RE: Desi Chudai Kahani माँ का प्यार
अब मैं उसे पटक कर उस पर चढ बैठा और पूरे ज़ोर के साथ उसे चोद डाला झडने के बाद भी मैं अपना लंड उसकी चुनमूनियाँ में घुसेडे हुए उसपर पड़ा पड़ा उसके होंठों को चूमता रहा और उसके शरीर के साथ खेलता रहा अम्मा अब तृप्त हो गई थी पर मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा था माँ ने हँस कर लाड से कहा "तू आदमी है या सांड़?" और फिर झुककर मेरा शिश्न मुँह में लेकर चूसने लगी
पहली बार माँ के कोमल तपते मुँह को अपने लंड पर पाकर मैं ज़्यादा देर नहीं रह पाया और उसके मुँह में ही स्खलित हो गया माँ ने झडते शिश्न को मुँह से निकालने की ज़रा भी कोशिश नहीं की बल्कि पूरा वीर्य पी गयी
दूसरे ही दिन मैं एक सराफ़ के यहाँ से एक मंगल सूत्र ले आया सबसे छुपा कर रखा और साथ ही एक अच्छी रेशम की साड़ी भी ले आया मौका देखकर एक दिन हम पास के दूसरे शहर में शापिंग का बहाना बना कर गये माँ ने वही नयी साड़ी पहनी थी
वहाँ एक छोटे मंदिर में जाकर मैंने पुजारी से कहा कि हमारी शादी कर दे पुजारी को कुछ गैर नहीं लगा क्योंकि अम्मा इतनी सुंदर और जवान लग रही थी कि किसी को यह विश्वास ही नहीं होता कि वह मेरी माँ है माँ शरमा कर मेरे सामने खडी थी जब मैंने हार उसके गले में डाला फिर मैंने अपने नाम का मंगल सूत्र उसे पहना दिया एक अच्छे होटल में खाना खाकर हम घर आ गये
रात को सब सो जाने के बाद अम्मा वही साड़ी पहने मेरे कमरे में आई आज वह दुल्हन जैसी शरमा रही थी मुझसे लिपट कर बोली "राज, आज यह मेरे लिए बड़ी सुहानी रात है, ऐसा प्रेम कर बेटे कि मुझे हमेशा याद रहे आख़िर आज से मैं तेरी पत्नी भी हूँ" मैंने उसके रूप को आँखें भर कर देखते हुए कहा "अम्मा, आज से मैं तुम्हे तुम्हारे नामा से बुलाना चाहता हूँ, कमला अकेले में मैं यही कहूँगा सबके सामने माँ कहूँगा" माँ ने लज्जा से लाल हुए अपने मुखडे को दुलाकर स्वीकृति दे दी
फिर मैं माँ की आँखों में झाँकता हुआ बोला "कमला रानी, आज मैं तुम्हें इतना भोगुँगा कि जैसा एक पति को सुहागरात में करना चाहिए आज मैं तुम्हें अपने बच्चे की माँ बना कर रहूँगा तू फिकर मत कर, अगले माह तक हम दूसरी जगह चले जाएँगे"
अम्मा ने अपना सिर मेरी छाती में छुपाते हुए कहा "ओहा राज, हर पत्नी की यही चाह होती है कि वह अपने पति से गर्भवती हो आज मेरा ठीक बीच का दिन है मेरी कोख तैयार है तेरे बीज के लिए मेरे राजा"
उस रात मैंने अम्मा को मन भर कर भोगा उसके कपड़े धीरे धीरे निकाले और उसके पल पल होते नग्न शरीर को मन भर कर देखा और प्यार किया पहले घंटे भर उसके चुनमूनियाँ के रस का पान किया और फिर उस पर चढ बैठा
उस रात माँ को मैंने चार बार चोदा एक क्षण भी अपना लंड उसकी चुनमूनियाँ से बाहर नहीं निकाला सोने में हमें सुबह के तीन बज गये इतना वीर्य मैंने उसके गर्भ में छोड़ा क़ि उसका गर्भवती होना तय था
उसके बाद मैं इसी ताक में रहता कि कब घर में कोई ना हो और मैं अम्मा पर चढ जाऊ माँ भी हमेशा संभोग की उत्सुक रहती थी पहल हमेशा वही करती थी वह इतनी उत्तेजित रहती थी कि जब भी मैं उसका पेटीकोट उतारता, उसकी चुनमूनियाँ को गीला पाता जब उसने एक दिन चुदते हुए मुझे थोड़ी लजा कर यह बताया कि सिर्फ़ मेरी याद से ही उसकी योनि में से पानी टपकने लगता था, मुझे अपनी जवानी पर बड़ा गर्व महसूस हुआ
कभी कभी हम ऐसे गरम जाते कि सावधानी भी ताक पर रख देते एक दिन जब सब नीचे बैठ कर गप्पें मार रहे थे, मैंने देखा कि अम्मा उपर वाले बाथरूम में गयी मैं भी चुपचाप पीछे हो लिया और दरवाजा खोल कर अंदर चला गया माँ सिटकनी लगाना भूल गयी थी मैं जब अंदर गया तो वह पॉट पर बैठकर मूत रही थी मुझे देखकर उसकी काली आँखें आश्चर्य से फैल गईं
उसके कुछ कहने के पहले ही मैंने उसे उठाया, घुमा कर उसे झुकने को कहा और साड़ी व पेटीकोट उपर करके पीछे से उसकी चुनमूनियाँ में लंड डाल दिया "बेटे कोई आ जाएगा" वह कहती रह गयी पर मैंने उसकी एक ना सुनी और वैसे ही पीछे से उसे चोदने लगा पाँच मिनट में मैं ही झड गया पर वे इतने मीठे पाँच मिनट थे कि घंटे भर के संभोग के बराबर थे
मेरे शक्तिशाली धक्कों से उसका झुका शरीर हिल जाता और उसका लटकता मंगलसूत्र पेम्डुलम जैसा हिलने लगता झड कर मैंने उसके पेटीकोट से ही वीर्य सॉफ किया और हम बाहर आ गये माँ पेटीकोट बदलना चाहती थी पर मैंने मना कर दिया दिन भर मुझे इस विचार से बहुत उत्तेजना हुई कि माँ के पेटीकोट पर मेरा वीर्य लगा है और उसकी चुनमूनियाँ से भी मेरा वीर्य टपक रहा है
क्रमशः…………………
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