Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:26 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भीमा जल्दी से अपने अंडरवेयर को खोलने लगा था कामया की मजबूत पकड़ उसके लिंग पर और कस गई थी पागल सी हो उठी थी वो लाइट में उसका गोरा शरीर चमक रहा था और भीमा की हालत उसके आपे से बाहर हो रही थी कामया के हाथों में अपने लिंग को छुड़ा नहीं पा रहा था पर अपने आपको रोक भी नहीं पा रहा था वो जानता था कि कामया कुछ देर और उसके साथ यही खेल खेलती रही तो वो बिना कुछ करे ही झड जाएगा सो वो जल्दी से कामया को खींचकर अपनी बाहों में भरने लगा था उसके होंठ जो की उसके पास ही थे झट से उनपर कब्जा जमा लिया था पर कब्जा भीमा ने नहीं कामया ने जमा लिया था एक जोर दार, तरीके से कामया ने भीमा के होंठों के साथ-साथ उसकी जीब को झट से खींचकर अपने मुख में भर लिया था और बहुत जोर-जोर से चुबलने लगी थी उसके हाथ अब भी भीमा के लिंग को निचोड़ रहे थे ना जाने कैसे और जैसे भीमा की जान पर बन आई थी आज भीमा जिस जिश्म के लिए इतना पागल था वो आज उसकी जान पर बन आई थी वो नहीं जानता था कि कामया को क्या हुआ है पर उसकी दीवानगी के आगे वो झुक गया था वो और ज्यादा देर तक अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाया था और वही कामया के हाथों में ही झड़ गया था कामया ने एक बार, उसे देखा था बहुत ही गुस्से में पर लिंग को छोड़ा नहीं था किसी मेमने की तरह वो कामया के होंठों की बलि चढ़ गया था उसके हाथों की बलि चढ़ गया था और अपने आप को शांत करके कामया की कमर को पकड़े हुए खड़ा उसपर टिका हुआ लंबी-लंबी सांसें छोड़ रहा था कामया एक शेरनी की तरह से उसे देख रही थी जैसे की कह रही हो बस हो गया इतना ही दम है 

कामया- क्या चाचा बस 

भीमा- नहीं बहू रानी डर के मारे निकल गया है आप जिस तरह से कर रही थी वैसा आज तक किसी ने नहीं किया इसलिए संतुलन नहीं रख पाया माफ किर दीजिए 
और नजर झुकर खड़ा हो गया था पर अपने लिंग को कामया के हाथों से छुड़ाने की जरा भी कोशिश नहीं किया था कामया की हथेली में उसका लिंग पानी छोड़ने के बाद सिकुड़ने लगा था पर उसके हाथों में उसका वीर्य अब भी चमक रहा था वो नीचे सिर किए हुए कामया के हाथों में अपने लिंग को देख रहा था और उसकी गोरी गोरी जाँघो को धीरे से सहलाते हुए इंतजार कर रहा था कि कब कामया उसके लिंग को छोड़े 

कामया- फिर अब क्या करोगे जाकर सो जाओगे हाँ… 

भीमा- नहीं बहू जब तक आपको मेरी जरूरत है में यही हूँ 

कामया- पर तुम तो गये फिर 

भीमा- नहीं बहू रानी अभी बहुत कुछ है रुकिये और धीरे से अपने आपको कामया की जाँघो के बीच में ले गया था और अपनी जीब से उसकी योनि को सहलाते हुए कामया को धीरे से उस टेबल पर बिठा लिया था कामया ने भी कुछ नहीं कहा था जैसा भीमा चाहता था वही किया 

अपने आपको उसने टेबल पर रखे ही अपनी कमर को इतना आगे कर चुकी थी कि भीमा चाचा की जीब उसके अंदर तक चली जाए अपने आपको रोक नहीं पा रही थी वो इतने दिनों बाद उसके शारीर को किसी मर्द ने छुआ था एक पहचाना हुआ सा स्पर्श था वो पर एक भूख को और भी बढ़ाता हुआ सा भी अलग अलग तरीके से छूने की दशा में भी कामया अपने आपको हिलाकर और कमर को उँचा करते हुए भीमा चाचा को पूरा समर्थन दे रही थी 


होंठों में दबी हुई आवाज अब तेज होती जा रही थी अंदर का उफान बढ़ता जा रहा था एक चिरपरिचित सी मादकता उसके अंदर तक एक तूफान को जनम दे रही थी कामया चाह कर भी अपने को रोक नहीं पा रही थी उसकी कमर या कहिए योनि अपने आप भीमा के होंठों के सुपुर्द होने को आतुर थी टेबल पर टिके हुए भी वो आगे की ओर होने लगी थी भीमा जो की पूरे तन मन से अपनी बहू के सौंदर्य को चूसने में लगा था एक भड़की हुई आग से खेलने को तैयार था अपने बुढ़ापे को भूलकर जवान बनने की कोशिश कर रहा था तन की शक्ति जबाब दे देने के बाद भी वो उस हसीना को छोड़ने को तैयार नहीं था 


या कहिए अपने मन में छुपी हुई आकांक्षा को दबा नहीं पा रहा था अपने होंठों के साथ-साथ वो अपनी जीब को जितना अंदर तक हो सके और जितना दम उसमें था वो निरंतर प्रयासरत था कामया को खुश करने में हर एक बार जैसे ही उसकी जीब अंदर से बाहर की ओर आती थी कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकलजाति थी उसकी जांघे खुलकर इतना फेल गई थी कि भीमा के माथे के साथ-साथ उसके दोनों हाथ भी उनमें समा गए थे कामया के मुख सी निकलने वाली सिसकारी से भीमा और भी उत्तेजित होता जा रहा था 

कामया- और जोर-जोर से चूसो चाचा और जोर से उंगली भी डालो अंदर तक डालो और अंदर 
कामया लगातार भीमा को उकसा रही थी की वो उसके साथ हर संभव प्रयास करता रहे और भीमा भी पीछे नहीं हट रहा था पर कामया को आज संभालना मुश्किल था उत्तेजना में वो पागल हो चुकी थी उसके हाथ अब धीरे-धीरे भीमा के बालों पर कसने लगे थे उसकी उत्तेजना की हालत यह थी की लगता था कि भीमा के बाल खींचकर अलग कर देगी मुख से निकलने वाली सिसकारी बढ़ती ही जा रही थी और साथ में उसके हाथों का खिचाव भी भीमा अपने बालों को उससे अलग करना चाहता था पर अचानक ही कामया टेबल से उतर पड़ी और अपनी जाँघो को खोलकर लगभग उसके ऊपर बैठ ही जाती पर बीच में ही रुक गई थी थोड़ा सा बैठी हुई वो लगातार भीमा के बालों को खींचकर अपनी योनि से जोड़े रखना चाहती थी 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:26 PM

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