Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:20 PM,
#8
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
मम्मीजी- अरे कामया आ जा खाना ख़ाले कामेश को लेट होगा आने में 

कामया- जी आई 

धत्त तेरी की सब मजा ही किरकिरा कर दिया एक तो पूरे दिन इंतजार करो फिर शाम को पता चलता है कि देर से आएँगे कहाँ गये है वो झट से सेल उठाया ओर कामेश को रिंग कर दिया 
कामेश- हेलो 

कामया- क्या जी लेट आओगे 

कामेश- हाँ यार कुछ काम है थोड़ा लेट हो आउन्गा खाना खाकर आउन्गा तुम खा लेना ठीक है 

कामया- तुम क्या हो आज ही कहा था कि जल्दी आना कही चलेंगे और आज ही आपको काम निकल आया 
कामया का गुस्सा सातवे आसमान में था 

कामेश- अरे यार बाहर से कुछ लोग आए है तुम घर में आराम करो में आता हूँ 

कामया- और क्या करती हूँ में घर में कुछ काम तो है नहीं पूरा दिन आराम ही तो करती हूँ और आप है कि बस 

कामेश- अरे यार माफ कर दो आज के बाद ऐसा नहीं होगा प्लीज यार अगर जरूरी नहीं होता तो क्या तुम जैसी बीवी को छोड़ कर काम में लगा रहता प्लीज यार समझा करो 

कामया- ठीक है जो मन में आए करो 

और झट से फोन काट दिया और गुस्से में पैर पटकती हुई नीचे डाइनिंग टेबल पर पहुँची मम्मीजी टेबल पर आ गई थी पापाजी का इंतजार हो रहा था टेबल पर खाना ढका हुआ रखा था मम्मीजी जी ने प्लेट सजा दिए थे बस पापाजी आ जाए तो खाना शुरू हो तभी पापाजी भी आ गये और खाना शुरू हो गया 

पापा जी और मम्मीजी कुछ बातें कर रहे थे तीर्थ पर जाने की कामया का मन बिल कुल उस बात पर नहीं था शायद मम्मीजी अपने किसी संबंधी या फिर जान पहचान वालों के साथ कोई टूर अरेंज कर रहे थे कुछ दिनों के तीर्थ यात्रा 
पर जाने का 

तभी पापाजी के मुख से अपना नाम सुनकर कामया थोड़ा सा सचेत हुई 
पापा जी- बहू कामेश कह रहा था कि तुम घार पर बहुत बोर हो जाती हो 

कामया- नहीं पापाजी ऐसा कुछ नहीं है 
बहुत गुस्से में थी कामया पर फिर भी अपने को संतुलित कर कामया ने पापाजी को जबाब दिया 

मम्मीजी- अओर क्या दिन भर घर में अकेली पड़ी रहती है कोई भी नहीं है बात चीत करने को या फिर कही घूमने फिरने को कामेश को तो बस काम से फुर्सत मिले तब ना कही ले जाए बिचारी को 

कामया- नहीं मम्मीजी ऐसा कुछ नहीं है 

पापाजी- सुनो बहू तुम गाड़ी चलाना क्यों नहीं सीख लेती लाखा को कह देते है तुम्हें गाड़ी चलाना सिखा देगा 

कामया-, नहीं पापा जी ठीक है ऐसा कुछ भी नहीं जो आप लोग सोच रहे है 

पापाजी- अरे इसमें बुराई ही क्या है घर में एक गाड़ी हमेशा ही खड़ी रहती है तुम उसे चलाना जहां मन में आए जाना और कभी-कभी मम्मी को भी घुमा लाना 

मम्मीजी- हाँ… हाँ… तुम तो लाखा को बोल दो कल से आ जाए तुम्हें छोड़ने के बाद 

पापा जी- अरे दिन में कहाँ चलाएगी वो गाड़ी सुबह को ठीक रहेगा 

मम्मीजी- अरे सुबह को इतना काम रहता है और तुम दोनों को भी तो काम पर जाना है कामेश को तो हाथ में उठाकर सब देना पड़ता है नहीं तो वो तो वैसे ही चला जाए दुकान पर 

