RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मुझे इतना तो समझ आ रहा था कि, शायद कोई कीर्ति के पास आ गया है. इसलिए वो बात करते करते चुप हो गयी है. लेकिन मैं ये नही समझ पा रहा था कि, उसके पास इतनी रात को कौन आ सकता है.
क्योकि अमि निमी मे से किसी के आने से उसके चुप होने का सवाल ही पैदा नही होता था. वो किसी भी तरह से अमि निमी बहला सकती थी. ऐसे मे मेरे दिमाग़ मे बस एक ही चेहरा आया. जिसकी वजह से कीर्ति इस तरह से चुप हो सकती थी और वो चेहरा, मेरे पापा का चेहरा था.
पापा का चेहरा मेरे दिमाग़ मे आते ही, मेरा चेहरा गुस्से मे लाल हो गया और मेरा हाथ खुद बा खुद अपने दूसरे मोबाइल की तरफ बढ़ गया. मैने छोटी माँ को कॉल लगाने के लिए अपना मोबाइल उठा लिया.
लेकिन इसके पहले कि मैं छोटी माँ को कॉल लगा पाता. मुझे कीर्ति के मोबाइल मे एक जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी. ये आवाज़ आंटी की थी. उन्हो ने शायद कीर्ति के बिल्कुल पास आकर, गुस्से मे उस से कहा.
आंटी बोली “ये इतनी रात को तू फोन पर किसके साथ बात कर रही है.”
अब तक कीर्ति अपने आपको संभाल चुकी थी. उसने मुस्कुरा कर आंटी की बात का जबाब देते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे आप इतना गुस्सा क्यो कर रही है. मैं तो पुन्नू से बात कर रही हूँ.”
मेरा नाम सुनते ही आंटी का गुस्सा शांत हो गया और उन्हो ने नरम होते हुए कीर्ति से कहा.
आंटी बोली “लेकिन तुम लोग इतनी रात तक फोन पर क्यो लगे हुए हो. क्या कल तुझे स्कूल नही जाना है.”
कीर्ति ने आंटी की इस बात के जबाब मे बड़ी ही मासूम बनते हुए कहा.
कीर्ति बोली “आंटी, मुझे तो नींद आ रही थी. लेकिन पुन्नू ने कहा कि, उसे बहुत ज़रूरी बात करना है. इस से पहले कि वो अपनी ज़रूरी बात बोल पाता कि, आप आ गयी. अब आप ही उस से पुच्छ लीजिए कि, उसे मुझसे क्या ज़रूरी बात करनी है.”
कीर्ति की बात सुनकर, आंटी मुझसे बात करने से मना करती रही. लेकिन उसने जबबर्दस्ती मोबाइल आंटी को पकड़ा दिया और मोबाइल हाथ मे आते ही आंटी ने मुझसे कहा.
आंटी बोली “क्या हुआ. वहाँ सब ठीक तो है ना.”
मैं बोला “जी, आंटी यहाँ सब ठीक है.”
आंटी बोली “फिर तुझे इतनी रात को क्या ज़रूरी बात करनी थी.”
आंटी की ये बात सुनकर, मुझे कीर्ति पर गुस्सा आ रहा था. उसने बेकार मे ही मुझे फसा दिया था. फिर भी मैने आंटी की बात का जबाब सोचते हुए, उन्हे अजय और शिखा की शादी की बात बता कर कहा.
मैं बोला “बस आंटी ये ही बात बताने के लिए मैने कीर्ति को इतनी रात को कॉल लगाया था.”
आंटी बोली “लेकिन ये इतनी बड़ी बात भी तो नही है. ये बात तो तू सुबह भी बता सकता था.”
आंटी का कहना भी सही था. क्योकि मैने भी यही सोच कर, रात को छोटी माँ से ये बात कॉल लगा कर नही की थी. लेकिन तभी मेरा दिमाग़ समय पर चल गया और मैने आंटी से कहा.
