RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
मैं और लीना रात को कपड़े उतार के जब मौसी के कमरे में गये तो देखा कि सब वहां जमा थे और पूरे नंगे थे. आज पलंग बाजू में कर दिया गया था और पूरे फ़र्श पर गद्दियां बिछी थीं. मौसी और राधा लिपट कर बैठी थीं. मौसाजी रज्जू और रघू के बीच बैठे थे और अपने दोनों हाथों में उनके लंड ले कर मुठिया रहे थे.
"ये तो पूरा जमघट लगा है मौसी. कोई खास बात है क्या?" मैंने पूछा.
"आज एक खास खेल होने वाला है. ट्रेन ट्रेन का" मौसी मुस्कराती हुई बोलीं.
"कैसा खेल मौसी? ट्रेन ट्रेन खेल कैसा होता है?" लीना ने पूछा.
"अरे ट्रेन में लेडीज़ और जेंट कंपार्टमेंट अलग अलग होते हैं ना. आज हम लोग भी अलग अलग रहेंगे. मर्द अलग और औरतें अलग. एक कंपार्टमेंट से दूसरे कंपार्टमेंट में जाना मना है आज"
"ये क्या मौसी? लंड अलग और चूत अलग? मुझे और लंड चाहिये" लीना पैर पटककर बोली
"मेरी चुदैल बहू रानी, तू जरूर हमारा नाम रोशन करेगी" मौसी ने लीना का हाथ पकड़कर कहा "अरी हफ़्ते भर तो लंड ही लंड लिये हैं तूने. और बाद में और ले लेना, फ़िर से जल्दी गांव आ जा, अनिल को छुट्टी न हो तो खुद अकेली आ जाना और इस बार महने भर रहना. तू कहेगी तो एक दो और मस्त लंड तेरे लिये जमा करके रखूंगी, रघू और रज्जू के एक दो चचेरे भाई हैं, बड़े मस्त जवान लौंडे हैं. आज ये खेल देख ले, तेरे मौसाजी का बहुत मन है ये खेलने का"
"पर मौसी, मुझको भी देखना है ना, अनिल कैसे ये वाला खेल खेलता है" लीना शोखी से बोली.
"अरी फ़िकर क्यों करती है, सब दिखेगा. तू मैं और राधा यहां इस तरफ़, लेडीज़ कंपार्टमेंट. और तेरे मौसाजी, रज्जू रघू और अनिल यहां दूसरी तरफ़, जेंट कंपार्टमेंट, दोनों कंपार्टमेंट यहीं इस कमरे में बनेंगे. तेरे मौसाजी तो हमेशा खेलते हैं. आज और मजा आयेगा, अनिल जो है. चल आ जा लीना बेटी" लीना का हाथ पकड़कर मौसी ने उसको पास बिठा लिया. राधा तो लीना के पीछे चिपटकर उसके मम्मे दबाने लगाने लगी थी.
"वहां से दिखेगा बेटी, फ़िकर मत कर. और अनिल को कुछ करने की जरूरत नहीं है, ये तीनों उसको सिखा देंगे"
"आओ अनिल. यहां बैठो" मौसाजी बोले. मैं उनके पास जाकर बैठने लगा तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी गोद में बिठा लिया. "वहां नहीं यहां बैठो बेटे. हम तो कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं, क्यों भाभी, खेल शुरू करें?"
"हां करो ना, जान पहचान बढ़ा लो. वैसे मैंने विमला बाई को भी बुलाया है. बड़े दिन हो गये उससे मिले. कल अचानक आ गयी तो मैंने कहा कि आज रात को आ जाओ, हमारी बहू से भी जानपहचान बढ़ा लो. बस आती होगी."
तभी बाहर से किसी औरत की आवाज आयी "मौसी, आप कहां हो?"
मौसी चिल्ला कर बोलीं. "हम यहां है मेरे कमरे में. तुम भी आ जाओ, और तैयार होकर आना विमला. खेल शुरू ही होने वाला है. बस तुम्हारा ही इंतजार था. मेरे कमरे में कपड़े निकाल के रख दे"
मैं मौसाजी की गोद में बैठ गया. उनका लंड मेरी पीठ से सटा था. "लो रघू और रज्जू, आखिर अनिल आ गया हमारे साथ. लो अब इसे ठीक से प्यार करो. तुम लोग कब से पीछे लगे थे मेरे कि अनिल भैया से ठीक से जान पहचान करा दो हमारी, अब देखें कैसी सेवा करते हो उसकी, इसकी बीवी को तो तुमने खुश कर दिया, अब इसकी खुशी पर ध्यान दो"
मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था. मैं बोला "अरे ऐसी कोई बात नहीं है मौसाजी, आप चाहो तो अभी भी लीना को इस कंपार्टमेंट में बुला लो"
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