पापा जी- तो ठीक है शाम को चले जाना ग्राउंड पर दिन में और सुबह तो ग्राउंड में बच्चे खेलते है तुम शाम को चले जाना ठीक है 

मम्मीजी- हाँ हाँ ठीक है शाम का टाइम ही अच्छा है आराम से सो लेगी और शाम को कुछ काम भी नहीं रहता तुम लोग एक ही गाड़ी में आ जाना 

पापाजी - हाँ… हाँ… क्यों नहीं लाखा को में शाम को भेज दूँगा थोड़ा सा अंधेरा हो जाए तब जाना बच्चे भी खाली करदेंगे ग्राउंड ठीक है ना बहू 

कामया- जी वैसे कोई ज़रूरत नहीं है पापाजी 

मम्मीजी- (बिल्कुल चिढ़ कर बोली) कैसे जरूरत नहीं है मेरे जैसे घर में पड़ी रहोगी क्या तुम जाओ वहले गाड़ी सीखो फिर मुझे भी खूब घुमाना ही ही ही 

डाइनिंग रूम में एक खुशी का महाल हो गया था कामया ने भी सोचा ठीक ही तो है घर में पड़ी पड़ी कामेश का इंतजार ही तो करती है शाम को अगर गाड़ी चलाने चली जाएगी तो टाइम भी पास हो जाएगा ओर जब वो लौटेगी तब तक कामेश भी आ जाएगा थोड़ा चेंज भी हो जाएगा और गाड़ी भी चलाना सीख जाएगी 

तो फाइनल हो गया कि कल से लाखा काका शाम को आएँगे और कामया गाड़ी चलाने को जाएगी थोड़ी देर में खाना खतम हो गया मम्मी जी ने भीमा को आवाज लगा दी 
मम्मीजी- अरे भीमा प्लेट उठा ले हो गया 

भीमा- जी माँ जी 
और लगभग भागता हुआ सा डाइनिंग रूम में आया और नीचे गर्दन कर चुपचाप झूठे बर्तन उठाने लगा 

पापाजी ने हाथ धोया और भीमा को कहा 
पापा जी- अरे भीमा आज कल तुम्हारे खाने में कुछ स्वाद कुछ अलग सा था क्या बात है कही और दिमाग लगा है क्या 

भीमा- जी साहब नहीं तो कुछ गुस्ताख़ी हुई क्या 

पापा जी- अरे नहीं मैंने तो बस ऐसे ही पूछ लिया था तुम्हारे हाथों का खाते हुए सालो हो गये पर आज खुच चेंज था शायद मन कही और था 

भीमा- जी माफ़ कर दीजिए कल से नहीं होगा 

पापा जी- अरे यार तुम तो बस गॉव में सबकुछ ठीक ठाक तो है ना 

भीमा- जी साहब सब ठीक है जी 

पापाजी- चलो ठीक है कुछ जरूरत हो तो बताना शरमाना नहीं तुम कभी कुछ नहीं माँगते 

भीमा- वैसे ही मिल जाता है साहब इतना कुछ तो क्या माँगे माफ़ करना साहब अगर कुछ गलती हो गई हो तो 

मम्मीजी- (बीच में ही बोल उठी) अरे आअरए कुछ नहीं भीमा तू तो जा इनकी तो आदत है तू तो जानता है चुटकी लेते रहते है और पापा जी की ओर देखते हुए बोली 

मम्मीजी- क्या तुम भी बहू के सामने तो कम से कम ध्यान दिया करो 

पापाजी- हाहाहा अरे में तो बस मजाक कर रहा था बहू भी तो हमारे घर की है भीमा को क्या नहीं पता 

