RE: Hindi Antarvasna Kahani - ये क्या हो रहा है?
चमकू से विदा लेकर मैं वापस अपने घर की तरफ चल पड़ा, मेरे मन में आनंद की लहरे उठ रही थी, क्यूंकि चमकू ने जल्द ही मुझे अपनी अम्मा की चूत दिलाने का वादा जो किया था, मैं तो खुशी के मारे फुले ही नही समा रहा था, इसी खुशी में मेरे कदम अपने आप तेज़ी से घर की तरफ बढे जा रहे थे, कि तभी बिच में सरजू चाचा अपने घर के आंगन में बैठे दिखाई दे गये,
सरजू चाचा पुरे गाँव में अपने नशे की वजह से बदनाम थे, 24 घंटे बस चिलम खिंचा करते, उनका खेत भी हमारे खेत से बस थोडा ही पहले पड़ता था, चम्पक चाचा तो अक्सर अपने खेत में बने कोठियार(घास फूस और पत्थरों से बना कमरा) में ही पड़ा रहता था, रात को भी अक्सर वो वहीं रहता था, उसके घर में उसकी बीवी शांता चाची, और उनकी एक 15 साल की बेटी रानी थी, सरजू चाचा के बारे में ये बात भी पुरे गाँव में फैली थी कि सरजू चरसी होने के साथ साथ रंडीबाजी का शौक भी फरमाता है.. पर उसके मुंह पर ये बात बोलने की हिम्मत किसी में नही थी,
गाँव वाले अक्सर उससे कम ही बातचित करते थे, इसलिए सरजू चाचा भी ज्यादातर वक्त अपने खेत में ही रहते थे, और महीने में कोई 5-6 बार ही अपने घर आता थे,
बापूजी ने भी मुझे उससे दूर रहने को कहा था, पर चमकू की उससे अच्छी बनती थी, इसी वजह से मेरी भी थोड़ी जान पहचान उससे हो गई थी....
इसीलिए मुझे वहां से जाता देख उसने मुझे आवाज़ दी....
सरजू – अरे समीर बिटवा, कहाँ चले जा रहे हो आज?
मैं – कुछ नही सरजू चाचा, बस चमकू से मिलने गया था, अब घर की तरफ जा रहा हूँ वापस...
सरजू – अरे घर कहीं भागत जात है का, तनिक हमरे पास भी आकर बैठो जरा...
मैं – अरे नही चाचा, अभी काफी लेट हो गया है, माँ राह तकती होगी मेरी...
सरजू – अरे बिटवा, बस 5 मिनट की ही तो बात है, आओ जरा
मैं उसके पास नही बैठना चाहता था, पर हारकर मुझे उसकी बात माननी ही पड़ी, मैं जाकर उसकी खाट पर उसके साथ बैठ गया, सरजू हमेशा की तरह ही अपनी चिलम खिंच रहा था...
सरजू – लो बिटवा, तनिक तुम भी खींचकर देखो, कसम से मजा आ जायेगा......
मैं – अरे नही चाचा, तुम तो जानते हो, मुझे नशा करना पसंद नही...
सरजू – अरे बिटवा, बस एक कश लगाकर देखो, फिर देखो कितना हल्का हल्का महसूस होता है....
मैं – नही चाचा.... आप ही पीओ
सरजू – चल ठीक है, तुझे नही करना ना सही, पर सच में, जिन्दगी में मजा सिर्फ दो ही चीज़ में आता है
मैं – किनमे??
सरजू – एक तो चिलम खींचने में ..
मैं – और दूसरा..??
सरजू – और दूसरा चुदाई में.... हा हा हा ...
ये बोलकर सरजू हंसने लगा, पर मुझे बड़ा अजीब लग रहा था, पर मैं भी क्या बोलता, बस चुपचाप उसकी बात सुनता रहा
सरजू – अरे चुप काहे हो, चिलम तो नही पीते तुम, पर चुदाई तो की होगी कभी...
