RE: Rishton mai Chudai - परिवार
मैं " दीदी आप बिलकुल भी चिंता मत कीजिये । मैं जैसे लेकर जा रहा हूं वैसे ही लेकर भी आऊंगा।
इसके बाद रूपा दीदी फिर शांत हो जाती है और हम सभी लोग नानी से मिलने उनके घर चल देते है ।गांव मे जितने भी लोग मिले सभी ने मा से यही बोला कि अगर आप इसका इलाज कराने के लिए ले कर जा रही हो तो बेकार है ।कोमल दीदी सब कुछ बर्दाश्त कर लेती थी लेकिन अगर कोई मुझे कुछ कहता था वो बर्दाश्त नही कर पाती थी । जब चाची ने सुना कि वह मुझे उल्टा सीधा बोल रहा है तो कोमल दीदी के हाथों को पकड़ लेती है ।ताकि कोमल दीदी उन्हें कुछ भी नही कर पाए। उन सबकी तानो को सुनते हुए मैं अपनी गर्दन नीचे कि0ये हुए आगे बढ़ गया ।लेकिन मुझे इस तरह से तेजी में जाते हुए महशुश करके कोमल दीदी की आंखों से आँशु बहने से रोक नही पाती है।
माँ कोमल को इस तरह रोते हुए देख कर बोलती है कि
माँ "बेटी तू अपने दिल को छोटा मत कर भगवान ने चाहा तो इस बार सब ठीक होगा।"
कोमल "माँ मुझे एक बात समझ मे नही आती है कि गांव वालों को इस तरह से मेरे भाई को परेशान करके क्या मिल जाता है ।जब देखो तब वो सब मेरे भाई के पीछे पड़े रहते है।"
चाची "तू चिंता मत कर इस बार सब ठीक ही होगा।मेरा दिल कह रहा है कि इस बार तुम दोनों का इलाज सही से होगा।"
इसी तरह से माँ दीदी को समझाते हुए बस स्टैंड तक चली गयी ।जंहा से चाची के गांव जाने के लिए बस मिलती है।फिर हम सभी लोग चाची के गांव के लिए चल देते है। चाचा ने सुबह ही फोन करके बता दिया था कि हम लोग उनके यंहा पर आ रहे है ।तो हमे लेने के लिए चाची के छोटे भाई जिनका नाम संजय है वह लेने के लिए आये हुए थे।
कुछ नए लोगो से इंट्रो करा दु आप लोग का
चंद्रावती उम्र 62 साल चाची की माँ ।इनको भी थोड़ी बहुत बुटी की जनकारी है।इसलिए गांव के सभी लीग इनके यंहा पर इलाज के लिए भी आते है ।
संजय उम्र 38 साल चाची से 1साल छोटे है ।यह सामान्य कद काठी के व्यक्ति है औऱ यह भी खेती करके ही अपने जीवन यापन करते है ।
चंदा संजय मामा की पत्नी इनकी ऐज 35 साल की थी ।इनकी गांड तो ज्यादा नही निकली है लेकिन चुचिया किसी पहाड़ से कम नही थी । औऱ घर के सारे काम यही करती है लेकिन इन सबके बावजूद इनकी खूबसूरती पर थोड़ी सी भी असर नही पड़ी थी वरन उंसके उल्टे दिन पर दिन यह और भी ज्यादा खूबसूरत हो गयी है।मैं जब भी उनके यंहा पर जाता तो यह मेरे साथ खूब मस्ती करती थी ।लेकिन सबकी तरह इन्होंने कभी भी मेरा मजाक नही उड़ाया था ।इसलिए मैं बहुत खुश था वहां जाने पर ।
रूबी "माँ की इकलौती लड़की और यह खूबसूरती में अपनी माँ से एक दम बढ़ कर थी ।लेकिन इसका गुस्सा हमेशा उसकी नाक और ही रहता था ।यह गुस्सा तब ओर भी ज्यादा बढ़ जाता था जब कोई भी इसके सामने कोमल दीदी को कुछ भी कह दे ।यानी कि रूपा दीदी की परछाई थी
बिल्कुल।
हम सब जब वंहा पर बस से पहुचे तो हमे वंहा पर जाने में केवल 2 घण्टे ही लगे इसलिए हम लोग दोपहर होते होते वंहा पर पहुच गए । वंहा पहुचने पर मैंने जाकर मामा के पांव छुए तो उन्होंने आगे आकर मुझे गले से लगा लिया ।मामा कभी भी मुझको अपने पैर को नही छूने नही देते थे ।वे पुराने रीति रिवाजों को बहुत मानते थे ।
