RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ५७ - ट्रेनिंग और प्लानिंग
मंजू , गीता और -- मेरी सास ,
प्लानिंग
सोने को भी ,मैं और मम्मी सो गए , लेकिन मंजू बाई को जाना था और उन्हें सुबह का घर का काम ,फिर आज आफिस भी जाना था।
हाँ मंजू बाई ने थोड़ी हेल्प करा दी उन्हें , और चलते चलाते एक बार फिर सुनहरे शरबत की प्याली ,पिला दी।
मंजू बाई न पक्की छिनार , एकदम किंकी ,
लेकिन उसकी बेटी गीता ( मेरी ननद गुड्डी से सिर्फ एक साल बड़ी थी ) उससे भी दस हाथ आगे ,
और मम्मी की खास चहेती ,चहेती तो वो मेरी भी थी और इनकी भी
असल में जब उन्होंने मंजू बाई को दो बार झाड़ा और अपनी सास को भी एक बार और झंडा वैसे ही तना रहा ,
मम्मी भी मान गयीं अपने दामाद को और मंजू भी , वैसे पहले भी कभी ये ' टू मिनट वंडर ' नहीं थे , मेरी सहेलियों और भाभियों ने जो अपना अपना हाल सुना के मुझे भेजा था , पहली रात को भी उनसे ज्यादा ही ,
लेकिन अब तो, एक तो उनकी सास और मंजू की ट्रेनिंग लेकिन सबसे ज्यादा असर था पहलौठी के दूध का, गीता का ,
और मम्मी और मंजू के साथ गीता भी मेरी सास के पीछे पड़ी थी , मादरचोद बस इसी नाम से इन्हे बुलाती थी , और इन्ही के सामने मेरी सास को एक से एक गन्दी गाली न सिर्फ देती बल्कि इन से दिलवाती भी थी ,
एक दिन वो आयी और दरवाजा खोलने में इन्हे थोड़ी देर हो गयी बस गीता चालू
" काहें मादरचोद , अपनी महतारी के लिए यार ढूढ़ रहे थे ,... "
" अरे अपनी माँ का सबसे बड़ा यार तो यही है " मम्मी को भी मौका मिल गया अपनी समधन की ऐसी की तैसी करने का।
" अरे उस भोंसड़ी वाली का एक से क्या होगा , वो तो पक्की रंडी है , पूछ लीजिये इन्ही से " गीता ने लेवल और बढ़ाया और इनसे ही रंडी कहलवाया।
लेकिन मम्मी भी और मम्मी को क्यों दोष दूँ इनकी मम्मी कौन कम थीं क्या ,...
रोज नाश्ते के समय मम्मी पहले अपने समधन को फोन लगाती थी और वो भी वीडियो काल , स्पीकर फोन पर
उफ़ क्या क्या बातें नहीं होती थीं , दोनों समधनों के बीच में , नहीं नहीं डबल मीनिंग नहीं एकदम खुल्लम खुल्ला, और मेरी सास इनकी सास से भी चार हाथ आगे थीं , और मुझे पक्का अंदाज है की मेरी सास को मालूम था की ये कान पारे एक एक बात सुन रहे हैं ,
बिना नागा रोज,... और कई बात देह तक भी पहुंच जाती थी , एक दिन मम्मी ने अपनी समधन को चिढ़ाया ( वीडियो काल थी ) अरे आपके आँचल में क्या लगा है ,
समझ तो मेरी सास भी गयी असली बात सीधे चोली को देखना है , पर हँसते हुए उन्होंने आँचल हटा दिया , मस्त गदराये रसीले जोबन ,
ये एकदम टकटकी लगा के देख रहे थे और मम्मी ने मेरी सास को चिढा चिढ़ा के गाना शुरू कर दिया ,
तेरे चिकने चिकने गाल मेरा दामाद चूमेगा , तेरी चोली की बड़ी बड़ी गेंद मेरा दामाद खेलेगा ,
और साथ ही पक्की प्लानिंग , जिस दिन मेरी सास आएँगी उस दिन ये कैसे चढ़ाई करेंगे , और उस प्लानिंग में मम्मी के साथ ये और गीता भी शामिल होते थे ,...
तय ये हुआ था की इन्हे ब्लाइंड फोल्ड कर दिया जायेगा ,
मातृभूमि का दर्शन करने को नहीं मिलेगा , बंद आँखों से पहले चूमें चाटे चूसे , चाहे तो जीभ अंदर डाल दें , और उसके बाद ,
मैंने सजेस्ट किया की मेरी सास के चूतड़ के नीचे मोटी मोटी तकिया कुशन पर इन्होने वीटो कर दिया ,
अरे पहले ही तेरी सास का पिछवाड़ा बहुत मांसल और गदराया है ,
पर मैंने भी बता दिया , लेकिन अपनी सास की बिल में अपने मर्द का खूंटा मैं ही सटाउंगी ,
ये मान गए पर उनकी सास ने हुकुम सुना दिया ,
पहले धक्के में ही सुपाड़ा पूरा अंदर होना चाहिए
एकदम, वो बोले और कुछ दिन में तो मम्मी थोड़ा सा प्रोग्राम बताती तो बाकी का ये खुद , कैसे निहुरा के , कैसे पीछे से ,
सच में मम्मी , मंजू और गीता ने मिल के उन्हें मन से तो पक्का मादरचोद बना दिया था ,
तन का बस मौके की बात थी ,
और गीता तो एकदम से मेरी सास के पिछवाड़े पड़ी थी , स्साले गाँड़ जरूर मारना ,
पर मम्मी भी उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा रखी थी ,
गांड किसी की भी मारने के पहले उनके दामाद को गाँड़ मरवानी होगी और कैसे किससे ये मेरे जिम्मे था
सोचने में भी और करने में भी , ... ये भी न एकदम उसके पक्के , ...
लेकिन मैं मान गयी गीता को , ... उनके खूंटे पे रोज , पहलौठी का दूध , ... बिना नागा , दोनों टाइम , ...
और उसे इस बात का फरक भी नहीं पड़ता था की मम्मी सामने बैठी हैं या , वहीँ खोल के , ..
पूरे दस पन्दरह मिनट तक , रगड़ रगड़ कर , ...
उस का असर भी इनके खूंटे पे दिख रहा था , एकदम लोहे का खम्भा हो रहा था , मोटाई भी पहले से बीस नहीं बाइस हो गयी थी ,
और कई बार दूध लगाने का काम गीता करती और मुठियाने का ये और कई बार गीता खुद ,...
साथ में गीता की गालियां ,
" साले रंडी के जाने , ये मोटा लंड तेरा जाएगा उसी रंडी के भोंसडे में जिससे तू गांडू निकला है , पहली बार में उस रंडी को गौने की रात की याद दिला देना या जब तेरे मामा के संग.... "
और मम्मी और गीता को हवा देतीं , " ये तो तू इसके मन की ही बात कह रही है और मेरी बेटी की सास की भी ,... "
अक्सर जब गीता का पहलौठी के दूध से मुठियाने का काम चलता तो मम्मी अपनी समधन से बतियाती रहतीं ,...
एक दिन तो मम्मी ने हद कर दी , गीता ने खूब दूध लगा दिया था और ये मुठिया रहे थे उसी समय मम्मी ने कैमरा मोबाइल का इनकी ओर कर दिया
और जब से तय हुआ था की मेरी सास आएंगी , उनके साथ , ..
सास को बेटा चोद और इन्हे मादरचोद बनाने का प्लान पक्का हो गया था ,
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