RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
हम निकल पड़े. आगे आगे रज्जू, रघू और मौसाजी के साथ लीना चल रही थी. मैं पीछे पीछे राधा के साथ आ रहा था. मौसी कुछ पीछे चल रही थीं.
लीना जानबूझकर अपने सैंडल की ऊंची एड़ियां उठा उठा कर मटक मटक कर कमर लचका लचकाकर चल रही थी. बीच में रुक जाती, और आंचल गिरा देती, फ़िर झुक कर खेत में से एकाध बाली चुन लेती, उसके मम्मे ब्लाउज़ में से दिखने लगते.
जल्दी ही तीनों के लंड खड़े हो गये. पैंट में तंबू बन गया. देख कर लीना शोखी से हंसी और फ़िर चलने लगी. रघू खेत में कुछ दिखाने के बहाने लीना के पास गया और बात करते करते धीरे से लीना की चूंची दबा दी. लीना पलटकर कुछ बोली और फ़िर रघू के कान पकड़ लिये. उससे कुछ कहा, रघू कान पकड़कर उठक बैठक लगाने लगा. मौसाजी और रज्जू हंस रहे थे. फ़िर लीना आगे चलने लगी और तीनों उसके पीछे चल दिये.
राधा मेरे साथ चल रही थी. बीच में चीख मार कर बैठ गयी. मैंने पूछा तो बोली "भैया, कांटा लग गया"
मैं बोला "निकाल देता हूं, चल बैठ" राधा ने पैर आगे किया और उसके बहाने लहंगा ऊपर कर दिया. उसकी सांवली चिकनी टांगें और बालों से भरी बुर दिखने लगी. मेरा भी लंड खड़ा हो गया. कांटा वांटा कुछ नहीं था, मैंने उसका पैर पकड़ कर कहा "तेरे खेत में फ़ल बड़े रसीले हैं राधा, देख ठीक से चल, नहीं तो बड़ा वाला कांटा लग जायेगा या कोई तोता तेरे फ़लों पर चोंच मारने लगेगा" और मैंने अपना तंबू उसको दिखाया.
वो मुस्करा कर बोली "बड़ा मस्त कांटा है भैया, मेरे अंग में घुस जाये तो मजा आ जायेगा. और तोता आये तो उसको ऐसी रसीली लाल बिही चखाऊंगी कि खुश हो जायेगा"
मैंने उसकी चूंची दबा कर कहा "आज दिखाता हूं तुझको, चल तो मेरे साथ. वैसे तोता तेरे को आज जरूर काटेगा, माल बहुत अच्छा है तेरे यहां"
मौसी अब तक हमारे करीब आ गयी थीं. बोलीं "अरे चलो ना, कांटा बाद में निकाल देना, देखो इनका भी खेत घूमना हो गया लगता है, अब घर में जा रहे हैं, मुझे लगा कि और घूमेंगे. ये तो खरगोश का शिकार करने वाली थी ना?"
मैंने कहा "मौसी, आप को तो अब अंदाजा हो गया होगा लीना कैसी है. उसी को अब जल्दी होगी अंदर जाने की. और शिकार के लिये खरगोश भी मिल गये हैं उसको, लगता है एकदम तैयार हैं"
"चलो मालकिन, हम भी चलते हैं. शिकार तो अब अंदर ही होगा घर के" राधा बोली.
"कितने कमरे हैं राधा उधर?" मैंने पूछा.
"फ़िकर मत करो भैया, दो तीन कमरे हैं, अपन अलग कमरे में चलेंगे" राधा बोली और आगे आगे चलने लगी. मैं मौसी के साथ चलने लगा. उनकी कमर में हाथ डालकर उनके चूतड़ दबा दिये. बोला "मौसी ये जो शिकार होगा, बड़ा मस्त होगा, हमको भी दिखना चाहिये"
"फ़िकर मत कर अनिल बेटे, हम भी देखेंगे. और साथ में मैं भी जरा देखूं कि तू राधा को कैसे अपना कांटा चुभाता है, बड़ी तेज छोरी है, मस्त माल है" मौसी बोलीं.
"आप से बढ़ कर नहीं मौसी. आपका माल मीठा भी है और खूब ज्यादा भी है, पेट भरने को अच्छा है" मैंने उनकी चूंची दबा कर कहा.
"चल चापलूसी मत कर, वैसे ये तेरी बहू कैसे इन तीनों से निपटती है, मुझे भी देखना है अनिल" मौसी बोलीं.
हम पांच मिनिट बाद घर तक पहूंचे. लीना और वे तीनों पहले ही अंदर जा चुके थे. राधा हमें पिछले दरवाजे से ले गयी. दूसरा कमरा था. वहां भी खाट थी और बिस्तर बिछा था. सामने छोटा सा झरोखा था, उसके किवाड खुले थे. अंदर से आवाज आ रही थी. हम तीनों ने अपने कपड़े उतारे और लिपट कर खाट पर बैठकर झरोखे से देखने लगे.
लीना कमरे के बीच खड़ी थी, आंचल ढला हुआ था. तीनों नजर गड़ाकर उसको देख रहे थे. रघू बोला "बहू रानी, अब तो हमको मौका दो आपकी सेवा करने का"
"बड़ा आया सेवा करने वाला. पहले देखूं तो सेवा के लायक क्या है तुम्हारे पास. अब तीनों अपने कपड़े उतारो, जल्दी करो" लीना ने हुक्म दिया. मौसाजी और रज्जू और रघू ने फ़टाफ़ट कपड़े उतार दिये. तीनों मस्ती में थे, लंड तनकर लीना को सलामी दे रहे थे.
"अब लाइन से खड़े हो जाओ. और हाथ लंड से अलग, खबरदार" लीना ने डांट लगायी. "अब मैं इन्स्पेक्शन करूंगी कि शिकार के लिये जो बंदूकें हैं वो ठीक है या नहीं"
फ़िर लीना ने कपड़े उतारना शुरू किये. धीरे धीरे साड़ी उतारी और फ़िर पेटीकोट. फ़िर अपना ब्लाउज़ निकाला.
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