RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
"अरे बेटी, मैंने इनको कहा था कि जरा सबर रखो, बहू आने वाली है, उसके लिये अपनी मस्ती बचा कर रखो पर ये मेरा देवर ... वैसे अब मेरा आदमी है महा चोदू, सुनता थोड़े ही है, मस्ती करके आया होगा शाम को. कोई बात नहीं, तू कल देख लेना कैसा तन कर खड़ा होता है." मौसी बोलीं फ़िर मेरा चुम्मा लेने लगीं. मैं उनकी जीभ चूसने लगा.
मौसाजी लीना पर चढ़ गये और उसकी चूंचियां दबाने लगे. "वाह ... क्या मम्मे हैं तेरे लीना .... ठोस कड़ा माल है .... अनिल दबाता नहीं क्या .... मैं होता तो मसल मसल कर पिलपिला कर देता तेरी मौसी की कसम, उसके भी कच्चे आम जैसे थे, अब देखो कैसे पपीते बना दिये मैंने"
लीना को मस्ती चढ़ी थी, उसने खुद ही दीपक मौसाजी का लंड चूत में लगा दिया और बोली "अब डाल दो जल्दी मौसाजी, आप की बहू बहुत बेताब है आपका लाड़ प्यार पाने को" और कस के उनको बाहों में जकड़ कर चूमने लगी.
मौसाजी ने एक झटके में लंड गाड़ दिया और चोदने लगे. "बहुत मस्त चूत है तेरी लीना .... गांड भी मतवाली होगी ..... आज तो तूने नहीं मारने दी .... पर मारूंगा जरूर ... आह .... मेरी रानी .... मेरा लाड़ो ... क्या जवानी है तेरी"
लीना बोली "अनिल ....बहुत मस्त चोद रहे हैं मौसाजी ... धक्का मारते हैं तो अंदर पेट तक जाता है लंड ... तुम मौसी को ठीक से चोदो .... कल से प्यासी है उनकी बुर .... और उनके मुंह की चासनी बहुत चख ली .... जरा मम्मे को मुंह में लेकर देखो ... एकदम डबल रोटी है"
मैंने कहा "पर मौसाजी तो रोज चोदते होंगे मौसी को .... उनकी बुर को प्यासा नहीं रखते होंगे" फ़िर मैंने सिर झुकाकर मौसी का एक मोटा खजूर सा निपल मुंह में ले लिया"
"अरे तेरे मौसाजी तो गांड के पीछे ज्यादा रहते हैं ... गांड मारने को हमेशा तैयार रहता है ये बदमाश देवर मेरा, पर है बड़ा चोदू ... तभी तो शादी कर ली मैंने इससे .... चोदने को बोलो तो ना नुकुर करता है ... अरे अनिल बेटे ... ऐसे क्या जरा सा निपल मुंह में ले कर चूस रहे हो ... पूरा मम्मा मुंह में ले लो अपने ... तूने कभी ऐसा माल नहीं मुंह में लिया होगा" कहकर मौसी ने आधे से ज्यादा चूंची मेरे मुंह में ठूंस दी"
"झूट मत बोलो भाभी .... मेरा मतलब है आभा रानी ... तुम को रोज चोदता हूं मैं .... अब तुम्हारी गांड इतनी मोटी ताजी है तो मैं क्या करूं ... किसी का भी मन होगा मारने को और जब तुम्हारा देवर था मैं तब कितने प्यार से रिझाती थीं मेरे को गांड दिखा दिखा कर" मौसाजी हचक हचक कर लीना को चोदते हुए बोले.
इसी तरह गप्पें लड़ाते हुए हमने दोनों चुदैलों को मन भर के चोदा. दोनों दो तीन बार झड़ीं. आखिर मैं और मौसाजी भी झड़ गये और वहीं मौसी और लीना के बदन पर पड़े पड़े सुस्ताने लगे.
पांच मिनिट के आराम के बाद मौसी बोलीं "मजा आ गया अनिल बेटे ... लीना ... तू चुदी या नहीं ठीक से? इनका कोई भरोसा नहीं, आज कल तेरे मौसाजी गांड ज्यादा मारते हैं, लगता है कहीं चोदने की कला भूल न जायें"
लीना बोली "हां मौसी ... बहुत प्यार से चोदा मौसाजी ने ....वैसे मेरा मन कभी नहीं भरता ... अनिल जानता है .... मैं तो यहां हूं तब तक दिन रात चुदवाऊंगी ... मौसाजी आप लंड को तैयार रखो अपने ... उसको कहना बहू की खातिर में कमी नहीं आनी चाहिये"
मौसाजी बोले "लीना बेटी ... तू फ़िकर मत कर ... यहां लंडों की कोई कमी नहीं है ... कल से देख ... तुझे खुश कर दूंगा ... इतना चुदेगी कि तेरी चूत एकदम ठंडी हो जायेगी"
"अब तुम दोनों हटो और मुझे और लीना को जरा प्यार मुहब्बत करने दो" मौसी मुझे अपने बदन से ढकेलते हुए बोलीं. उधर मौसाजी लीना पर से उतरे और उधर मौसी उससे लिपट गयीं. लीना पर उलटी ओर से चढ़ कर उन्होंने अपनी चूत लीना के मुंह में दे दी और खुद लीना की टांगें फ़ैलाकर उसकी बुर चाटने लगीं.
"मौसी ये क्या कर रही हैं? अभी मन नहीं भरा क्या अनिल से चूत चुसवाकर?" लीना बोली.
"बेटी, ये अलग स्वाद है, ले कर देख, चुदी बुर चाटने का मजा ही और होता है. तू भी जानती है, नाटक कर रही है" मौसी बोलीं.
"हां मौसी .... मैंने बहुत बार किया है .... मैं तो मजाक कर रही थी .... जाना पहचाना स्वाद लग गया है आप की बुर में .... मेरे अनिल डार्लिंग का" लीना चटखारे ले कर बोली.
मैं और मौसाजी बाजू में बैठकर दोनों औरतों के कारनामे देखने लगे. मौसी का मोटा शरीर लीना के जवान तन से लिपटा था, लीना की सुडौल कसी हुई जांघें मौसी के सिर को पकड़े थीं और मौसी की मोटी मोटी थुलथुली टांगें लीना के सिर को कस के जकड़े थीं. दोनों लपालप चाट रही थीं जैसी कब की भूखी हों.
मेरा लंड सिर उठाने लगा. मौसाजी मेरे लंड को देखने लगे "अनिल ... तुझमें तो काफ़ी जोश है लगता है ... इतनी जल्दी सिर उठाने लगा तेरा ये मूसल"
"मौसाजी, जब ऐसी चुदैल मतवाली औरतें आपस में ऐसे करम कर रही हों तो किसीका भी खड़ा हो जायेगा." कहकर मैं लंड हाथ में लेकर मुठियाने लगा.
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