raj sharma story कामलीला
07-17-2020, 11:57 AM,
#26
RE: raj sharma story कामलीला
चौथे दिन सोने से पहले चाचा ने उसे पुकारा था।
और यह पुकार उसे ऐसी लगी थी जैसे उसके कान अस्वाभाविक तौर पर उसी की प्रतीक्षा कर रहे हों और इस पुकार के सुनते ही उसके बदन में एक झुरझुरी सी दौड़ गई हो।
उसके दिमाग का एक हिस्सा फिर ‘गलत-गलत’ की रट लगाने बैठ गया था पर उसने खुद को अपने शरीर की ज़रूरतों के हवाले कर दिया और जो अंग जैसी प्रतिक्रिया देता रहा वह स्वीकारती रही।
उसने बेअख़्तियारी की हालत में अपनी नाइटी उठा कर अपनी पैंटी भी उतार दी और अपने कमरे से निकल कर चाचे के कमरे में पहुंच गई।
चाचा का हाथ अब ठीक था और चाहता तो वह खुद ही अपने काम को अंजाम दे सकता था लेकिन अब उसे शीला के हाथ का चस्का लग चुका था और वह लिंग बाहर निकाले उसे आशा भरी दृष्टि से देख रहा था।
उसने दरवाज़ा बन्द कर दिया और चाचा के बैड के सरहाने स्थित अलमारी से वह सरसों का तेल निकाल लिया जो उसने परसों ही रखा था।
यह उसे किसी ने बताया नहीं था बल्कि उसका सहज ज्ञान था कि त्वचा से त्वचा की सूखी रगड़ जलन और रैशेज बना सकती थी। अगर तेल जैसी किसी चिकनी चीज़ का प्रयोग किया जाये तो ऐसा नहीं होगा।
अपने हाथ और दूसरे के हाथ में फर्क होता है… खुद के हाथ का पता होता है कितना दबाव देना है पर दूसरे के हाथ से पता नहीं चलता इसलिये चिकनाहट ज़रूरी थी।
वह चाचा को बिस्तर के एक साइड थोड़ा सरका के पूरी तरह पांव फैला कर उसके पास ही बैठ गई। उसने अपने सीधे हाथ में तेल लिया और उसे चाचा के लिंग पर इस तरह चुपड़ दिया कि वह एकदम चमकने लगा।
अभी वह अर्ध-उत्तेजित अवस्था में था लेकिन जैसे ही शीला के हाथों की गर्माहट और घर्षण मिला, उसमे खून भरने लगा और वह एकदम तन कर खड़ा हो गया।
शीला धीरे-धीरे उसे अपने हाथों से रगड़ने लगी।
साथ ही उसने अपने शरीर की इच्छा को सर्वोपरि रखते हुए अपनी नाइटी के ऊपरी बटन खोल लिये और उलटे हाथ को अंदर डाल कर अपने स्तनों को सहलाने लगी।
नरम दूधों पर हाथ की थोड़ी सख्त चुभन उसके अपने बदन में गर्माहट भरने लगी।
उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वक्षों का योनि से कोई इंटर-कनेक्शन हो… वह अपने स्तनों को मसल रही थी, चुचुकों को रगड़ रही थी, दबा रही थी और उत्तेजना भरी सरसराहट नीचे योनि में हो रही थी।
उसे चाचा की परवाह नहीं थी, चाचा को तो समझ ही नहीं थी कि वह क्या कर रही थी, उसे बस इतना पता था कि वह उसके लिंग को मसल रही थी और उसे बेहद सुखद लग रहा था।
जल्दी ही शीला के लिये अपने हाथ को रोके रखना मुश्किल हो गया।
उसने अपने चाचा के लिंग से हाथ हटा कर दोनों हाथों पर फिर से तेल चुपड़ा और सीधा हाथ चाचा के लिंग पर पहुंचाकर उल्टा हाथ, नीचे नाइटी उठाकर अपनी योनि तक पहुंचा दिया।
उसे अपने हाथ की आवरण रहित छुअन में भी अभूतपूर्व आनन्द का अनुभव हुआ। वह पूरी योनि को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर सहलाने लगी, रगड़ने लगी।
इन पलों में उसके शरीर में कामवासना से भरी जो लहरें दौड़ीं तो उसकी आंखें मुंद गईं। बस यही दो चीजें दिमाग में थी कि उसके एक हाथ में चाचा का मजबूत लिंग है और दूसरा हाथ उसकी योनि को रगड़ दे रहा है।
