RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मेरी आँखे आँसुओं से भीग रही थी और जिंदगी मे पहली बार मेरे दिल से एक शब्द निकला. जिसे मैने रोते हुए छोटी माँ से कहा.
मैं बोला “मम्मी, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. प्लीज़ मम्मी.”
मेरे मूह से मम्मी सुनते ही छोटी माँ का रोना रुक गया और उन्हो ने, अब तक की सारी बातों को भुलाते हुए, मुझसे कहा.
छोटी माँ बोली “तूने अभी क्या कहा, ज़रा फिर से बोल.”
मैं बोला “प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.”
छोटी माँ बोली “नही, ये नही. तूने अभी मुझे क्या कह कर बुलाया था.”
मैं बोला “मम्मी.”
मेरी बात सुनकर छोटी माँ की आँखों की नमी एक बार फिर से वापस आ गयी. जो मुझे उनकी बातों से समझ मे आ रही थी. वो मुझसे कह रही थी.
छोटी माँ बोली “इतनी सी बात कहने मे, तूने इतने साल लगा दिए. मेरे कान कब से तेरे मूह से ये शब्द सुनने को तड़प रहे थे.”
ये बात बोलते हुए छोटी माँ बहुत भावुक हो गयी थी और उन्हे भावुक देख कर, मैं भी भावुक हो उठा. मैने उन से कहा.
मैं बोला “हाँ मम्मी, आप ही मेरी माँ हो. आपके सिवा इस दुनिया मे मेरा कोई नही है. प्लीज़ अपने इस नालयक बेटे को माफ़ कर दो.”
मेरी आँखे अभी भी आँसुओं मे भीगी हुई थी. मगर मेरी बातों से छोटी माँ को जो खुशी मिली थी. वो उनकी बातों से झलकने लगी. उन्हो ने मुझे चुप करते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “चुप कर पगले. क्या फिर मुझे रुलाएगा. खबरदार जो कभी अपने आपको नालयक कहा. तू तो मेरा प्यारा बेटा है.”
छोटी माँ की बात सुनकर, मेरे चेहरे पर खुशी आ गयी. मैने अपने आँसू पोन्छ्ते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी मम्मी. अब कभी ऐसी बात नही करूगा. अब आप मुझसे नाराज़ तो नही हो ना.”
छोटी माँ बोली “नही, बिल्कुल नही हूँ. बल्कि आज तो मैं बहुत खुश हूँ. आज तूने मुझे वो खुशी दी है. जिसके लिए मैं बरसों से तरस रही थी. यदि आज तू मेरे पास होता तो, मैं अभी तुझे अपने गले से लगा लेती. मेरा दिल तुझे गले लगाने के लिए बहुत तड़प रहा है.”
मैं बोला “मम्मी, मुझे भी आपकी बहुत याद आ रही थी. इसलिए जब आपने कॉल उठाने मे देर की तो, मुझे गुस्सा आ गया और मैं गुस्से मे ये सब कह गया.”
छोटी माँ बोली “लेकिन आज तुझे हुआ क्या है. तू इतना परेशान सा क्यो है.”
मेरी अभी छोटी माँ से बात चल ही रही थी कि, तभी दूसरे मोबाइल पर कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने उसका कॉल काट दिया और फिर छोटी माँ से बात करने लगा. मैने छोटी माँ से कहा.
मैं बोला “नही, मम्मी, जैसा आप सोच रही है. ऐसी कोई बात नही है. बस मुझे आज आपकी बहुत याद आ रही थी.”
लेकिन मेरी इस बात का छोटी माँ पर कोई असर नही पड़ा. उन ने मेरी परेसानी का कारण जानने की कोसिस करते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “अब तू मुझे बहलाने की कोसिस मत कर. क्या मैं नही जानती कि, तुझे इतनी ज़्यादा अपनी माँ की कमी कब अखरती है. बचपन से तुझे इतना बड़ा ऐसे ही नही कर दी हूँ. मैं तेरी रग रग से वाकिफ़ हूँ. सच सच बता, क्या बात तुझे परेशान कर रही है.”
आख़िर मे मुझे छोटी माँ की ज़िद के सामने झुकना ही पड़ा. मैने उन्हे प्रिया की तबीयत और अंकल के रोने के बारे मे बताया. छोटी माँ मेरी मन की बात समझ गयी थी. इसलिए उन्हों ने इस बात को आगे ना बढ़ा कर, मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.
