RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—7
गतान्क से आगे……………
सब आराम कर चुके तो शन्नो जी ने कहा "चलो, एक पारी और हो जाए तो फिर सब लोग सो लेना आज रात भर जागना है अमित कल जाने वाला है"
सब ने कहा रुक जाओ मैं बोला कि ज़रूर रुक जाता पर घर में काम है और माँ को भी लाना है मांजी बोलीं "हाँ बेटे, जा और तैयारी से आना माँ के साथ, दो तीन महने के लिए तेरी तो गर्मी की छुट्टी है हम सब एक परिवार जैसे रहेंगे"
सब सरक कर पास पास आ गये और` एक दूसरे को चूमने और बदन पर हाथ फेरने लगे तीनों लंड फिर तैयार थे शन्नो जी बोलीं "अब ऐसा करो, सब मिलकर बहू पर चढ जाओ रांड़ इतनी चुदक्कड है, इसे आज पूरा मज़ा दो तीन तीन लंडों से चोदो इसके सब छेद भर दो"
जीजाजी बोले "अम्मा, तू क्या करेगी, अकेली रह जाएगी"
अम्माजी बोलीं "मेरे चिंता ना करो, मैं सब के मुँह से काम चला लूँगी फिर रात भी तो पडी है रात को यही सुख मुझे देना"
"चलो भाई अपने अपने छेद ढूढ लो इस छिनाल के बदन से बोल अमित, तुझे कौन सा चाहिए? वैसे मुझे मालूम है तू क्या पसंद करेगा" दीपक जीजाजी बोले
"हाँ दीदी, अब तो मैं तेरी गान्ड मारूँगा, चल लेट जा नीचे" मैंने दीदी को पलंग पर पटककर कहा वह नखरा करने लगी मन में तो बड़ी खुश हुई होगी "अरे नहीं, तीन तीन लंड! मुझे मार डालोगे क्या" और उठाने की कोशिश करने लगी
जीजाजी बोले "ये रांड़ ऐसे नहीं मानेगी, ज़बरदस्ती करनी पडेगी, चल मुँह खोल हरामजादी" कहकर उन्होंने दीदी के गाल पिचकाकर उसका मुँह खोला और लंड डाल कर उसका मुँह बंद कर दिया दीदी अम अँ करने लगी रजत तुरंत दीदी पर चढ गये और उसकी चूत में लंड पेल दिया फिर दीदी को बाँहों में पकडकर पलट कर नीचे हो गये
दीदी के चूतड अब उपर थे मैंने झपटकर उसके चूतडो को चूमना शुरू कर दिया "वाह दीदी, तेरी गान्ड तो यहाँ ससुराल में और मोटी हो गयी है जल्द ही अम्माजी जैसी हो जाएगी, तरबूजों जैसी" और फिर उसकी गान्ड का छेद चूसना शुरू कर दिया
जीजाजी बोले "वाह मेरे शेर, गान्डो का बहुत शौकीन है तू तुझे यहाँ बहुत गांडे मिलेंगी अम्मा तुम भी अमिता का लंड गीला कर दो, तेल लगाने की ज़रूरत नहीं पडेगी"
शन्नो जी ने मेरे लंड को मुँह में ले कर गीला कर दिया मैंने अब दीदी की गान्ड में लंड पेलना शुरू कर दिया सुपाडा अंदर जाते ही दीदी छटपटाकर गों गों करने लगी "अरे काफ़ी दिनों के बाद मरा रही है ना इतने बड़े लंड से, साली का छेद फिर टाइट हो गया है लगता है अब आएगा मज़ा जब गान्ड फटेगी छिनाल की" रजत बोले
"अरे, तेरा लंड भी तो है चूत में, गान्ड और टाइट हो जाती है ऐसे में" शन्नो जी बोलीं वे दीदी के मम्मे मसल रही थीं मैंने लंड पेलना जारी रखा आज धीरे धीरे जा रहा था नहीं तो हमेशा दीदी एक बार में ले लेती थी पूरा पेल के मैं दीदी पर लेट गया और उसकी गान्ड मारने लगा रजत जेठजी के लंड का आकार मुझे महसूस हो रहा था
हमा तीनों दीदी को चोदने लगे "आराम से चोदो हरामन को, घंटे भर कूटो, पूरा मज़ा लो और इसकी खूब दुर्गति करो" शन्नो जी ने कहा उन्होंने एक चुची मेरे मुँह में दे दी थी और रजतजी को चूम रही थीं
हमने खूब देर दीदी की धुनाई की पलट पलट कर चोदा कभी मैं उपर होता कभी रजत जो उपर होता वो कस के हचक हचक के चोदता, नीचे वाला चूतड उछाल कर नीचे से पेलता जीजाजी तो मज़े में दीदी के सिर को फ़ुटबाल जैसा पकडकर पेट से सटाये उसका गला चोद रहे थे बिलकुल रेप जैसा मज़ा आ रहा था दीदी पहले खूब चटपटाई, छूटने की कोशिश करती रही, फिर लस्त हो गयी और रबड की गुडिया जैसी निढाल पडी रही