मैं – न....न...नही चाचा
सरजू (हँसते हुए) – अरे,इका मतलब अभी तक अपना हाथ जगन्नाथ ही करते हो... हा हा हा
मैं बस बेमन से मुस्कुरा दिया, बोलता तो भी क्या बोलता
सरजू – पर सच बोलत है समीर बिटवा, चूत मारने में जो मजा है ना, वो किसी और चीज़ में नाही....क्यों सही है ना
मैं – अब मैं क्या बताऊ चाचा, हम तो आज तक कोई चुत देखे ही नही, मारने की बात तो बहुत दूर की है...
सरजू – अरे का बात करते हो ,आज तक कोनो चूत ही नही देखि तुमने????
मैं – नही चाचा...
सरजू – हम्म... लगता है बिलकुल कोरे हो अभी तक, पर फिकर ना करो, जल्द ही कोई ना कोई तुमको भी मिल ही जायेगी,
मैं – देखि जाएगी चाचा ...
सरजू – चलो फिर, आया करो कभी कभी हमरे खेत पर भी, तुमरे खेत के पास ही तो है बिलकुल, हमरा भी तनिक टाइम पास ही हो जायेगा... क्यों... हा हा हा
मैं – ठीक है चाचा...... अब चलता हूँ....
सरजू चाचा से विदा लेकर मैं अपने घर की तरफ चल पड़ा, आज मैं बहुत ही उत्तेजित था, एक तो चमकू और उसकी अम्मा की चुदाई के बारे में सुनकर, और दूसरा सरजू चाचा की गरम बातो की वजह से .......
अब मेरा लंड बड़ा ही सख्त होकर मेरी पेंट में तम्बू बनाये हुआ था, मैं किसी तरह अपने लंड को एडजस्ट करता हुआ अपने घर पर पहुंचा, मेरी किस्मत अच्छी थी कि माँ अभी तक ताई के घर से वापस नही आई थी, घर पहुंचने के कुछ देर बाद ही पीछे से माँ भी आ गई, दीदी ने आज खुद ही खाना बनाकर रख लिया था, फिर हम सब ने मिलकर खाना खाया, माँ ने मुझे कल भी उनके साथ खेत में आने को बोल दिया, मैंने भी सर झुकाकर उनकी बात मान ली.....
खाना खाने के बाद मैं आकर सीधा अपने बिस्तर में लेट गया, और आज पुरे दिन हुए वाकयों को याद करने लगा कि किस तरह चमकू ने अपने बाप के कहने पर अपनी माँ की फुद्दी मारी, और किस तरह सरजू चाचा उसे चुदाई की गर्म बाते कर रहे थे, वो सब बाते याद आते ही दोबारा उसका लंड बुरी तरह खड़ा होकर तन गया, अब चूँकि मैं निक्कर में और बिना चड्डी के था, इसलिए मेरा लंड मेरे निक्कर में खतरनाक उभार बनाये हुए था,
मैं अभी पड़ा पड़ा अपने लंड को एडजस्ट कर ही रहा था कि नीलू दीदी भी कमरे में आ गई, हमने ज्यादा बात नही की और सीधा सो गये, पर मेरी आँखों में नींद कहाँ थी और बिना मुठ मारे तो मुझे आज नींद आने वाली नही थी, इसलिए मैं चुपचाप दीदी के सोने का वेट करने लगा, ताकि रोज़ की तरह उनके मस्त जिस्म से थोड़ी छेड़छाड़ कर सकूं
अब रात के करीब 12 बजने वाले थे, दीदी मेरी तरह पीठ किये गद्दे पर लेटी थी, मुझे डर तो अब भी लग रहा था, पर बिना मुठ मारे नींद भी तो नही आती, आख़िर में मैंने फैंसला कर लिया…चाहे वो जो भी हों…पर मैं ऐसे मोके को हाथ से नही जाने दूँगा…मैंने अपनी आँखे खोल कर गौर से देखा…मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ..नीलू दीदी ने आज क्रीम कलर का पतला सा शलवार कमीज़ पहना हुआ था…..