मैं बोला “आंटी, आप तो कुछ समझ ही नही रही है. शिखा मेरी बहन है. उसकी शादी मे मुझे भी तो कोई गिफ्ट देना होगा ना. अब यहाँ रात को जागने की वजह से मेरा सोने और जागने का समय बदल गया है. इसी वजह से अभी मैने ये बात कीर्ति को बता रहा था. ताकि वो सुबह आप लोगों को ये बात बता दे और आप सुबह मेरे जागने से पहले देने के लिए कोई गिफ्ट सोच कर रखे.”
आंटी को ये बात बोलने के बाद, मैने एक ठंडी साँस ली. अब मुझे यकीन हो गया था कि, ये बात सुनने के बाद आंटी मुझसे कोई सवाल नही करेगी और हुआ भी ऐसा ही है. आंटी ने इसके बाद मुझसे कोई सवाल नही किया और मुझे समझाते हुए कहा.
आंटी बोली “तू इस बात की ज़रा भी फिकर मत कर. मैं सुबह सुनीता को सब बता दुगी और तेरे जागने से पहले कोई गिफ्ट भी सोच कर रख लुगी. अब तू आराम से सो जा.”
मैं बोला “जी आंटी.”
इसके बाद आंटी ने फोन कीर्ति को दे दिया और उसे भी जल्दी सो जाने का बोल कर अपने कमरे मे चली गयी. उनके जाते ही सबसे पहले कीर्ति ने कमरे का दरवाजा बंद किया और फिर कॉल पर आकर कहा.
कीर्ति बोली “अब बोलो कैसी रही.”
मैं बोला “बहुत बुरी रही. तूने आख़िर अपनी बात का बदला ले ही लिया ना.”
कीर्ति बोली “अरे नही नही. तुम ये क्या बोल रहे हो. मैं भला तुमसे क्यो बदला लेने लगी.”
मैं बोला “बदला नही तो ये और क्या था. जब आंटी मुझसे बात करना नही चाहती थी तो, फिर तूने उनसे मेरी ज़बरदस्ती बात क्यो करवाई.”
कीर्ति बोली “तुम ठीक से समझे नही कि, मैने ऐसा क्यो किया है. यदि आंटी ने तुमसे बात नही की होती तो, उनके मन मे कही ना कही ये बात दबी रह जाती कि, मैं फोन पर किसी से बात कर रही थी. लेकिन अब उन्हो ने तुमसे बात कर ली है तो, अब उनके मन मे ऐसी कोई बात नही रह जाएगी और ये बात यही ख़तम हो जाएगी.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैं भी दंग रह गया. उसने सच मे बहुत दूर की बात सोची थी. इसके बाद मेरी कीर्ति से यहाँ वहाँ की बातें होती रही. वो कॉल रखने को तैयार नही हो रही थी. मगर उसे स्कूल के लिए सुबह जल्दी उठने की वजह से मैने उसको ज़्यादा देर तक जगाना ठीक नही समझा और रात को 1:30 बजे गुड नाइट कह हम सो गये.
मैं सुबह 8 बजे तक सोता रहा. आज मुझे हॉस्पिटल नही जाना था. इसलिए शायद निक्की ने भी मुझे जगाना ठीक नही समझा था. सोकर उठते ही मैने मोबाइल उठा कर, देखा तो, कीर्ति के 2 कॉल थे.
शायद उसने भी मेरी थकान को देखते हुए, मुझे उठाने की ज़्यादा कोसिस नही की थी. अब उसको कॉल लगाने का कोई मतलब नही था. क्योकि ये समय उसके स्कूल का था. इसलिए मैं उठ कर फ्रेश होने चला गया.
