RE: Rishton May chudai परिवार में चुदाई की गाथा
मैं – काकी, देख एक दिन सपना को भी ऐसे ही चोदुंगा।
काकी – बहुत हरामी है रे तू, मेरी बेटी पे रहम कर, वो छोटी है अभी, उसकी तो सील भी नहीं टूटी।
ताई – कितनी भोली है तू रत्ना छिनाल, तेरी बेटी तेरी पीठ के पीछे क्या क्या गुल खिलाती है तुझे पता भी नही, तू उसे शरीफ समझती है, गाँव में पीठ पीछे कितनी बात करते हैं तुझे क्या पता, तेरी बेटी रांड है रत्ना।
काकी – जबान पर लगाम दे सुनंदा, बहुत हो गया, खबरदार जो अब मेरी बेटी के खिलाफ एक भी शब्द कहा।
(मैं काकी का ये विकराल रूप देखकर डर गया और मैंने ऐसे समय में कुछ न कहना ही बेहतर समझा और काकी-ताई को उनके हाल में छोड़ दिया)
ताई – बोलूंगी मैं तो, क्या उखाड़ लेगी मेरा बता?
काकी – भेन की लॉड़ी, थप्पड़ जड़ दूंगी गाल पर, रंडी।
ताई – अपने बाप की बेटी है तो हाथ लगा, तेरा हाथ तोड़ के तेरी गांड में न दे दिया तो मेरा नाम भी सुनंदा नहीं।
(बाप पर बात आते ही काकी ताई पर झपट गई और फिर काकी-ताई की बिल्ली लड़ाई (कैट फाइट) शुरू हो गयी, दोनों नंगी एक दूसरे के बाल खिंचती हुयी लड़ रही थीं, एक दूसरे को चमाट मारते हुए लड़ाई कर रही थी, दोनों हट्टी कट्टी देहाती, मर्दाना औरतें नंगन अवस्था में युद्ध करते हुए बहुत ही आकर्षक लग रही थी..
शोरगुल और हो हल्ले के बीच सपना आ जाती है और अपनी माँ और ताई को इस अवस्था में देखकर भौचक्की रह जाती है, अपनी माँ रत्ना को पिटता देख वो भी ताई पर झपट जाती है और तब ताई की जो पिटाई शुरू होती है वो देखने लायक थी..
पतापत पतापत ताई के गालों पर रत्ना और सपना के बड़े बड़े हाथों द्वारा चमाट की बारिश होती है, नंगी सुनंदा को रत्ना और सपना लेटा लेटा कर लात घुसें मारते हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं किस की तरफ से वार करूँ..
अभी सपना को भी नाराज़ नहीं कर सकता क्योंकि उसकी चुदाई अभी करनी बाकि है, अगर सपना नाराज़ हो जाती तो उसे चुदाई के लिए पटाना कठिन काम था, काकी-ताई का मजा में लगभग ले ही चुका था, तो मैने पीटती हुयी ताई पर ही वार करने की सोची परंतु तभी अचानक आनन्दी का कमरे के आगमन हो जाता है..
माहौल को भांपते हुए वो रत्ना और सपना पर टूट पड़ती है, दरअसल आनन्दी खेलकूद में काफी होशियार थी तो अपनी फुर्ती व चालाकी के दम पर वह, काकी-सपना पर भारी पड़ गयी.और अब दबदबा सुनंदा और आनन्दी का था..
लड़ाई इतनी बढ़ गयी कि आनन्दी और सुनंदा डंडे से लगातार रत्ना और सपना पर वार किए जा रहे थे, और काकी-सपना की हालत बेहोशी वाली हो गयी थी, अब काकी और सपना माफ़ी मांगने पर मजबूर हो गए थे।
काकी (रोते हुए) – माफ़ कर दे दीदी, माफ़ करदे, रहम कर मेरी बच्ची और मुझ पर।
ताई – रंडियों, अब माफ़ी मांगते हो, बोलो करोगे अब बदतमीजी ?
सपना – ना ताई, अब नहीं करेंगे, छोड़ दो हमे।
काकी – भगवान् के लिए छोड़ दो, पंडित बेटा बचा हमे।
मैं – माफ़ी मांग लो, मैं कुछ नहीं कर सकता, काकी आपको ताई का आदर करना चाहिए, वो आपकी माँ की तरह है।
काकी – आज से आदर करूँगी, जो बोलेगी वो करूँगी, गुलाम बन कर रहूंगी।
ताई – अब सजा तो मिलेगी तुम दोनों माँ बेटियों को.. आनन्दी इधर आ, अपना पैजामा खोल और इनके मुह और बदन पर मूत दे, मैं भी मुतती हूँ।
सपना – ऐसा मत करो ताई प्लीज, मत कर आनन्दी दीदी ऐसा।
आनन्दी – चुप कर रंडी साली.. कपड़े खोल अपने जल्दी नंगी हो जा।
सपना – नहीं दीदी नंगी मत कर प्लीज।
(आनन्दी और सुनंदा सपना को जबरन नंगी कर देते है उसके बाद काकी और सपना के ऊपर मूत्र विषर्जन करते हैं, इतना अपवित्र दृश्य देखकर मेरी आँखें भर आयी, काकी-सपना के प्रति मेरा हृदय पिघल गया, मुझे अब ताई और आनन्दी की इस अमानवीय हरकत पर गुस्सा आने लगा, लेकिन मेने अभी कुछ करना ठीक नहीं समझा..
फिर ताई और आनन्दी ने सपना से काकी की चूत चटवायी और काकी से भी सपना की गांड व चूत रस चटवाया.. इतना करने के बाद ताई और आनन्दी अपने कमरे में चले गए और काकी-सपना जमीन में लेटे रो रहे थे)
मैं – चल काकी अब नहा ले और कपड़े पहन ले, सपना बहन तू भी नहा ले।
काकी – तूने मुझे बचाया नहीं पंडित, तू बहुत गंदा है।
सपना – हाँ भाई, हमारा साथ नहीं दिया तूने।
मैं – तो कौन सा मैंने ताई या आनन्दी का साथ दिया, सुन अभी आराम कर, कल कुछ सोचते हैं ताई को सबक सिखाने के बारे मे।
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