मैंने तरुण के स्निग्ध लण्ड, जो तब भी मेरी बीबी की चूत में था और अपना घना और घाड़ा वीर्य दीपा की चूत में उँडेल रहा था; अपनी मुठी मैं लेकर दबाया और मेरी एक उंगली मेरी बीबी की चूत में डाली। मेरी उंगली तरुण के वीर्य से लथपथ थी। दीपा ने मुझे भी तरुण के साथ साथ अपनी बाँहों में जकड लिया।
अब दीपा शर्म का पर्दा पूरी तरह से फाड् चुकी थी। उसने तरुण का और मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और बोली, "तुम दोनों बहुत चालु हो। तुम दोनों ने मिलकर यह मुझे चोदने का प्लान बनाया। हाय माँ मैं भी कितनी गधी निकली की मुझे यह समझ में नहीं आया। डार्लिंग, आज मैं प्रेम मय सेक्स (लविंग सेक्स) का सच्चा मतलब समझ रही हूँ। तुम दोनों ने आज मुझे वह दिया जो शायद मैं कभी पा ने की उम्मीद भी कर नहीं सकती थी। दीपक आप न सिर्फ मेरे प्राणनाथ पति हो। आप एक सच्चे मित्र और जीवन साथी हो। मैं आज यह मानती हूँ की मेरे जहन में कहीं न कहींतरुण से चुदने की कामना थी। पर शर्म और मर्यादा के आगे मैंने अपनी यह कामना दबा रखी थी। शायद दीपक यह भांप गया था। तरुण तो मेरे पीछे पहले से ही पड़ा था। यह तो बिलकुल साफ़ था की वह मुझे चोदना चाहता था।
मैं मेरी बीबी की बात सुन कर हैरान था। मेरी शर्मीली बीबी आज खुल कर बोल रही थी। मैं दीपा को बड़े ध्यान से सुन रहा था। वह बोली, "पर डार्लिंग, यह मत समझना की मैं आज आखरी बार तरुण से चुदवा रही हूँ। तरुण गजब का चुदक्कड़ है। मैं उससे बार बार चुदना चाहती हूँ। तुम्हें मुझे इसकी इजाजत देनीं होगी। जब तुम मुझे तरुण से चुदवानेका प्लान बना रहे थे तब मैंने तुम्हें इसके बारे में आगाह किया था। और हाँ, मैं यह भी जानती हूँ की तुम टीना को चोदना चाहते हो। शायद इसिलए तुम दोनों ने मिलकर यह धूर्त प्लान बनाया। तुम ने सोचा होगा की दीपा को पहले फांसेंगे तो टीना बेचारी को तो हम तीनों मिलकर फांस ही लेंगे। यदि तुमने यह सोचा था तो सही सोचा था। अब मैं तुम्हारे साथ हूँ। जब मैं तुम दोनों से चुद गयी तो टीना कैसे बचेगी? आज मैं भी तुम्हारी धूर्त मंडली में शामिल हो गयी।"
दीपा ने मुझे और तरुण को अपने बाहु पाश में ले लिया। उस रात और उस के बाद कई रातों में हम दोनों ने मिलकर दीपा को खूब चोदा और चोदते रहे। जब तक टीना नहीं आयी तब तक दीपा हम दोनों से जोश से चुदवाती रहीं। कई बार ऐसा भी हुआ की जब तरुण का दीपा को चोदने का बड़ा मन होता था तो वह मेरी गैर हाजरी में तरुण घर पहुँच जाता था और दीपा और तरुण दोनों जमकर चुदाई करते थे। पर यह सब मेरी सहमति से और मुझे बता कर होता था। ज्यादातर तो तरुण और मैं मिलकर ही दीपा को चोदते थे।
टीना कुछ हफ़्तों में वापस आ गयी। हम तीनों ने मिलकर टीना को भी अपने जाल में आखिर फांस ही लिया। पर उसमें हमें काफी मशक्कत भी करनी पड़ी। पर वह फंसने वाली तो थी ही। और फँसी भी। और जब टीना फँसी तो उसने हमें दो मर्दों से एक साथ चुदवाने की एक नयी रीत सिखाई। उसको डी.पी. कहते हैं। डी.पी. मतलब डबल पेनिट्रेशन मतलब औरत के दोनों छिद्र गाँड़ और चूत दोनों में एक साथ एक एक लण्ड लेना। मतलब एक ही साथ दो मर्द एक औरत को चॉद सकते हैं। एक गाँड़ चोदेगा और दुसरा चूत।
वह कैसे फँसी, हमें उसको फाँसने के लिए क्या क्या करना पड़ा, वह एक अलग ही कहानी है। उसके बाद दोनों मर्दों ने मिलकर एक दूसरे की बीबी को खूब चोदा। खूब मजे किये। समय को कोई रोक नहीं सकता। समय बीतता गया। तरुण और टीना कहीं दूर चले गए। हम भी वहाँ से शिफ्ट हो गए। अब तो सिर्फ उनदिनों की याद ही बाकी है। पर हम उन्हें अभी भी भूले नहीं।
मैं मेरे इस अनुभव को छोटी सी सीमा में बाँधना नहीं चाहता। था पर शायद यह कहानी कुछ ज्यादा ही लंबी हो गयी है। मैं उम्मीद रखता हूँ की आप भी इसे पढ़कर उतना ही आनंद पाएंगे जितना मुझे लिखने में मिला।
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