RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
सब के सुहाने दिन के सपने, और सब का घुमा फिरा कर एक ही टारगेट टोटल कंट्रोल. मनु अपना काम ख़तम कर के वापस घर आया... अभी थोड़ा रिलॅक्स ही हुआ था कि उसके फोन की घंटी बजने लगी.....
मनु.... हेलो..
मानस.... कैसा है मनु...
मनु.... भाई.... अच्छा हूँ भाई.... लेकिन अब बहुत हुआ, वापस आ जाओ प्लीज़. मैं अकेला हो गया हूँ....
मानस.... एंजाय कर, और कभी खुद को अकेला मत समझना. और याद है ना जाते-जाते मैने क्या कहा था....
मनु.... वही तो कर रहा हूँ भाई.... नेवेर ट्रस्ट ईवन शॅडो....
मानस.... कूल मनु... लगता है बड़ा हो गया... चल मैं कॉल रखता हूँ, अपना ख्याल रखना और ज़्यादा सोचना मत.
मानस, एकलौता जो इन कॉपोरेट अफेर्स से दूर था... गहरी सांस लेते खुद से कहा.... "बस एक बार मिल जाओ.... किधर छिपे हो"
मानस थोड़ी देर खुद के अतीत मे झाँका. छोटे-छोटे उसके भाई बहन, उनकी प्यारी खिली सी मुस्कान, और साथ मे उन सब के सिर पर हाथ फेरती उसकी माँ. इस पल को याद कर के मानस मंद-मंद मुस्कुरा रहा था....
एक गहरी सांस के साथ अपनी आखें खोला... एक लड़का उसके पास खड़ा, उसे जगाने की कोसिस कर रहा था....
मानस..... क्या हुआ छोटू, पता चला कुछ वो सब कहाँ गये.
लड़का.... हां साब जी सब पता चल गया. वो दीवान साहब और उनकी बेटी कहाँ है वो तो पता नही, लेकिन हां उसके एक करीबी दोस्त कानपुर मे रहते हैं, वो आप को दीवान साब के बारे मे ज़रूर बता सकते हैं.
मानस.... उस आदमी का कोई पता भी है, या बस कानपुर का ही नाम ले कर आया है....
लड़का.... हा हा हा.... नही नही साहब जी पूरा पता भी लाया हूँ.
मानस.... ठीक है फिर, जल्द से जल्द कानपुर जाने की व्यवस्था करवाओ.
"थॅंक्स गॉड, आख़िर कर कुछ तो हाथ लगा.... काश कोई जादू होता और मैं सीधा दीवान के पास ही पहुँच जाता. अब तो हद है इस बेचैनी की.... कोई मुझे जल्द से जल्द कानपुर पहुँचाओ"... मानस, से अब एक पल की भी देरी बर्दस्त नही हो रही थी... वो जल्द से जल्द किसी तरह से कानपुर पहुचना चाह रहा था.
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