RE: Hindi Kamuk Kahani एक खून और
उधर जब क्रिसपिन खुद को अपने फ्लोर पर बने स्टूडियो में बंद किए रहता तो एमिलिया को लगता कि वो अपने काम—पेंटिंग में मशगूल है। वो अब इस कड़वे सच को समझ गई थी कि उसका उसके बेटे पर रहा होल्ड अब खत्म हो चुका था। कभी उसने उस पर उसके फैसलों पर अपना नियंत्रण रखा था लेकिन वो दिन, वो दौर कब का फना हो चुका था।
लेकिन अपनी इकलौती औलाद पर कभी रहे उसके उस होल्ड के बदले उसे अब सालाना पचास हजार डालर की रकम बतौर जेबखर्चा उसे अब भी हासिल थी और ये एक बड़ी, खूब बड़ी रकम थी। उसके बहुत सारे दोस्त थे जिन्हें वो अब अपने घर में बुलाने के बजाए किसी और जगह—मसलन किसी होटल वगैरह में—बुलाकर एंटरटेन करती, उन्हें खिलाती-पिलाती और यूँ अपना ग़म भुलाती। जब भी उसके उन दोस्तों में से कोई उससे उसके बेटे क्रिसपिन की बाबत कोई सवाल करता तो वो हमेशा यही बहाना बनाती कि उसका बेटा अपनी कला, अपने मार्डन आर्ट को समर्पित एक महान कलाकार था और वो अपनी पार्टी वगैरह में बुलाकर उसका वक्त बर्बाद करने के हक में नहीं थी। अपनी बात कहते हुए अक्सर वो अपने बेटे की तुलना अब पिकासो तक से करने लगी थी।
लेकिन ये सच नहीं था।
वह खुद अक्सर इस बात पर अपना सिर धुनती थी कि कभी-कभी तो महीना-महीना भर खुद को, यूँ अपने फ्लोर पर, बन्द रखकर उसका बेटा आखिर करता क्या है?
और एक दिन उसकी यही उत्सुकता जब हद से ज़्यादा बढ़ गई तो उसने इसके बारे में कुछ करने का निश्चय कर लिया।
उसने तय किया कि मौका लगते ही वो ऊपरले फ्लोर पर एक चक्कर लगाएगी।
और एक दिन उसके हत्थे वो मौका लगा।
क्रिप्सी घर की ग्रोसरीज़ वगैरह के सिलसिले में खरीददारी करने बाज़ार गई हुई थी तो क्रिसपिन उसी वक्त अपनी रॉल्स रॉयस लेकर निकल गया।
यही मौका था।
एमिलिया ने रेनाल्ड्स को बुलाकर अपनी बात समझाते हुए पूछा—“क्या तुम दरवाज़े पर लगे ताले को खोल सकते हो?”
“यस मैडम—मैंने देखा है। वो एक मामूली ताला है।”
“तो खोलो उसे....।”
रेनाल्ड्स कहीं से एक तार ले आया और कुछेक पलों की मेहनत के बाद ही उसने ताला खोल डाला।
दोनों ऊपर जाती सीढ़ियों पर बढ़े जो क्रिसपिन के स्टूडियो तक जाती थीं। वहाँ स्टूडियो के दरवाज़े पर उन्हें कोई ताला नहीं मिला। एमिलिया ने हाथ बढ़ाकर दरवाज़ा खोला और दोनों ने भीतर कदम रखा।
और उन्हें यूँ लगा कि वो दोनों अपने सबसे भयंकर दुःस्वप्न में आ खड़े हुए थे।
दीवार पर लटके बड़े-बड़े कैनवासों पर इतनी भयानक पेंटिंग्स चित्रित की गई थीं कि एमिलिया तो वहाँ उन्हें देखकर बेहोश हो गई। सारी पेंटिंग्स का सब्जेक्ट कमोबेश किसी महिला का शरीर था जो किसी काले आकाश तले, सुर्ख चांद वाले संतरी बीच पर लेटी थी। लेकिन बात सिर्फ यही नहीं थी।
उन पेंटिंग्स में कई में महिला का सिर उसके धड़ से अलग था, कई में उसका पेट फटा पड़ा था जिसके भीतर की आँतें यहाँ वहाँ बिखरी हुई थीं तो किसी में उसके पूरे बदन के टुकड़े-टुकड़े कर उन्हें इधर उधर छितरा हुआ पेंट किया गया था।
और जैसे इतना ही काफी न हो।
वहीं स्टूडियो के एक कोने में स्टैण्ड पर रखे एक कैनवास पर खुद एमिलिया की पेंटिंग थी जिसमें उसके खून से सने दांत बाहर को निकले पेन्ट किए गए थे। उसकी टाँगों के बीच में किसी आदमी को बेबस कैदी की तरह दिखाया गया था जिसने सफेद और लाल धारी वाला एक पजामा पहना हुआ था। यह ठीक उसी डिज़ाईन का पजामा था जैसा कि उसका पति—मिस्टर ग्रेग—अक्सर वीकएण्ड पर पहना करता था। एमिलिया की उसी पेंटिंग में उसके सिर पर निकले दो सींग भी दिखाए गए थे।