मेरा तो लंड एक ही पल में खड़ा हो कर झटके खाने लगा…पीछे उसकी गोश्त से भरे गोरे बदन को देख कर मुझसे रहा नही गया…और मैं उसकी तरफ खिसक कर उससे पीछे से चिपक गया…और धीरे -2 अपने और नीलू दीदी के बीच के गॅप को कम करने लगा…और कुछ ही देर में मैं नीलू दीदी के बदन से पीछे से चिपक गया…इस बार मेरा तना हुआ लंड उसकी गांड की दर्रार में धँस गया…
दीदी थोड़ा सा हिली…और अपनी गांड को पीछे मेरे लंड पर दबा दिया…मेरा लंड नीलू दीदी की शलवार को उसकी गांड की दर्रार में आगे सरकता हुआ…उसकी गांड की दर्रार में धँस गया…पर वो ये सब ऐसे कर रही थे…जैसे वो बहुत ही गहरी नींद में हो…इसीलिए मैं कुछ भी खुल कर नही कर सकता था…
मैं धीरे-2 अपनी कमर को हिला कर अपने लंड को उसकी गांड की दर्रार में रगड़ने लगा.. वो बिना हीले डुले वैसे ही पड़ी हुई थी….नीलू दीदी अब तेज़ी से साँसें ले रही थी. पर मैं बिल्कुल श्योर नही था, कि वो जाग रही हैं…या सोई हुई हैं…
पर तब एक मेरे ऊपर वासना के नशे का असर होने लगा था…मैंने धड़कते दिल के साथ अपना एक हाथ उसके पेट पर रख दिया…और कुछ देर लेटे रहने के बाद भी जब कोई हरकत ना हुई…तो मैं धीरे-2 अपने हाथ को दीदी के मम्मो की तरफ बढ़ाने लगा… और कुछ ही मिनिट में मेरा हाथ दीदी की कमीज़ के ऊपर उसके राइट मम्मे पर था..
जैसे ही मेरा हाथ नीलू दीदी की कमीज़ के ऊपर से उनके मम्मे पर पहुँचा… मैं मस्ती में एक दम पागल सा हो गया…उसके सख़्त और गोश्त से भरे मम्मे उनके तेज़ी से साँस लेने की वजह से ऊपर नीचे हो रही थी… मैं उनकी नाक से साँस लेने की आवाज़ को भी सॉफ-2 सुन पा रहा था…
फिर मैं कोई 5 मिनट तक ऐसे ही अपना हाथ उसके मम्मे पर रखे अपने लंड को उसकी गांड की दर्रार में आगे पीछे करता हुआ रगड़ता रहा…फिर मैंने हिम्मत करके धीरे-2 नीलू दीदी के मम्मे को अपने हाथ से दबाना चालू कर दिया…
मैं अपना सर उठा कर नीलू दीदी के फेस और आँखों पर नज़र जमाए हुआ था…ताकि अगर वो उठ भी जाए तो, मैं अपना हाथ पीछे खींच लूँ…पर मेरे अंदर वासना का तूफान बढ़ता ही जा रहा था…
और फिर मैंने अपना आपा खो कर धीरे-2 नीलू दीदी के मम्मे को दबाना शुरू कर दिया…वो एक पल के लिए थोडा सा हिली…और उनके मूह से उम्ह्ह की हलकी सी आवाज़ निकल गयी…पर वो ऐसे निकली जैसे वो नींद में हो….
मैं एक पल के लिए उसकी आवाज़ सुन कर अपने हाथ को वहीं रखे हुए थम गया… और जब थोड़े से इंतजार के बाद उसकी तरफ से कोई रियेक्शन नही हुआ…तो मैं फिर से अपने हाथ से धीरे-2 नीलू दीदी के मम्मे को दबाना शुरू कर दिया…अब मेरे हाथ की सख्ती उसकी मम्मे पर बढ़ाता जा रहा था….
