Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-01-2021, 05:20 PM,
#96
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
प्रियम के लंड से नूतन के चुदते मुहँ पर ही राजू की पिचकारी गिरने लगी, इतने में प्रियम ने नूतन के मुहँ से लंड निकल लिए और बुलेट ट्रेन की स्पीड से मुठीयाने लगे | राजू के सफ़ेद लंड रह से नूतन का पूरा मुहँ सन गया, कुछ लंड रस उसके मुहँ में भर गया | नूतन ने राजू का लंड छोड़ दिया, राजू खुद ही अपने लंड को पकड़कर बचा कुचा सफ़ेद लंड रस की बुँदे निचोड़ने लगा |
इधर प्रियम की भी पिचकारी छुटने लगी | प्रियम - आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्ह नूतन माय जान बेबी, आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्ह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! और दे दनादन एक के बाद एक, कभी नूतन के ओठो पर कभी उसकी आँखों पर, कही गले, कभी सीधे मुहँ में, प्रियम की गोलियों में भरा गरम सफ़ेद गाढ़ा लावा लंड से निकलकर गिरने लगा | उस गरम लावे की तपिश नूतन को अपने गरम बदन पर भी महसूस हो रही थी | दोनों लंड के मथन से उनके जिस्म से निकला गरम सफ़ेद गाढ़ा लंड रस से नूतन का पूरा मुहँ सरोबार हो गया | वो अपने मुहँ पर फैले गरम लावे को समेटकर अपने मुहँ में भरने लगी | दोनों के लंड हाथ में लेकर उनसे आखिरी बूंद तक निचोड़ने लगी, उसके मुहँ में भरी सफ़ेद गाढ़ी क्रीम उसके उन्ठो की गिरफ्त की पार करके मुहँ से बाहर फिसलने लगी और नूतन बड़ी सैक्स्ट अदाओ से मोबाईल के कमरे की तरफ देख रही थी |

दोनों के लंड नरम होने शुरू हो गए थे | नूतन बार बार मुहँ से फिसल कर नीचे की तरफ जा रही गाढ़ी सफ़ेद लंड क्रीम को मुहँ में भर लेती और फिर दोनों के सुपाडे को बारी बारी चिसने लगती | दोनों अपने नरम होते झड चुके लंड को नूतन के लंड रस से सने मुहँ पर हिला रहे थे | उसके गाल सहला रहे थे और नूतन बारी बारी से उनके सुपाडे को मुहँ में ले रही थी |

अब तीनो बिस्तर पर निढाल हो गए | सबकी आंखे बंद थी, शायद अभी अभी मिले चरम सुख को याद कर रहे थे | रीमा ने मोबाईल ऑफ किया और धीरे से दीवार से उतरी, वो वापस मैं हाल में जाने लगी तभी उधर से उसे कोई आता दिखाई दिया | रीमा एक झुरमुट की आंड में हो गयी | जब वो काफी नजदीक आ गया तो रीमा उसे पहचान गयी, ये तो वही परछाई वाला शख्स है | ये तो जग्गू है | ये इधर क्या करने आ रहा है | कही इसको मेरे बारे में पता तो नहीं चल गया | या ये प्रियम से मिलने आ रहा है | या ये भी नूतन के प्लान का हिस्सा है | अब दोनों के जाने के बाद ये अपनी प्यास बुझाएगा | जग्गू जैसे जैसे हट की तरफ बढ़ रहा था रीमा को उसके बारे में सब कुछ साफ़ दिखने लगा था | वो पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को सहलाते हुए आ रहा था | इसक मतलब ये था की वो भी अपनी ठरक उतारने ही उधर आ रहा है | जग्गू ने भी शराब पी रखी थी |

इससे पहले जग्गू हट के गेट तक पंहुचता | हट का गेट खुल गया | प्रियम और राजू दोनों चोरो की तरह उसमे से बाहर निकले, चारो तरफ नजर दौडाई, जब उन्हें कोई नजर नहीं आया तो चोरो की तरह चुपके से अपने गतव्य की ओर चल पड़े | प्रियम और राजू को देखकर जग्गू एक बारगी को एक पेड़ की ओट हो गया | जग्गू समझ गया कुछ तो गड़बड़ है | इतनी देर से इन्हें ढूंढ रहा हूँ और ये साले यहाँ इतनी दूर इस झोपड़े में क्या कर रहे है | उसे रंगे हाथो प्रियम और राजू को पकड़ना था लेकिन उसकी बजाय, उसकी दिलचस्पी हट में ज्यादा थी | ऊपर से प्रियम की चाची रीमा उसके लिए एक रहस्य सी बन गयी थी | उनको कहाँ कहाँ नहीं ढूँढा लेकिन वो कही दिख ही नहीं रही है | हाल में सब नशे में धुत है, कही तो वो भी नशे में धुत पड़ी होंगी, अपने हसीन जवान गोर जिस्म को लेकर | बस एक बार दर्शन हो जाये दूध जैसे गुलाबी गोरे बदन के, जहाँ मिलेगी वही दबोच लूगाँ, मसल डालूँगा साली | साली क्या माल है, ये आटू झान्टू लौडिया उसके आगे सब बेकार है | साला एक बार उसकी चूत गुलाबी के दर्शन हो जाये तो जिंदगी सफल हो जाये | बस एक बार साली को चोदने का मौका मिल जाये, जिंदगी भर की प्यास बुझा लूँगा | पूरी रात चोदुगा साली को, भले ही गोली खानी पड़े | यही सब सोचकर जग्गू तेजी से पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था | जैसे ही प्रियम और राजी थोडा दूर निकल गए, जग्गू हट की तरफ बढ़ गया |

