RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
राज रंजना के निर्देशानुसार फीएट ड्राइव कर रहा था। दोनों खामोश थे।
-“यह ठीक नहीं हुआ।” सहसा रंजना ने कहा।
–“क्या?”
-“मैं पापा से मिलने आई थी लेकिन हमेशा की तरह आज भी झगड़ा ही हुआ। हर बार कोई न कोई बात सामने आ जाती है। आज रात मीना की बात आ गई।”
-“वह काफी मुश्किल किस्म का आदमी है।”
-“हाँ, खासतौर पर हमारे साथ। मीना की तो उससे बिल्कुल नहीं बनती। और इसके लिए उस बेचारी को दोष नहीं दिया जा सकता। उसके पास तगड़ी वजह थी....।” अचानक वह चुप हो गई फिर विषय बदलकर बोली- “हम शहर के दूसरे सिरे पर रहते हैं। यहाँ से काफी दूर हैं।”
-“मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। वैसे भी मैं आपसे अकेले में बात करना चाहता था।”
-“मेरी बहन के बारे में?”
-“हाँ।”
-“क्या?”
-“क्या वह पहले भी कभी इस तरह हफ्ते भर के लिए कहीं गई थी?”
-“दो तीन बार। लेकिन मुझे बताए बगैर नहीं।”
-“आप दोनों एक-दूसरी के बहुत ज्यादा करीब हैं।”
-“हम हमेशा रही हैं। उन बहनों की तरह हम नहीं हैं जो हर वक्त आपस में लड़ती रहती हैं। हालांकि वह मुझसे ज्यादा खूबसूरत है.....।”
-“मैं नहीं मानता।”
-“फिर भी यह असलियत नहीं बदल सकती कि मीना बहुत ज्यादा खूबसूरत है और मैं नहीं हूँ। लेकिन इससे कभी कोई खास फर्क नहीं पड़ा। वह ज्यादा जवान है और उससे मुकाबला करने की जरूरत मुझे कभी नहीं पड़ी। मैंने उसे बचपन से जवानी तक पहुँचते देखा है। बहन से ज्यादा एक आंटी की तरह उसकी परवरिश में मदद की है। मम्मी उसे पैदा करने के बाद ही चल बसी थी। तब से वह मेरी ही जिम्मेदारी रही है।”
-“क्या उसे संभालना मुश्किल था?”
-“बिल्कुल नहीं। इस मामले में मेरे पापा की बातों पर यकीन मत करना। मीना के प्रति उसके मन में पूर्वाग्रह है। मीना के खिलाफ जो भी वह सुनता है उस पर आँख मीचकर यकीन कर लेता है। मीना और मिस्टर सैनी के बारे में जो बेहूदा बकवास उसने की थी वो महज अफवाह है। कोई सच्चाई उसमें नहीं है।”
-“आपको पूरा यकीन है?”
-“बिल्कुल। अगर यह सच होता तो मुझे भी पता चल जाना था। सच्चाई सिर्फ इतनी है मीना मिस्टर सैनी के लिए काम करती थी।”
मेन रोड के चौराहे पर लाल बत्ती पाकर राज ने प्रतिक्षारत अन्य वाहनों की कतार के पीछे फीएट रोक दी।
-“इसी सड़क पर सीधे चलना।” रंजना ने कहा- “जब मुड़ना होगा मैं बता दूँगी।”
लाइट ग्रीन हो गई।
-“आपकी बहन का फ्लैट कहाँ है?” राज ने कार आगे बढ़ाते हुए पूछा।
-“यहाँ से पास ही है। गिरिजा स्ट्रीट 6, रोज एवेन्यु।”
-“बाद में मैं वहाँ जा सकता हूँ। आपके पास फ्लैट की चाबी तो नहीं होगी?”
-“नहीं, मेरे पास नहीं है। आपको चाबी किसलिए चाहिए?”
-“मैं फ्लैट की हालत और मीना की चीजें देखना चाहता हूँ। उससे कुछ पता चल सकता है वह कहाँ गई और क्यों गई?”
-“आई सी। वहाँ का केअर टेकर आपको फ्लैट दिखा सकता है।”
-“आपको तो इसमें कोई एतराज नहीं है?”
-“बिल्कुल नहीं।” रंजना ने कुछेक सेकंड खामोश रहने के बाद पूछा-“आपके विचार से मीना कहाँ गई हो सकती है?”
-“मैं खुद आप से पूछने वाला था। मुझे कोई आइडिया नहीं है बशर्ते कि मीना और सैनी के बारे में आपकी राय गलत नहीं है।”
-“मेरी राय गलत नहीं हो सकती है।” वह दो टूक स्वर में बोली “आप बार-बार इसी बात को क्यों उठा रहे हैं?”
-“जब कोई औरत इस ढंग से गायब हो जाती है तो सबसे पहले उन्हीं लोगों को चैक किया जाता है जो उससे जुड़े होते हैं- खासतौर पर आदमी। उसकी ज़िंदगी में आए आदमियों के बारे में बताइए।”
-“मीना दर्जनो आदमियों के साथ घूमती फिरती थी।” वह तीव्र स्वर में बोली- “उन सबका हिसाब मैं नहीं रखती।”
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