दास्तान - वक्त के फ़ैसले
06-14-2017, 01:10 PM,
#5
RE: दास्तान - वक्त के फ़ैसले
दास्तान - वक्त के फ़ैसले (भाग-३)
लेखक: राज अग्रवाल
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ज़ूबी के लिये आज का दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दिन था। आज उसका निकाह था। ज़ूबी ने पिछले कई महीने अपने शरीर पर मेहनत कर अपने शरीर को काफी कसरती और सुंदर बनाया था। उसने अपने शरीर को इस तरह ढाल दिया था जिससे उसके मंगेतर को रत्ति भर भी शक ना होने पाये कि वो पिछले कई महीनों से किन हालातों से गुज़र रही है।

आखिर रसमों की घड़ी आ ही गयी थी। ज़ूबी अपना समय अपने रिश्तेदारों और परिवार वालों के साथ बिता रही थी और जान रही थी कि हर तैयारी पूरी तरह से हो गयी है कि नहीं। उसने अपने बालों को अच्छी तरह गुंथा हुआ था और वो अपने कमरे में अपनी अम्मी और दादी के साथ बैठी थी। 

एक घंटा रह गया था निकाह की रसम के लिये। वो अपना शादी का जोड़ा पहनने की तैयारी करने लगी। गुलाबी रंग का जोड़ा, उसने खास तौर पर ऑर्डर देकर बनवाया था। 

ज़ूबी अपने चेहरे का मेक-अप कर रही थी कि तभी उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। उसकी नौकरानी ने दरवाजा खोला। दरवाजे पर मिस्टर राज खड़े थे। ज़ूबी वैसे तो उन्हें शादी पर बुलाना नहीं चाहती थी, पर उसने सोचा कि शायद उसके शौहर से मिलने के बाद राज का व्यवहार उसके प्रति शायद बदल जाये, और उसे वो सब करने पर मजबूर ना करे जो वो नहीं करना चाहती है। 

राज एक बहुत ही महंगा सूट पहने हुए था। उसके हाथ में एक पैक किया हुआ तोहफा था और उसके साथ ज़ूबी की उम्र की ही एक लड़की थी। 

“हाय, ज़ूबी,” राज ने कमरे में कदम रखते हुए कहा, “शादी से पहले मैं तुमसे मिलकर तुम्हें मुबारकबाद देना चाहता था।” 

“आइये, कैसे हैं आप?” ना चाहते हुए ज़ूबी ने मुस्कुराते हुए कहा। 

राज ने कमरे में आकर सभी को अपना परिचय दिया और उन्हें बताया कि ज़ूबी ने किस तरह उसकी कंपनी की मदद की है। जब उसने कमरे में मौजूद सभी सदस्यों से ये कहा कि उसे ज़ूबी से कंपनी के बारे में कुछ खास बातें करनी हैं तो सभी चौंक पड़े। 

“मिस्टर राज! शायद आप मज़ाक कर रहे हैं,” ज़ूबी ने थोड़ा हंसते हुए कहा, “आपको पता है ना कि आज मेरा निकाह है।” 

“मैं जानता हूँ ज़ूबी, पर सिर्फ़ दस मिनट लगेंगे। शादी के बाद तुम अपने हनीमून पर चली जाओगी और मैं इस समस्या के विषय में तुमसे कम से कम तीन हफ़्तों तक बात नहीं कर पाऊँगा। मुझे आज ही तुमसे बात कर के इस समस्या का हल निकालना है,” राज ने उसे समझाते हुए कहा। 

ज़ूबी राज के बारे में अच्छी तरह जानती थी। एक बार जो वो कह देता था वो कर के रहता था। फिर ज़ूबी बात को बढ़ाना भी नहीं चाहती थी। एक अनजाना डर सा उसके दिल में था, पता नहीं राज क्या कर बैठे। 

ज़ूबी की माँ को ज़ूबी की हालत का अंदाज़ा नहीं था, और ना ही उसे राज की या उसकी कंपनी की समस्या से कोई लेना देना था। 

“मिस्टर राज!” ज़ूबी की अम्मी ने कहा, “मैं ये कहने पर मजबूर हूँ कि आज आप नाजायज़ बात कर रहे हैं, कम से कम आज के दिन तो ज़ूबी को आप काम से दूर रखें।” 