फ्रेश होने के बाद, मैने निक्की को कॉल लगा कर चाय के लिए बताया और फिर मैं तैयार होने लगा. थोड़ी देर बाद मुझे किसी के दरवाजा खटखटने की आवाज़ सुनाई दी. मैने दरवाजा खोला तो, सामने प्रिया चाय लेकर खड़ी थी. प्रिया को देखते ही मैने फ़ौरन उसके हाथ से चाय लेते हुए कहा.
मैं बोला “ये क्या है प्रिया. तुम्हे ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. अभी तुमको आराम की ज़रूरत है और तुम ऐसे काम करती फिर रही हो.”
लेकिन मेरे ये बात बोलते ही, प्रिया मुस्कुराने लगी और फिर उसने बाहर झाँक कर देखा तो, निक्की मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी और हँसते हुए कहने लगी.
निक्की बोली “चाय तो मैं लेकर आई हूँ. प्रिया तो सिर्फ़ लेकर खड़ी हो गयी थी. फिर भी आपको इसकी इतनी फिकर हो रही है.”
मगर मैं निक्की की इस बात का कोई जबाब दे पाता. इस से पहले ही प्रिया ने हांस कर, अपना जाना पहचाना डाइलॉग मारते हुए कहा.
प्रिया बोली “अब दोस्ती की है तो, निभानी ही पड़ेगी.”
लेकिन मैने इस मज़ाक के उपर से निक्की के उपर भड़कते हुए कहा.
मैं बोला “ये कैसा मज़ाक है. अभी प्रिया को आराम करने की ज़रूरत है और आप इसको यहाँ वहाँ घुमाती फिर रही है.”
मेरी इस बात के जबाब मे निक्की ने अपनी सफाई देते हुए कहा.
निक्की बोली “जैसा डॉक्टर बोलेगा, हम वैसा ही तो करेगे ना.”
मैं बोला “लेकिन निशा भाभी ने साफ साफ कहा था कि, अभी प्रिया को आराम की ज़रूरत है.”
निक्की बोली “हां, उन्हो ने ऐसा कहा था. लेकिन जब उन ने सुबह सुना कि, प्रिया कल से अपने कमरे से बाहर ही नही निकली तो, वो गुस्सा करने लगी. उनका कहना था कि, उन्हो ने प्रिया को आराम करने की सलाह दी है. इसका मतलब ये नही है कि, वो चल फिर नही सकती या अपने कमरे से बाहर ही नही निकल सकती. चलने फिरने और सुबह शाम टहलने से प्रिया की सेहत अच्छी रहेगी. प्रिया को सिर्फ़ ज़्यादा उच्छल कूद करने, बार बार सीडियाँ उतरने चढ़ने और कोई भारी काम करने की मनाही है.”
निक्की की बात सुनकर, मैने भी राहत की साँस ली और फिर दोनो से मज़ाक मे कहा.
मैं बोला “यदि बैठने की मनाही ना हो तो, आप दोनो अंदर आ कर बैठ सकती है.”
मेरी बात सुनकर, दोनो हँसने लगी और अंदर आकर बैठ गयी. फिर हम तीनो आपस मे बात करते हुए, चाय नाश्ता करने लगे. तभी प्रिया की नज़र, शिखा के दिए गिफ्ट पर पड़ी. उसने गिफ्ट के पॅकेट की तरफ इशारा करते हुए कहा.
प्रिया बोली “वो क्या है.”
प्रिया की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “शिखा दीदी, कल शॉपिंग पर गयी थी. वही से ये गिफ्ट मेरे लिए भी ले आई.”
मेरी बात सुनते ही निक्की ने चौुक्ते हुए कहा.
निक्की बोली “शिखा भाभी ने भी आपको गिफ्ट दिया है.”
मैने हैरानी से निक्की की तरफ देखते हुए कहा.
मैं बोला “शिखा भाभी ने भी, से आपका क्या मतलब. मुझे तो बस उन्हो ने ही गिफ्ट दिया है.”
मेरी बात के जबाब मे निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “इस भी का भी मतलब आपको अभी समझ मे आ जाएगा. आप बस 2 मिनट रुकिये.”
