RE: Sex Kahani एक वेश्या की कहानी
फिर मैने टवल से उसके लंड को पोछा और उसे लेकर बिस्तर पर आकर लेट गयी.
मैने उसे बोला कितनी देर, तो वो बोला के आधा घंटा........ जैसे तुम चाहो- मैं बोली.
फिर उसने अपना एक हाथ मेरे स्तन पर रख लिया और कुछ देर बाद मेरे साथ सॅट कर लेट गया उसका का लंड मुझे अपनी गान्ड पेर महसूस हो रहा था और धीरे से उसने अपना दूसरा हाथ आगे लाया और मेरी योनि सहलाने लगा मुझे बहुत मज़ा आ रहा था पेर मैं आँखे बंद करके लेटी रही और अपनी गान्ड उसके ओर कर के बिल्कुल उससे चिपक ली.
वो अपना लंड मेरी गान्ड पर दबाता रहा और फिर उसने मुझे अपनी ओर घुमा लिया और धीरे-धीरे करके मेरे स्तन दबाने लगा और मूह मे ले कर चूसने लगा काफ़ी देर चूसने के बाद वो मेरे घुटनो के बीच आ गया मेने धीरे से आँखे खोल कर देखा उनका लंड मेरे राज के लगभग आधा ही था और मोटाई मे भी लगभा दो उंगलियों के बराबर था उसे देख कर मैं खुस हो गई क्यूँ कि मुझे लगा ये मेरी योनि मे बहुत आराम से जाएगा ,और मुझे दर्द भी नही होगा.
अब उसने अपना लंड मेरी योनि के बिल्कुल पास लाया और धीरे से अंदर कर दिया मुझे ज़्यादा तो नही पर हल्का सा दर्द हुआ जिससे मेरी आँखे खुल गई उसने मेरी तरफ़ देखा तो मैने आँखे नीचे कर ली उसने अब अपना पूरा लंड मेरी योनि के अंदर कर दिया मैने दर्द भरी आँखो से उसकी तरफ देखा तो उसने मेरे होठों पे किस करना सुरू कर दिया मेरे होन्ट अपने होंटो पे दबा कर चूसने लगा और
धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगा मुझे बहुत मज़ा आ रहा था अब उसने अपने झटके बहुत तेज कर दिए मे तो मज़े से मरी जा रही थी इतना मज़ा मुझे जिंदगी मे कभी नही आया था और अचानक मुझे लगा कि मेरे अंदर कुछ गरम गरम गिरा है अब वो मेरे उपेर लेट कर हाँफने लगा उसने अपना लंड मेरी योनि से निकाल लिया और मेरे साइड मे आकर मुझसे सॅट के लेट गया.
तभी मुझे लगा के मैं भी छूट चुकी हू और मैने चिल्लाकर कहा- हे भगवान मैं भी छूट गयी.
वो बोला- तो क्या हुआ.
मैं अपना पानी नही छोड़ना चाहती थी. मैं बोली. और बाजू मे रखी बेल को ज़ोर से बजा दिया और उसे धक्का देकर पलंग से नीचे गिरा दिया.
अपने कपड़े पहनो और चले जाओ यहाँ से…..मैने उसे चिल्लाते हुए कहा. और उठकर बाथरूम जा कर पेशाब करने लगी.
वो अपने कपड़े पेहेन्ते हुए बोले जा रहा था- ये सब नही करना था तो तुम वेश्या ही क्यू बनी ? क्यू आई तुम ऐसे वेश्या-घर मे ? तुमसे कयि गुना अच्छी लड़कियाँ है यहाँ.
इतने मे वहाँ चाची भी आ गयी- तुम बेल बजाना भूल गयी क्या इतने ज़ोर से क्यू बजा रही थी!
बहुत बुरा हुआ चाची मैं स्खलित हो गयी-मैं मूह लटकाते हुए बोली.
चाची भी हैरान होती हुई बोली- हे भगवान, अगर तुम हर कस्टमर के साथ ऐसा करोगी तो तुम यहाँ की कैसे कहलाओगी.
उस लड़के ने अपने कपड़े पहने और चाची को पैसे देते हुए कहा- बाइ और जाने लगा.
चाची- क्या तुम इस लड़की को टिप नही दोगे? ये आज छूट चुकी है.
चाची ने उसे कुछ पैसे लेकर मुझे दिए और उसने मुझे कहा- बाइ कामिनी.
चाची मुझसे बोली- या तो तुम आत्म-नियंत्रण सीख लो या फिर उन लोगो से छलावा करो. उनको जाहिर करो के तुम उनसे बहुत प्यार करती हो पर उनके साथ स्खलित मत हो और या तो फिर उनके साथ अंत तक संभाल कर करो.
मैं बोली- पर कैसे करू मैं ये सब ?
चाची बोली- किसी और चीज़ों के बारे मे सोचो. कुछ दुख देने वाली यादें..अपने मरे हुए रिश्तेदारो को याद करो, अपने लिए हुए कर्ज़ो को याद करो…कुछ नही तो गाँधी जी की 1930 की दांडी यात्रा के बारे मे सोच लिया करो…
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