Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:24 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भोला की नजर जब उसपर पड़ी थी तो कयामत सी आ गई थी उसके शरीर में एक अजीब सी जुनझुनी और सिहरन ने उसके शरीर में निकालते समय सूट को छोड़ कर बार-बार साड़ी की ओर ही उसकी नजर जाती थी साड़ी क्यों पहनु कॉंप्लेक्स जाते समय तो हमेशा ही सूट पहनती है पर साड़ी क्यों नहीं साड़ी ही पहनती हूँ आज भोला को भी अच्छी लगती है छि भोला के लिए पहनु अब में तो क्या हुआ उसे चिडाने में मजा आएगा चलो वही काली वाली पहनु नहीं नहीं वो वाली नहीं क्या सोचेगा एक ही साड़ी है फिर यह पीली वाली पहन लेती हूँ हाँ… यह ठीक है प्लेन है और ज्यादा भड़काऊ नहीं है ब्लाउस तो स्लेवेलीस ही है ठीक है ना क्या हुआ 

बहुत सी बातें करती हुई जाने कब कामया ने अपने मन को साड़ी पहनाने को मना लिया था और येल्लो कलर की साड़ी निकाल कर बेड में रख दी थी उसके साथ वाइट कलर का अंदर गारमेंट्स पहनने को थी पर क्या सोचकर मुस्कुराती हुई उसने ब्लैक कलर का ब्रा और पैंटी निकाल ली थी येल्लो में अंदर का पहन लेती हूँ इसके ऊपर 
हां यह ठीक रहेगा चलो उस जानवर को एक बार फिर भड़का कर देखते है क्या करेगा अभी तो घर में है और फिर कॉंप्लेक्स ही तो जाना है वहाँ भी क्या कर लेगा यही सब सोचते हुए कामया एक के बाद एक करके अपने आपको संवारती हुई मिरर के सामने खड़ी अपने आपको निहारती जा रही थी और अपने शरीर के हर हिस्से को टटोल टटोल कर देखती हुई ब्रा से लेकर पैंटी फिर पेटीकोट और ब्लाउस पहनती हुई इठलाती हुई अपने आपको देखती हुई एक जहरीली सी 
मुश्कान बिखेरती हुई साड़ी उठाकर पहेन्ने लगी थी बहुत ही कसकर बाँधी थी उसने हर एक हिस्सा साड़ी के अंदर होते हुए भी खिल कर बाहर की और आ रहा था हर गोलाई और उभार को दिखाता हुआ उस साड़ी ने सब कुछ खोलकर रख दिया था लग रहा था की टाफी को पकिंग के साथ ही खा जाए नीचे की जाने से पहले उसने अपने ऊपर वो सम्मर कोट डाल भर लिया था जो की सिर्फ़ कंधे पर टिका हुआ था उसने हाथों में नहीं पहना था डालकर अपने आपको थोड़ा सा छुपा लिया था और कुछ नहीं 
नीचे को आते हुए उसने मम्मीजी को किचेन के बाहर एक चेयर पर बैठे देखा था जो की अंदर काम कर रहे लोगों को कुछ इनस्टरक्ट कर रही थी उसे जाते हुए एक बार देखा था 
कामया- मम्मीजी में आती हूँ 