राज ने ज़ूबी की और देखा, “ठीक है ज़ूबी मैं तुम्हें आज के दिन कोई काम करने पर मजबूर नहीं करूँगा, पर ये टेप मैं यहाँ छोड़े जा रहा हूँ, इसे अपनी अम्मी को ज़रूर दिखाना। इसमें हमारी कंपनी की तरक्की की कहानी है,” राज ने एक टेप अपनी जेब से निकाल कर टेबल पर रख दी। 

राज की ये हर्कत देख कर ज़ूबी तो मानो पत्थर की मुरत बन गयी। उसने तुरंत अपनी हालत पर काबू पाया। 

“अम्मी मैं एक वकील हूँ और आपको क्या मालुम कि वकील का पेशा क्या होता है। माना आज मेरा निकाह है पर मेरा काम मेरे निकाह से ज्यादा अहम है,” ज़ूबी ने अपनी अम्मी को समझाते हुए कहा, “प्लीज़ एक मिनट मुझे मिस्टर राज से बात कर लेने दिजिये।” 

ज़ूबी ने इशारे से राज को अपने पास बुलाया और कमरे के एक कोने में ले जाकर बात करने लगी। 

राज ज़ूबी के पास पहुँचा, “ज़ूबी मैं जानता हूँ कि ये सही नहीं है, पर मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है।”

ज़ूबी की समझ में नहीं आ रहा था कि राज को क्या जवाब दे। कभी वो अपने हाथ में पकड़े उस विडियो टेप को देखती और कभी कमरे में खड़े सभी लोगों को। 

“ठीक है,” ज़ूबी ने कमरे में खड़े सभी लोगों से कहा, “प्लीज़ आप सभी लोग कुछ देर के लिये बाहर जायें, मुझे मिस्टर राज से अकेले में कुछ जरूरी बातें करनी हैं।” 

ज़ूबी ने सभी को कमरे के बाहर जाने का इशारा किया, “प्लीज़ आप सभी समझें... ये काम बहुत जरूरी है।” राज के साथ आयी लड़की ने सभी को कमरे के बाहर निकाला और फिर कमरे को अंदर से बंद कर दिया। 

जैसे ही उस लड़की ने दरवाजा बंद किया, राज के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। 

ज़ूबी कमरे में खड़े लंबे चौड़े राज को देख रही थी। वैसे तो राज कईं बार उसे चोद चुका था, पर वो सोच रही थी कि क्या आज उसकी शादी के दिन भी राज उससे यही करवाना चाहेगा। वो अपने मेक-अप और अपने कपड़ों के बारे में सोच रही थी। ये सब सोचते हुए उसे रोना आ रहा था पर वो रोकर अपना दिन बरबाद नहीं करना चाहती थी। 

“मिस्टर राज! धन्यवाद कि आप समय निकालकर शादी में आये,” ज़ूबी समय की नज़ाकत को समझती हुई बोली। 

“ज़ूबी आज से बड़ा शुभ दिन क्या हो सकता है,” राज ने कहा, “मैं तो जूली को ये दिखाने लाया था कि तुम कितनी सुंदर हो और तुम्हारा शौहर कितना खुशनसीब है जो उसे तुम्हारी जैसी बीवी मिल रही है,” राज जूली की ओर देखते हुए बोला, “क्यों मैं ठीक कह रहा हूँ ना जूली।” 

“हाँ राज! वाकय में ज़ूबी काफी खूबसूरत और सैक्सी है,” जूली अपने होंठों पर ज़ुबान फेरते हुए बोली। 

“पर हमारी कितनी बदकिस्मती है कि हमारे पास पूरी रात नहीं है,” राज ने कहा। 

राज की बात सुनकर ज़ूबी सोच में पड़ गयी, “हाय अल्लाह! ये सही में मुझसे आज के दिन वो सब करवाना चाहता है।”

“मिस्टर राज! आज मेरा निकाह है... प्लीज़ आज के दिन तो मुझसे ये सब मत करवाइये।” 

“ज़ूबी आज तुम्हारा निकाह है, इसी लिए तो मैं ये सब तुम्हारे साथ करना चाहता हूँ,” उसने जवाब दिया, “मैं माफी चाहता हूँ, पर ये मेरी सोच है कि तुम्हारे निकाह के दिन मैं पहला मर्द होना चाहता हूँ जो तुम्हारी चुदाई करेगा। मैं चाहता हूँ कि जब तुम निकाह की रस्म में बैठो तो मेरा वीर्य तुम्हारी चूत से बहता रहे। अब अगर तुम चाहती हो कि घर में आये सारे मेहमान तुम्हारी ये वीडियो कैसेट ना देखें तो जल्दी से अपना लहँगा उठाओ और मेरे लंड के लिये तैयार हो जाओ।” 

