Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
08-08-2020, 01:18 PM,
#69
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 59

सलोनी ने अंकल को बुलाकर गेट लॉक नहीं किया था…क्या किस्मत थी यार…??
और मैं बहुत हल्के से दरवाजा खोलकर अंदर झांकने लगा…और मेरी बांछें खिल गई…अंदर… इस कमरे में कोई नहीं था… शायद दोनों बैडरूम में ही चले गए थे…
बस मैंने चुपके से अंदर घुस दरवाजा फिर से वैसे ही भिड़ा दिया और चुपके चुपके बैडरूम की ओर बढ़ा…मन में एक उत्सुकता लिए कि जाने क्या देखने को मिले…????
कमरे में प्रवेश करते हुए एक डर सा भी था..लो कर लो बात… अपने ही घर में घुसते हुए डर लग रहा था मुझे..जबकि पड़ोसी मेरी बीवी के साथ बेधड़क मेरे बेडरूम में घुसा हुआ था और ना जाने क्या-क्या कर रहा था…
मैं बहुत धीमे क़दमों से इधर उधर देखते हुए आगे बढ़ रहा था कि कहीं कोई देख ना ले !सच खुद को इस समय बहुत बेचारा समझ रहा था…
मुझे अच्छी तरह याद है करीब एक साल पहले एक पारिवारिक शादी के कार्यक्रम में भी सलोनी को साड़ी नहीं बंध रही थी तब उसके ताऊ जी ने उसकी मदद की थी…
पर उस समय मैं नहीं देख पाया था कि कैसे उन्होंने सलोनी को साड़ी पहनाई क्योंकि ताऊजी ने सबको बाहर भेज दिया था और मैंने या किसी ने कुछ नहीं सोचा था…क्योंकि ताऊजी बहुत आदरणीय थे…
मगर अब अरविन्द अंकल को देखने के बाद तो किसी भी आदरणीय पर भी भरोसा नहीं रहा था…फ़िलहाल किसी तरह मैं बेडरूम के दरवाजे तक पहुंचा, दरवाजे पर पड़ा परदा मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं था…
इसके लिए मैंने मन ही मन अपनी जान सलोनी को धन्यवाद दिया क्योंकि ये मोटे परदे उसी की पसंद थे जो आज मुझे छिपाकर उसके रोमांच को दिखा रहे थे.
अंदर से दोनों की आवाज आ रही थी, मैंने अपने को पूरी तरह छिपाकर परदे को साइड से हल्का सा हटा अंदर झाँका…देखने से पहले ही मेरा लण्ड पैंट में पूरी तरह से अपना सर उठकर खड़ा हो गया था, उसको शायद मेरे से ज्यादा देखने की जल्दी थी.
अंदर पहली नजर मेरी सलोनी पर ही पड़ी, माय गॉड.. यह ऐसे गई थी आज?पूरी क़यामत लग रही थी मेरी जान…उसने अभी भी जीन्स और टॉप ही पहना था…
पर्पल रंग की लोवेस्ट जींस और सफ़ेद शर्ट नुमा टॉप जो उसकी कमर तक ही था… टॉप और जींस के बीच करीब 6-7 इंच का गैप था जहाँ से सलोनी की गोरी त्वचा दिख रही थी…सलोनी की पीठ मेरी ओर थी इसलिए उसके मस्त चूतड़ जो जींस के काफी बाहर थे वो दिख रहे थे…
अब मैंने उनकी बातें सुनने का प्रयास किया…
अंकल- अरे बेटा तू चिंता ना कर… मैं सब सेट कर दूंगा…
सलोनी- हाँ अंकल, आप कितने अच्छे हो मगर भाभी की यह साड़ी मैं कैसे पहनूँगी?
अंकल- अरे मैं हूँ ना… तू ऐसा कर, तेरे पास जो भी पेटीकोट और ब्लाउज हों वो लेकर आ… मैं अभी मैच कर देता हूँ… देखना तू कल स्कूल में सबसे अलग लगेगी…
सलोनी- हाँ अंकल… मैं भी चाहती हूँ कि मेरी जॉब का पहला दिन सबसे अच्छा हो ! मगर इस साड़ी ने सब गड़बड़झाला कर दिया..
अंकल- तू जो साड़ियाँ लाई है.. हैं तो सब बढ़िया…
सलोनी- हाँ अंकल, मगर इनके ब्लाउज, पेटीकोट तो कल शाम तक ही मिलेंगे ना… बस कल की चिंता है…
सलोनी बेडरूम में ही अपनी कपड़ों के रैक में खोजबीन सी करने लगी…
मुझे याद है कि उसके पास कोई 3-4 ही साड़ियाँ थीं.. जो उसने शुरू में ही ली थी… और सभी फंक्शन में पहनने वाली हैवी साड़ियां थीं.. जो रोज रोज नहीं पहन सकते… शायद इसीलिए वो परेशान थी..तभी सलोनी अपनी रेक के सबसे नीचे वाले भाग को देखने के लिए उकड़ू बैठ गई…
मैंने साफ़ देखा कि उसकी जींस और भी नीचे खिसक गई और उसके चूतड़ लगभग नंगे देख रहे थे…अब मैंने अंकल को देखा,वो ठीक सलोनी के पीछे ही खड़े थे और उनकी नजर सलोनी के नंगे चूतड़ों की दरार पर ही थी…
फिर अचानक अंकल सलोनी के पीछे ही बैठ गए..मुझे नजर नहीं आया मगर शायद उन्होंने अपना हाथ सलोनी के उस नंगे भाग पर ही रखा था…
अंकल- क्यों, आज तू ऐसे ही पूरा बजार घूम कर आ गई बिना कच्छी के? देख सब नंगे दिख रहे हैं…
सलोनी- हाँ हाँ… लगा लो फिर से हाथ बहाने से… आप भी ना अंकल… तो क्या हुआ?? सब आपकी तरह थोड़े ना होते हैं…
अंकल भी किसी से कम नहीं थे, उन्होंने हाथ फेरते हुए ही कहा- अरे मैं भी यही कह रहा हूँ बेटा… सब मेरे तरह शरीफ नहीं होते… मैं तो केवल हाथ ही लगा रहा हूँ… बाकी रास्ते में तो सबने क्या क्या लगाया होगा…सलोनी हाथ में कुछ कपड़े ले जल्दी से उठी…
सलोनी- अच्छा अंकल जी, छोड़ो इन बातों को… आप तो जल्दी से मेरी साड़ी का सेट करो, मुझे बहुत टेंशन हो रही है…तभी कुछ देर तक अंकल और सलोनी ने कपड़ों को उलट पुलट करके कोई एक सेट निकाला..
अंकल- बेटा, मेरे हिसाब से तू इनमें बहुत ठीक लगेगी…
सलोनी- मगर अंकल इस साड़ी के साथ, आपको यह पेटीकोट कुछ गहरा नहीं लग रहा?
अंकल- अरे नहीं बेटा… तू कहे तो मैं तुझको बिना पेटीकोट के ही साड़ी बांधना सिखा दूँ… पर आजकल साड़ी इतनी पारदर्शी हो गई हैं कि सब कुछ दिखेगा…
सलोनी- हाँ हाँ आप तो रहने ही दो… चलो मैं ये दोनों कपड़े पहन कर आती हूँ ! फिर आप साड़ी बांधकर दिखा देना…उसने पेटीकोट और ब्लाउज हाथ में लिये..
अंकल- अरे रुक ना… कहाँ जा रही है बदलने?

कहानी जारी रहेगी.

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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी - by desiaks - 08-08-2020, 01:18 PM

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