Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:37 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा

“हां तो चांदनी, जो मांगेंगे मिलेगा ना?” सलीम अब तसल्ली कर रहा था।

“कह तो रही हूं, सब कुछ मिलेगा।”

“बाद में मैडम को शिकायत तो नहीं करोगी?”

“काहे की शिकायत? दीदी ही तो बोली है।”

“ठीक है, तो तुम तैय्यार हो?”

“हां बाबा हां।”

“हम सब यहां अभी एक खेल खेलेंगे।”

“तो खेलो ना।”

“तुमको भी हमारे साथ खेलना होगा।” ललचाई नजरों से मुझे देखते सलीम बोला।

“कैसा खेल?” मैं अनजान बनती हुई पूछी।

“सब समझा देंगे। खेलोगी ना?”

“खेल में मजा आएगा तो?” उत्सुकता से पूछी।

“बड़ा मजा आएगा पगली।”

“ठीक है, खेलूंगी।” मैं धड़कते दिल से सहमत हो गयी। जानती थी कि इस खेल का मतलब क्या है, लेकिन जरा देखना था कि ये शुरुआत कैसे करते हैं। मेरी सहमति पा कर सभी की बांछें खिल गयीं। मेरी कमनीय देह का आकर्षण ही ऐसा था।

“बहुत बढ़िया, वैसे भी कामिनी मैडम और चांदनी में कोई खास फर्क भी नहीं है। मजा आएगा।” रफीक प्रसन्नता से बोला।

“तो ठीक है, चलो हम खेल शुरू करते हैं।”

“कौन सा खेल?” मंगरू अब बोला।

“अरे वही, जो हम बीते इतवार कांता के यहां खोकोन और मुंडू के साथ खेले थे।”

“हट हरामी।” कांता तुनक गयी।

“वाह, ताश लाए हो?” कांता की बात को नजरअंदाज करते हुए प्रसन्नता से रफीक बोल उठा।

“हां भाई, ये रहा ताश।” पॉकेट से ताश की गड्डी निकालते हुए बोला सलीम।

“तो चलो शुरू करते हैं।” सलीम बोला।

“पहिले खेल का नियम तो बताओ।” मैं बोली।

“ठीक है। तुम पहली बार खेल रही हो ना। बताते हैं। सुनो। अभी हम सबको पत्ते बांटेंगे। जिसको पहला गुलाम मिलेगा, वह हुकुम मानेगा और जिसको पहला बादशाह मिलेगा वह हुकुम देगा। बादशाह जो बोलेगा, गुलाम को वही करना होगा। इसके बाद यह चलता रहेगा।” मुझे खेल रोचक लगा। मैं जानती थी हुक्म क्या होगा, और यह खेल कहां जाकर खत्म होगा। उधर कांता मुझे घूरे जा रही थी।

“ठीक है, हमें मंजूर है।” मैं बोली। खुश हो गये सब।

“सोच ले।”

“सोच लिया।”

“पीछे नहीं हटना है।”

“नहीं हटूंगी। सब खेल में शामिल हैं तो हमें क्या दिक्कत?”

“ई अनाड़ी को बता काहे नहीं देते कि असल में का करने वाले हो तुमलोग।” कांता बोल पड़ी।

“बताने का क्या जरूरत है? और तू काहे परेशान हो रही है। यह खुद ही खेलने को राजी है। वैसे भी, इस खेल में इसे भी मजा आएगा।” सलीम बोला। उसे कांता की बात पसंद नहीं आई। अच्छी खासी शिकार फंस रही है और यह छमिया व्यवधान पैदा करने का प्रयास कर रही है। उसे भय था कि खेल के बारे में पूरा सत्य जानकर कहीं मैं मना न कर दूं। “अब तू ज्यादा पटर पटर न कर।” डांट दिया उसने कांता को।

“तो हम ही बता देते हैं।” कांता खिसिया कर बोली। उसे खुद का महत्व घटने का भय सता रहा था शायद, या फिर मुझसे ईर्ष्या हो रही थी। मैं उसकी मनोभावों को खूब समझ रही थी।

“क्या बताएगी? बता।” मैं बोली।

“यही कि ई सब यहां क्या करने वाले हैं।”

“अब घुमा फिरा के काहे बोल रही है, सीधे बोल ना।” मैं मजे ले रही थी।

“उल्टा सीधा काम करवाएंगे।”

“कैसा उल्टा सीधा। हमसे न होगा क्या?”

“बुद्धू, गंदा काम करवाएंगे।”

“कैसा गंदा काम?” मैं जानती बूझती अनजान बन रही थी।

“तुम समझ नहीं रही हो।”

“तू खेल रही है ना?” मैं उल्टा सवाल दाग बैठी।

“हां।”

“तुम्हें मजा आता है ना खेलने में?”

“हां, काहे कि हमें आदत है।”

“जब तुझे मजा आता है तो हमें काहे मना कर रही है?”

“छोड़ो, हमें क्या, झेलो खुद, बाद में हमें दोष न देना कि चेतायी नहीं थी।” झल्ला कर बोली वह। सभी हंस पड़े।

“मर साली कुतिया।” बुदबुदाई वह।

“कुछ बोली का हमसे?” मैं बोली।

“नहीं कुछ नहीं। समझ जाएगी सब।” वह बोली।

“अब तुमलोग बकबक बंद करो। सब आ जाओ सेंटर टेबुल के चारों तरफ। अब खेल शुरू करते हैं।” सलीम बोला।

वहां उपस्थित सभी लोग सेंटर टेबल के चारों तरफ बैठ गये। जैसे ही मैं उन लोगों के बीच बैठी, बगल वाला मंगरु नाक सिकोड़ कर बोला, “उंह, महक रही है यह तो।”

“साले महक रही है? गौर से देख इसे। वैसे भी जब काम के बीच में गंधाती, महकती रेजाओं और मुंडू, खोकोन के साथ गोदाम में ठेल्लम ठेल्ली करते हो तब महक नहीं लगती है साले?” रफीक मेरी कमनीय देह को ललचाई, लार टपकाती नजरों से देखते हुए बोला। मैं सकुचाने का नाटक करती हुई और थोड़ा सिकुड़ कर बैठ गयी।

“सच कहा तूने सलीम। चल बांट पत्ते, रहा नहीं जा रहा है अब।” बेकरार बोदरा बोला। अब सलीम नें पत्ते बांटना आरंभ किया। सबसे पहले गुलाम निकला मंगरू का। वह खड़ा हो गया।

“मंगरू बन गया गुलाम।” सलीम नें घोषणा की। फिर बादशाह निकला मुंडू को। मुंडू खड़ा हो गया।

“हां, तो मंगरू मेरा गुलाम। जो हम कहेंगे वही करेगा ना?” मुंडू बोला।

‘हां, करेंगे।” आज्ञाकारी गुलाम की भांति मंगरू बोला।

“चल उतार मेरे कपड़े।” मुंडू बोला।

“जो हुकुम मालिक।” कहते हुए मुंडू के कपड़े उतारने लगा मंगरू।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-28-2020, 02:37 PM

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