RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
चिड़ियों का चहचाहाना शुरू हो गया था - सुमन की आँख खुल गयी एक नये दिन का स्वागत करने के लिए. चेहरे पे छाई मुस्कान फीकी पड़ गयी - वो अपनी रात को की गयी हरकत के बारे में सोचने लगी.
उसे सुनील के बर्ताव पे ताज्जुब हो रहा था. जिस टाइप की लाइनाये वो पहन के गयी थी कोई और शख्स होता तो टूट पड़ता - पर सुनील की नज़रों में एक पल के लिए भी उसके सुंदर जिस्म की प्रशंसा का भाव नही आया. - क्या सुनील की मर्यादा की दीवार इतनी पक्की है - सुनील को कभी लड़कियों के साथ नही देखा सिवाय रजनी के जो इसके पीछे पड़ी है पर ये उसे घास तक नही डालता.
सुमन को सुनील के चेहरे पे बसे हुए दर्द का ध्यान आ गया. हाई राम कितना तकलीफ़ में है - पर कुछ भी नही बोला - क्यूँ? कहीं वो हम से दूर तो नही चला जाएगा? नही नही हम तो मर जाएँगे उसके बिना.
क्या जो मैं कर रही हूँ - क्या वो ठीक है? समर तो पागल है दिमाग़ खराब कर के रख दिया मेरा.
यहाँ सुमन कमरे मैं बैठी सोच रही थी और सुनील जो रात भर नही सोया था अपने कमरे में बॅग पॅक कर रहा था हॉस्टिल जाने के लिए.
सोनल भी रात भर नही सोई - अपने आपसे सवाल करती रही और अंत में इस नतीजे पे पहुँची कि वो असल में सुनील की दीवानी हो चुकी उसकी नस नस सुनील से प्यार करती - उसकी रूह सुनील के प्रेम रस के लिए तड़प रही है - अब किस्मत में जो लिखा है देखा जाएगा- अगर उसका प्यार सच्चा है तो आज नही तो कल सुनील उसे ज़रूर मिलेगा. अपने आप को तसल्ली देती हुई वो किचन की तरफ बढ़ गयी. उसे अभी तक नही पता था कि मोम डॅड आ चुके हैं.
चाइ तयार करते वक़्त उसकी नज़र हॉल में पड़े लगेज पे गयी - ओह तो मोम डॅड आ गये पर कब पता ही नही चला. उसने चाइ में पानी और दूध और मिलाया 2 कप और तयार करने के लिए.
चाइ जब रेडी हो गयी तो पहले वो मोम डॅड के कमरे में गयी - नॉक किया तो सुमन ने अंदर बुला लिया. सुमन की तेज नज़रें ताड़ गयी कि सोनल रात भर नही सोई है.
माँ बेटी दोनो गले मिली .
'क्या बात है गुड़िया रात को सोई नही क्या?'
'बस ऐसे ही नींद नही आई सुनील के बारे में सोच रही थी - पता नही क्या हो गया है उसे'
'कुछ नही हुआ - ठीक हो जाएगा- जा उसे चाइ दे आ - मैं तेरे डॅड को जगाती हूँ'
सोनल सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी .
अभी सोनल चाइ लेकर सुनील के कमरे तक पहुँची ही नही थी - कि उसने सुनील को कमरे से बाहर निकलते हुए देखा एक दम तयार और हाथ में सूट केस.
'कहाँ जा रहा है सुबह सुबह - और ये सूटकेस?'
सुनील कुछ जवाब नही देता.
'चल बैठ के चाइ पीते हैं - मोम डॅड भी आ चुके हैं'
'मैं हॉस्टिल जा रहा हूँ'
'क..क्क़...क्क़..क्यूँ?' सोनल को लगा जैसे किसी ने उसके कानो में बॉम्ब फोड़ दिया हो.
सुनील बहाना बनाता है - ' डेली अप डाउन से टाइम बहुत वेस्ट हो रहा है - पढ़ाई का बहुत नुकसान होता है'
'चल चल अंदर बैठ पहले चाइ पी- नाश्ता कर फिर बात करते हैं'
सुनील तो सुमन को अवाय्ड करना चाहता था. वो नही रुकता और सोनल को साइड कर आगे बढ़ जाता है.
'प्लीईईईईईईईईईईज़ मेरे लिए रुक ज़ाआाआ' सोनल चिल्लाती है जो नीचे सुमन और सागर भी सुन लेते हैं.
सुनील नही रुकता.
'मर जाउन्गि मैं अगर तू गया' सोनल के हाथ से ट्रे नीचे गिर जाती है - वो सुनील के पीछे भागती है. सुनील नीचे हॉल में पहुँच चुका था और गेट की तरफ बढ़ाने लगा था.
सागर और सुमन घबराए से बाहर निकलते हैं - सोनल को पागलों की तरहा हॉल की तरफ भागते हुए देखते हैं -
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