मम्मीजी- हाँ बहू जल्दी आ जाना ज्यादा देर मत करना 

कामया- जी 
और कामया बाहर की ओर चल दी थी पोर्च की ओर बढ़ते हुए उसके कदम में गजब का विस्वास था और एक लचीलापन भी था बड़े ही मादक ढंग से चलती हुई वो मैंन डोर तक जब पहुँची थी तो भोला को वही सीढ़ियो में ही बैठा देखा था उसके हाइ हील की आवाज से वो पलटा था और दौड़ कर मर्क का डोर खोलकर खड़ा हो गया था उसकी नजर ऊपर एक बार जरूर उठी थी पर घर का मामला था इसलिए नीचे ही रही पर कामया की सुगंध से नहाया हुआ भोला एक बार फिर से पारी लोक की सैर करने को तैयार था क्या खसबू है मेमसाहब की हमम्म्ममम
और भोला को वापास करते ही एक महक जो कि कामया के अंदर तक उतरती चली गई थी वो थी गुटके की और पसीने की एक मर्दाना स्मेल था वो वो इस स्मेल को पहले भी सुंग चुकी थी सुंग चुकी थी टेस्ट भी किया था हाँ… यह वही स्मेल आई कामया अपनी सीट पर बैठी ही थी कि भोला ने एक नजर अंदर बैठी मेमसाहब पर डाली और डोर बंद करते हुए जल्दी से दौड़ कर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था 

गाड़ी धीरे से पोर्च से बाहर और फिर गेट से बाहर होती चली गई थी और फिर सड़क पर धीरे-धीरे दौड़ने लगी थी कामया बिल कुल शांत सी पीछे बैठी हुई बाहर की ओर देख रही थी कि उसे भोला की आवाज सुनाई दी 
भोला- उसे भी लेना है मेमसाहब 
कामया- हाँ… 
वो अच्छे समझ रही थी कि भोला ऋषि के बारे में ही कह रहा है उसकी नजर एक बार उसकी और उठी थी पर फिर से बाहर की ओर चली गई थी क्योंकी भोला उसे बक मिरर में एकटक देख रहा था 
भोला- आपके लिए फूल नहीं ला पाया 
कामया- जानवर कही का फूल क्यों नौकर है तू मेरा 

भोला- साड़ी में बहुत सुंदर लगती है आप 
कामया- 
साला जानवर, गुंडा एक झटके में बाहर निकाल दूँगी नौकरी से पता नहीं इतनी हिम्मत इसकी की जो मन में आए का रहा है 
भोला- पर यह कोट मत पहनिए अच्छा नहीं लग रहा 

कामया- गाड़ी चलाओ और फालतू बातें मार करो 

एक गरजती हुई आवाज निकली थी उसके अंदर से समझता क्या है अपने आपको यह एक बार उसके साथ क्या कर लिया अपना हक़्क़ समझ लिया है जो मन में आया कह रहा है 

इतने में ऋषि का घर आ गया था ऋषि पोर्च में ही खड़ा हुआ इंतजार कर रहा था गाड़ी को देखकर ही वो खिल उठा था जल्दी से गाड़ी की ओर बढ़ा था पर गाड़ी के रुकते ही भोला जल्दी से बाहर की ओर निकला और सामने का डोर खोलकर खड़ा हो गया था ऋषि ने एक बार भोला को देखा था और फिर कुछ ना कहते हुए सामने ही बैठ गया था कामया को भी कुछ समझ नहीं आया की भोला ने ऐसा क्योंकिया पर हाँ… वो कुछ कहती इससे पहले ही ऋषि सामने की ओर बढ़ गया था वो जो डोर खोलकर ऋषि के लिए जगह बनाया था वो खाली रह गया 

पर एक बात जो कामया ने नोटीस नहीं की थी वो था उसका कोट जो कि सिर्फ़ उसके कंधो पर टिका हुआ था अब थोड़ा सा ढल गया था उसके कंधो पर से पीछे की ओर चला गया था एक गजब का नजारा था स्लीवलेशस ब्लाउसमें उसके दोनों चुचे खुलकर सामने की ओर देख रहे थे साड़ी का पल्ला कही भी था पर वहां नहीं था जहां होना चाहिए गोरा सा सपाट पेट येल्लो कलर की साड़ी से जो नजारा पेश कर रहा था जिसे देखकर कोई भी पागल हो सकता था और यह तो भोला था उस हुश्न का पुजारी एक पूरी रात उसने इस परी के साथ गुजारी थी पूरी रात 

ऋषि के बैठ ते ही भोला भी जल्दी से ड्राइविंग सीट की ओर लपका था 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:24 PM

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