रीमा भी झुरमुट की आंड से निकलकर हट के पास आ गयी | पता नहीं आज क्या होने को था, वो तो बस प्रियम को ढूढ़ने आई थी और यहाँ जो हो रहा था उसे देखकर रुक गयी लेकिन खेल तो पता नहीं किस तरफ जा रहा था | रीमा को अब ऐसे रहस्यमयी खेलों में बड़ी दिलचस्पी रहती थी | अब ये जग्गू हट के अन्दर जाकर पता नहीं क्या गुल खिलायेगा | रीमा का वहां से जाने का मन था, वो प्रियम के लिए आई थी और प्रियम जा चूका था | अब उसका यहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं था, लेकिन जग्गू में अचानक जगी उसकी दिलचस्पी, उसके अंतर्मन को कुचल उसके शैतानी दिमाग पर हावी होती जा रही थी | रीमा ने लम्बी उहा पोह के बाद आखिर सच पता चलने तक रुकने और इन्तजार करने का फैसला किया |

नूतन और जग्गू की आपस में नहीं बनती थी, उसका कारन था जग्गू का मुहँ फट्ट होना | नूतन को उसका जाहिलपन बिलकुल पसंद नहीं था | जग्गू नूतन के मुहँ पर ही वो सारी बाते बोल देता था जिनके बारे लोग नूतन की पीठ पीछे बाते करते थे | नूतन के नजर में जग्गू एक नंबर का लुच्चा लफंगा बदमाश और लडकियों की इज्जत न करने वाला लड़का था | जग्गू की नजर में नूतन एक नंबर की छिछोरी रंडीबाज लौंडिया थी जो न जाने कितने लंडो से कितनी बार चुद चुकी होगी, और चुदवा चुदवा कर अपनी चूत सुरंग बना चुकी होगी | नूतन जिस भी लड़के से बात करती थी जग्गू उसका मतलब ये समझता था की नूतन उससे भी चुदवा चुकी है या चुदवाने की तैयारी में है | इसी वजह से जग्गू उसकी जरा सी भी इज्जत नहीं करता था |

रीमा हट के गेट के पास आ गयी, जग्गू अब तक अन्दर घुस चूका था | जग्गू ने अन्दर जाकर जो देखा, उसके मुहँ से अनायास ही निकल गया - अरे बहनचोद ये साले यहाँ इस रंडी को चोदने आये थे इसलिए साले हमको नहीं बताये | इनकी माँ की चूत साला ये तो जैकपोट मार लिए, हमको बताया तक नहीं बहनचोदो | इनकी माँ का भोसना मादरचोदो की | इनको तो बाद में देखूगां, पहले जरा इस रंडी नूतन की चूत का हाल चल तो लू | जग्गू में मतलब भर की शराब पी रखी थी, और उसका साफ़ असर उसके बोल चाल में दिख रहा था |
नूतन ने भी एक पैग लगा रखा था लेकिन वो पुरे होशो हवास में थी, अचनक से जग्गू को हट में देखकर हक्की बक्की सी जग्गू को देख रही है, उसे कुछ समझ नहीं आया, ये जग्गू कहाँ से आ गया | असल में प्रियम और राजू के जाने के बाद नूतन हट का दरवाजा बंद करना भूल गयी | बल्कि ऐसे ही खुद को ठीक करने लगी | लंड रस से सने मुहँ को अच्छे से पोछकर मेकअप करने लगी | इसी चक्कर में अपने कपड़े पहनना भूल गयी , उसकी छातियाँ बिलकुल बेपर्दा थी | उसकी शार्ट पेंट भी नीचे को खिसकी हुई थी, उसकी गुलाबी पैंटी भी अपनी जगह से नीचे को खिसकी हुई और उसके चूत त्रिकोण का चिकना बाल रहित इलाका और चूत की दरार साफ़ दिख रहा था | जग्गू को देखते ही उसने झट से कपडे उठाकर खुद को ढकने की असफल कोशिश की, लेकिन जग्गू उसके जवान कमसिन जिस्म के उतार चढ़ाव की एक पैमाइश तो ले ही चूका था | जग्गू ने आज तक कभी नूतन की चुंचियां और उरोज नहीं देखे थे बस ऊपर से टाइट कपड़ो के उभारो उसके स्तनों और चुताड़ो का अंदाजा लगाता था |
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