Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-01-2021, 05:21 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
जग्गू पूरी तरह से वासना में मस्तियाँ गया | नूतन एक हाथ से जग्गू का लंड मसल रही थी और दुसरे हाथ अभी भी जग्गू के सख्त पकड़ में था | नूतन ने अपनी करवट बदल जग्गू के ऊपर आने की कोशिश की, पहली कोशिश ने नाकाम रही लेकिन जब उसने जग्गू के लंड को जोर से मुठियाना शुरू किया तो जग्गू थोड़ा रिलैक्स हो गया और वो जग्गू के पैरो में से अपने पैर तो खिसकाने में कामयाब हो गयी | इतना होते ही उसने पूरी ताकत से जग्गू के तने हुए कठोर लंड जकड लिया और उसके दुसरे हाथ में कसकर काट लिया | एकदम अचानक हुए इस हमले से जग्गू के हाथ, पांव ढीले हो गए और नूतन उछालकर उसके चंगुल से बाहर आ गयी | जग्गू दर्द से बिलबिला गया | वो हाथ पकड़कर दर्द के मारे चिल्लाने लगा | इससे पहले नूतन रीमा को देख पाती रीमा फिर से दरवाजे के सामने से हटकर दरवाजे की ओट में चली गयी | नूतन के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था , वो पूरी तरह से नंगी थी, उसके चेहरे पर डर और सदमे का गहरा मिश्रण था, बाल उलझे हुए थे, गालो पर थप्पड़ के निशान थे और हाथो पर लालिमा छाई हुई थी | आँखों में आंसुओं का सैलाब था | रीमा को देखते ही फूटफूट कर रोने लगी | उसकी अहलत देखकर रीमा का कलेजा अन्दर तक काँप गया | ऐसी नंगी और बदहवास हालत में अगर वो बाहर जाती है तो उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है और अगर नहीं गयी तो इज्जत खतरे में थी | किस्मत अच्छी थी जो समय पर रीमा आ गयी और नूतन का रेप नहीं हुआ, जग्गू जैसे जानवर के हाथो चुदने लुटने से बच्ग गयी | इससे पहले कि दर्द से बिलबिलाता जग्गू संभल कर नूतन पर वार करता या दहसत से भरी नूतन बाहर की तरफ भागती | बाहर से एक जोर की आवाज आई - प्रियम आर यू देयर ????
नूतन और जग्गू दोनों चौंक गए | नूतन कुछ समझ के लिए बाहर झांकती, इससे पहले रीमा हट के दरवाजे के मुहाने तक आ चुकी थी |
दरवाजे पर आते ही रीमा ने जो देखा - ओह माय गॉड,............................|
नूतन भी रीमा को देखकर एक दम शाक्ड रह गयी, उससे ज्यादा तगड़ा झटका जग्गू को लगा, जिसका कांपता हुआ तना कठोर सीधा लंड उसकी पेंट के बाहर झूल रहा था | नूतन सही गलत सोचने की स्थिति में नहीं थी, वो बस रीमा की तरफ लपकी और चीखी - ये जानवर मेरा रेप करने की कोशिश कर रहा था |
रीमा ने नूतन को सांत्वना दी | नूतन रीमा के पीछे जाकर खड़ी हो गयी | रीमा ने ऐसा जताने की कोशिश की जैसे वो यहाँ बस अभी आई हो, तेज आवाज में गरजी - क्या हो रहा है यहाँ ??????
जग्गू बस बुत बनकर खड़ा हो गया - वो औरत जिसको चोदने के वो सपने देखता था, उसके सामने इस हालत में, पेंट पैरो में पड़ी हो, तना हुआ लंड खून के दौरान से कांपता हुआ, हाथ में काटे जाने का जख्म और बलात्कार का आरोप | जग्गू के रीमा को चोदने के सपने की तो जैसे बाल हत्या हो गयी | एक पल में वो विलेन बन गया | सबसे बड़ी बात थी इसके लिए किसी तरह के सबूतों की जरुरत नहीं थी |
जग्गू हतप्रभ था, ये यहाँ कैसे आ गयी, उसका नशा छु मंतर हो गया | रीमा उसे दरकिनार करते हुए अन्दर की तरफ बढ़ी | नूतन के कपड़े उठाये और तेजी से फिर नूतन के पास पंहुच गयी |
रीमा ने बिना पल गंवाए नूतन को बोला - भाग नूतन भाग |

रीमा और नूतन दोनों मैंन हाल की तरफ भाग निकले, एक अच्छी खासी दूर आने के बाद नूतन ने जैसे तैसे अपने बदन पर कपडे डाले | उसके बाद दोनों मैंन हाल की तरफ चलते रहे | बीच बीच में नूतन अपने अस्त व्यस्त बालो को ठीक करने लगती लेकिन अभी भी उसे पूरा होश नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है , उसके टॉप से उसके बड़े बड़े स्तन बाहर को साफ़ झलक रहे थे | उसके बाल उलझे थे, चेहरे का मेकउप अस्त व्यस्त हो गया था, आँखों से आंसू निकलने के कारन काजल बहकर गालो तक आ गया था | दोनों तेज तेज भागते हुए मैंन हाल की तरफ पंहुच गए, बाहर लान में लाइट जल रही थी लेकिन धीमी धीमी, जबकि अन्दर हाल पूरा रौशनी से जगमग था | रीमा ने बाहर से ही हाल की तरफ देखा, जिसमे शीशे के बड़े बड़े दरवाजे लगे, उसे हाल में कोई दिखाई नहीं दिया | वह नूतन को वही एक कोने में खड़ी रहने को कहकर तेजी से अन्दर गयी, वहां कोई नहीं दिखा, उसे समझ नहीं आया कि लोग ऐसे कैसे गायब हो गए, कहाँ गए सब के सब | उसने वहां सर्व कर रहे एक वेटर से भी पुछा | उसने अनभिज्ञता जाहिर की | उसने वेटर से पानी की दो बोतले ली और नूतन को पकड़कर बाथरूम की तरफ चली गयी | बाथरूम जाकर उसका अच्छे से मुहँ धोया, नूतन के कपड़े ठीक करने लगी | नूतन की भी चेतना लौटने लगी थी | नूतन भी खुद को सँभालने लगी | नूतन ने अपना मुहँ पोछा, बाल ठीक किये और शीशे में खुद को देखने लगी | उसके चेहरे पर डर और सदमे दोनों के भाव थे | वो बस फिर से रोने वाली ही थी, रीमा ने हाथ पकड़कर मजबूत आवाज में - रोना मत नूतन, उस हरामी के पिल्लो को आज सबक सिखाकर ही यहाँ से जायेगें | अगर तूने रो दिया तो वो साला दो टके का लौंडा जग्गू और उसके अन्दर का जानवर जीत जायेगें | चल अभी तो उसकी फाड़ने की बारी है |

