RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण की बातें सुन कर दीपा का दिमाग चक्कर खा रहा था। दीपा को समझ नहीं आया की वह तरुण की ऐसी बकवास सुन क्यों रही थी? क्या वह तरुण को एक मिनट में ही "शट अप" नहीं कर सकती थी? दीपा यह सोचने के लिए मजबूर हो गयी की कहीं ऐसा तो नहीं की उसके पति के (मेरे) बार बार कहने से दीपा के मन में ही शायद तरुण से चुदवाने की चाहत जाग उठी थी? कहीं वह खुद ही तो तरुण से चुदवाना नहीं चाह रही थी? तभी तो वह तरुण को इतनी छूट दे रही थी? वरना तरुण की क्या हिम्मत की वह दीपा से इस तरह बात कर सके?
दीपा अपने ही इस प्रश्न का जवाब नहीं दे पायी। तरुण ने अब दीपा को साफ़ साफ़ कह दिया था की वह दीपा को चोदना चाहता था। अब इससे आगे क्या कहने की जरुरत थी? पर दीपाको तरुण को जवाब देना था। दीपा तरुण की बात सुनकर चुप तो नहीं रह सकती थी।
दीपा के पास तीन विकल्प थे। पहला यह की वह तरुण को एक जबरदस्त झटका देकर उसकी बात को एकदम खारिज कर उसकी ग़लतफ़हमी को दूर कर दे। दुसरा यह की वह तरुण की बात का समर्थन करे और उससे चुदवाने के लिए राजी हो जाए। और तीसरा यह की वह उसकी बात का कोई जवाब ना दे, तरुण की गलतफहमी को दूर भी ना करे और उसके सामने घुटने भी ना टेके। मतलब वह तरुण की बात को टाल दे। सब से आसान तरिका तो आखरी वाला ही था। कुछ सोचने के बाद दीपा ने यही बेहतर समझा की फिलहाल तरुण की बात को ज्यादा तूल ना दिया जाए और फिलहाल उसे गोल गोल जवाब दे कर टाल दिया जाए। पर अब लुकाछिपी का भी क्या फायदा जब तरुण ने ही कह दिया था की वह दीपा को चोदना चाहता था?
दीपा ने भी तरुण की हथेली अपने हाथोँ से दबाते हुए कहा, "तरुण, यह क्या दिल्लगी और दिल की लगी की बाल की खाल निकाल रहे हो? ठीक है बाबा तुम क्या चाहते हो यह तुमने कह दिया वह मैंने सूना भी और मैं समझ भी गयी। तुम भी ना सीरियस बातें छोडो यार। आज होली है। तुम ही कह रहे थे ना, की बुरा ना मानो होली है? तुम्हारे भाई मुझे कह रहे थे की आज की रात चलो एन्जॉय करें। तुम्हारे भाई कह रहे थे की वह और तुम आज सेक्स की बातें करना चाहते हो, और वह चाहते हैं की मैं उसमें रोड़ा ना अटकाऊँ। आप मर्दों को तो सेक्स की बातें किये बिना मजा ही नहीं आता। तो ठीक है भाई, चलो, आज की रात तुम दोनों भाई खूब करो सेक्स की बातें। मैं बुरा नहीं मानूंगी। मैं झेल लुंगी। मैं तुम लोगों को नहीं रोकूंगी। खुश? आज की रात कोई सीरियस बात नहीं। ओके?"
जब तरुण ने देखा की दीपा को तरुण की बात सुन कर भी कोई तगड़ा झटका नहीं लगा और उस बात को दीपा ने सुनी अनसुनी कर दी, तो उसका हौसला काफी बढ़ गया।
तरुण ने कहा, "भाभी, आप हमें रोकोगे नहीं ऐसा कहने से काम नहीं चलेगा। आप हमारा साथ भी दोगे ना? भाभी यह मत कहो की आप हमें झेल लोगे? बोलो आप हमारे साथ एन्जॉय भी करोगे ना? प्लीज?"
दीपा ने तरुण से आँखें मिलाकर हिचकिचाते हुए कहा, "भाई यह मुश्किल है। आप दोनों मर्दों का कोई भरोसा नहीं; मौक़ा मिलते ही कहाँ से कहाँ पहुँच जाओ। पर चलो देखेंगे। मैं साथ देने की कोशिश करुँगी। आगे आगे देखिये होता है क्या?" फिर घर की और देख कर दीपा बोली, "तुम्हारे भाई फ़ोन पर लग गए हैं। मैंने उनको उनकी बहन के साथ बात करते हुए सूना। फिर तो उन को काफी कुछ समय लगेगा। चलो कार में बैठ कर बात करते हैं।" ऐसा कह कर अपनी लहराती हुई साड़ी का एक छोर जमीन ना छुए इसलिए अपनी एक बाँह में उठाकर दूसरे हाथ से तरुण का हाथ पकड़ कर कार की और चल पड़ी। दीपा के चेहरे के भाव देख कर तरुण को काफी उम्मीद जगी की भाभी कबुल करे या ना करे पर कहीं ना कहीं तरुण ने दीपा भाभी के मन में सेक्स करने लिए उत्तेजना पैदा कर दी थी। तरुण की चाल काम कर रही थी। मछली जाल में फँसने वाली थी।
तरुण ने कार घर के सामने रास्ते के दुसरी और खड़ी की थी। उस तरफ एक बंजर सा सूना पार्क था। तरुण ने दीपा का दिया हुआ हाथ कस कर थामा और कार के दुसरी और इशारा करते हुए कहा, "भाभी, जब भाई को अभी कुछ समय लगना ही है तो मैं आप से एक और जरुरी बात करना चाहता हूँ। आइये ना उधर चलते हैं। कार के बाहर खुली हवा में कुछ देर बात करते हैं।"
यह कहते हुए की तरुण दीपा को कार की दूसरी और ले गया। शायद वह नहीं चाहता था की मैं जब घर से निकलूं तो एकदम उनको देख पाऊं। दीपा थोड़ी देर के लिए तो असमंजस में रही पर तरुण ने दीपा का हाथ पकड़ उसे हलके से खींचते हुए ले चला तो वह भी चल दी।
कार के दूसरी और जा कर तरुण ने दीपा से कहा, "भाभीजी, मैं बिलकुल सच कहता हूँ की आज आपको इस परिवेश में देख कर पता नहीं मेरे अंदर क्या उथलपुथल हो रही है। भाभी, आप साक्षात कामदेव की पत्नी रति या ऋषि मुनियों का दिल चुराने वाली मेनका लग रही हो। मैं यदि यह कहूं की आप सेक्सी हो तो यह सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा। भाभी अंदर से मैं बहुत दुखी हूँ और पता नहीं आप ना मिली होती तो मैं शायद ख़ुदकुशी तक की बात सोचता रहता था। मुझे आपको अपनी दुःख भरी दास्ताँ सुनाकर आज के इस होली के रोमांटिक रूमानी माहौल को खराब नहीं करना।" आखरी शब्द बोलते हुए तरुण कुछ गंभीर हो गया। दीपा को तरुण के चेहरे पर तनाव दिखाई दे रहा था।
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