Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 03:56 PM,
#39
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“और थोड़ा नीचे, और नीचे” सब एक स्वर में बोल उठे। धीरे धीरे पैंटी से मेरी योनि की दरार दिखने लगी। उनके मुख से सिसकारियां निकलने लगी। फिर मैंने पूरी की पूरी पैंटी एक झटके में निकाल फेंका और मादरजात नंगी हो गई, फिर क्या था वे भी लगभग मेरे ही साथ, या फिर मुझसे भी पहले, पूरे नंगे हो गये, मुझ पर टूट कर भंभोड़ डालने को बेताब। शराब का नशा धीरे धीरे सभी पर चढ़ रहा था और मुझ पर भी कोल्डड्रिंक में मिले शराब ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था। मेरे कहने की आवश्यकता नहीं थी, नानाजी ने तीसरा पैग बना कर सबको दिया और सभी ने एक ही सांस में तीसरा पैग भी अपने हलक में उतार दिया। इधर पहला गीत खत्म हुआ और भोजपुरी में दूसरा गीत चालू हुआ, “हाय बेदर्दी बलमा जरा धीरे धीरे”।

इससे पहले कि वे मेरी ओर बढ़ते, मैं ने उनको रोका और कहा, “अभी थोड़ा सब्र कीजिए, एक खेल बाकी है।” कहते हुए मैं ने केक का एक टुकड़ा लिया और दादाजी के मूसलाकार लिंग पर पोत दिया। फिर मैं झुक कर अपने जीभ से उनके लिंग को ऊपर से नीचे तक चाट चाट कर साफ़ करने लगी।

मेरे इस उत्तेजक हरकत से दादाजी के मुंह से कामुक आहें निकलने लगी थी। “आह बिटिया।”

मैं ने टोका, ” बिटिया नहीं, कामिनी बोलिए, रंडी बोलिए, कुतिया बोलिए, मगर बिटिया मत बोलिए”।

” हां रे बुर चोदी कुत्ती चाट मेरा लौड़ा, चूस हरामजादी” अब दादाजी जोश में आ गए थे। इसी बीच बाकी लोगों ने बचा खुचा केक मेरे पूरे नंगे बदन पर मल दिया था और मेरे नंगे तन को कुत्तों की तरह चाटने लगे।

जैसे ही मैंने दादाजी का लिंग चाट कर साफ़ किया, दादा जी बोल उठे, “चल अब हम सब इसे एक साथ चोदेंगे।”

“एक साथ? नहीं बाबा नहीं, एक साथ नहीं, मर जाऊंगी, प्लीज।” मैं ने घबराने का नाटक किया और उनसे छूट कर भागने लगी।

“पकड़ साली हरामजादी कुतिया को, आज इसको सब मिलकर कुत्ती बना देंगे” दादाजी बेहद वहशियाना ढंग से बोले।

सब मेरे पीछे भागे, “भाग कर जाएगी कहां साली बुर चोदी,” नानाजी बोले। अंततः मैं जानबूझ कर गिर पड़ी और सबने मिलकर मुझे दबोच लिया। सबने मिलकर मुझे उठाया और सेंटर टेबल पर लिटा दिया।

“नहीं नहीं सब एक साथ नहीं” मैं चिल्लाने लगी मगर अब शुरू हुआ काफी देर से कामोत्तेजना की अग्नि में धधकते नंग धडंग भूखे, शराब के नशे के सुरूर में डूबे, कामुक वहशी जानवरों का कामुकता पूर्ण बेहद वहशियाना खेल। उनको दादाजी की तरफ से हरी झंडी मिल गई, एक साथ मुझ पर टूट पड़े। एक एक उरोजों को नानाजी और बड़े दादाजी आपस में बांट कर बेरहमी से मसलने और चूसने लगे। दादाजी मेरी फूली हुई योनि पर टूट पड़े और पागलों की तरह चाटने और चूसने लगे।