भीमा- जी 
और मुड़कर झूठे प्लेट और बचा हुआ खाना लेके अंदर चला गया जाते हुए चोर नजर से एक बार कामया को जरूर देखा उसने जो कि कामया की नजर पर पड़ गई थोड़ा सा मुश्कुरा कर कामया मम्मीजी के पीछे-पीछे ड्राइंग रूम में आ गई थोड़ी देर सभी ने टीवी देखा और कामेश का इंतजार करते रहे पर कामेश नहीं आया 

मम्मीजी- कामेश को क्या देर होगी आने में 

पापाजी- हाँ शायद खाना खाके ही आएगा बाहर से कुछ लोग आए है हीरा मार्चंट्स है एक्सपोर्ट का आर्डर है थोड़ा बहुत टाइम लगेगा 

कामया चुपचाप दोनों की बातें सुन रही थी उसे एक्सपोर्ट ओरडर हो या इम्पोर्ट आर्डर हो उसे क्या उसका तो बस एक ही इंतजार था कामेश जल्दी आ जाए 

पर कहाँ कामेश तो काम खतम किएबगैर कुछ नहीं सोच सकता था रात करीब 10 30 बजे तक सभी ने इंतजार किया और फिर सभी अपने कमरे में चले गये सीढ़िया चढ़ते समय कामया को मम्मीजी की आवाज सुनाई दी 

मम्मीजी- भीमा कामेश लेट ही आएगा सोना मत दरवाजा खोल देना ठीक है 

भीमा- जी माँ जी आप बेफिकर रहिए 

और नीचे बिल्कुल सुनसान होगा 

कामया ने भी कमरे में आते ही कपड़े चेंज किए और झट से बिस्तर पर ढेर हो गई गुस्सा तो उसे था ही और चिढ़ के मारे कब सो गई पता नहीं सुबह जब आखें खुली तो कामेश उठ चुका था कामया वैसे ही पड़ी रही बाथरूम से निकलने के बाद कामेश कामया की ओर बढ़ा और कामया को कंधे से हिलाकर 
कामेश- मेडम उठिए 8 बज गये है 

पर कामया के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई कामेश जानता था कामया अब भी गुस्से में है वो थोड़ा सा झुका और कामया के गालों को किस करते हुए 
कामेश- सारी बाबा क्या करता काम था ना 

कामया- तो जाइए काम ही कीजिए हम ऐसे ही ठीक है 

कामेश- अरे सोचो तो जरा यह आर्डर कितना बड़ा है हमेशा एक्सपोर्ट करते रहो ग्राहकों का झंझट ही नहीं एक बार जम जाए तो बस फिर तो आराम ही आराम फिर तुम मर्सिडेज में घूमना 

कामया- हाँ… मेर्सिडेज में वो भी अकेले अकेले है ना तुम तो बस नोट कमाने में रहो 

कामेश- अरे यार में भी तो तुम्हारे साथ रहूँगा ना चलो यार अब उठो पापा मम्मी इंतजार करते होंगे जल्दी उठो 

और कामया को प्यार से सहलाते हुए उठकर खड़ा हो गया कामया भी मन मारकर उठी और मुँह धोने के बाद नीचे पापाजी और मम्मीजी के पास पहुँच गये दोनों चाय की चुस्की ले रहे थे 

पापाजी- क्या हुआ कल 

कामेश- हो गया पापा बहुत बड़ा आर्डर है 3 साल का कांट्रॅक्ट है अच्छा हो जाएगा 

पापाजी- हूँ देख लेना कुछ पैसे वैसे की जरूरत हो तो बैंक से बात करेंगे 

कामेश- अरे अभी नहीं वो बाद में फिल हाल तो ऐसे ही ठीक है 

कामया और मम्मीजी बुत बने दोनों की बातें सुन रहे थे कुछ भी पल्ले नहीं पड़ रहा था मम्मीजी भी इधर उधर देखती रही थोड़ा सा गॅप जहां मिला झट बोल पड़ी 
मम्मीजी- और सुन कामेश यह रात को बाहर रहना अब बंद कर घर में बहू भी है अब उसका ध्यान रखाकर और कामया की ओर देखकर मुश्कुराई 