छोटी माँ बोली “छोड़ इस बात को और मेरी एक बात का सच सच जबाब दे.”
मैं बोला “जी, पुछिये.”
छोटी माँ बोली “पहले वादा कर कि, मैं जो पुछुगि. तू सच सच जबाब देगा.”
मैं बोला “इसमे वादा करने की क्या ज़रूरत है. क्या मैने कभी आपसे कुछ झूठ कहा है.”
छोटी माँ बोली “हाँ ये बात तो है. तू मुझसे कभी झूठ नही बोलता.”
मैं बोला “तो फिर पुछिये, आपको क्या पुच्छना है.”
छोटी माँ बोली “अच्छा ये बता, तुझे अमि निमी मे से कौन ज़्यादा प्यारा है.”
छोटी माँ का सवाल सुनकर एक पल के लिए तो मेरा दिमाग़ चकरा गया. लेकिन दूसरे ही पल मैने उन पर भड़कते हुए कहा.
मैं बोला “आप ये कैसा बेतुका सवाल पुच्छ रही है. भला ये भी कोई सवाल हुआ. पुच्छना ही है तो, कोई ढंग का सवाल पुछिये.”
छोटी माँ बोली “सवाल तो मेरा यही है. यदि तू जबाब देने से डरता है तो, जबाब मत दे.”
छोटी माँ मुझे चने के झाड़ पर चढ़ा रही थी और मैं चढ़ता जा रहा था. मैने ताव मे आकर कहा.
मैं बोला “यदि आपका सवाल यही है तो, मेरा जबाब भी सुन लीजिए. मुझे दोनो ही प्यारी है. यदि एक मेरा दिल है तो, दूसरी उस दिल की धड़कन है. ना तो कोई दिल के बिना रह सकता है और ना धड़कन के बिना रह सकता है. अब मिल गया आपको आपके सवाल का जबाब.”
छोटी माँ बोली “ये भी भला कोई जबाब हुआ. साफ साफ बोलो दोनो मे से कौन ज़्यादा प्यारा है.”
मैं बोला “जबाब तो मैने दे दिया. अब आप खुद ही फ़ैसला कर लीजिए कि, दिल ज़्यादा ज़रूरी होता है या फिर धड़कन ज़्यादा ज़रूरी होती है.”
ये बोल कर मैं अपनी जीत पर हँसने लगा. उन्हो ने मुझे हंसते हुए देख कर, मूह बनाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “तूने मुझे मेरी बात का जबाब नही दिया ना. ठीक है, आज के बाद मैं तुझसे कुछ भी नही पुछुगि.”
छोटी माँ की इस बात से मुझे ऐसा लगा कि वो मुझसे नाराज़ हो गयी है. इसलिए मैने उन्हे मनाते हुए कहा.
मैं बोला “मैं कब आपकी बात का जबाब देने से मना कर रहा हूँ. लेकिन आप बेकार का सवाल कर रही हो. आपको जिसके बारे मे भी पुच्छना है, आप पुच्छ लो. लेकिन अमि निमी के बारे मे मेरा वही जबाब रहेगा, जो मैने अभी आपको दिया है.”
ये बात कहने के बाद मुझे लग रहा था कि, अब छोटी माँ मुझसे ऐसा कोई सवाल नही करेगी. लेकिन ऐसा सोचना मेरी भूल थी. क्योकि छोटी माँ ने अमि निमी की बात तो, सिर्फ़ मुझे अपनी बातों के जाल मे उलझाने के लिए की थी. असली बात तो वो अब पुच्छने वाली थी. उन्हो ने मेरी बात सुन कर कहा.
छोटी माँ बोली “रहने दे, मुझे कुछ नही पुछ्ना. तू फिर से गोल मोल जबाब देकर मेरा मूड खराब करेगा.”
मैं बोला “नही मम्मी, आप पुछो. अब मैं आपका मूड खराब नही करूगा.”
छोटी माँ बोली “ठीक है, तू कहता है तो, पुच्छ ही लेती हूँ.”
ये कह कर छोटी माँ थोड़ी देर कुछ सोचती रही. फिर उन्हो ने कहा.
