RE: Desi Chudai Kahani माँ का प्यार
माँ का प्यार-3
गतान्क से आगे ……………………
अगले दिन नाश्ते पर जब सब इकट्ठा हुए तो माँ चुप थी, मुझसे बिलकुल नहीं बोली मुझे लगा कि लो, हो गई नाराज़, कल शायद मुझसे ज़्यादती हो गई जब मैं काम पर जा रहा था तो अम्मा मेरे कमरे में आई "बात करना है तुझसे" गंभीर स्वर में वह बोली
"क्या बात है अम्मा? क्या हुआ? मैंने कुछ ग़लती की?" मैंने डरते हुए पूछा "नहीं बेटे" वह बोली "पर कल रात जो हुआ, वह अब कभी नहीं होना चाहिए" मैंने कुछ कहने के लिए मुँहा खोला तो उसने मुझे चुप कर दिया
"कल की रात मेरे लिए बहुत मतवाली थी राज और हमेशा याद रहेगी पर यह मत भूलो कि मैं शादी शुदा हूँ और तेरी माँ हूँ यह संबंध ग़लत है" मैंने तुरंत इसका विरोध किया "अम्मा, रूको" उसकी ओर बढकर उसे बाँहों में भरते हुए मैं बोला "तुम्हे मालूम है कि मैं तुम्हे कितना प्यार करता हूँ और यह भी जानता हूँ कि तुम भी मुझे इतना ही चाहती हो इस प्यार को ऐसी आसानी से नहीं समाप्त किया जा सकता"
मैंने उसका चुंबन लेने की कोशिश की तो उसने अपना सिर हिलाकर नहीं कहते हुए मेरी बाँहों से अपने आप को छुडा लिया मैंने पीछे से आवाज़ दी "तू कुछ भी कह माँ, मैं तो तुझे छोड़ने वाला नहीं हूँ और ऐसे ही प्यार करता रहूँगा" रोती हुई माँ कमरे से चली गई
इसके बाद हमारा संबंध टूट सा गया मुझे सॉफ दिखता था कि वह बहुत दुखी है फिर भी उसने मेरी बात नहीं सुनी और मुझे टालती रही मैंने भी उसके पीछे लगाना छोड़ दिया क्योंकि इससे उसे और दुख होता था
माँ अब मेरे लिए एक लड़की की तलाश करने लगी कि मेरी शादी कर दी जाए उसने सब संबंधियों से पूछताछ शुरू कर दी दिन भर अब वह बैठ कर आए हुए रिश्तों की कुंडलियाँ मुझसे मिलाया करती थी ज़बरदस्ती उसने मुझे कुछ लड़कियों से मिलवाया भी मैं बहुत दुखी था कि मेरी माँ ही मेरे उस प्यार को हमेशा के लिए खतम करने के लिए मुझपर शादी की ज़बरदस्ती कर रही है
आख़िर मैंने हार मान ली और एक लड़की पसंद कर ली वह कुछ कुछ माँ जैसी ही दिखती थी पर जब शादी की तारीख पक्की करने का समय आया तो माँ में अचानक एक परिवर्तन आया वह बात बात में झल्लाती और मुझ पर बरस पड़ती उसकी यह चिडचिडाहट बढ़ती ही गई मुझे लगा कि जैसे वह मेरी होने वाली पत्नी से बहुत जल रही है
आख़िर एक दिन अकेले में उसने मुझसे कहा "राज, बहुत दिन से पिक्चर नहीं देखी, चल इस रविवार को चलते हैं" मुझे खुशी भी हुई और अचरज भी हुआ "हाँ माँ, जैसा तुम कहो" मैंने कहा मैं इतना उत्तेजित था कि बाकी दिन काटना मेरे लिए कठिन हो गया यही सोचता रहा कि मालूम नहीं अम्मा के मन में क्या है शायद उसने सिर्फ़ मेरा दिल बहलाने को यह कहा हो
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