RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
ससुरजी का मोटा तगड़ा लंड देख के दो सेकेंड के लिए मेरे मूह में पानी आ गया. पर मैं अपने पति के साथ बेवफ़ाई करने वाली नही थी.
‘ये आप क्या कर रहे हो पिताजी, प्लीज़ आप उसको दूर हटाइए’ मैने उनके लंड की और इशारा करके कहा.
‘ऐसा मत कहो बहू, आज मेरे जनमदिन पे तो कम्सेकम मेरी ख्वाइश पूरी कर दो’ ससुरजी अब मेरे बहुत करीब आ गये थे. मैं समझ गयी कि मेरे रोकने से वो रुकने वाले नही और मैं वहाँ से दौड़ पड़ी. मुझे लगा था कि ससुरजी इतनी उमर पे दौड़ नहीं पाएँगे पर वो मेरे पीछे दौड़ पड़े. पास में ही मेरे पति का कंप्यूटर रूम था, जहाँ मेरे पति बैठ के रात को काम किया करते थे, में दौड़ के उस कमरे में घुस गयी. मैं कमरे में जा कर दरवाज़ा बंद करने लगी. दरवाज़ा बंद ही होने वाला था कि ससुरजी ने अपनी टाँग लगा कर उसे बंद होने से रोक लिया. उन्होने दरवाज़े पे एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उससे दरवाज़ा खुल गया. धक्के के ज़ोर से मैं ज़मीन पे जा के अपनी पीठ पे गिर पड़ी. ससुर जी अब मेरे सामने थे उन्होने अपना पहाड़ जैसा लॉडा अपने हाथ में लेकर कमरे के अंदर आना शुरू किया.
मैं ज़मीन पे सरक सरक के रोते हुए पीछे जा रही थी. ससुरजी हस्ते हुए आगे बढ़ रहे थे. आख़िर में सरक के दीवार तक पहुँच गयी. ससुरजी के चेहरे पे अब बिल्कुल जंगलिपन छा गया था और उन्होने नीचे झुक के मुझे ज़बरदस्ती उठा लिया. मैं अपने हाथ पैर मार के चिल्ला रही थी ‘जाने दो मुझे पिताजी, भगवान के लिए ऐसा मत करो’
मुझे अपने पैरों पे खड़ा करके ससुरजी ने अब मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. मेरा सर सिर्फ़ उनकी छाती तक आ रहा था. उनका गरम लंड मुझे अपने पेट पे रगड़ता महसूस हो रहा था. उनके शरीर की गंदी बदबू से मुझे घिन आ रही थी. ससुरजी ने अब अपने एक हाथ से मेरे बाल खीच के मेरा चेहरा उपर की ओर कर दिया और मेरे सर को हिलने से रोकके रखा. मेरा चेहरा उपर होते ही मैने देखा कि ससुरजी अपना मूह खोलके अपनी जीब बाहर निकालके अपने होंठ मेरे होंठो की ओर लाने लगे, इतना गंदा नज़ारा देख मैने अपनी आँखें बंद करदी.
‘नहियीईई म्म्म्मममम.........’ ससुरजी के होंठ मेरे होंठो को लग गये और मेरा चिल्लाना बंद हो गया. मैने अपना मूह कस के बंद रखा. ससुरजी मुझे ज़ोर से चूमते हुए मेरे होंठो को चूस रहें थे और अपनी जीब को मेरे होंठो के बीच दबा के ज़बरदस्ती अंदर घुसाने की कोशिश कर रहें थे, पर मैने अपने होंठ बंद रखें.
ससुरजी से अब सबर नही हो रहा था. उन्होने अपना दूसरा हाथ मेरे पीठ पे लगा के मेरा ब्लाउस पीछे से पकड़ा और उससे ज़ोर से खीचने लगे, दो तीन झटके में ही मेरे ब्लाउस के सारे बटन फॅट गये. मेरी साड़ी का पल्लू तो पहले से ही गिर पड़ा था. ससुरजी ने मेरा ब्लाउस पीछे से फाड़ के मेरी ब्रा का हुक निकाल दिया. उन्होने मुझे ऐसे जकड़के रखा था कि में कुछ नही कर पा रही थी. सारे वक़्त वो मेरे गोरे चेहरे को अपनी जीब से चाट रहें थे.