छोटी माँ बोली “अच्छा ये बता, यदि तुझसे तेरे पापा और मुझ मे से, किसी एक को चुनने को कहा जाए तो, तू किस को चुनेगा और क्यो चुनेगा.”
छोटी माँ का ये सवाल सुनकर मुझे हँसी आ गयी. मैं अपनी हँसी रोक ना पाया और मैने हंसते हुए कहा.
मैं बोला “आज आपको क्या हो गया है. कैसे बच्चों जैसे सवाल किए जा रही हो.”
छोटी माँ बोली “मेरे सवाल बच्चों जैसे है तो क्या हुआ. तू उन बच्चों जैसे सवालों का भी तो, सही से जबाब नही दे पा रहा है.”
मैं बोला “इसमे जबाब क्या देना. क्या आप इतना भी नही समझती कि, एक बच्चे के लिए उसकी माँ से बढ़ कर कुछ नही होता.”
छोटी माँ बोली “मैं क्या समझती हूँ और क्या नही, ये तू मुझ पर छोड़ दे. तू बस अपना जबाब दे कि, तू अपने पापा और मुझ मे से किसको चुनेगा और क्यो चुनेगा.”
मैं बोला “मैं आपको चुनुगा.”
छोटी माँ बोली “ऐसे नही, ज़रा अच्छे से सोच कर जबाब दे.”
मैं बोला “इसमे सोचना क्या है. मैं हर हाल मे आपको ही चुनुगा.”
छोटी माँ बोली “ये तूने इतनी आसानी से इसलिए बोल दिया है. क्योकि अभी तेरे पापा, तुझसे बिल्कुल प्यार नही करते. मगर मान ले, वो तुझे बहुत प्यार करने लगे, तब तू दोनो मे किसको चुनेगा.”
एक पल को पापा के प्यार ना करने वाली बात मेरे दिल को चुभ गयी. मुझे ऐसा लगा जैसे छोटी माँ ने मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया. कुछ देर के लिए मैं सच मे सोच मे पड़ गया. मगर अगले ही पल मेरे दिल ने अपना फ़ैसला सुना दिया. मैने छोटी माँ से कहा.
मैं बोला “पापा मुझे कितना ही प्यार क्यो ना कर लें. मगर मैं दोनो मे से, आपको ही चुनुगा.”
छोटी माँ बोली “ऐसा क्यो, क्या तेरे लिए तेरे पापा के प्यार का कोई मोल नही है.”
मैं बोला “आपके सवाल का जबाब तो मैने दे दिया. फिर इसमे क्यो वाली बात कहाँ से आ गयी.”
छोटी माँ बोली “नही, अभी मेरे सवाल का पूरा जबाब तूने नही दिया. मैने पुछा था की, किसको चुनेगा और क्यो चुनेगा. यदि तू वजह नही बताता है तो, मैं यही समझुगी कि, तू झूठ बोल रहा है और ये बात तूने सिर्फ़ मेरा दिल रखने के लिए कही है.”
मैं बोला “मुझे कोई झूठ बोलने की ज़रूरत नही है. मैने जो कहा वही सच है. दुनिया मे आपसे बढ़ कर मेरे लिए कुछ भी नही है. पापा क्या, दुनिया मे कोई भी, कभी आपकी जगह नही ले सकता. आपके प्यार से बढ़ कर मेरे लिए कुछ भी नही है और आपको चुनने के लिए मुझे कभी भी सोचने की ज़रूरत नही है. भला एक बेटे के लिए, उसकी माँ से भी बढ़ कर कुछ होता है क्या.”
ये कह कर मैं छोटी माँ के जबाब का इंतजार करने लगा. मुझे लग रहा था कि, मेरे इस जबाब के बाद, छोटी माँ के पास कहने को कुछ नही रहेगा. लेकिन ऐसा नही हुआ. उन्हो ने मेरी बात सुनकर कहा.
छोटी माँ बोली “जब तेरे लिए, तेरी माँ से बढ़ कर कुछ नही है तो, फिर तू अपने पापा के प्यार की कमी को क्यो महसूस करता है. क्या मैं, तुझे प्यार नही करती या फिर मेरे प्यार मे कुछ कमी है.”
छोटी माँ की बात सुनकर मैं सन्न रह गया. मेरे पास उनकी इस बात का कोई जबाब नही था और मैं खामोश रहने के सिवा कुछ ना कर सका. मुझे खामोश देख कर उन्हो ने फिर कहा.