बेहोश होने से पहले एमिलिया ने बड़ी देर तक खुद पर बनी उस पेंटिंग में अपने उस शैतानी अक्स को देखा था और फिर यकायक अपने होश खो बैठी थी।
बाद में रेनाल्ड्स ने उसे संभाला और नीचे लाऊॅन्ज में ले आया। रेनाल्ड्स मर्द था और हालांकि एमिलिया की तरह बेहोश नहीं हुआ था लेकिन फिर भी उसके खुद के होश भी उड़े हुए थे। उसने जो देखा था वो किसी हैवान का ही काम, किसी हैवान की ही सोच हो सकती थी। उसने एमिलिया को वहीं लाऊन्ज में छोड़ा और अपने कमरे में पहुँचा। उसने वहाँ अपने लिए स्कॉच का एक तगड़ा पैग बनाया और उसे एक ही सांस में खींच लिया। इसके बाद उसे कुछ राहत मिली तो वो वापिस लाऊन्ज में पहुँचा। जहाँ एमिलिया भी अब अपने होश संभाल चुकी थी।
दोनों की निगाहें मिलीं लेकिन बोला कोई नहीं।
फिर रेनाल्ड्स ने आगे बढ़कर क्रिसपिन के फ्लोर पर जाती सीढ़ियों पर लगे दरवाज़े के लॉक को दुबारा लगा दिया।
एमिलिया अब वहीं लाऊन्ज में बैठी थी और हाथ में ब्रान्डी का एक तगड़ा, खूब बड़ा पैग संभाले हुए थी।
“अब क्या करें?”—एमिलिया ने ड्रिंक सिप करते हुए पूछा—“वह पूरा पागल हो चुका है और अपने इसी पागलपन में कभी भी कोई खतरनाक कदम उठा सकता है।”
उधर रेनाल्ड्स को अपनी नौकरी छूटने का ज़्यादा डर था।
वो जानता था कि अब इस उम्र में उसे ऐसी आरामदायक नौकरी तो मिलने से रही सो वो अभी भी क्रिसपिन के उस पागलपन को दबाए रखने का ही पक्षधर था।
“हमें अभी इंतज़ार करना है....हमें अपनी उम्मीद बनाए रखनी है”—वह बोला।
एमिलिया उसकी मौजूदा हालत को खूब समझती थी तो उधर उसे खुद की भी ऐसी ही हालत से डर लगता था। वो जानती थी कि ताउम्र ऐश में बिताई अपनी अब तक की ज़िन्दगी में अब आगे केवल दस हज़ार के सालाना भत्ते पर गुज़र-बसर करना उसके लिए बेहद मुश्किल था।
लगभग नामुमकिन था।
तो और कोई रास्ता नहीं था।
वो दोनों ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकते थे कि जिससे क्रिसपिन किसी मुसीबत में जा फंसता। उसकी आज़ादी उन दोनों की आगे की आरामदायक ज़िन्दगी की गारन्टी थी और उसका किसी मुसीबत में जा फंसना उन दोनों की ही मौजूदा आरामदायक ज़िन्दगी को, उसमें हासिल अभी सहूलियतों को मटियामेट कर सकता था।
सो दोनों ने फैसला किया कि वो अभी इंतज़ार करेंगे।
अभी अपनी उम्मीद बनाए रखेंगे।
लेकिन ये सब इतना आसान न था।
फिर जैनी बैंडलर के उस बेरहम कत्ल के बाद दूसरी शाम रेनाल्ड्स को कुछ ऐसा पता चला कि वो फौरन एमिलिया के पास पहुँचा। उसने उसे टी.वी. देखता हुआ पाया।
“मैडम”—उसने हाँफते हुए कहा—“प्लीज़ ज़रा मेरे साथ नीचे बॉयलर रूम में चलिए।”
“क्यों, वहाँ क्यों?”—एमिलिया का चेहरा सफेद पड़ गया था। आजकल वो हर वक्त किसी न किसी बुरी खबर के इंतज़ार में ही बैठी रहती थी। उसे हर वक्त यही लगता था कि कोई मनहूस खबर उसे अब आई तब आई।
“प्लीज़ चलिए मैडम।”—रेनाल्ड्स ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा और बाहर निकल गया।
कुछ पल हिचकिचाने के बाद एमिलिया रेनाल्ड्स के पीछे-पीछे चलती नीचे बॉयलर रूम में पहुँची।
वहाँ पहुँचकर रेनाल्ड्स ने उसे एक ओर संकेत किया।
वहाँ भट्टी के पास उसके पति की गोल्फ बॉल वाली जैकेट पड़ी थी जिसे आमतौर पर आजकल क्रिसपिन पहना करता था। वहीं पास ही कुछ और भी कपड़े पड़े थे जिसमें एक ग्रे कलर की पैन्ट और गुक्की के जूते थे।
सत्यानाश।
कपड़ों पर लगे उस बेशुमार खून को देखकर ही एमिलिया समझ गई कि उसका बेटा क्या गुल खिला आया था।
वो सिहर उठी।
उसने रेनाल्ड्स से निगाहें मिलाईं।
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