होगा या खुशी कि वह एक्सीडेंट नहीं था।"
"तो?"
"वह मेरे मर्डर की कोशिश थी।"
"म.....मर्डर की कोशिश?" विनाता चौंकी—"मैं समझी नहीं।"
"इसमें न समझने की जैसी क्या बात है, मर्डर की कोशिश का मतलब मर्डर की कोशिश ही होता है।"
"म.....मगर—"
"किसी ने पहले ही गाड़ी के ब्रेक फेल कर रखे थे—उसने सोचा होगा कि या तो मैं गाड़ी के किसी दूसरी गाड़ी अथवा पेड़ या खम्भे से टकराने पर गाड़ी में ही मर जाऊंगा या.....।"
"या?"
"या बचने के लिए मुझे चलती गाड़ी से कूदना पड़ेगा—यह बात हत्यारे ने शायद पहले से सोच ली थी—सो, ऐसा इन्तजाम कर रखा था कि गाड़ी से कूदने की स्थिति में भी मैं बच न सकूं।"
"वह क्या?"
"मर्सडीज के पीछे-पीछे पूरी रफ्तार के साथ एक सफेद एम्बेसेडर चली आ रही थी—उसके ड्राइवर को शायद यह निर्देश था कि यदि मैं मर्सडीज से कूदने में सफल हो जाऊं तो वह एम्बेसेडर से मुझे कुचलता हुआ निकल जाए—यदि मैं इस तरह मरता, तब भी इसे एक्सीडेंट ही कहा जाता और एम्बेसेडर ड्राइवर को ज्यादा दोषी नहीं ठहराया जा सकता था—वह कहता कि अगर आगे जा रही गाड़ी से अचानक कूदकर कोई व्यक्ति गाड़ी के नीचे आ जाए तो वह भला उसे कैसे बचा सकता है?"
"म.....मगर यह तुम्हारा भ्रम भी तो हो सकता है।"
"कैसा भ्रम?"
"वास्तव में एम्बेसेडर इत्तफाक से मर्सडीज के पीछे चल रही हो।"
"इत्तफाक से चलने वाले वापस लौटकर कुचलने की कोशिश नहीं करते।"
"क्या मतलब?"
मिक्की ने संक्षेप में उसे सबकुछ बता दिया—सुनकर विनीता गम्भीर हो गई। उसके मस्तिष्क पर चिंता की लकीरें भी नजर आने लगी थीं, मिक्की ने व्यंग्य-सा करते हुए पूछा—"अब तुम्हारा क्या ख्याल है?"
"यह तो वाकई मर्डर की कोशिश थी, मगर.....।"
"मगर—?"
"सोचने वाली बात तो यह है कि ऐसी जलालत भरी खतरनाक हरकत कर कौन सकता है?"
"यह पता लगाना ही तो अब मेरा उद्देश्य है।"
"जो कुछ हुआ, वह हमें पुलिस को बता देना चाहिए—वे खुद पता लगाएंगे कि कौन आपकी हत्या क्यों करना चाहता है?"
पुलिस का ख्याल आते ही जाने क्यों मिक्की के जिस्म में झुरझुरी-सी दौड़ गई, बोला— "पुलिस भला इसमें क्या करेगी, मैं खुद ही पता लगा लूंगा कि इस नापाक हरकत के पीछे कौन है?"
"तुम्हें किसी पर शक है?"
"हां।"
"किस पर?"
"शायद मैं किसी की मौज-मस्ती के बीच का कांटा होऊं या फिर मुमकिन है कि कोई मेरी दौलत हथियाने का ख्वाब देख रहा हो?"
विनीता उसे अपलक देखती रह गई।
¶¶
Reply


Messages In This Thread
RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन - by desiaks - 06-13-2020, 01:05 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,649,947 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 561,952 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,297,035 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 980,439 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,738,860 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,151,454 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,074,343 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,480,298 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,167,461 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 299,150 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)