RE: Mastaram Stories पिशाच की वापसी
पिशाच की वापसी – 15
कुछ देर पानी में कोई हलचल नहीं हुई, पर तभी अचानक से, कुछ अजीब सी आवाजें आने लगी पानी के अंदर से, मानो हज़ारों किडे कुछ कुतर रहे हो तेजी से, ना जाने क्या पर बहुत ज़ोर ज़ोर से कुतरने की आवाज़ आने लगी मानो कोई चीज़ किसी में से खींची जा रही हो, पर तभी पानी में बुलबुले से बनने लगे और फिर तेज आवाज़ करते हुए, एक फुव्वारा उपर की बढ़ उड़ा, खून का फुव्वारा, मानो किसी ने पानी के नीचे खून का फुव्वारा बना रखा हो, वह खून पूरे पानी में फैल गया और कुछ ही पलों में पानी लाल हो गया, कुछ मिनट तक ऐसे ही खून का फुव्वारा निकलता रहा और फिर वह शांत हो गया.
पर शायद इस बार कुदरत, या फिर यूँ कहूँ की पिशाच के इरादे कुछ और ही थे, तभी एक बार पानी में हलचल शुरू हुई, पानी में ज़ोर ज़ोर से बुलबुले उठने लगे और अचानक ही…
पानी में से एक कंकाल हवा में उड़ता हुआ बाहर निकला और सीधा पीछे वाले पेड़ के आगे जा गिरा, और इधर गड्ढे में एक अजीब सी आवाज़ हुई और सारा पानी कुछ ही पल में ज़मीन के अंदर चला गया और वह गढ़ा सुख गया.
पेड़ के सहारे वह कंकाल ऐसे ही पड़ा रहा उसका चेहरा बता रहा था की कितनी दर्दनाक तरीके से उस नोचा गया है, हड्डियों पे भी बारे बारे निशान थे, कुछ जगह बारे बारे गड्ढे हो गये थे. मंगलू के बदन का एक भी कतरा मास उस कंकाल में नहीं बचा था.
तभी वहां किसी के पैरों की चलने की आवाज़ आने लगी,
"ये मंगलू कहाँ गया, इसको में बोला था की अकेले इस जंगल में काम मत करना, अगर करना तो किसी को साथ लेकर करना था, अब पता नहीं"
वह इतना ही कह पाया की उसकी नज़र सामने पड़े कंकाल पे गया, वह वहीं रुक गया, मानो किसी ने उस खामोशी की दवा दे दी हो, पर अचानक ही वह चिल्ला पडा..
"आआआआआआहह, भूत, भूत"
चील्लाते हुई वह वहां से भाग गया.
"हमें बारे साहब से मिलना है अभी, अभी उन्हें बाहर बुलाओ, अभी के अभी"
बहुत सारेे मजदूर एक ही जगह पी खड़े चिल्ला रहे थे.
"देखिए आप सब शांत हो जाये बारे साहब काम में है"
पुलिस वाले ने सबको शांति से समझते हुए कहा.
"उनको बोलो काम छोड के आए, हमारी फरियाद सुनने, अभी बुलाओ नहीं तो यहाँ से हम सब नहीं जाएँगे"
वहां सभी मजदूर हल्ला मचाने लगे, अंदर घुसने लगे, पर तभी.
"शांत हो जाइये सब“
अंदर से एक पुलिस वाला बाहर आया,
"शांत हो जाईये, ऐसे चिल्लाने से क्या आप अपनी समस्या का हाल पा लेंगे, देखिए आराम से बताइये क्या हुआ है"?
"साहब वह जगह, वह जगह जहाँ हम काम कर रहे हैं, वह शापित है साहब, वह जगह शापित है, लेकिन बारे लोग उस बात को नहीं मान रहे साहब, वहां हर दूसरे दिन इंसान गायब हो रहा है साहब, वह जगह शापित है"
एक मजदूर ने कहा और वहां एक पल के लिए अजीब सा सन्नाटा फेल गया.
"क्या तुम उसी जगह की बात कर रहे हो, जहाँ मेयर साहब वाला काम चल रहा है"
पुलिस वाले ने अजीब सी टोन में पूछा.
