RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
नीलम उसके चूतरो पे हाथ फेरते हुए बोली,
“हाई कंचन आज तो तेरे पापा ने तेरी चूत का स्वाद भी चख लिया. अब देख वो तेरे कैसे दीवाने हो जाते हैं.”
“हट पागल! तू तो सुचमुच बड़ी खराब है.”
“हाई मेरी जान, ये बता तुझे कैसा लगा?”
“हट ना.. मुझे तो शरम आती है.”
“हाई, अब कैसी शरम? जब अपने पापा के मुँह में चूत दे दी थी टब तो शरम आई नहीं. बता नाअ… मज़ा आया?” नीलम कंचन की चूत दबाती हुई बोली.
“इसस्स.. ये क्या कर रही है? छोड़ ना मेरी चूत. सच बताउ? आज ज़िंदगी में पहली बार किसी मरद के होंठ मेरी चूत पे लगे. ऊफ़! पापा ने मेरी चूत को काट क्यों नहीं लिया?”
“काटेंगे, काटेंगे. आज तो पहला दिन था. बिटिया की चूत मुँह में ले के उनकी भी नींद हराम हो जाएगी. अभी देख आगे आगे क्या होता है.” नीलम पॅंटी के ऊपर से ही कंचन की चूत मसल्ने लगी. कंचन की चूत रस छोड़ रही थी और उसकी पॅंटी बुरी तरह गीली होने लगी.
“इसस्सस्स…..आआईयईई… नीलम! छोड़ नाअ.. देख मेरी पॅंटी खराब हो रही है.”
“तेरी पॅंटी ही तो खराब करनी है. आज इस पॅंटी को पापा के बाथरूम में छोड़ देना. कल तक अपनी पॅंटी को पहचान नहीं पाएगी.”
अब तो कंचन का भी साहस बढ़ गया था. उसे अपने पापा को तड़पाने में बड़ा मज़ा आने लगा था. लेकिन वो पापा का लंड भी महसूस करना चाहती थी. उस दिन जब शाम को शर्मा जी ऑफीस से वापस आए तो कंचन अब भी उसी स्कूल की छ्होटी सी स्कर्ट में थी.
“अरे बेटी तुमने अभी तक कपड़े नहीं बदले?”
“नीलम अभी अभी गयी है. हम दोनो पढ़ रहे थे.”
“अच्छा बेटी मैं ज़रा नहा के आता हूँ.”
“नहीं पाप्पो आप बाद में जाना, मैं एक मिनिट में नहा के आती हूँ.”
“बिटिया तुम तो बहुत टाइम लगाती हो.”
“आप देख लेना मैं बस गयी और आई.”
“ठीक है जल्दी जाओ.”
कंचन ये ही तो चाहती थी. बाथरूम में जाते ही कंचन ने पेशाब किया और पॅंटी फिर से ऊपर चढ़ा के पेशाब का दाग लगा दिया. फिर उसने सारे कपड़े उतार दिए. पॅंटी को उतार कर उसने दरवाज़े के पीछे लगे हुक पर टाँग दिया. पॅंटी पर पेशाब का दाग सॉफ नज़र आ रहा था. कंचन ने देखा कि पॅंटी पे उसकी झांतों का एक बॉल भी चिपका हुआ है. कंचन ने अपनी चूत रगड़ कर तीन चार बाल और निकाल कर पॅंटी पे चिपका दिए. फिर वो जल्दी से नहा के बाहर निकल आई,
“जाइए पाप्पो. मैं नहा चुकी.”
शर्मा जी भी नहाने बाथरूम में चले गये. जैसे ही उन्होने बाथरूम का दरवाज़ा बन्द किया उनकी नज़र उसके पीछे हुक पर तंगी बेटी की पॅंटी पर गयी. शरमाजी का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. आज करीब साल भर के बाद उन्हें बिटिया की पॅंटी इस तरह तंगी हुई मिली थी. सवेरे इसी पॅंटी में कसी हुई बिटिया की चूत उनके मुँह में थी. शर्मा जी ने काँपते हुए हाथो से बेटी की पॅंटी को अपने हाथ में लिया और पॅंटी के मुलायम कपड़े पर हाथ फेरने लगे. तभी शर्मा जी की नज़र पॅंटी पे चिपके हुए बिटिया की झांतों के बालों पे गयी. शर्मा जी का लॉडा फंफना गया. उन्होने जी भर के बिटिया की पॅंटी को चूमा और चाता. फिर जहाँ पेशाब का दाग लगा था उसे अपने तने हुआ लॉड के सुपारे पे रख उसकी चूत का गीलापन महसूस करने लगे. बिटिया की चूत की कल्पना करते हुए पॅंटी को अपने लंड पे रगड़ते हुए उन्होने ढेर सारा वीर्य उसकी पॅंटी में उंड़ेल दिया. जब रात को शर्मा जी सो गये तो कंचन चुपके से बाथरूम में गयी और अपनी पॅंटी देख कर उसका दिल धक धक करने लगे.
वीर्य तो वो पहले भी देख चुकी थी मम्मी की चूत और गांद में से बाहर बहता हुआ लेकिन आज ज़िंदगी में पहली बार मरद के वीर्य को हाथ लगा के देखा था. कंचन ने अपनी मम्मी को पापा का वीर्य पीते हुए देखा था. उससे ना रहा गया और उसने अपनी पॅंटी में लगे हुए वीर्य को चाट लिया. पापा का वीर्य चाटते हुए उसे बहुत खुशी हो रही थी क्योंकि ये अनुभव अभी तक सिर्फ़ उसकी मम्मी ने ही किया था. कंचन को अब अपनी मम्मी से थोड़ी थोड़ी जलन सी होने लगी थी.
नीलम अब कंचन के पीछे पड़ गयी की जिस दिन मम्मी वापस आने वाली हो उस दिन भी वो कंचन के साथ रहना चाहती थी. नीलम को पता था कि जिस दिन मम्मी वापस आएगी उस दिन फिर से सारी रात चुदाई का नज़ारा देखने को मिलेगा. वही हुआ. जिस दिन मम्मी वापस आई उस रात सिर दर्द का बहाना बना कर जल्दी ही सोने चली गयी. कंचन को लगा कि आज तो चुदाई देखने नहीं मिलेगी, पर नीलम बोली, “कंचन तू इतनी भोली क्यों है? सिर दर्द का तो बहाना है. तेरी मम्मी चुदवाने के लिए उतावली हो रही है.” हम दोनो जल्दी से अपने कमरे में पहुँच गये. नीलम की बात बिल्कुल सच निकली. मम्मी बिस्तेर पर चादर ओढ़ के लेटी हुई थी. जैसे ही पापा अंडर आए, बोली,
“ कितनी देर से इंतज़ार कर रही हूँ ? आ भी जाइए.”
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