RE: गुलाबो
मुझे शहर आए हुए आज चौथा दिन था , मेरी गांड़ का दर्द अब ठीक था तथा मेरी चाल भी ठीक हो गई थी। इन तीन दिनों में चाचा से अलग दूसरे कमरे में सोती थी। चाचा ने भी किसी तरह की ज़िद या जोर जबरदस्ती नहीं की थी, वो एक दम सामान्य व्यवहार कर रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं ।
मेरा गुस्सा भी अब उतर चुका था तथा मुझे चाचा पर फिर से प्यार आने लगा था, या समझो की मेरी गांड़ में फिर खुजली होने लगी थी या कहो वो लंड खाने को मचलने लगी थी।
मेरी समस्या ये थी कि में पहली चुदाई के बाद चाचा से झगड़ पड़ी थी और तीन दिन से अलग सो रही थी तो अब किस मुंह से चाचा के पास जाऊं। पूरा दिन में पलंग पर लेटी अपने हाथ से रगड़ रगड़ कर अपनी गांड़ को शांत करने की असफल कोशिश करती रही।
रात का खाना खा कर हम लोग अपने अपने कमरे में चले , में पलंग पर करीब चार घंटे करबट बदलती रही मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरा शरीर, चाचा के कठोर शरीर के नीचे पिसना चाहता था तथा गांड़ विशाल लंड खाने को बैचेन थी।
जब मेरी कामुकता बर्दाश्त से बाहर हो गई तो मैं बाथरूम से ऐलोवेरा जेल ले कर चाचा रूम की और चल दी। चाचा अपने पलंग पर सिर्फ तहमद पहन कर सो रहे थे उनका विशाल बालों भरा शरीर ऊपर से पूरा नग्न था। उनका लंड तहमद के नीचे किसी तोप की तरह से खड़ा था । ये दृश्य देख कर मेरे मुंह मे पानी आ गया। मेंने पलंग पर चढ़ कर आहिस्ता से चाचा के तहमद को हटा उनके काले मुस्टंडे लंड को प्यार से चूमा। इस समय वो काला मुस्टंडा मुझे दुनिया की सबसे सुंदर लिंग लग रहा था।
मेंने अपनी गांड़ में ऐलोवेरा जेल अच्छी तरह भरी व कुछ देर अपनी गांड़ में ऊंगली कर उसके छल्ले को थोड़ा ठीला किया। तत्पश्चात चाचा के शिश्न पर अच्छी तरह जैल लगाई और अपना घाघरा कमर तक उठा , चाचा की कमर कोअपने दोनों पैरों के बीच कर उस पर उकडू बैठ गई, चाचा के लंड को अपनी गांड़ के मुहाने लगाया और धीरे धीरे दबाब बनाते हुए लंड को अंदर लेना शुरू किया। थोड़े से प्रयास के बाद मुझे मेरी गांड़ का छल्ला बहुत दर्द के साथ
फैलता हुआ महसूस हुआ, चूंकि इस बार में दर्द सहने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी , मैं रूकी नहीं और दांत भींच कर दर्द सहते हुए पूरा लंड अपनी गांड़ में समा लिया। अब चाचा का आठ इंची लंड पूरी तरह मेरी गांड़ में था।
में फिर ऊपर उठी चाचा का आधे से ज्यादा लंड गांड़ से बाहर निकल आया , मेंने फिर दबाव बना कर उसे अंदर कर लिया।
इस बार चाचा की नींद खुल गई, उन्होंने मेरी आंखों में आंखें डाल मुस्कराते हुए कहा..... मेरी जान मुझे पता था कि तू जरूर मेरे पास आएगी।
भावेश में मेरी आंखों में आसूं आ गये, मेंने अपने कोमल हाथों से चाचा के सीने पर मुक्के मारते हुए कहा.....आप बहुत निर्मोही हो जी ...आप खुद नहीं आ सकते थे मेरे पास , में तीन दिन से में अकेली सो़ रही हूं।
चाचा ने मेरी कमर पर अपनी बांहें लपेट मुझे अपने सीने से लगा लिया, और बोलें ....ना मेरी गुड़िया ऐसी बात नहीं है मुझे तेरे गुस्से और चुदाई से हुईं तकलीफ का अंदाजा नहीं था इसलिए मैं सोच रहा था कि तुझे एक सप्ताह आराम करने देता हूं अन्यथा तू जानती है कि अब में तेरे बिना रह नहीं सकता।
में भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकती मेरी जान... मेंने चाचा के होंठों को चूमते हुए कहा।.... हां एक बात और आज से आपका और मेरा .. चाचा - भतीजे वाला रिश्ता खत्म । आज से हम जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती पति पत्नी की तरह लिव इन रिलेशन में रहेंगे।
औ के मेरी जान.. चाचा ने कहा और एक जोरदार धक्का कमर उचका कर मारा।
ईईईईई मरी ... ये क्या कर रहे हो,...आज जो भी करना है में करुंगी।
तो जल्दी करो ना मेरी गुलाबो... लंड मर्दन के लिए बैचेन है चाचा ने कहा।
मेंने कमर हिला कर धक्के लगाने की कोशिश करी मगर नाकाम रही क्योंकि इसका मुझे बिल्कुल भी अभ्यास नहीं था।
कैसे करूं.. मेरे से हो नहीं रहा ... मेंने हार कर चाचा से पूछा
