RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“तुम कुछ नहीं कर पाओगे। अब तुम्हें जेल जाना पड़ेगा।”
-“हो सकता है। लेकिन तुम तो प्रेस रिपोर्टर हो। मेरे साथ सौदा करोगे?”
-“तुम्हारे पास सौदा करने के लिए बचा क्या है?”
-“बहुत कुछ है। जिंदगी में ऐसा मौका एकाध बार ही मिलता है। तुम और मैं मिलकर अलीगढ़ पर कब्जा कर लेंगे। फिर वहां हमारी हुकूमत चलेगी।”
-“अब किसकी हुकूमत है?”
-“किसी की भी नहीं। वहां पैसा बहुत है लेकिन एक्शन नहीं है। हम लोगों के लिए एक्शन का इंतजाम करेंगे।”
-“वहां की पुलिस करने देगी?”
-“वो सब मेरे ऊपर छोड़ दो। लेकिन जेल में रहकर मैं कुछ नहीं कर सकता। अगर मुझे वहां ले जाकर पुलिस के हवाले करोगे तो तुम्हारे हाथ से गोल्डन चांस निकल जाएगा।”
स्पष्ट था मक्कार जौनी इस हालत में भी खुद को तीसमारखां समझने और जाहिर करने की बेवकूफी कर रहा था।
-“कैसा गोल्डन चांस?” राज बोला- “सैनी की तरह बेवकूफ बनाए जाने का?”
जौनी चुप हो गया।
-“ठीक है, मैं मानता हूं मैंने सैनी को बेवकूफ बनाया था।” फिर बोला- “लेकिन वह भी तो मेरी लड़की को लेकर भाग रहा था। वह साली भी ऊंची सोसाइटी में रहना चाहती थी। उस हालत में मैं और क्या करता? मुझे सैनी को डबल क्रॉस करना पड़ा। मगर तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होगा। हम बिजनेस पार्टनर रहेंगे।”
-“आगे बोलो।”
-“देखो, मैं ऐसा कुछ जानता हूं जिसे कोई और नहीं जानता। अपनी उस जानकारी को हम बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करेंगे- तुम और मैं।”
-“तुम्हारे पास ऐसी क्या खास जानकारी है?”
-“तुम्हें पार्टनरशिप मंजूर है?”
-“पूरी बात जाने बगैर में मंजूरी नहीं दे सकता। अच्छा, यह बताओ, कल रात इन्सपैक्टर चौधरी ने तुम्हें ट्रक लेकर क्यों निकल जाने दिया?”
-“मैंने तो यह नहीं कहा उसने मुझे निकल जाने दिया था।”
-“तुम किस तरफ से ट्रक लेकर आए थे?”
-“तुम बताओ तुम तो सब कुछ जानते हो?”
-“बाई पास से।”
जौनी की तनिक खुली आंखें चमकीं।
-“होशियार आदमी हो। तुम्हारे साथ मेरी पटरी खा जाएगी।”
–“तुम्हारे हाथ में इन्सपैक्टर की कोई नस है?”
-“हो सकता है।”
-“जिस जानकारी की वजह से तुम्हारे हाथ में उसकी नस आई है वो तुम्हें सैनी ने दी थी।”
-“उसने कुछ नहीं दिया। मैंने ही खुद ही नतीजा निकाला था।”
-“मीना बवेजा के बारे में?”
-“तुम फौरन समझ जाते हो। पुलिस को उसकी लाश मिल गई?”
-“अभी नहीं। लाश कहां है?”
-“इतनी जल्दबाजी मत करो, दोस्त। पहले यह बताओ, मेरे साथ सौदा करोगे?”
-“अगर वाकई सौदा करना चाहते हो तो मेरी कुछ शर्तें माननी होगी।”
-“कैसी शर्तें?”