ये कहते हुए निक्की मेरे कमरे से बाहर निकल गयी. मैं और प्रिया दोनो ही निक्की की इस बात से हैरान थे. थोड़ी देर बाद ही निक्की वापस आ गयी. उसके हाथ मे 3-4 पॅकेट थे. उसने वो पॅकेट मुझे देते हुए कहा.
निक्की बोली “आपके भी का मतलब ये रहा. आपको शिखा भाभी के अलावा, बाकी सब से भी गिफ्ट मिले है.”
निक्की की बात सुनकर, मैं हैरानी से सारे गिफ्ट देखता रह गया. वही प्रिया ने जब इतने सारे गिफ्ट के पॅकेट देखे तो कहा.
प्रिया बोली “मुझे तो इसके आधे गिफ्ट भी नही मिले है.”
प्रिया की बात सुनकर, निक्की ने भी उसका साथ देते हुए कहा.
निक्की बोली “तुझे क्या, मुझे भी इतने गिफ्ट नही मिले है.”
प्रिया बोली “लेकिन इन सब पॅकेट मे है क्या और ये किस किस ने दिए है.”
निक्की बोली “ये दिए किसने है, ये तो नाम देख कर पता चल जाएगा. लेकिन इसमे है क्या, ये मुझे भी नही मालूम. ये तो गिफ्ट खोलने पर ही पता चल सकेगा.”
प्रिया बोली “ठहरो, मैं अभी सारे गिफ्ट खोल कर देखती हूँ.”
ये कहते हुए उसने बिना मेरा कोई जबाब सुने, सारे गिफ्ट उठा कर अपने पास रख लिया और फिर गिफ्ट खोलना भी सुरू कर दिया. सबसे पहले उसने शिखा वाला ही गिफ्ट खोला. उसमे एक महरूण कलर की धोती और शेरवानी थी. जो बहुत सुंदर लग रही थी. कट दाना, मशीन एमब्राय्डरी, सीक्वेन्स, स्टोन, ज़र्डोसी का काम किया गया था. जो देखने मे बहुत सुंदर लग रहा था.
इसके बाद उसने अजय का दिया हुआ गिफ्ट खोला. उसमे भी शेरवानी ही निकली. लेकिन ये वाइट कलर की पिजामा शेरवानी थी. इसमे कट दाना, सीक्वेन्स, स्टोन, थ्रेड, ज़र्डोसी, जरी का काम बहुत ही सुंदर काम किया गया था और ये देखने से ही इसके कीमती होने का अंदाज़ लगाया जा सकता था.
फिर प्रिया ने अमन का दिया हुआ गिफ्ट खोला. उसमे एक सुंदर सा बेज आंड ब्राउन कलर का 2 पीसस सूट (शर्ट, ट्राउज़र आंड ब्लेज़र) था. अमन अक्सर ऐसे ही सूट पहना करता था. जाहिर है इसलिए उसने मेरे लिए भी ऐसा ही सूट पसंद किया था. वो सूट भी सबको बहुत पसंद आया.
अभी प्रिया निशा का दिया गिफ्ट खोलने ही वाली थी कि, तभी मेहुल, रिया राज भी वहाँ आ गये. वो तीनो भी मुझे मिले गिफ्ट देखने लगे. जब उन्हो ने खुले हुए सारे गिफ्ट देख लिए तो, सब प्रिया से वो आख़िरी गिफ्ट भी खोल कर दिखाने को कहने लगे.
सबकी बात सुनकर, प्रिया आख़िरी मे निशा का दिया हुआ गिफ्ट खोलने लगी. निशा का दिया गिफ्ट खुलते ही सबकी नज़र उसी मे अटक कर रह गयी. निशा ने एक सुंदर सा ब्लॅक आंड ग्रे कलर का 3 पीसस सूट (वेयिस्कट, शर्ट, ट्राउज़र आंड ब्लेज़र) दिया था.
