RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
अपनी चाभी से दरवाजा खोल चुप चाप अपने कमरे में बिस्तर पे जा गिरी. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी. जो मंज़र उसने देखा था वो उसे बहुत उत्तेजित कर चुका था – उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी इतनी कि पैंटी पूरी भीग चुकी थी और उसका असर उसकी सलवार पे भी पड़ने लग गया था.
अपनी आँखें बंद कर वो अपनी सहेली के बारे में सोचने लगी –लेकिन उसे जो नज़र आने लगा वो मंज़र कुछ और था – अपनी सहेली की जगह वो खुद को महसूस कर रही थी और उसके भाई की जगह अपने भाई रमण को.
रूबी ने खुद अपने उरोज़ मसल्ने शुरू कर दिए और मुँह से रमण रमण निकलने लगा.
अहह रमण…. लव मी रमण……
यही वो वक़्त था जब रमण उसके कमरे में घुसा शायद उसे कुछ काम था – लेकिन जो उसने देखा और सुना वो काफ़ी था उसे उत्तेजना की उँचाइयों पे ले जाने के लिए.
जिस तरहा वो रूबी के बारे में सोचता था और डरता था कुछ कहने के लिए आज वो डर ख़तम हो गया था क्यूंकी उसे सॉफ दिखाई पड़ रहा था कि रूबी भी उसके बारे में वही ख़याल रखती है. अब पहल तो हमेशा मर्द ही करता है चाहे रिश्ता कुछ भी हो – हालात कुछ भी हों.
रमण के कदम रूबी के बिस्तर की तरफ बढ़ गये. उसने अपनी शर्ट उतार फेंकी और रूबी के बिस्तर पे बैठ वो रूबी के चेहरे पे झुकता चला गया और अपने होंठ रूबी के होंठों पे रख दिए.
रूबी यही सोच रही थी कि रमण उसके ख़यालों में उसके होंठ चूम रहा है – उसके होंठ अपने आप खुल गये और रमण की ज़ुबान उसके मुँह में घुस गयी जिसे वो चूसने लगी.
रमण से भी और बर्दाश्त ना हुआ और वो उसके मम्मे मसालने लगा.
खुद अपने मम्मे मसलना और किसी मर्द के हाथों द्वारा मसले जाने में बहुत फरक होता है – इसका असर रूबी पे पड़ा और उसे उसकी जिंदगी का पहला ऑर्गॅज़म हो गया. एक चीख के साथ वो रमण से लिपट गयी. रमण को समझते देर ना लगी कि रूबी अपने चर्म पे पहुँच चुकी है.
थोड़ी देर में रूबी शांत हुई उसने आँखें खोली तो खुद को रमण से चिपका हुआ पाया.
एक चीख के साथ – भाई तूमम्म्मममममम………….. झटके से रमण से अलग हो गयी – उसकी आँखों में आँसू आ चुके थे जो भरभरा कर उसके चेहरे को भिगोने लगे.
जो वो ख्यालों में सोच रही थी वो हक़ीक़त में हो रहा था – सच का ये अहसास उसे सहन नही हुआ मर्यादा अपना सर उठाने लगी .
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