अवचेतन के जाने किस अंधेरे से चुपके से यह कल्पना सामने आ खड़ी हुई कि योनि से रगड़ देने वाली चीज़ चाचा का लिंग है जो उसकी, भगनासा, भगोष्ठ और भगांकुर को अकूत आनन्द का अहसास दे रहा है।
ऐसी हालत में उसे यह कल्पना अतिरेक न लगी, अनैतिक या मर्यादा से इतर न महसूस हुई बल्कि उसके यौनानन्द में और बढ़ोत्तरी करने वाली चीज़ लगी।
और उसने इस कल्पना को स्वीकार कर लिया और उसी में खो गई।
फिर न उसे अपना होश रहा, न चाचा का, न कमरे की खुली खिड़की का… आँखें बंद किये बस इस कल्पना में जीने लग गई कि चाचा का लिंग उसे वो संतुष्टि दे रहा है जिसकी उसे भूख थी।
आँखें बन्द थीं और होंठों से दबी-दबी सिसकारियाँ निकल रही थीं, दोनों हाथ तेज़ी से अपना काम कर रहे थे और वासना में डूबे इन पलों की सुइयां घोड़े की रफ़्तार से दौड़ रही थीं।
फिर इस दौड़ का अंत हुआ…
उसने अपनी मुट्ठी में चाचा के लिंग को फूलते अनुभव किया और साथ ही चाचा के बदन की ऐंठन को भी और वह कल्पना से बाहर आ गई।
उसने आँखें खोल दीं और चाचा की एक कराह के साथ जैसे ही लिंग वीर्य की पिचकारी छोड़ने को हुआ उसने मुट्ठी भींच ली ताकि पिचकारी के उछलने का वेग कम हो जाये।
ऐसा ही हुआ और उछलने के बजाय वीर्य इस तरह निकला कि उसकी मुट्ठी से होता चाचा के पेट तक गया… पूर्वानुभव से उसे पता था कि उसे छोड़ना नहीं था।
वह हाथ फिर भी ऊपर नीचे करती रही मगर इस सख्ती से साथ कि निकलने वाली पिचकारी वेग न लेने पाये और चार पिचकारी में वह ठंडा पड़ गया।
पांचवी बार में बस बूँद निकली और उसने लिंग छोड़ दिया पर आज उसने कल की तरह अपनी उत्तेजना का अंत नहीं होने दिया था… उसे लग रहा था कि अभी उसके सफर का अंत नहीं हुआ।
हालांकि उसका उल्टा हाथ थक चुका था लेकिन चूंकि अब उसका सीधा हाथ फ्री हो गया तो उसने हाथ बदल लिया और चाचा के पैरों पे सर टिकाते हुए तेज़ी से योनि को रगड़ने लगी।
इस रगड़ में उसने एक चीज़ यह महसूस की थी कि भले पूरी योनि की रगड़ उसे मज़ा दे रही थी लेकिन जब उसकी उंगलियां योनि के ऊपरी सिरे को छूती थीं तो उत्तेजना एकदम बढ़ जाती थी।
यानी सबसे ज्यादा संवेदनशील पॉइंट ऊपर था… यह उसकी समझ में आ गया था।
और इसीलिये अब जब वह रगड़ रही थी तो पूरी योनि के बजाय सिर्फ ऊपर ही रगड़ रही थी और हर रगड़ उसे एक नई ऊंचाई तक लिये जा रही थी।
Reply


Messages In This Thread
RE: raj sharma story कामलीला - by desiaks - 07-17-2020, 11:57 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,636,099 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 559,970 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,291,042 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 975,700 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,729,543 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,144,540 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,062,269 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,438,569 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,154,884 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 297,809 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)