जो यक़ीनन ही पहले के बाकी के तीनो गिफ्ट मे से, कही ज़्यादा सुंदर और आकर्षक लग रहा था. सबको निशा का दिया हुआ सूट बहुत पसंद आया और सब मुझे शादी मे वही सूट पहनने को कहने लगे.
अभी तक मैने सिर्फ़ सुना था कि, ज़्यादा प्यार भी एक मुसीबत ही होता है. लेकिन कल से मुझे ये महसूस भी होने लगा था कि, ज़्यादा प्यार सच मे ही एक मुसीबत होता है. कल खाने को लेकर अज्जि और शिखा मे जो बहस हुई थी. उसे देखने के बाद अब मुझे लग रहा था कि, ये सारे मिले हुए गिफ्ट भी मेरे लिए, एक मुसीबत से कम नही है.
अजय और शिखा का गिफ्ट देना तो मैं समझ सकता था. क्योकि एक मेरा दोस्त था तो, दूसरी मेरी बहन थी. मगर अमन और निशा से तो मेरा कोई सीधा संबंध नही था. फिर भी उन्हो ने मुझे इतना अपनापन और इतने प्यारे गिफ्ट दिए थे.
मुझे ऐसा लग रहा था कि, जैसे ये कोई मीठा सपना हो और उस सपने मे मैं प्यार की दुनिया मे पहुच गया हूँ. जहाँ हर तरफ सिर्फ़ प्यार ही प्यार था. सब ही अपने थे और कोई पराया नही था. मेरे लिए ये यकीन कर पाना मुस्किल हो गया था कि, ये सब सपना नही बल्कि एक हक़ीकत है.
मैं अपनी इस सोच मे गुम था और सब गिफ्ट देख कर, गिफ्ट के बारे मे बातें कर रहे थे. तभी प्रिया की आवाज़ ने मुझे चौका दिया और मैं अपनी सोच से बाहर निकल आया. प्रिया ने निशा का सूट हाथ मे लेकर मुझसे कहा.
प्रिया बोली “निशा भाभी का सूट तुम पर बहुत अच्छा लगेगा. तुम शादी मे ये ही सूट पहनना.”
लेकिन मैने प्रिया की इस बात के जबाब मे हाँ या ना कहने की जगह उस से कहा.
मैं बोला “और बाकी के तीन लोगों के दिए कपड़ों का क्या करूगा.”
प्रिया बोली “इसमे करना क्या है. वो सब फिर कभी पहन लेना. ये सूट बाकी सबसे ज़्यादा अच्छा है और शादी मे ये ही पहनना अच्छा रहेगा.”
मैं बोला “बात अच्छे खराब की नही है. इन सब गिफ्ट मे इनको देने वाले का प्यार छुपा हुआ है. तुम लोगों ने सबके गिफ्ट तो देख लिए, मगर इन गिफ्ट के पिछे छुपि एक बात पर गौर नही किया है.”
मेरी बात सुनकर, सब मेरी तरफ हैरानी से देखने लगे. वही प्रिया ने मुझसे सवाल करते हुए कहा.
प्रिया बोली “कौन सी बात.”
मैं बोला “जैसे अजय और शिखा दीदी के गिफ्ट एक जैसे ही है. वैसे ही अमन और निशा भाभी के गिफ्ट भी एक जैसे ही है. इसका मतलब साफ है कि, अजय जानता था कि, शिखा दीदी मुझे क्या दे रही है. इसलिए उसने मुझे उन से भी बढ़िया गिफ्ट देने की कोशिस की और ऐसा ही निशा भाभी को भी पता होगा कि, अमन मुझे क्या गिफ्ट दे रहा है. इसलिए उन्हो ने भी मुझे अमन से बढ़िया गिफ्ट दिया है.”