मांजी जैसे उनसे बनता था मज़ा ले रही थी बारे बारी से हम तीनों को चूमती या अपनी चूत हमारे मुँह से लगा देतीं बीच बीच में दीदी की चूचिया गूँध देतीं
आख़िर हम तीनों झडे और पूरा वीर्य दीदी के शरीर में उगल दिया "मज़ा आ गया साले, आज इसकी सही चुदाई हुई है" जीजाजी बोले
लंड निकाले तो दीदी बेहोश थी "अरे अभी जाग जाएगी छिनाल, चिंता मत कर" शन्नो जी ने कहा और बारी बारी से दोनों बेटों का लंड चूसने लगीं जीजाजी दीदी की चूत में मुँह डाल कर चालू हो गये, अपने बड़े भाई की मलाई और बुर के रस का स्वाद लेने लगे और रजत ने दीदी की गान्ड को मुँह लगा दिया पता नहीं उन्हें दीदी की गान्ड का स्वाद लेना था या मेरे वीर्य का, या फिर दोनों
दीदी दस मिनिट बाद होश में आई और रोने लगी मुझे लगा कि शायद ज़्यादती हो गयी पर शन्नो जी को मालूम था उन्होंने आँखो के इशारे से मुझे कहा कि कुछ नहीं होगा बात सच थी जब दीदी शांत हुई तो अपनी सास से लिपट गयी "मांजी, आज मैं निहाल हो गयी, इतना सुख कभी नहीं मिला आप सब मुझे इतना प्यार करते हो, मुझे तो लगता था कि मर ना जाऊ, इतना मज़ा आ रहा था"
मांजी ने पुचकार कर उसे चुप कराया सब थक गये थे इसलिए वहीं पलंग पर जैसे बने, लुढक कर सो गये
रात को बाहर से खाना मँगाया गया दीदी ने सबके लिया बादाम का दूध बनाया खाना खाकर थोड़ी देर सब ने टी वी देखा फिर दीदी के कमरे में इकठ्ठे हुए
इस बार शन्नो जी की सेवा की गयी मैं आतुर था देखने को कि उनकी गान्ड किसको मिलती है मुझे उन्होंने मना कर दिया "बेटे, तेरा बहुत बड़ा है, मैं झेल नहीं पाऊन्गि तू तो मेरे चूत में आजा"
मेरी निराशा देखकर बोलीं "दिल छोटा ना कर, जब माँ के साथ आएगा, तब देखूगी एक दो चीज़ें हैं मेरे दिमाग़ में"
मैंने उनकी चूत में लंड डाला, रजत ने उनके मुँह को निशाना बनाया और जीजाजीने अपनी प्यारी माँ के चूतडो के बीच लंड उतारा, धीरे धीरे प्यार से, वे सी सी कर रही थीं जैसे तकलीफ़ हो रही हो फिर हम शुरू हो गये
दीदी पास बैठकर अपनी बुर में उंगली कर रही थी थोड़ी देर बाद बोली "क्या धीरे धीरे पुकूर पुकूर कर रहे हो इस चुदैल औरत को क्या मज़ा आएगा मुझे चोदा था वैसे चोदो, हचक हचक के तब साली झडेगी, ये मेरी सास तो मुझसे ज़्यादा चुदक्कड है, जनम भर दो लंडों से चुदवाती आई है"
हम धीरे धीरे चोद रहे थे पर दीदी की बात सुनकर तैश में आ गये पूरे ज़ोर से शन्नो जी के तीन छेदों में लंड पेलने लगे उनकी लटकी छातियाँ मेरे सीने से भिडी थीं, नरम नरम गद्दे जैसी लग रही थीं उनका चेहरा मेरे पास था और रजत का लंड उनके मुँह में अंदर बाहर होता हुआ मुझे सॉफ दिख रहा था मेरा मन ना माना और मैंने वैसे ही शन्नो जी के होंठों का किनारा चूम लिया जीजाजी का लंड मेरे होंठों से घिसता हुआ शन्नो जी के मुँह में पिल रहा था
कुछ देर बाद मैंने देखा कि शन्नो जी ने अपना एक हाथ उनके चूतडो के इर्द गिर्द लपेट लिया था और उनकी उंगली जीजाजी की गान्ड में घुसी हुई थी वे उसे अंदर बाहर कर रही थीं रजत जिस जोश से अपनी माँ का मुँह चोद रहे थे, उससे सॉफ था कि उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था मांजी की आँखें भी खूआरी से लाल हो गयी थीं जैसे ढेरों ग्लास शराब पी रखी हो साली सेठानी को मज़ा आ रहा है, मैंने मन ही मन सोचा और कस के चोदने लगा
क्रमशः………………
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