संजय मामा "भांजे आ गए तुम ।तुम्हे तो जल्दी अपने इस मामा की याद भी नही आती है और बाकी के सभी लोग कंहा पर है जीजा जी का फोन आया तो वी बोले थे कि दोनों दीदी ओर कोमल भी तेरे साथ आये है लेकिन वे सब तो कही पर नजर ही नही आ रहे है ।"
तभी चाची पीछे से बोलती है कि
चाची "आये तो सभी लोग है लेकिन तुझे तो पहले अपने भांजे से ही मिलना है तो कोई क्या कर सकता है। तुझे उंसके सिवा और कोई दिखाई दे तब ना देखो।"
मामा "नही दीदी ऐसी कोई बात नही है बस आज भांजे से बहुत दिनों बाद मिला ना इसलिए ।और बताओ दीदी आने में कोई तकलीफ नही हुई ना।"
चाची "नही कोई तकलीफ नही हुई बस से आये है ना । तू बता घर पर सब ठीक तो है ना ।"
संजय मामा "दीदी घर पर सब ठीक है ।लेकिन मेरी समझ मे एक बात नही आई कि आज आप सभी लोग अचानक बिना बताए आ गए कोई खास बात है क्या।"
माँ "बिना बताए का क्या मतलब है ।देवर जी ने सुबह ही मेरे सामने तुमसे बात तो की थी ना और क्या हम लोग ऐसे नही आ सकते है क्या ।देख रही है ना छोटी तेरा भाई क्या बोल रहा है।"
चाची "मैं क्या देखु दीदी आप दोनों के बीच की बात है इसे आप लोग ही समझे ।वैसे भी यह मुझसे ज्यादा तो आपकी इज्जत करता है ।"
मामा "दीदी यह सब बातें तो हम घर चल कर भी कर सकते है ।ऐसे इस तरह आप लोगो का खड़ा रहना मुझे ठीक नही लग रहा है ।माँ भी आप लोगो की राह देख रही होगी।आप लोग यही रुकिए मैं ऑटो वाले को ले कर आता हूं।"
इतना बोल कर मामा वहाँ से चले जाते है और कुछ ही देर में वे ऑटो वाले को लेकर आते है। फिर हम सभी लोग ऑटो में बैठ कर मामा के साथ उनके घर चल देते है ।लगभग आधे घण्टेबाद हम लोग मामा के घर पहुच गए। गाड़ी आने कि आवाज सुनकर रूबी और मामी दोनो ही घर से बाहर आ जाती है ।रूबी को रूपा दीदी ने फोन करके बोल दी थी कि कोमल भी हमारे साथ आ रही है ।वह उसे कोमल दीदी का ध्यान रखने को बोली थी । जबकि वो अच्छी तरह से जानती है कि जैसे उनके प्राण कोमल में बसते है ।वैसे ही रूबी भी कोमल से प्रेम करती है। रूबी आकर कोमल को लेकर घर के अंदर नानी के पास लेकर चली जाती है ।जंहा कोमल दीदी नानी के पैर छूती है तो नानी उनको आशिर्वाद देती है और दीदी से उनके हाल चाल पूछती है ।फिर कोमल दीदी को रूबी अंदर ले कर चली जाती है ।तबतक हम सब भी नानी के पास पहुच जाते है ।मैं जाकर नानी के पाव को छूता हु और उनके बगल में जाकर बॉथ जाता हूं ।तबतक माँ और चाची भी आ जाती है ।माँ ओर चाची भी नानी के पांव छुटी है तबतक मामी सभी के लिए पानी पीने को ले कर आती है ।नानी चाची से बोलती है कि
नानी "तब और बता बेटी घर पर सब कुछ तो ठीक है ना और आज अचानक कैसे आने के प्लान बना ली ।"
माँ "माँ आप तो जानती है कि बचपन मे हुए हादसे के कारण राहुल और कोमल के साथ जो हुआ उंसके बारे आप सब कुछ जानती है ।जब छोटी ने बताया कि आप किसी ऐसे वैध के बारे में जानती है जिससे कि इन दोनों का इलाज कराया जाय तो यह सही हो सकते है ।"
नानी "इससे तो मैं बहुत पहले बोली थी लेकिन इसे तो मेरी कोई बात नही सुननी है अगर सुनी हुई तो अब तक सब कुछ ठीक हो गया होता। "
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