मेरा तना हुआ लंड अब और ज्यादा अकड़ चुका था…मैंने अपने हाथ को नीलू दीदी के मम्मे से हटा कर, उसकी जांघ पर रख दिया…और धीरे जांघ को सहलाते हुए,नीचे आने लगा…जब मेरा हाथ उनके घुटने तक पहुँचा…तो मैंने नीलू की कमीज़ के पल्ले को पीछे से पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया…
मेरे हाथ पैर हवस और डर के मारे काँप रहे थे…मैं दीदी के फेस की ओर सर उठा कर देखते हुए…दीदी की कमीज़ को ऊपर उठाने लगा…जैसे-2 उसकी कमीज़ ऊपर उठ रही थी…मेरे दिल की धड़कने और तेज होने लगी…धीरे-2 मैंने उनकी कमीज़ को उसकी कमर तक ऊपर कर दिया…और फिर एक बार दीदी के फेस की तरफ देखा… उसकी आँखे अब भी बंद थी…पर उनके फेस पर अजीब सी तसूर्रत थी…मैंने उसकी जांघ पर धीरे- हाथ फेरना चालू कर दिया...फिर मैं थोडा सा पीछे हुआ पीछे से नीलू की गांड को देखने लगा….”उफ़फ्फ़ मेरी तो जान ही निकल गयी….क्रीम कलर की पतली सी शलवार में से उसकी ब्लॅक पैंटी सॉफ नुमाया हो रही थी…
मैंने अपना सारा कुछ दाँव पर रखते हुए…अपने शॉर्ट को नीचे करके अपने सख़्त खड़े हुए लंड को बाहर निकाल लिया…और उसकी शलवार और पैंटी के ऊपर से अपने लंड को उसकी गांड की दर्रार में रगड़ने लगा…मैं अब पूरी तरह से होश खो चुका था…
मेरा दिल कर रहा था, कि मैं अभी नीलू की शलवार और पैंटी को निकाल कर अपने लंड उसकी गांड के सूराख में डाल दूं…और खूब कस कस के दीदी को चोदु… पर मेरी हिम्मत नही पड़ रही थी… …अब मेरे लंड की नसें फूलने लगी थी…
मेरा लंड अब अपना पानी छोड़ने वाला था…मैं नीलू दीदी के जिस्म से एक दम चिपक गया…मेरे लंड का कॅप दीदी की पैंटी को उसकी गांड के लाइन में फैलाता हुआ…उसकी गांड के सूराख में पैंटी के ऊपर से दब गया….
इस बार फिर उसके मूह से उम्ह्ह की आवाज़ निकल गयी…मैंने अपने हाथ को आगे लेजा कर उसके मम्मे पर कमीज़ के ऊपर से रख दिया…और अपनी कमर को धीरे-2 हिलाने लगा.. अचानक मुझे अपने बदन का सारा खून अपने लंड की नसों में इकट्ठा होता महसूस होने लगा….और मेरे लंड से पानी की बोछार होने लगी…मेरा पूरा बदन काँप गया…
जब मुझे होश आया…तो मेरे डर के मारे गान्ड फटने लगी…मैं जल्दी से पीछे हो गया…और बिस्तर से उठ कर एक कपड़े को उठा कर बिस्तर पर आ गया, और पहले अपने लंड और बिस्तर पर गिरे वीर्य को सॉफ किया…फिर दीदी की जांघ और गांड वाले हिस्से से शलवार को बड़े ध्यान से सॉफ किया....पर मेरे गाढ़े वाइट कलर के वीर्य से दीदी की शलवार कुछ गीली हो गयी थी…मैंने हल्के हाथ से दीदी की कमीज़ के पल्ले को नीचे कर दिया…और बिस्तर पर लेट गया…
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