उधर जग्गू नशे और वासना में धुत , उसे समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है, उसके हाथ पर नूतन के दांतों के खुनी निशान बन गए थे, वो दर्द से बिलबिला रहा था, लंड उसका पहले की तरह ही अकड़ा हुआ था | इधर जग्गू जब तक अपनी पेंट संभालता और उसमे अपने पूरी तरह से तने कठोर मुसल लंड, जो खून के तेज दौरान से फड़क रहा था, को हाथ से मसलता हुआ, नशे में हिलता हुआ, अपने हाथ को सहलाता हुआ, नूतन के दांतों के बने निशान देखकर कराहता हुआ जैसे ही रीमा और नूतन को पकड़ने/रोकने हट गेट के बाहर निकला, उसे रीमा और नूतन मैंन हाल की तरफ भाग कर जाती दिखाई दी | नशे में होने के बावजूद वो उनके पीछे भागा, उसकी पेंट और अंडरवियर घुटनों से खिसकती हुई पंजो की तरफ जा रही थी, जब उसकी पेंट और चड्ढी ही उसके कदमो में फसने लगी तो वो झुंझलाकर कुछ कदम दौड़कर रुक गया | नशे में भी उसका दिमाग काम कर रहा था, वो समझ गया मैंन हाल में उसका बाप होगा और ये जालिम कमसिन बेशुमार हुस्न की मलिक्का रीमा चाची पता नहीं क्या करने वाली है | उसने अपने मन में ही अंदाजा लगा लिया कि वहां क्या होने वाला होगा | वो हाल की तरफ भागती जा रही रीमा के उठते गिरते थलर थलर होते और नूतन के अध् खुले बड़े बड़े मांसल उठे हुए चुतड़ो तब तक देखता रहा जब तक उसकी नजरो से वो मंजर ओझल नहीं हो गया | रीमा और आधी नंगी नूतन उसकी पलको के सामने से एक पल में ओझल हो गयी | जग्गू कभी अपने हाथ पर बने दांतों के घाव को देखता कभी खून से भरे तने कठोर लंड को | क्या करे क्या न करे ये सब उसकी समझ से दूर था | अपने घाव वाले हाथ को दुसरे हाथ से थामे, दर्द को सहता हुआ, पैरो के पंजो तक सरक कर पंहुची अंडरवियर और पेंट में फंसे पैरो से दो चार कदम और आगे की ओर चला, लेकिन रीमा और नूतन गायब हो गए थे, जहाँ तक उसे बल्बों की रौशनी दिख रही थी, सन्नाटा था, कोई नहीं था, उसके आगे घटाटोप अँधेरा | हारे हुए जुंआरी की तरह थका हारा जग्गू पीछे की तरफ लौटा, जैसे ही उसके कदम पीछे की तरफ घूमे उसे अपनी हालात का ख्याल आया | एक पल को वो तेजी से पीछे हटा, हाथ के दर्द को बर्दाश्त करते हुए, किसी तरह अपनी अंडरवियर और पेंट को ऊपर को चढ़ाया, और हट की तरफ भागा | हट के अन्दर आते ही जोर से चीखना चाहता था लेकिन चीख नहीं सका, अपने लंड को जोर जोर से मुठीयाने लगा, लेकिन शायद वक्त और माहौल को उससे ज्यादा उसका लंड भांप चूका था, उसने अपनी अकडन छोड़ नरम होना शुरू कर दिया, उसके अन्दर की वासना मर चुकी थी, उसके मन मस्तिष्क उसके हाथो का साथ नहीं दे रहा था | बेतहाशा मुठीयाने के बावजूद लंड मुरझाता ही जा रहा था |

आखिर हारकर उसने उसे अपनी अंडरवियर और पेंट में कैद कर दिया | उसे पता था मैंन हाल में जाना बेवकूफी है और प्रियम राजू ने भी उससे अपना राज शेयर नहीं किया था | कुछ देर अपने आधे होशो हवास में वो सोचते सोचते वही बैठा रहा फिर आखिरकार थके बोझिल लड़खड़ाते कदमो से हारे हुए योद्धा की तरह पार्किंग की तरफ चल दिया | वहां उसकी गाड़ी में लेटे उसके ड्राईवर को भगाकर उसमे लेट गया | ड्राईवर को जग्गू के इस तरह के व्यवहार की आदत थी, वो जाकर जान पहचान वाले एक ड्राईवर के साथ उसकी गाड़ी में बैठ गया |

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