RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
अम्मा इतरा कर नहीं नहीं करती रह गयी पर मंजू ने उसकी साड़ी और चोली खोल डाली अंदर मा ने आज सफेद ब्रा और पैंटी पहनी थी टाइट ब्रा मे से उसके ये मोटे मम्मे छलक आए थे मोटी मोटी गोरी जांघें और पैंटी मे से दिखाते बुर के उभार को देखकर मैं मचल उठा अपने आप मेरा हाथ अपने लंड पर गया रघू ने हँसते हुए मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और मुझे गोद मे लेकर कुर्सी पर बैठ गया उसका लंड मेरी पीठ पर सटा था उसे मेरी पीठ पर रगडते हुए वह मेरे गाल चूमने लगा
उधर मंजू अब मा की ब्रा उतार रही थी मा के भारी भरकम स्तन ब्रेसियार से छूटकर लटकने लगे लगता था जैसे सफेद पके पपीते हों और मा के निपल! मैं देख कर कसमसा उठा इतने बड़े निपल किसीके हो सकते हैं ये मैने कभी सोचा भी नहीं था बड़े जामुनों के आकार के गहरे भूरे रंग के निपल और उनके चारों और छोटी तश्तरी जितने बड़े बड़े गोल चकते!
"देख मुन्ना, क्या मस्त माल है, और बहुत मीठा भी है" मुझे मा के मम्मों को घुरता देखकर मंजू ने मुझसे कहा और मा की एक चूची चूसने लगी साथ ही उसने मा की पैंटी खींचकर उतार दी काले बालों से भरी उसकी गोरी बर देखकर मैं पागल सा हो गया
मंजू मुँह अलग करके चटखारे लेते हुए बोली "बहुत मीठा दूध है मुन्ना तेरी मा का, एकदम दुधारू गाय है साली इसके निपल देखे ना? गाय है गाय!"
मैं तडप कर बोला "मा, मुझे दूध पिला ना"
अब तक मा भी चुदासी से सिसकने लगी थी "ज़रूर पिलाऊन्गि मेरे लाल, मेरे पास ला मंजू मेरे बच्चे को"
"हाँ हाँ क्यों नहीं, पर पहले बेटे से मा की पूजा कराऊन्गि ख़ास कर चूत की पूजा रघू, मुन्ना को इधर ला आख़िर उसे पास से देखने दे कि उसकी मा की चूत कैसी है, जहाँ से वह जन्मा है, उस छेद को ज़रा चूमे और चूसे, फिर दूध भी पिला देंगे" मंजू मा के मम्मे दबाती हुई बोली
रघू मुझे उठा कर पलंग पर ले गया मुझे उतारकर मा के पास खड़ा होकर बोला "पहले मेरा लौडा चूसो माजी आपके बेटे के सामने आपके मुँह मे लंड दूँगा इसने मेरी मा को तो देखा कि कैसे मेरा पूरा लंड मुँह मे ले लेती है अब ज़रा यह भी देखे कि इसकी चुदैल मा लंड चूसने मे कितनी माहिर है फिर इसे भी सिखा दूँगा" कहके वह अपना लंड मा की चुचियों पर रगडने लगा
मंजू ने मा के कंधे पकडकर उसे ज़मीन पर बिठा दिया उसके पीछे बैठकर उसकी चुचियाँ मसलती हुई पीछे से मा की ज़ूलफें उठाकर मा की गर्दन चूमने लगी मा एकदम मस्त थी सिहर कर बोली "कितना अच्छा चूमती है तू मंजू, ज़रा मेरी बुर खोद ना"
उधर रघू को जल्दी हो रही थी उसने मा के गाल दबाकर उसका मुँह खोला और दूसरे हाथ से लौडा पकडकर मा के मुँह मे पेल दिया मुझे लगा मा का दम घुट जाएगा उस हलब्बी लंड को लेने मे पर उसने तो दोनों हाथ रघू की कमर मे डालकर उसे अपने पास खींच लिया और एक ही दम मे पूरा लंड निगलाकर अपना चेहरा रघू के पेट मे दबाकर लौडा चूसने लगी
मैं पास से देख रहा था मा का मुँह भरा हुआ था और उसके लाल लाल होंठ रघू के लंड की जड के चारों ओर सिमटे हुए थे आँखों मे गजब के कामुकता थी रघू ने मा का सिर कस कर पकड़ा और खड़ा खड़ा आगे पीछे होकर मा के गले को चोदने लगा
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