Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:13 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“लेकिन परिस्थितियां तो तूने ही पैदा की थी।”

“मैं ने मनुष्य को बुद्धि दी है। विवेक दिया है। अपना निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान की है। मुझे क्यों दोष देती हो?”

“विवेक का सवाल तो तब आता है जब मुझे अच्छे बुरे का ज्ञान हो। मेरी नादानी में एक बूढ़े द्वारा मेरा कौमार्य भंग हो रहा था उस वक्त तुम कहाँ थे? जबतक मुझे सही गलत की जानकारी होती, तबतक तो मैं वासना के दलदल में धंस चुकी थी। अब जब मेरे अंदर कामुकता की अदम्य ज्वाला धधकती रहती है, उसके लिए क्या तुम दोषी नहीं हो?”

“नहीं बिल्कुल नहीं। अभी जब तुम्हारे अंदर यह संघर्ष चल रहा है, क्या यह तुम्हारे विवेक का परिचायक नहीं है? अब इसमें अच्छाई की जीत होती है या बुराई की जीत होती है, यह तो तुम्हारी मानसिक दृढ़ता पर निर्भर करता है।”

“देखो, इस वक्त मैं बहस के मूड में नहीं हूं। हो सके तो अपने कामदेव को समझाओ, जिसने मुझे गुलाम बना रखा है। वरना मेरी हालत पर हंसो मत, न ही इस वक्त हमारे बीच दखल दो।”

“तुझे जो करना है कर कुलटा अपने बेटे के साथ, मुझे बीच में मत घसीट।”

“हां, इस वक्त वैसे भी तुम्हारे उपदेश और तर्क की मुझे कोई परवाह भी नहीं है। भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारा उपदेश।” मन ही मन बोली और सारे अंतरद्वंद को तिलांजलि दे कर कूद पड़ी कामदेव के खेल में अपने खुद के बेटे के साथ, जो अब तक मेरे शरीर को चूमते हुए सर से मेरी योनि तक पहुंच चुका था।

ज्यों ही उसके होंठों का स्पर्श मेरी योनि पर हुआ, सारा शरीर झंकृत हो उठा। तड़प उठी मैं, “उ्ऊ्ऊ्ऊ्ई्ई्ई्ई्ई…… मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ” सीत्कार निकल गई मेरे मुख से। उस अनाड़ी को तो पता भी नहीं था कि एक व्यस्क स्त्री की योनी कैसी होती है। मेरे जैसी सेक्स की आदी स्त्री की योनि के दर्शन का, जो न जाने कितने पुरुषों के विभिन्न प्रकार और नाप के लिंग का स्वाद चख कर फूल कर पावरोटी की तरह कुप्पा थी, मेरे बेटे के लिए पहला अवसर था। उसकी उत्सुक नजरों में यही अति चित्ताकर्षक लग रहा था। हालांकि उसे अभी तक सिर्फ यही पता था कि यह एक स्त्री का मूत्रमार्ग है, लेकिन प्रकृति की लीला तो देखिए, वह प्राकृतिक तौर पर ही मेरी योनि को विशेष आकर्षण का केंद्र समझ लिया था। बिना यह जाने कि रतिक्रिया में इसी की विशेष भूमिका है, वह बेहताशा चूमे जा रहा था, चाटे जा रहा था और मैं पागल हुई जा रही थी, उसके सर को सहला रही थी, अपने नितंबों को उछाल उछाल कर उसके मुंह से अपनी योनि का संगम करा रही थी। इसी दौरान उसे पता नहीं क्या हुआ, अचानक चाटते चाटते अपनी जीभ मेरी यौन गुहा के अंदर भी घुसा दिया। उफ भगवान, स्वर्ग अगर कहीं है तो यहीं है यहीं है। मेरे भगांकुर से उसकी जीभ का संपर्क मुझे जन्नत दिखा रहा था। यह सब वह अनजाने में, बिल्कुल पशुओं की तरह स्वभाविक तौर पर कर रहा था, जिसे हम पाशविक प्रवृत्ति के रूप में जानते हैं।