-“मुझे वो जगह दिखाओ, जहां लाश है और मैं तुम्हें ब्रेक देने की पूरी कोशिश करूंगा। तुम जानते हो या नहीं लेकिन असलियत यह है अब तुम सीधे जेल जाने वाले हो। तुम पर हत्या का इल्जाम है.....।”
-“मैंने किसी की हत्या नहीं की।”
-“इस तरह इंकार करने से कुछ नहीं होगा। अपने पुराने रिकॉर्ड की वजह से मनोहर और सैनी की हत्याओं के मामले में तुम फंस चुके हो।”
-“क्या बात कर रहे हो? जब तक लीना ने मुझे नहीं बताया मैं तो जानता भी नहीं था, सैनी मर चुका था। और वह क्या नाम था उसका......मनोहर.......उसके तो मैं पास तक नहीं गया।”
-“यह सब एस. एच.ओ. चौधरी को बताना। वही तुम्हें बताएगा कि तुम पर यह इल्जाम क्यों लगाए गए हैं। तुम्हारे खिलाफ इतना तगड़ा केस बन चुका है अगर कुछ नहीं किया गया तो तुम फांसी के फंदे पर झूलते नजर आओगे। इसलिए अक्ल से काम लो और मेरे साथ सहयोग करो। मैं तुम्हें बचाने की पूरी कोशिश करूंगा। उस हालत में तुम्हें लंबी सजा भले ही हो जाए लेकिन फांसी से बच जाओगे।”
जौनी का दौलत और ताकत पाने का ख्वाब एक ही पल में टूट गया।
दूर कहीं टायरों की चीख उभरी फिर ‘धड़ाम-धड़ाम’ की आवाजें सुनाई दीं और फिर भयानक विस्फोट की आवाज गूंजी।
जौनी चौंका।
-“यह क्या था?”
-“तुम्हारे विराटनगर के दोस्त अल्लाह मियां को प्यारे हो गए लगते हैं।”
-“क्या? तुम ऐसा भी करते हो।”
-“जब मुझे मजबूर किया जाता है।”
-“ओह! लेकिन मुझे क्यों ब्रेक देना चाहते हो? मुझे कभी किसने ब्रेक नहीं दिया। इस बात की क्या गारंटी है, तुम दोगे?”
-“इस मामले में तुम्हें भरोसा करना ही पड़ेगा। इसके अलावा और कोई रास्ता तुम्हारे सामने नहीं है। इसी में तुम्हारी भलाई है। अगर तुम बेगुनाह हो तो मीना की लाश का पता बता दो। तभी तुम खुद को इन हत्याओं के मामले में बेगुनाह साबित कर सकते हो।”
-“कैसे?”
-“मीना के हत्यारे ने ही बाकी दोनों हत्याएं की थी।”
-“शायद तुम ठीक कहते हो।”
-“मीना का हत्यारा कौन है ?”
-“अगर मैं जानता होता तो क्या तुम्हें नहीं बताता ?”
-“उसकी लाश कहां है ?”
-“वहां मैं तुम्हें पहुंचा दूंगा। सैनी ने उसे उसी की कार में पहाड़ियों के बीच एक संकरी घाटी में छोड़ दिया था।”
राज उसे साथ लिए कार के पास पहुंचा।
अगली सीट पर लीना अकेली बैठी थी।
-“यह क्या है?” जौनी ने पूछा- “परिवार का पुनर्मिलन?” लीना ने उसकी ओर नहीं देखा। वह गुस्से में थी।
-“तुम्हारा दादा कहां है, लीना ?” राज ने पूछा।
-“ऊपर पहाड़ी पर गए हैं। थोड़ी देर पहले हमने क्रैश की आवाज सुनी थी। दादाजी का ख्याल है नीला ट्रक खाई में जा गिरा।”
-“वो आवाज मैंने भी सुनी थी।”
राज ने ड्राइविंग सीट वाला दरवाजा खोलकर जौनी को उधर से अंदर बैठाया ताकि वह उसके और लीना के बीच रहे।
लीना उससे दूर खिसक गई।
-“इसने मेरे और देवा के साथ जो चालाकी की थी उसके बावजूद मुझे इसके साथ बैठना होगा ?”
-“गुस्सा मत करो।” जौनी ने कहा- “सैनी जैसे आदमी ने ज्यादा देर तुम्हें साथ नहीं रखना था।”
-“बको मत! तुम कमीने और दगाबाज हो।”
राज ने कार घुमाकर वापस ड्राइव करनी शुरू कर दी।
बूढ़ा डेनियल अपनी बंदूक के सहारे पहाड़ी पर खड़ा हाँफ रहा था। दूर दूसरी साइड में नीचे घाटी में आग की मोटी लपटें उठ रही थीं
बूढ़ा लंगड़ाता हुआ कार के पास आया।
-“उन शैतानों का किस्सा यहीं निपट गया। लगता है, भागने की हड़बड़ी में वे सड़क पर खड़ी सफेद मारुति को नहीं देख पाए।”
-“अच्छा हुआ।” लीना गुर्राई- “वे शैतान मारे गए।”
बूढ़ा पिछली सीट पर बैठ गया।
राज सावधानीपूर्वक फीएट दौड़ाने लगा।
दुर्घटना स्थल पर सफेद मारुति उल्टी पड़ी थी। सैकड़ों फुट नीचे घाटी में उठ रही आग की लपटों और धुएँ से तेल और अल्कोहल की बू आ रही थी।
*****************
|