Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:18 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम उस कहानी को सुनते हुए गरम हो चला था..उसका एक हाथ सादिया की गान्ड पर और दूसरा उसकी नंगी जाघ पर था...

सादिया भी अपने पुराने दिन याद करते हुए बहक गई थी...उसे अकरम की हर्कतो ने और भी गरम कर दिया था...

अब दोनो एक दूसरे की आँखो मे देखने लगे पर अकरम के हाथ बराबर चल रहे थे...और सादिया को पसंद भी आ रहे थे...

सादिया- अकरम...तुम...

अकरम- आंटी...आप..आप कितनी..हॉट...

अकरम ने अपना चेहरा आगे किया तो सादिया ने भी अपनी आँखे बंद कर के अपने होंठो को खोल दिया....

अकरम को इतना इशारा काफ़ी था और उसने आगे बढ़ कर अपने होंठ सादिया के होंठो पर टिका दिए....और देखते ही देखते दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे....

कामिनी के घर..........

मैं ऑफीस से निकला पर साला मेरी कार पन्चर मिली तो मैने डॅड की कार ली और सीधा कामिनी के घर पहुँचा तो पता चला कि काजल जो कह रही थी वो सच था....दामिनी ज़ोर -ज़ोर से चीखते हुए मेरे डॅड का नाम ले रही थी...

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है...क्या दामिनी को सच मे कुछ हुआ है या फिर ये उसका कोई नाटक है...

मैने भी आगे बढ़ कर दामिनी को शांत करने की कोसिस की पर वो नही संभली....

थोड़ी देर बाद वहाँ रॉनी भी आ गया...उसे मैने ही कॉल किया था....

रॉनी- क्या हुआ सर...

मैं- रॉनी...दामिनी का चेकप करो...जल्दी...

फिर मेरे कहने पर सब लोग रूम से निकल गये और मैने गेट लॉक कर दिया और जैसे ही पलटा तो दामिनी को देख कर खुश हो गया...पर साथ मे गुस्सा भी बहुत आया....इतने टाइम मे रॉनी ने सिग्नल जाम कर दिए थे....



मैं(बेड के पास आ कर)- ये सब क्या था...

दामिनी- तू बैठ तो...सब बताती हूँ...

मैने गुस्सा दिखाते हुए दामिनी के बाल पकड़े और उसके गाल पर एक चपत लगा दी....

मैं- क्या है ये...ये नाटक किस लिए...

दामिनी- हाए...इसी बहाने हाथ तो लगाया तूने...

मैं- तो तूने हाथ लगवाने को यहा बुलाया था....

दामिनी- नही...कुछ बताने के लिए..कुछ खास...कुछ ऐसा जिसके लिए मैं वेट नही कर सकती थी...इसलिए ये सब नाटक किया....

मैने दामिनी की बात सुन कर उसके बाद छोड़े और बेड पर उसके सामने बैठ गया....

मैं- ऐसी क्या खास बात है...ज़रा मैं भी तो सुनू....

दामिनी- देखो अंकित...ये मज़ाक नही...मेरी बात ध्यान से सुनो...

मैं- हाँ...बोलो तो...मैं सुन रहा हूँ....

दामिनी- पूरी बात तो नही पता...पर इतना जानती हूँ कि कुछ बड़ा होने वाला है..कुछ ख़तरनाक....

मैं(सीरीयस हो कर)- बड़ा...पर क्या...ये तो बोलो....

दामिनी- मुझे पूरी बात नही पता पर मैने जितना सुना...उसे सुन कर यही लगा की कुछ बड़ा होने वाला है....

मैं- ओके..तुमने क्या सुना...और किससे सुना...

दामिनी- वो रिचा आई थी...और उसका फ़ोन बजा तो वो बाहर जा कर बात करने लगी...पर मैं बाथरूम मे चली गई और वहाँ से उसकी बात सुनाई दी....

मैं- ह्म्म्मँ...तो क्या सुना.....

दामिनी- बस इतना ही कि...""इस बार बचना नही चाहिए....बस उसे ठिकाने लगा दो फिर सब ठीक हो जायगा.....""

मैं(मन मे)- तो रिचा नही सुधरेगी...साली इसे तो अपनी बेटी की भी परवाह नही है...कमीनी कही की....इसे तो मैं देखता हूँ....

दामिनी- तो तुम सम्भल कर रहना ...ओके....

मैं- ठीक है...और तुम भी बस कुछ दिन और झेल लो...फिर सब ठीक कर दूँगा...

फिर मैं थोड़ी देर तक वहाँ रुका और घर निकल आया...

रास्ते मे मुझे जूही दिख गई...वो किसी फ्रेंड के साथ खड़ी हुई थी...

मैने पूछा तो पता चला कि उसे ट्यूशन जाना था...पर गाड़ी खराब हो गई...

तो मैने जबर्जस्ति कर के उन दोनो को अपनी कार दे दी और मैं टॅक्सी ले कर घर आ गया...

घर आ कर मैने सविता को कॉफी लाने का बोला और बैठा ही था कि एक कॉल आ गया ....

मैं- हेलो...

सामने- अंकित सर....आकाश सर का आक्सिडेंट हो गया...आप जल्दी आइए....

डॅड के आक्सिडेंट की खबर सुनते ही मेरे हाथ से फ़ोन गिर गया और पूरा जिस्म थर्रा गया....