छोटी माँ बोली “क्या हुआ, कुछ बोलता क्यो नही. क्या सच मे मैं तुझे प्यार नही करती या फिर मेरे प्यार मे कुछ कमी है.”
मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो चुका था और ये बात भी मेरे समझ मे आ चुकी थी कि, इतनी देर से छोटी माँ, बच्चों की तरह की बातें क्यो कर रही थी. मैने उन के सामने अपनी ग़लती मानते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी मम्मी, मैं ग़लत था, जो उस बात को लेकर इतना दुखी हो गया. आपके प्यार मे कभी कोई कमी नही रही. मैं ही नासमझ था, जो इस बात को पहले ना समझ सका कि, मेरे पास तो दुनिया का सबसे अनमोल प्यार है. जिसकी बराबरी किसी का भी प्यार नही कर सकता. मुझसे खुशनसीब तो इस दुनिया मे कोई दूसरा नही होगा. जिसे इतना प्यार करने वाली माँ मिली हो.”
मेरी बात सुनकर छोटी माँ ने एक ठंडी साँस ली. उन्हे इस बात की खुशी थी कि, जो बात वो मुझे समझाना चाहती थी, वो बात मैं समझ गया. उन्हों ने आगे मुझे समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “देख जो हुआ, उसे भूल जा. लेकिन मेरी एक बात हमेशा याद रखना. इस दुनिया मे, किसी के पास भी, सब कुछ नही रहता. हर इंसान को, किसी ना किसी बात की कमी रहती ही है. लेकिन खुश सिर्फ़ वो ही इंसान रहता, जो अपनी कमियों को नही, बल्कि उन चीज़ों को देखता है, जो उसे जिंदगी मे हासिल है.”
“इसलिए जब कभी भी तुझे, अपनी जिंदगी मे, किसी कमी का अहसास हो तो, सिर्फ़ उन चीज़ों की तरफ देखना, जो तुझे जिंदगी मे हासिल है. तब तुझे कभी किसी चीज़ की कमी से दुख नही होगा.”
ये बोल कर छोटी माँ चुप हो गयी. मैने उन्हे इस बात का विस्वास दिलाया कि, मैं उनकी बात को समझ चुका हूँ और अब कभी उन्हे शिकायत का मौका नही दूँगा. फिर छोटी माँ से थोड़ी बहुत हल्की फुल्की बातें करने के बाद मैने फोन रख दिया.
छोटी माँ से बात करने के बाद मैं अपने आप मे एक नयी ताज़गी महसूस कर रहा था. मुझे अब सिर्फ़ कीर्ति के कॉल के तनाव के सिवा कोई तनाव नही था. क्योकि मैं जब छोटी माँ से बात कर रहा था. तब वो मेरे दोनो मोबाइल पर कॉल लगाती जा रही थी.
मैने दूसरे मोबाइल पर उसका कॉल दो तीन बार काटा, उसके बाद भी उसका कॉल आता रहा. वो उस समय शायद अपने रूम मे रही होगी. इसलिए उसे ये समझ मे नही आया कि, मैं छोटी माँ से बात कर रहा हू.
खैर मेरे लिए ये कोई ज़्यादा तनाव वाली बात नही थी. इसलिए मैं मेहुल को कॉल लगाकर उस से बात करने लगा. इतनी देर तक मेरे हॉस्पिटल मे नज़र ना आने की वजह से, मेहुल को लगा था कि, मैं घर जा चुका हूँ और वो कुछ देर बाद अंकल के पास चला गया था.
मेहुल ने मुझसे घर जाने को कहा तो, मैने कह दिया कि, जब तक प्रिया सो कर नही उठती है, तब तक मैं यही रहुगा. फिर थोड़ी बहुत बात करने के बाद मैने फोन रख दिया.
मैने घड़ी देखी तो 5 बज चुका था. मुझे दादा जी लोगों के पास से आए बहुत देर हो गयी थी. इसलिए अब मैं उपर उन लोगों के पास जाना चाहता था. मगर उसके पहले कीर्ति से बात करना भी ज़रूरी था. वरना उपर पहुचते ही उसका कॉल आ सकता था.