मेरी बात सुनकर, जहाँ सबका ध्यान इस बात की तरफ गया. वही निक्की ने तपाक से मेरी बात का समर्थन करते हुए कहा.
निक्की बोली “हां, जब मैं और हेतल अमन भैया के साथ शॉपिंग कर रहे थे. तभी सीरू दीदी ने उनसे कॉल करके पुछा था कि, वो आपको क्या गिफ्ट दे रहे है. तब अमन भैया ने कहा था कि, वो आपको एक सूट दे रहे है. सीरू दीदी ने पूछा कि, कैसा सूट तो अमन भैया ने कहा कि, जैसा मैं पहनता हूँ. अब अमन भैया तो 2 पीसस सूट ही पहनते है. इसलिए शायद निशा भाभी ने आपको ये 3 पीसस सूट दिया है.”
निक्की की इस बात को सुनकर, मैने उस पर चिड़चिड़ाते हुए कहा.
मैं बोला “जब सब आपके सामने मेरे लिए कपड़े ले रहे थे तो, क्या आपसे ये कहते नही बना कि, सबको देने के लिए कपड़े ही लेने की क्या ज़रूरत है.”
मेरी इस बात के जबाब मे निक्की ने सफाई देते हुए कहा.
निक्की बोली “हम सब वहाँ जाकर अलग अलग बँट गये थे. आरू, शिखा भाभी और सेलू दीदी साथ थी. अजय भैया, निशा भाभी और सीरू दीदी साथ थी. मैं और हेतल अमन भैया के साथ थे. इसलिए हमे सिर्फ़ अमन भैया के गिफ्ट के बारे मे ही मालूम था. मुझे लगता है कि, ये सब सीरू दीदी ने ही किया होगा. क्योकि ऐसा शैतानी दिमाग़ चलाना सिर्फ़ उन्ही का काम है. वो हर जगह कुछ ना कुछ झोल करती ही रहती है. उन्हो ने ही शिखा भाभी से भी मालूम कर लिया होगा कि, वो आपको क्या दे रही है और फिर अजय भैया से आपके लिए ये गिफ्ट खरिद्वा दिया होगा.”
निक्की की बात के जबाब मे मैने उस से कहा.
मैं बोला “आपकी सीरू दीदी ने तो, मुझे बहुत बुरा फसा दिया. मेरी समझ मे नही आ रहा कि, अब किसके कपड़े पहनु और किसके कपड़े ना पहनु. अजय और अमन तो फिर भी मेरी परेशानी को समझ ही जाएगे. लेकिन शिखा दीदी और निशा भाभी दोनो मे से कोई भी मेरी परेशानी को नही समझेगा. शिखा दीदी मूह से तो कुछ नही बोलेगी लेकिन आँखों से उनकी गंगा जमुना बहने लगेगी और निशा भाभी तो मुझे मूह से गोली मार देगी.”
मेरी बात सुनकर, सब हँसने लगे. वही मेहुल ने मुझे मेरी परेशानी से निकालने का रास्ता बताते हुए कहा.
मेहुल बोला “मेरे पास एक रास्ता है. जो तुझे इस परेशानी से बचा सकता है.”
मैं बोला “क्या रास्ता है.”
मेहुल बोला “तू अपना बोरिया बिस्तर बाँध ले और फ्राइडे के पहले ही यहाँ से निकल ले. जब तू यहाँ शादी मे रहेगा ही नही तो, फिर तेरे कुछ पहनने का सवाल ही नही पैदा होता.”
मेहुल की बात सुनकर, मैं बुरा सा मूह बना कर, उसे गुस्से मे देखने लगा. वही सब उसकी बात को सुनकर, फिर एक बार ठहाके लगाने लगे. अभी सबके ठहाके लगाने का दौर चल ही रहा था कि, तभी मेरे कमरे के सामने, एक लड़की आकर खड़ी हो गयी और सबका ध्यान, हमारी बातों से हट कर, उस लड़की की तरफ चला गया.
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