RE: Desi Chudai Kahani माँ का प्यार
माँ का प्यार-4
गतान्क से आगे ……………………
हमारा संभोग इसी तरह चलता रहा एक बार दो दिन तक हमें मैथुन का मौका नहीं मिला तो उस रात वासना से व्याकुल होकर आख़िर मैं माँ और बापू के कमरे में धीरे से गया बापू नशे में धुत सो रहे थे और माँ भी वहीं बाजू में सो रही थी
सोते समय उसकी साड़ी उसके वक्षस्थल से हट गयी थी और उसके उन्नत उरोजो का पूरा उभार दिख रहा था साँस के साथ वे उपर नीचे हो रहे थे मैं तो मानों प्यार और चाहत से पागल हो गया माँ को नींद में से उठाया और जब वह घबरा कर उठी तो उसे चुप रहने का इशारा कर के अपने कमरे में आने को कहा कर मैं वापस आ गया
दो मिनट बाद ही वह मेरे कमरे में थी मैं उसके कपड़े उतारने लगा और वह बेचारी तंग हो कर मुझे डाँटने लगी "राज, मैं जानती हूँ की मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और जब भी तुम बुलाओ, आना मेरा कर्तव्य है, पर ऐसी जोखिम मत उठा बेटे, किसी ने देख लिया तो गडबड हो जाएगा"
मैंने अपने मुँह से उसका मुँह बंद कर दिया और साड़ी उतारना छोड़ सिर्फ़ उसे उपर कर के उसके सामने बैठ कर उसकी चुनमूनियाँ चूसने लगा क्षण भर में उसका गुस्सा उतर गया और वह मेरे सिर को अपनी जांघों में जकड कर कराहते हुए अपनी योनि में घुसी मेरी जीभ का आनंद उठाने लगी इसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा कर उसे चोद डाला
मन भर कर चुदने के बाद माँ जब अपने कमरे में वापस जा रही थी तो बहुत खुश थी मुझे बोली "राज, जब भी तू चाहे, ऐसे ही बुला लिया कर मैं आ जाऊन्गि"
अगली रात को तो माँ खुले आम अपना तकिया लेकर मेरे कमरे में आ गयी मैंने पूछा तो हँसते हुए उसने बताया " राज, तेरे बापू को मैंने आज बता दिया कि उनकी शराब की दुर्गंध की वजह से मुझे नींद नहीं आती इसलिए आज से मैं तुम्हारे कमरे में सोया करूंगी उन्हें कोई आपत्ति नहीं है इसलिए मेरे राजा, मेरे लाल, आज से मैं खुले आम तेरे पास सो सकती हू"
मैंने उसे भींच कर उसपर चुंबनो की बरसात करते ऊए कहा "सच अम्मा? आज से तो फिर हम बिलकुल पति पत्नी जैसे एक साथ सो सकेंगे" उस रात के मैथुन में कुछ और ही मधुरता थी क्योंकि माँ को उठ कर वापस जाने की ज़रूरत नहीं थी और मन भर कर आपस में भोगने के बाद हम एक दूसरे की बाँहों में ही सो गये अब सुबह उठ कर मैं माँ को चोद लेता था और फिर ही वह उठ कर नीचे जाती थी
कुछ ही दिन बाद एक रात संभोग के बाद जब माँ मेरी बाँहों में लिपटी पडी थी तब उसने शरमाते हुए मुझे बताया कि वह गर्भवती है मैं खुशी से उछल पड़ा आज माँ का रूप कुछ और ही था लाज से गुलाबी हुए चेहरे पर एक निखार सा आ गया था
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