यही सोच कर, मैने कीर्ति को कॉल लगा दिया. लेकिन जब दो तीन बार कॉल जाने के बाद भी कीर्ति ने कॉल नही उठाया तो, मुझे लगा शायद वो किसी काम मे बिज़ी है. इसीलिए मैने उसे कॉल लगाना बंद किया और सबके पास उपर हॉस्पिटल मे चला गया.
मैने वहाँ पहुच कर, दादा जी से प्रिया की तबीयत का पता किया. प्रिया अभी भी दवा के असर से सो ही रही थी. मैं भी सबके साथ वहाँ बैठ कर, प्रिया के जागने का इंतजार करने लगा.
सब आपस मे कुछ ना कुछ बात कर रहे थे. लेकिन निक्की बिल्कुल खामोश थी. मैने एक दो बार उस से बात करने की कोसिस की, मगर वो मेरी किसी भी बात का सही से जबाब नही दे रही थी.
शायद अभी भी निक्की की नाराज़गी दूर नही हुई थी. उसका नाराज़ होना जायज़ था, मगर फिर भी मुझे, उसकी ये नाराज़गी अच्छी नही लगी और मैं वेटिंग लाउंज से बाहर निकल आया.
बाहर पोर्च मे आकर मैं कीर्ति को कॉल लगाने लगा. मगर अभी भी कीर्ति कॉल नही उठा रही थी. अब मुझे समझते देर नही लगी कि, कीर्ति शायद उसका कॉल ना उठाए जाने की वजह से, मुझसे नाराज़ है और इसी गुस्से मे, वो कॉल नही उठा रही है.
आज का दिन, मेरे लिए बहुत ही अजीब था. जहाँ जा रहा था, सबकी नाराज़गी मोल ले रहा था. यदि आज छोटी माँ भी मुझसे नाराज़ हो गयी होती तो, ये दिन मेरे लिए एक मनहूस दिन ही कहलाता.
लेकिन छोटी माँ से बात करके मुझे जो शुकून मिला था. उसने मेरे अंदर एक विस्वास जगा दिया था और मुझे एक नयी ताक़त दी थी. जिसे महसूस करने के बाद, मुझे ये सब बातें बहुत छोटी लगने लगी थी.
मुझे विस्वास था कि, कीर्ति और निक्की की नाराज़गी को दूर करना कोई बड़ी बात बही है. अपने इसी विस्वास के चलते मैने अपना मोबाइल निकाला और मेहुल के मोबाइल से लिए हुए शायरी वाले एसएमएस देखने लगा.
उसमे मुझे नाराज़गी के उपर दो एसएमएस मिल गये. उन मे से मैने एक एसएमएस कीर्ति को और दूसरा एसएमएस निक्की को सेंड कर दिया.
कीर्ति को सेंड किया एसएमएस
“ना रुलाना बुरा है,
ना सताना बुरा है,
बस ज़रा ज़रा सी बात पर,
तेरा रूठ जाना बुरा है.”
निक्की को सेंड किया एसएमएस
“दोस्त दोस्त से कभी खफा नही होते,
दिल दिल से कभी जुदा नही होते,
भुला देना हमारी कमियों को,
क्योकि इंसान कभी खुदा नही होते.”
कीर्ति और निक्की को एसएमएस सेंड करने के बाद, मैने एक ठंडी साँस ली और फिर वही पोर्च मे रखी चेयर पर बैठ गया. थोड़ी ही देर बाद मुझे निक्की वेटिंग लाउंज से बाहर निकलती दिखी.
मैं वेटिंग लाउंज के बिल्कुल सामने ही बैठा था. इसलिए लाउंज से बाहर निकलते ही निक्की की नज़र मुझ पर पड़ गयी और वो सीधे मेरे पास आने लगी. लेकिन निक्की के मेरे पास पहुचने से पहले ही कीर्ति का एसएमएस आ गया.
कीर्ति का मेसेज
“कोई रूठे यहाँ तो कौन मनाने आता है,
रोनेवाला खुद ही चुप हो जाता है,
दुनिया भूल जाए तो कोई गम नही होता,
जब अपने भूल जाए तो रोना आता है.”
मैं जब तक एसएमएस पढ़ता रहा, तब तक निक्की मेरे पास आकर खड़ी हो गयी थी. तभी मेरे दिमाग़ मे निक्की को मनाने का एक तरीका आया और मैने अपना मोबाइल उसकी तरफ बढ़ा दिया.
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