"जी साहब, आप हमारे साथ चलिए, हमारे पास सबूत है, वहां हमारे आदमी का कंकाल मिला है है साहब"
"हम्म, देखो तुम सब चिंता मत करो हम अभी चलते हैं, चलो"
बोल की पुलिस वाले जीप लेकर निकल जाते हैं, कुछ ही देर बाद पुलिस और सारे मजदूर जंगल के पास खड़े होते हैं.
"कहाँ देखा था तुमने वह कंकाल"?
"वह, वह जंगल के अंदर साहब उस जगह"
हरिया ने उंगली से इशारा करते हुए कहा.
"हम्म चलो"
बोलते हुए पुलिस वाले और कुछ मजदूर अंदर चले गये, कुछ देर चलने के बाद उस जगह पे पहुंचे पर.
"यहाँ तो कुछ भी नहीं है"
पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा, हरिया के साथ साथ सभी मजदूर हैरान थे.
"पर, पर थोड़ी देर पहले यहीं था साहब, उस पेड़ के नीचे पड़ा हुआ था"
हरिया ने अपनी बात ज़ोर देते हुए कही..
"पर यहाँ कुछ नहीं है, तुम्हें जरूर कोई धोका हुआ होगा, लेकिन फिर भी हम यहाँ पे अपनी टीम को ढूंडले के लिए भेजते हैं, पर अगर कुछ नहीं मिला तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा"
"पर साहब, भूषण भी तो गायब है, उसका क्या"
हरिया फिर से बोला और सभी मजदूरों ने उसका साथ दिया.
"हम, उस भी हम ढूंढ. लेंगे, फिलहाल तुम सब यहाँ से जाऊं और हमें काम करने दो"
इंस्पेक्टर ने इतना कहा और सभी मजदूर चले गये, की तभी उसने फोन किया.
"एस सर, हम वही है, नहीं यहाँ वह नहीं मिला, नहीं वह भी नहीं, जी सर ऑलराइट, में अभी आता हूँ"
इतना बोले के उसने फोन कट कर दिया और फिर सबको ढूंढ़ने का बोल के जंगल के बाहर निकल आया."
अच्छी तरह ढूंढो, हर जगह, कोई भी जगह छूटनी नहीं चाहिए, चलो फटाफट ढूंढो"
इंस्पेक्टर ने सभी हवलदारों को कहा और खुद फोन पे बात करने लगा.
"हाँ सर, जी आप बेफ़िक्र रहिए, नहीं नहीं यहाँ सब कंट्रोल में है, हाँ में आपके पास ही आऊंगा सीधे जी जी, ओके सर, ओके"
फोन पे बात करने के बाद वह खुद भी जंगल के अंदर चला गया.
करीब 1 घंटे तक सब वहाँ ढूंढ़ते रहे, इधर उधर लेकिन कहीं भी कुछ नहीं मिला उन्हें, आख़िर थक हार के सब जंगल से बाहर आ गये.
"हमें कुछ नहीं मिला, एक एक जगह ढूंढ़ने के बाद कहीं कुछ नहीं मिला"
इंस्पेक्टर ने बाहर आकर सभी मजदूरों से कहा.
"पर साहब ऐसा कैसे हो सकता है, हमें विश्वास नहीं है, आप एक बार फिर से"
बस वह इतना ही कह पाया.
"बस, वैसे भी तुम्हारी वजह से मैंने अपना काफी टाइम खराब कर दिया, तुम्हारी तसल्ली के लिए देख लिया ना मैंने, पर कुछ नहीं मिला, अब तुम सब अपने काम पे लग जाओ, यहाँ कुछ भी ऐसा नहीं है, अगर अगली बार गलत अफवा फैला के पुलिस स्टेशन आए तो तुम सब को अंदर डाल दूँगा"
इंस्पेक्टर ने गुस्से में कहा और वह वहां से चला गया.
मजदूर ताकते रह गये और कुछ नहीं कर पाये, यही सोच रहे थे की अब कौन है जो उनकी मदद करेगा काम छोड नहीं सकते या फिर यूँ कहा जाए की ये जगह काम छोडने नहीं देगी, इस वक्त ये सब उस जगह खड़े थे जहाँ दोनों तरफ ही खाई थी, मरते क्या ना करते, सब ने अपना काम जारी रखा.
दूसरी तरफ.
"थैंक यू सो मच मिस्टर. पाटिल, अगर आप ना होते तो आज"
मुख्तार ने इंस्पेक्टर पाटिल से हाथ मिलाते हुए कहा.
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