पापाजी और कामेश इस अचानक हमले को तैयार नहीं थे दोनों की नजर जैसे ही कामया पर गई तो कामया नज़रें झुका कर चाय की चुस्की लेने लगी 

पापा जी ---हहा बिल कुल ठीक है तुम ध्यान दिया करो 

कामेश- जी 

पापाजी-हाँ और आज लाखा आ जाएगा बहू तुम चले जाना ठीक है 

कामेश- हो गई बात लाखा काका आज से आएँगे चलो यह ठीक रहा 

सभी अब कामया के ड्राइविंग सीखने की और जाने की बात करते रहे और चाय खतम कर सभी अपने कमरे की ओर रवाना हो गये आगे के रुटीन की ओर कमरे में पहुँचते ही कामेश दौड़ कर बाथरूम में घुस गया और कामया कामेश के कपड़े वारड्रोब से निकालने लगी 

कपड़े निकालते समय उसे गर्दन में थोड़ी सी पेन हुई पर ठीक हो गया अपना काम करके कामया कामेश का बाथरूम से निकलने का इंतजार करने लगी कामेश हमेशा की तरह वही अपने टाइम से निकला एकदम साहब बनके बाहर आते ही जल्दी से कपड़े पहनने की जल्दी और फिर जूता मोज़ा पहन कर तैयार 10 बजे तक फुल्ली तैयार कामया बिस्तर पर बैठी बैठी कामेश को तैयार होते देखती रही और अपने हाथ से अपनी गर्दन को मसाज भी करती रही 

कामेश के तैयार होने के बाद वो नीचे चले गये और कामेश तो बस हबड ताबड़ कर खाया जल्दी से खाना खा के बाहर का रास्ता करीब 10 30 तक कामेश हमेशा ही दुकान की ओर चल देता था पापाजी तो करीब 11 30 तक निकलते थे कामया भी कामेश के चले जाने के बाद अपने कमरे की ओर चल दी टेबल पर भीमा चाचा झूठे प्लेट उठा रहे थे एक नजर उनपर डाली और अपने कमरे की ओर जाते जाते उसे लगा कि भीमा चाचा की नज़रें उसका पीछा कर रही है सीढ़ी के आखिरी मोड़ पर वो पलटी 

हाँ चाचा की नज़रें उसपर ही थी पलटते ही चाचा अपने को फिर से काम में लगा लिए और जल्दी से किचेन की ओर मुड़ गये 

कामया के शरीर में एक झुरझुरी सी फेल गई और कमरे तक आते आते पता नहीं क्यों वो बहुत ही कामुक हो गई थी एक तो पति है कि काम से फुर्सत नहीं सेक्स तो दूर की बात देखने और सुनने की भी फुर्सत नहीं है आज कल तो कामया कमरे में पहुँचकर बिस्तर पर चित्त लेट गई सीलिंग की ओर देखते हुए पता नहीं क्या सोचने लगी थी पता नहीं पर मरी हुई सी बहुत देर लेटी रही तभी घड़ी ने 11 बजे का बीप किया कामया झट से उठी और बाथरूम की ओर चली बाथरूम में भी कामया बहुत देर तक खड़ी-खड़ी सोचती रही कपड़े उतारते वक़्त उसके कंधे पर फिर से थोड़ी सी अकड़न हुई अपने हाथों से कंधे को सहलाते हुए वो मिरर में देखकर थोड़ा सा मुश्कुराई और फिर ना जाने कहाँ से उसके शरीर में जान आ गई जल्दी-जल्दी फटाफट सारे काम चुटकी में निपटा लिए और पापाजी और मम्मीजी के पास नीचे खाने की टेबल की ओर चल दी पापाजी और मम्मीजी डाइनिंग टेबल पर आते ही होंगे वो पहले पहुँचना चाहती थी पर मम्मीजी पहले ही वहां थी कामया को देखकर मम्मीजी थोड़ा सा मुश्कुराई और कामया उनके पास कुर्सी पर बैठ गई
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 02:20 PM

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