RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
तृतीय
24-27 सितंबर
बॉजेन बिना दाढ़ी बनाए मगर चुस्त दिख रहा था। उसने अपनी मटमैले भूरे रंग की जैकेट अपनी कुर्सी की पीठ पर टांग दी और आस्तीनें कोहनियों के ऊपर तक चढ़ा लीं।
"यूजीन पॉडवसर्की," उसने एक पीली पेंसिल से क्रोप्के की ओर इशारा करते हुए कहा। "उसके बारे में हम क्या जानते हैं?"
"बहुत कुछ," क्रोप्के जोश में भरकर बोला। "शुरू से शुरू करें, या—-"
"हां", बॉजेन ने कहा। "मुझे नहीं लगता कि किसी ने इस तथ्य को चूका होगा कि वो दो मामलों में शामिल था, लेकिन आगे बढ़ने से पहले उसकी पूरी कुंडली खंगाल लेना शायद बेहतर होगा।"
"एक मिनट," वान वीटरेन ने कहा। "मेरे ख़्याल से हमें पहले इंस्पेक्टर मोएर्क पर बात करनी चाहिए।"
बॉजेन ने मेज पर निगाह डाली, मानो उसे अभी पता लगा हो कि सब लोग मौजूद नहीं थे।
"मोएर्क के साथ क्या मसला है? वो यहां क्यों नहीं है?"
"हम्म," वान वीटरेन ने कहा। "शायद मुंस्टर का बताना ठीक होगा।"
मुंस्टर ने एक गहरी सांस ली।
"ठीक है," उसने कहा, "कल रात मुझे होटल पर एक मैसेज मिला था... इंस्पेक्टर मोएर्क का। उन्होंने मुझसे उन्हें फोन करने को कहा था। मैल्निक रिपोर्ट के संदर्भ में उन्हें कुछ खटका हुआ था, नोट में लिखा था, लेकिन लगता है कल शाम से वो घर नहीं पहुंची हैं। मैं उनसे संपर्क नहीं कर पाया हूं।"
"क्या है साला?" बॉजेन ने कहा। "उसे कुछ खटका था... आपका मतलब पॉडवर्स्की?"
मुंस्टर ने अपनी बांहें फैला दीं।
"मुझे नहीं पता। अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन कुछ पक्का नहीं है। वो इसकी जांच करने वाली थीं, मैसेज में लिखा था।"
"जांच करने वाली थी?"
"हां।"
"क्या?"
"मुझे जरा भी आइडिया नहीं है," मुंस्टर ने कहा।
"वो नोट अभी भी आपके पास है?" बॉजेन ने कहा ।
मुंस्टर ने हामी भरी और अंदर की जेब से लिफाफा निकाला। कनखियों से उसने देखा कि वान वीटरेन बहुत बारीकी से उसे देख रहा था और वो जानता था कि वो लाल पड़ गया है। इस बारे में वो कुछ नहीं कर सकता था, बेशक, और स्वाभाविक ढंग से इन हालात में इसका कोई मतलब भी नहीं था। वो यकीनन दो घंटे से ज़्यादा नहीं सोया होगा और जब से उसकी आंख खुली थी, उसके दिमाग में कॉन्फ़्रेंस रूम की यही छवि तैर रही थी। या तो वो हमेशा की तरह बुककेस के सामने की अपनी जगह पर बैठी होगी... या नहीं बैठी होगी। या तो कोई आदमी रहा होगा, या वो. . किसी और किस्म का आदमी रहा होगा। वो ये मानने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था, अपने आप से भी, कि ये जानकर उसे राहत का धुंधला सा अहसास हुआ था कि पहला विकल्प नहीं था। कोई आदमी! बेशक उस प्रतिक्रिया पर तुरंत ही दूसरे विकल्प के संभावित निहितार्थों ने पानी डाल दिया था, लेकिन वो यकीनन मौजूद थी, और उसने निस्संदेह उसे सोचने के लिए कुछ दे दिया था।
बॉजेन ने नोट पढ़ा। आगे बढ़ा दिया।
"मैं पहले ही इसे देख चुका हूं," जब वो वान वीटरेन के पास आया तो उसने कहा। मुंस्टर ने उसे वापस ले लिया।
“आठ बजे तक घर," बॉजेन ने कहा। "धत साला! तुम्हें ये तो नहीं लगता कि—?"
"इसमें क्या लिखा है?" क्रोप्के ने कहा। "'कुछ अजीबोगरीब'?"
"‘बहुत अजीबोगरीब है, लेकिन मुझे इसकी जांच करनी है," मुंस्टर ने कहा।
बॉजेन ने अपना पाइप उठाया और उसे अपने हाथ में लेकर बैठ गया। कमरे की खामोशी लगभग मूर्त हो गई थी। बैंग चुइंगम चबा रहा था। वान वीटरेन दो टूथपिकों को बहुत गौर से परख रहा था, बारीकी से उनकी तुलना करते हुए, फिर एक को उसने अपनी ऊपर की जेब में डाला और दूसरी को आगे के दांत में दबा लिया। क्रोप्के अपनी उंगलियों को बजा रहा था, और मुंस्टर खिड़की से बाहर देख रहा था।
हे भगवान! मुंस्टर सोचने लगा। ये सब अपने मन में उसे देख रहे हैं! उसने थूक गटका और अपने गले में कुछ ठंडी और गीली सी सरसराहट महसूस की। उसके डायफ़्राम में उमेठ सी हो रही थी ।
से टॉयलेट की ओर बढ़ गया।
"क्रोप्के," बॉजेन ने कहा, "अपने दफ़्तर में जाकर उसे फोन करो।"
क्रोप्के से जैसा कहा गया था, उसने वैसा ही किया। वान वीटरेन ने टूथपिक हटाई।
"कुछ नहीं होगा," उसने कहा। "हम होटल से दो बार कोशिश कर चुके हैं। मेरे ख़्याल से आपने संबोधन का ढंग तो देखा ही होगा?"
बॉजेन ने हामी भरी और खिड़की की ओर चला गया। पीछे के अहाते को देखकर और गहरी सांसें लेते हुए वो अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी को खुजाता सोचता रहा। मुंस्टर और क्रोप्के लौट आए थे। क्रोप्के ने अपना सिर हिला दिया।
"कोई जवाब नहीं," उसने कहा। "सबका क्या ख़्याल है?"
"पॉडवर्स्की?" बॉजेन ने कमरे की ओर चेहरा करते हुए कहा।
"तुम्हें वाकई लगता है कि उसके दिमाग में पॉडवर्स्की के घर जा धमकने की बात आई होगी?
क्रोप्के ने गला साफ किया।
"नहीं," उसने कहा। "ये कतई उसका अंदाज नहीं है, वास्तव में--"
"घोर पागलपन है," मूजर ने कहा। "कोई भी सही दिमाग वाला अपनी मर्जी से वहां नहीं जाएगा। इसके अलावा अगर आपको ये शक हो कि वो फरसामार है, तो मैं नहीं समझ सकता कि क्यों--"
लेकिन अब तक मुंस्टर के सब्र का पैमाना भर चुका था।
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