मेरे पापा मेरे मुंह के पास अपना टनटनाया लिंग लाए और बोले, “ले चूस मेरा लौड़ा साली चूतमरानी रंडी”। करीम चाचा मेरे नितंबों को फैला कर गुदा मार्ग में जीभ डाल कर चाटने लगे। मुझमें भी अब तक नशे का असर हो चुका था और मैं पागलों की तरह उनकी कामुकता की पराकाष्ठा को पार करते हुए वासना के इस बेहद घिनौने कृत्य में संलिप्त सिसकारियां भरने लगी थी। पांच मिनट में ही मैं उत्तेजना के चरमोत्कर्ष में पहुंच कर अभूतपूर्व स्खलन में डूब गई। मेरे शरीर की थरथराहट को सबने महसूस किया मगर वे अपने हवस और नशे में डूबे मुझे भंभोड़ने में लगे रहे। उनके सम्मिलित कामकेली से मेरी काम पिपाशा पुनः जागृत हो गई और मैं संभोग के लिए छटपटाने लगी। दादाजी ने तुरंत मुझे उठा कर फर्श के कालीन पर लिटा दिया और मेरे पैरों को फैला कर मेरी योनि में अपना लिंग अड़ाया और एक भीषण प्रहार से पूरा का पूरा लिंग एक ही बार में मेरी योनि में ठोंक दिया।

“ले बुर चोदी हमारा लौड़ा तेरी बुर में” इतनी बेरहमी से उन्होंने प्रहार किया था कि मेरी घुटी घुटी आह निकल पड़ी। उन्होंने मुझे कस के पकड़ा था और मुझे लिए दिए एक करवट हो गये।

पीछे से पहले से तैयार करीम चाचा ने मेरे नितंबों को फैला कर गुदा द्वार में अपना भीमकाय लिंग का सुपाड़ा टिका कर एक ही जोर के झटके से सटाक से पूरा नौ इंच लम्बा लिंग मेरी गुदा में भोंक दिया। “ले साली कुतिया मेरा लौड़ा अपनी गांड़ में”।

नशे में होने के बावजूद भीषण प्रहार से मैं तीव्र पीड़ा के मारे चीख पड़ी, “हाय मादरचोद, साले कुत्ते, गांड़ फाड़ दिया रे्रे्रे्रे्रेए्ए्ए्ए आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह”।

मगर मेरी चीख पुकार की किसे पड़ी थी, सब के सब जंगली जानवर बन चुके थे। मुझे उसी हालत में लिए हुए दादाजी सोफे पर बैठ गए। सामने मेरी योनि में दादाजी का लिंग घुसा हुआ था, पीछे मेरी गुदा में करीम चाचा का विशाल लिंग धंसा हुआ था, सोफे के पीछे से मेरे पापा अपना खौफनाक लिंग मेरे मुंह में डाल चुके थे और मेरे एक हाथ में नानाजी का लिंग, दूसरे हाथ में बड़े दादाजी का लिंग था। मैं पूरी तरह उन वासना के भूखे भेड़ियों के चंगुल में फंसी अपने तन को पिसतेदेखने और किसी हलाल होते हुए मेमने की तरह विवशता में पीड़ा और आनंद मिस्रित स्थिति में खुद को उनके रहमो करम पर छोड़ दिया। अब मैं पांच नशे और उत्तेजना में मदहोश, विभिन्न रंग रूप और शरीर के साथ, हवस के भूखे जंगली जानवरों सरीखे मर्दों से पिसती, उनके विकृत सामुहिक संभोग में लिप्त हो गई। उनके विभिन्न आकार, लंबाई और मोटाई के लिंग, मेरे तन के हर उपलब्ध छिद्रों में या मेरे हाथों की मुट्ठियों में थे और वे अपनी अपनी कामक्षुधा तृप्त करने के लिए जी जान से मुझ पर पागलों की तरह पिल पड़े थे।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 03:56 PM

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