“आह राजा, ओह बेटा, ओह मेरे ब्वॉयफ्रेंड, उफ्फ मेरी जान, आ्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह” यह सब इतना उत्तेजक था कि कुछ ही मिनटों में मैं थरथराने लगी और खुद को संभाल नहीं सकी, उसके सर को अपनी योनि से कस कर चिपका लिया, अपनी जांघों के बीच उसके सर को कस लिया और अद्वितीय स्खलन सुख में डूबती चली गयी।

जैसे ही मेरा बदन शिथिल हुआ, मेरी दमघोंटू पकड़ से क्षितिज छूटा और लंबी लंबी सांसें लेते हुए घबराई आवाज में बोला, “क्या हुआ मॉम?”

“क्क्क्कककुच्छ नननहींईंईंई मेरे बच्चे, तेरे प्यार करने का अंदाज इतना आनंददायक था कि मैं पागल हो गई थी,” किसी प्रकार अपनी सांसों पर नियंत्रण करते हुए बोली, “चल, तूने तो मेरी मुनिया से प्यार कर लिया, अब मुझे अपने पपलू से प्यार करने दे।” मैं जानती थी कि वह बेचारा भी उत्तेजना के जिस दौर से गुजर रहा है, तत्काल अगर उसे राहत न मिले तो बेचैनी में छटपटाता रहेगा। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, मैं उसके ऊपर चढ़ गई और उस पर चुंबनों की बौछार करने लगी। उसके माथे को चूमा, उसकी आंखों को चूमा, उसके गालों को चूमा, उसके होंठों पर गरमागरम चुम्बन दिया, उसके गले से होते हुए उसके सीने को चूमने लगी। उसके सीने से नीचे बढ़ती गई और उसके पेट को चूमते हुए नीचे जाने लगी। क्षितिज की उत्तेजना अपने चरम पर थी। उसकी सांसे धौंकनी की तरह चल रही थीं।
“ओह्ह मॉम, आह डियर, नीचे जाओ मेरी जान मेरे पपलू के पास, और पास, और पास, उफ्फ” वह उत्तेजना के आवेग में मेरे सर को पकड़ लिया और सीधे अपने लिंग के पास ले गया। उसकी बेचैनी मुझसे देखी नहीं जा रही थी। उसकी हालत उत्तेजना के मारे बेहद खराब थी। उसने मेरा सर पकड़ कर ठीक अपने लिंग के पास ले आया। अब मैं ठीक उसके आठ इंच लंबे और करीब तीन इंच मोटे, बेहद खूबसूरत, चिकने लिंग के पास थी। सख्त, काले नाग की तरह फनफनाता हुआ। इस बेचारे कुंवारे बेटे के लिंग के सुपाड़े के ऊपर का चमड़ा अभी तक पलटा भी नहीं था। उसका अंडकोश ढीला नहीं हुआ था, शायद आजतक उसके अंडकोश में अब तक की सारी जमा पूंजी गाढ़े वीर्य के रूप में एकत्रित थी। क्या करूं मैं, हाथों से बाहर निकाल दूं, या अपने हलक में उतार लूं या अपनी भूखी योनि के अंदर जज्ब कर लूं। इसी उधेडबुन में थी, कि उसने मेरा सर नीचे दबा कर मेरा मुह अपन तनतनाए लिंग से सटा दिया और बेसब्री से बोला, “क्या सोच रही हो मॉम? प्यार कर मेरे पपलू को, ओह मेरी जान, कब से तड़प रहा है मेरा पपलू।” मेरी सारी दुविधा पल भर में छूमंतर हो गई। मैं समझ गई कि जिस तरह उसने मेरी नग्न देह के संपर्क में आकर अपने प्रथम कामक्रीड़ा का शुभारंभ मुखमैथुन से किया, अनाड़ीपन में ही सही, मगर मुझे अद्वितीय आनंद प्रदान किया, अब उसी के प्रतिदान का समय आ गया है, अपने बेटे को इस बेचैनी भरी पीड़ा से मुक्ति प्रदान करने का। उसे भी इस आनंद से परिचित कराने का। मैंने उसके लिंग के चमड़े से ढंके सुपाड़े पर गरमागरम चुंबन अंकित कर दिया।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-28-2020, 02:13 PM

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