RE: XXX CHUDAI नौकरी के रंग माँ बेटी के संग
कमरे पर आकर मैं सोने की तैयारी करने लगा और अपनी आँखों में उन दो खूबसूरत चेहरे बसाये हुए सोने की कोशिश करने लगा।
यूँ तो मैंने कई खूबसूरत लड़कियों और औरतों के साथ वक़्त बिताया है लेकिन पता नहीं क्यूँ आज इन दो माँ बेटियों के चेहरे मेरी आँखों से ओझल ही नहीं हो रहे थे।
खुली आँखों में उनकी चमक और आँखें बंद करते ही उनकी मुस्कराहट।
बस मत पूछिए की मेरा क्या हाल था, करवट बदलते बदलते रात कट गई।
सुबह आँख खुली तो काफी देर हो गई थी।
मैं झटपट उठा और बाहर का दरवाज़ा खोला क्यूंकि दूध वाले का वक़्त था… लेकिन जब घड़ी पर नज़र गई तो मायूसी छा गई क्यूंकि काफी देर हो चुकी थी और शायद दूध वाला बिना दूध दिए वापस चला गया था।
मैं वापस मुड़ा और अन्दर जाने लगा तभी किसी ने मुझे आवाज़ लगाई… ‘समीर जी…ओ समीर जी…’
मैंने मुड़कर देखा तो रेणुका भाभी हाथ हिलाकर मेरी तरफ ही इशारा कर रही थीं।
उनको देखते ही मेरे चेहरे पे छाई मायूसी गायब हो गई और मैंने मुस्कुरा कर उन्हें नमस्ते की।
रेणुका जी ने मुझे ठहरने का इशारा किया और वापस अपने घर में चली गईं।
मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले वो अपने घर से बाहर निकलीं, उनके हाथों में एक बड़ा सा पतीला था।
मेरी नज़र पहले तो पतीले पे गई फिर बरबस ही पतीले से हटकर उनके पूरे शरीर पे चली गई।
उन्होंने लाल रंग की एक मस्त सी गाउननुमा ड्रेस पहन रखी थी जो उनकी सुन्दरता पे चार चाँद लगा रही थी।
वैसे ही खुले बालों में वो मुस्कुराती हुई अपनी कमर मटकती हुई धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ने लगीं।
‘आप क्या रोज़ इतनी देर तक सोते रहते हैं… आपका दूध वाला आया था और कई बार आपको जगाने की कोशिश करी, लेकिन जब आप नहीं जागे तो ये दूध हमारे यहाँ देकर चला गया…’ भाभी ने मुस्कुराते हुए शिकायत भरे लहजे में कहा।
‘अरे नहीं भाभी जी… दरअसल कल रात को काफी देर हो गई थी सोते सोते, इस लिए सुबह जल्दी उठ नहीं पाया।’ मैंने मासूमियत से जवाब दिया।
‘क्यूँ कल रात को कोई भूत देख लिया था क्या… जो डर कर सो नहीं पा रहे थे आप?’ भाभी ने खिलखिलाकर हंसते हुए मजाक किया।
मैंने भी मौके पे चौका मारा और कहा- भूत नहीं भाभी, बल्कि कुछ ज्यादा ही खूबसूरत भूतनी देख ली थी इसलिए उसको याद करते करते जगता रहा।
‘अच्छा जी… जरा संभल कर रहिएगा यहाँ की भूतनियों से… एक बार पकड़ लें तो फिर कितनी भी कोशिश कर लो, जाती ही नहीं…’ भाभी ने बड़े ही मादक अंदाज़ में मेरी आँखों में अपनी चंचल आँखों से इशारे करते हुए चुटकी ली।
‘अजी अगर इतनी खूबसूरत भूतनी हो तो कोई भला क्यूँ भागना चाहेगा, हम तो बस उससे चिपक कर ही रहेंगे।’ मैंने भी उनकी आँखों में झांकते हुए शरारत भरे अंदाज़ में कहा।
‘बड़े छुपे हुए रुस्तम हो आप… हमारी खूब ज़मेगी, लगता है।’ भाभी ने इस बार मुझे आँख मार दी।
मैं समझ गया कि सच में हमारी खूब जमने वाली है क्यूंकि कल रात जब मैंने उनके पति अरविन्द जी को देखा था तभी समझ में आ गया था कि शायद कहीं न कहीं उनकी बढ़ती उम्र की वजह से भाभी की हसरतों का कोई कोना खाली रह जाता होगा और अभी उनकी इस हरकत और इन बातों ने मुझे यकीन दिला दिया था कि जो कमी पिछले तीन महीनों से परेशान कर रही थी, वो अब पूरी होने वाली है।
‘फिलहाल कोई बर्तन ले आइये और यह दूध ले लीजिये…’ भाभी ने मेरा ध्यान दूध की तरफ खींचा।
मगर मैं ठहरा कमीना और मैंने भाभी के नेचुरल दूध की तरफ देखना शुरू कर दिया।
रात को साड़ी में छिपे इन बड़े बड़े दूध कलश को उनके गाउन के ऊपर से अब मैं सही ढंग से देख पा रहा था।
बिल्कुल परफेक्ट साइज़ की चूचियाँ थीं वो।
मेरे अंदाज़े से 34 की रही होंगी जो कि मेरी फेवरेट साइज़ थी, न ज्यादा छोटी न ज्यादा बड़ी…
मुझे अपनी चूचियों की तरफ घूरता देख कर भाभी ने मेरी आँखों में देखा और अपनी भौहें उठा कर बिना कुछ कहे ऐसा इशारा किया मनो पूछ रहीं हो कि क्या हुआ।
मैंने मुस्कुराकर उन्हें अपना सर हिलाकर ‘कुछ नहीं’ का इशारा किया और अपने घर में घुस गया और दूध का बर्तन ढूंढने लगा।
सच कहूँ तो उनसे बातें करके मेरे लंड महराज ने अपना सर उठा लिया था और उनकी चूचियों के एहसास ने उसे और हवा दे दी थी।
|