Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"फिर हत्यायें करनी आरम्भ कर दी हैं !" - सेठ का मुंह खुले का खुला रह गया - "क्या मतलब ?"
"मेरा संकेत पिछली रात को मेहता रोड पर हुई फ्लोरी नाम की लड़की की हत्या की ओर है । फ्लोरी की हत्या बिल्कुल उसी पैट्रन पर हुई है जिस प्रकार पांच साल पहले बम्बई में मनोहर ललवानी तीन हत्यायें कर चुका है । फ्लोरी की हत्या ही पुलिस के मन में यह सन्देह उपजाने के लिये काफी होगी कि मनोहर ललवानी जिन्दा है । इसलिये राम ललवानी चिन्तित है लेकिन वह राज नगर की पुलिस को निकम्मी समझकर भारी गलती कर रहा है । मैं अपनी जुबान न भी खोलूं तो भी पुलिस को सारी कहानी समझने में अधिक देर नहीं लगेगी ।"
सेठ ने अपना सिर झुका लिया ।
"सेठजी, बात बहुत बढ चुकी है । यह ऐसा मामला नहीं है जिस में आप अपने दामाद की खातिर अपना पैसा और प्रभाव इस्तेमाल करके सारा मामला रफा-दफा कर सकें ।"
इतना कहकर सुनील कुर्सी से उठा और जेब में हाथ डाले सेठ के सामने खड़ा हो गया ।
"बैठो ।" - वह कम्पितत स्वर में बोला ।
"सेठ जी" - सुनील हिचकिचाता हुआ बोला - "मैं..."
"प्लीज, मिस्टर सुनील, प्लीज सिट डाउन ।"
सुनील बैठ गया । उसके सामने एक करोड़पति सेठ का अभिमान टूटा जा रहा था । लेकिन न जाने क्यों सुनील को इससे कोई खुशी नहीं हो रही थी ।
"थैंक्यू ।"
सूनील चुप रहा ।
"तुम कैसे जानते हो कि सुनीता मेरी लड़की है ?"
"मुझे निश्चित रूप से इस बात की जानकारी नहीं है । मैं केवल इतना जानता हूं कि सुनीता अग्रवाल नगर के एक करोड़पती सेठ की इकलौती बेटी है ।"
सेठ मंगत राम ने एक गहरी सांस ली और बोला - "सुनीता मेरी इकलौती बेटी है ।"
सुनील चुप रहा ।
"बेटे" - सेठ आर्द्र स्वर में बोला - "जिस ढंग की जिन्दगी सुनीता ने आज तक गुजारी है, भगवान ऐसी जिन्दगी में किसी दुश्मन को न डाले । आज मैं अपनी बेटी की सूरत देखता हूं तो मुझे महसूस होता है कि मेरा संसार की सबस निरर्थक और निकृष्ट वस्तु का नाम है । पैसा सारा रुपया भी सुनीता को दोबारा से एक हंसती-खेलती, उमंगों और आशाओं से भरी हुई जवान लड़की नहीं बना सकता और उसकी यह हालत इसलिये हुई क्योंकि बचपन में उसकी मां मर गई थी और मुझे नोट गिनने से फुरसत नहीं थी । नतीजा यह हुआ कि वह बेहद गलत किस्म की सोहबत में पड़ गई । कोई उसे रोकने-टोकने वाला नहीं था इसलिये जो उसके जी में आता था, वह करती थी । सुनीता कोई भोली-भाली मासूम बच्ची नहीं रही है, इस बात की जानकारी मुझे तब हुई थी जब सुनीता के स्कूल की प्रिन्सीपल ने मुझे बताया कि सुनीता गर्भवती थी । और, बेटे, वह उस समय दसवीं जमात में पढती थी और मुश्किल से पन्द्रह साल की थी ।"
एक क्षण के लिये सेठ रुका और फिर बोला - "प्रिन्सीपल की सावधानी से ही मेरी इज्जत मिट्टी में मिलने से रह गई थी । एक बहुत बड़ा स्कैण्डल होते-होते रह गया था । सुनीता की उस हालत के लिये जिम्मेदार था, सुनीता के स्कूल का अंग्रेज टीचर जिसने बाद में मुझे बाकायदा ब्लैकमेल करने की कोशिश की । लेकिन मेरे रुतबे ने और ढेर सारे रुपये ने किसी प्रकार स्थिति सम्भाल ली । सुनीता का गर्भपात कराया गया । उसने स्कूल छोड़ दिया और फिर कभी पढाई-लिखाई की ओर झांक कर भी नहीं देखा । बेटे, जिस बात ने मेरा दिल दहला दिया था, वह यह थी कि जो कुछ सुनीता ने किया था, उसके लिये वह कतई शर्मिंदा नहीं थी ।"
"फिर ?" - सुनील ने मन्त्रमुग्ध स्वर में पूछा ।
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