पर मैने अपने आप को संभाला और बाहर की तरफ दौड़ लगा दी...........

मैं डॅड के आक्सिडेंट की खबर सुन कर मैं पागलो की तरह घर से भाग निकला....

घर की बौंड्री मे 3 कार्स रखी थी पर मुझे ये होश ही नही था...मैं घर से निकल कर सीधा ऑफीस की तरफ भागा.....

मैं फ़ोन करने वाले से ये भी नही पूछ पाया कि आक्सिडेंट कब और कहाँ हुआ....बस मैं तो भागता रहा...

भागते हुए मैं सहर के ट्रफ़िक से भी टकराया पर फिर सम्भल कर भागता रहा....

मेरी दौड़ तब जा कर ख़त्म हुई ...जब एक कार मेरे ठीक सामने आ कर रुक गई और मैं उससे टकरा कर गिर गया....

मैं तुरंत उठ कर संभला और उठने की कोसिस की पर मेरे पैर मे चोट आ गई थी...फिर भी मैं उठा...और भागने की सोच कर सिर उठाया ही था कि मुझे एक झटका लगा.....

ये झटका मेरे लिए खुशी ले कर आया था....मैने सामने देखा तो सामने मेरे डॅड और सुजाता खड़े हुए थे....

दोनो मुझे अजीब नज़रों से देख रहे थे...और कुछ बोल भी रहे थे...पर मेरे कानो तक उनकी कोई आवाज़ नही पहुँच रही थी....

मेरे चारो तरफ भीड़ जमा हो चुकी थी...सब लोग मुझे ही घूर रहे थे...

पर इस वक़्त मेरी आँखे सिर्फ़ मेरे डॅड को देख रही थी...उन्हे देख कर दिल मे इतनी खुशी जागी कि मेरी आँखे नम हो गई....

देखते ही देखते मेरे आँसू आँखो से निकल कर मेरे गाल पर बहने लगे और मैं झपट कर अपने डॅड के गले लग गया....

ये सब देख कर मेरे डॅड असमंजस मे थे...उन्हे कुछ भी समझ नही आ रहा था...वो बस मुझे गले लगाए हुए मेरे सिर पर हाथ घुमा रहे थे....

मैं- डॅड...डॅड...थॅंक गॉड...डॅड..

और मैं ये बोलते -बोलते रो पड़ा ...जिससे डॅड और ज़्यादा परेशान हो गये और मेरे सिर को सहलाते हुए मुझे चुप कराने लगे....

आकाश- अंकित...बेटा ...हुआ क्या...तू रो क्यो रहा है...अंकित....प्ल्ज़...चुप हो जा...

मैं- डॅड...आप...आअप ठीक हो...ओह गॉड...

आकाश- अंकित...क्या हुआ ..कुछ तो बोल..

डॅड ने परेशान हो कर मुझे झकझोर दिया और अपने से अलग कर के मुझे देखने लगे ...

आकाश- बोल बेटा..आख़िर बात क्या है..

मैं- डॅड...वो..फ़ोन...आक्सिडेंट....डॅड....

डॅड ने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे ज़ोर से हिला दिया....

आकाश- अंकित ...होश मे आओ....क्या हुआ...बता मुझे.....

डॅड के हिलाने से और उनकी जोरदार आवाज़ से मैं होश मे आया और उन्हे देख कर फिर से उनके गले लग गया....

मैं- थॅंक गॉड डॅड...आप बिल्कुल सही सलामत है....

आकाश- हाँ बेटा...मैं बिल्कुल ठीक हूँ.. पर ये तो बता कि तुझे हुआ क्या....

मैं(डॅड से अलग हो कर)- डॅड...वो मुझे कॉल आया था...कि आपका...आपका आक्सिडेंट हो गया....

आकाश(शॉक्ड)- व्हाट....किसने बोला ...मुझे तो कुछ भी नही हुआ....हाँ...

मैं- वो...वो नही पता डॅड...बस कॉल आया और मैं भाग कर आपके पास आ रहा था ..और आप मिल गये बस...

आकाश- ओके...अपना फ़ोन दिखा...देखु तो कि कॉल किसने किया था....

मैं- हाँ...एक मिनट...अरे...मेरा फ़ोन...

मैं तुरंत जेब टटोलने लगा...पर मेरा फ़ोन जेब मे नही था...ये एक और झटका था...


मैं- मेरा फ़ोन..डॅड...मेरा फ़ोन...पता नही कहाँ है...

आकाश- कोई नही...जस्ट रिलॅक्स...हम पता लगा लेगे कि ये घटिया मज़ाक किसने किया ....चल..घर चल..

मैं(याद कर के)- ओह्ह...मेरा फ़ोन घर मे ही रह गया ....चलिए घर चलते है....जल्दी...

मैं तुरंत डॅड के साथ घर निकल आया...

जब घर आया तो फ़ोन सोफे के पास ही पड़ा मिला....मैने तुरंत फ़ोन चेक किया...उस पर 2 मिसकाल थे...उसी नंबर से जिस नंबर से मुझे आक्सिडेंट वाला कॉल आया था....

मैं(गुस्से मे)- अभी देखता हूँ इसको...

और मैं कॉल लगाने ही वाला था कि उसी नंबर से कॉल आ गया....
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-08-2017, 11:18 AM

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