मेरी जान तुम मेरे लन्ड पर बैठी हो और आगे मेरे सीने पर झुकी हुई हो अतः घुटने के सहारे अपने नितम्ब उठाओ और फिर नीचे ले आओ । चाचा मुझे समझाता हुआ बोला।
मेंने फिर कोशिश की इस बार में कामयाब रही और धीरे धीरे धक्के लगाने लगी। करीब तीस धक्कों के बाद मेरा दर्द भी गायब हो गया था और लंड भी बड़ी आसानी से मेरी गांड़ का मर्दन कर रहा था।
अब मैं चुदाई का वास्तविक आंनद ले रही थीं मेरे मुंह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकल रही थी, चाचा के हाथ मेरी पीठ और नितम्बों को सहला रहे थे।
आहहहहह मेरे राजा गुदा मर्दन में इतना मज़ा आ सकता है ये मेंने कभी सोचा ही नहीं था .... मेरी जान तेरे लंड पर कुर्बान जाऊ ...उई अरे मेरी अम्मा देख तेरी बेटी आज लंड पर चढ़ गई ...हाय रे मर ही जाऊंगी।
आहहहहह मेरी जान गुलाबो तू तो बिल्कुल किसी प्रोफेशनल चुद्दकड की तरह चुदाई कर रही है... हआआआ हो हो मेरी रंडी निचोड़ लें मेरे लंड को उफफं.. चाचा सिसकियां लेता हुआ बडबडाए जा रहा था।
मेरे सैंया आपका लंड क्या में तो आपको ही निचोड़ दूंगी थोड़े दिन रूक जाओ ....हाययय रे दैय्या री मर गई , अचानक चाचा ने नीचे से कमर उचका कर जोरदार धक्का मारा।
बहनचोदी मुझे धमकाती है कि मुझे ही निचोड़ हूंहूंह लेगी ...आहह भूल गयी तीन दिनों तक ठीक से चल नहीं पाती थी ....ये ले हूं हूं आह चाचा ने कमर उछाल उछाल कर धक्के लगाने शुरू कर दिये।
आहहहहह..मेरे राजा ...उईईई.. मार जोर से धक्के ...अरे मरी रे ...फाड़ दे मेरी ... ईईईईई..में उत्तेजना के अतिरेक से बड़बड़ाये जा रही थी।
फिर मैं चाचा के उपर से उठी....मेरी जान अब मैं नीचे लेटती हूं तू मेरे पर चढ़ाई कर ...जब तक मेरा सांड मुझ पर चढ़ कर मेरे शरीर को रौंदेगा नहीं मजा नहीं आयेगा।
में पीठ के बल लेट गयी , अपने नितम्बों के नीचे तकिया लगा अपने पैर मोड़ कर ऊपर उठा मैंने अपनी गुदा चाचा के सामने कर दी....आजा मेरे राजा पीस दे अपनी रंडी के शरीर को , फाड़ दे मेरी गांड़.... में वासना में सराबोर स्बर में बोली।
चाचा ने अपना सुपाड़ा मेरी गुदा के छेद पर लगाया और एक ही धक्के में पूरा घुसेड़ दिया।
अब
आआईईई मर गई रे.... थोड़ा धीरे कर ले हरामखोर...में जोर से चीखी। इस आसान से चाचा के लंड की पहुंच मेरी आंतों तक हो गयी थी और लंड ने मेरी आंतों पर जोरदार चोट पहुंचाई थी।
बहनचोदी अभी कुछ देर पहले तो बड़ी उछल रही थी...अब क्या हो गया...हूंम्म्म ये ले फाड़ दूंगा आज तेरी।
मेरी सारी अकड़ ठीली पड़ गयी थी, में गिड़गिड़ाते हुए बोली.... मेरे राजा इस आसन से लंड मेरी आंतों तक पहुंच रहा है, मुझे अभी इतना सहने की आदत नहीं है, मेरे पेट में दर्द हो रहा है, फिर तीन दिन के लिए बिस्तर पर पड़ जाएंगी क्या फ़ायदा ... ईईईईई मां धीरे।
चाचा बोला .. ठीक है बता कैसे करवायेगी?
मैं उल्टी लेट जाती हूं नीचे तकिया रख कर । में बोली
चल जल्दी कर । चाचा बोला
में तुरंत पेट के बल लेट गयी तथा नीचे तकिया रख लिया , इससे मेरे नितंब उभर कर चाचा के सामने आ गये।
चाचा ने दोनों हाथ मेरे नितंबों पर फेरते हुए उनको खोला और अपना सुपाड़ा मेरी गुदा द्वार पर रख हल्का सा धक्का लगाया, उसका पूरा लंड फिसलता हुआ मेरी गांड़ में घुस गया। ...आहहहहह मेरे सैंया ऐसे ही करो। में सिसकते हुए बोली।
ये आसन मेरे अनुकूल था क्योंकि चाचा का लंड मेरी आंतों तक पहुंच तो रहा था, पर चोट नहीं पहुंचा पा रहा था। क्योंकि मेरे नितंब थोड़ा अवरोध पैदा कर रहे थे।
चाचा मेरी पीठ पर औंध गया था और दमादम धक्के लगा रहा था और में उसके नीचे दबी सिसकियां भर रही थी।
करीब दस मिनट ऐसे ही मेरी चुदाई करने के पश्चात अचानक चाचा ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।
हूं हूं हूं मेरी गुलाबो में मेंरा निकलने वाला है ... में झड़ने वाला हूं ...मेरी जान आहहहहह में गया । चाचा ने मुझे कस कर जकड़ लिया।
उईई...मेरे राजा ...आहह ..अंदर ही झाड़ दो मेरे सैंया ... है अम्मा री । अचानक मुझे लगा मेरी गांड़ में लावा फैल गया।
करीब पांच मिनट बाद मैं उठी अपने घाघरे से ही पहल अपनी गांड़ साफ करी । चाचा का लंड अच्छे से पोंछा उसे प्यार से सहलाते हुए चूमा फिर चाचा से चिपक कर कर सो गयी।
क्रमशः
|