ससुरजी ने मुझे अब अपने से दूर कर के मुझे साइड के बिस्तर पे लेटा दिया. उन्होने एक हाथ से मुझे उठने से रोके रखा और दूसरे हाथ से मेरा ब्लाउस और ब्रा एक झटके से निकाल के ज़मीन पे फैक दी. मेरे बड़े गोरे बूब्स और उनके बीच मेरे गुलाबी निपल्स देख ससुरजी हँसने लगे
‘हहेहहे’ करते हुए उन्होने अपना शरीर नीचे झुकाया और अपने दोनो हाथो से मेरे बूब्स को अपने बड़े हाथो से मसलना शुरू किया. मसल्ते मसल्ते वो बीच बीच में मेरे निपल्स को अपनी उंगलियाँ से थोड़ा दबा देते. मैं रोते रोते ससुरजी से भीक मांगती रही. मेरे निपल के दबने से मेरे बदन में एक करेंट सा फैल रहा था. मेरी सेक्स की भूक फिर से आगे आ रही थी. मुझे अपने आप पे गुस्सा आ रहा था कि में अपने हवस को काबू में रख नही पा रही थी. ससुरजी अब और झुक के मेरे बूब्स को अपने मूह में लेके उसको ज़ोर से चूसने लगे. उनके गरम साँसें और गीली जीब का मेरे निपल पे एहसास पा के मेरे अंदर हलचल हो रही थी. मुझे मेरी चूत गीली होती हुई महसूस हो रही थी. मुझे अपने आप पे शरम आ रही थी कि मेरा जिस्म एक ऐसे गंदे आदमी के हाथों इस्तेमाल हो के भी ऐसे उत्तेजित हो रहा था. मुझे दुख बहुत हो रहा था कि मेरे ससुरजी जो मेरे पिता समान थे मेरे साथ ऐसा कर रहें हैं और अपने प्यारे पति के बारे मैं सोच मेरे आँसू बह रहें थे पर मेरा बदन मुझे धोका दे रहा था. ससुरज़िने एक हाथ से मेरे बाकी के कपड़े निकाल दिए और में अब सिर्फ़ अपनी पैंटी में थी.
ससुरजी बिल्कुल पागल की तरह मेरे दोनो बूब्स एक के बाद एक चूस रहें थे. मेरे दोनो बूब्स अब उनकी थूक से गीले हो के चमक रहें थे, मेरे निपल्स खड़े हो गये थे.
ससुरजी अब मेरी पैंटी को नीचे करने की कोशिश कर रहें थे. मैं ज़ोर से चिल्ला कर उनको रोकने की कोशिश कर रही थी. ‘नहियीईईई ऐसा मत करो पिताजी, जाने दो मुझे प्लीज़’ मैने उनको रोकने के लिए अपने हाथ पैर बहुत चलाए पर सात फुट के आदमी के ज़ोर के सामने मैं बिल्कुल लाचार थी. मेरी पैंटी निकाल के मुझे पूरा नंगा करने के बाद ससुरजी ने मेरे पैर फैला के मेरी चूत के उपर अपना हाथ रगड़ना शुरू कर दिया. मेरी चूत बहुत गीली थी
‘ये क्या बहू रानी, तुम तो बहुत गीली हो गयी हो’
ऐसा कह के ससुरजी ने मेरी चूत में एक उंगली घुसा डाली. उनकी उंगली मेरे पति के लंड जितनी मोटी और लंबी थी. मेरे चूत में गर्मी छा गयी थी. साथ साथ ससुरजी मेरे बूब्स को भी ज़ोर से चूस रहे थे.
‘आआहह प्लीज़ पिताजी आआहह ऐसा मत आआअहह करो’ में ना कर रही थी पर मेरी सिसकारियों से ससुरजी को पता चल रहा था कि मेरा असली हाल कैसा था.
ससुरजी को मेरा गोरा चिकना बदन पागल बना रहा था. उनको अब अपना लंड मेरे अंदर डालना था. अचानक उन्होने मुझे उठा दिया और साइड के टेबल पे कुत्ति की तरह झुका दिया. मैने सोचा कि ससुरजी मुझे डॉगी स्टाइल मे चोदने वाले हैं.
‘प्लीज़ पिताजी मुझे जाने दो’ मैने कहा पर असल में मुझे उनका मोटा लंड अब मेरी चूत के अंदर महसूस करना था. ससुरजी मेरे पीछे आगये और अपना लंबा लॉडा मेरी चूत के उपर रगड़ने लगे.
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