“सैंडल तो बड़ी प्यारी और सैक्सी पहनी है दुल्हन रानी,” ज़ूबी की गुलाबी रंग की हाई हील की सैंडल की तरफ इशारा करते हुए जूली बोली। 

ज़ूबी अपने आपको फ़िर काफी विवश पा रही थी। वो ना तो हाँ कर सकती थी ना ही ना। ज़ूबी डर और अपमान के मारे बुरी हालत में थी। पर वो जानती थी कि उसे ये सब करना पड़ेगा। वो राज की धमकी से डर सी गयी थी। जैसे ही जूली ने उसके लहँगे को उठाया ज़ूबी ने अपनी सैंडल उतारने की कोशिश की। 

जैसे ही ज़ूबी अपनी सैंडल उतारने के लिए झुकी तो जूली ने उसे रोक दिया और उससे कहा, “सैंडल पहनी रहो... तुम्हारे पैरों में जंच रहे हैं... अब ऐसा करो तुम टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारे इस घाघरे को अच्छी तरह से तुम्हारी कमर तक उठा देती हूँ जिससे ये खराब ना हो।” 

जूली ने ये सब इतनी अच्छी तरह से कहा था कि ज़ूबी के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। वो घूमी और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन गयी। उसने महसूस किया कि जूली ने उसके घाघरे को उसकी कमर तक उठा दिया है और अब पीछे से उसके बदन को सहला रही है। 

“थोड़ा नीचे झुको मेरी गुड़िया,” जूली ने हल्के दबाव से उसे नीचे झुक दिया। वो सोच रही थी कि कमरे के बाहर खड़े उसके परिवार वाले और रिश्तेदार क्या सोच रहे होंगे कि उन्हें बंद कमरे में इतनी देर क्यों लग रही है।

ज़ूबी की चिकनी और गोरी टाँगें कमरे की दूधिया रोशनी में चमक रही थी। उसके कुल्हे और चूत एक सिल्क की सफ़ेद पैंटी से ढकी हुई थी। ज़ूबी का ये नज़ारा किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी था। 

राज ने महसूस किया कि उसका लंड पैंट के अंदर तनने लगा है। ये सोच कर तो उसका लंड और खड़ा हो गया कि ये नयी नवेली दुल्हन आज शादी के दिन किसी और मर्द से चुदवाने जा रही है। 

राज ये सब सोचते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसल रहा था। वहीं जूली ने धीरे से अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी कि पैंटी में फँसायी और उसे उसके सैंडलों तक नीचे खिसका दी। फिर उसने ज़ूबी का एक-एक पैर उठा कर वो पैंटी निकाल दी। वो पैंटी उतार कर उसने उसे राज को पकड़ा दी और राज ने उसे अपने कोट की जेब में डाल दी। 

ज़ूबी के पीछे खड़े होकर राज ने जूली को इशारा किया। उसका इशारा पा कर वो लड़की अब ज़ूबी के चूत्तड़ों को सहलाने लगी। 

“अपनी टाँगों को थोड़ा और फ़ैलाओ रानी,” जूली ने ज़ूबी से कहा। 

ज़ूबी के मुँह से एक हल्की सी हुंकार निकली और उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला दी जिससे उसकी उभरी हुई चूत अब साफ़ दिखायी दे रही थी। 

जूली के हाथ अब ज़ूबी की टाँगों के बीच आ गये। जूली अब अपने हाथ ज़ूबी की बिना झाँटों की साफ़ और चिकनी चूत पर फिराने लगी। 

ज़ूबी को अपनी इस अवस्था पे काफी शरम आ रही थी। वो सोच रही थी कि तकदीर भी उसके साथ कैसे खेल खेल रही थी। आज ही उसके निकाह के दिन वो किसी कुत्तिया कि तरह किसी दूसरे मर्द से चुदवाने जा रही थी। 

तभी उसने किसी मर्दाने हाथों को अपने चूत्तड़ पर महसूस किया। ज़ूबी ने अपनी गर्दन घुमा कर देखना चाहा कि उसके पीछे क्या हो रहा है। राज ठीक उसके पीछे खड़ा था। उसकी पैंट और अंडरवीयर उसके घुटनों तक नीचे खिसकी हुई थी। उसका तन्नाया हुआ लंड ठीक उसकी चूत को मुँह किये खड़ा था। जूली अब उसके लंड को उसकी चूत पर लगा रही थी।


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